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दांतों की देखभाल

दातों के रोग में रोगाणुओं की मौजूदगी के कारण शुरू होते हैं । दाँतों में एक बारीक और मुलायम सफेद रंग की झिल्ली चढ़ी होती है । इसे दांतों की पट्टी (प्लाक) कहा जाता है । रोगाणुओं यहीं अपनी जगह बनाते हैं और अपना पुनरूत्पादन करते हैं । नियमित रूप से दांतों की सफाई के जरिए इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है । पर अगर मुंह की सफाई ठीक से नहीं की जाती, तो रोगाणु अपनी संख्या बढ़ाते रहते हैं और बीमारियाँ पैदा करते हैं ।

वृद्धों को होने वाली दांतों की आम बीमारियाँ

दांत की हड्डियों का कमजोर होना ( दांतों में छेद) तीन कारणों के परस्पर मेल से होता है: दांतों की ऊपरी सतह के असुरक्षित होने, दांत पट्टी पर रोगाणु जमा होने और भोजन में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट होने के कारण । दांत पट्टी के रोगाणु भोजन, कणों को खमीर में बदल देते हैं, खासकर चीनी, चोकलेट, बिस्किट, ब्रेड, जैम जैसे भोजन को जिसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है । उसके कारण अम्ल बनते हैं । ये अम्ल दांतों के इनामेल के खनिजों को कम करते हैं और इस वजह से उनमें खाली जगहें बन जाती हैं ।

दांत को जबड़े से जोड़े रखने वाली परत की बीमारियाँ - दांत को सहारा देने वाले मसूढ़ों व हड्डी जैसे ऊतकों को प्रभावित करती हैं । मसूढ़े लाल हो जाते हैं । वे सूज जाते हैं और उनमें से अक्सर खून बहता है । अगर इसका उपचार न किया जाए, तो हड्डियाँ और दांतों की सक्रियता जाती रहती है । मधुमेह की तरह ही, धूम्रपान भी इस रोग को बढ़ाता है । बहुत घटिया दंत-मंजन या ब्रश करने के गलत तरीके के कारण दांतों की जड़ें नंगी हो सकती हैं दांतों के नंगी जड़ों के सख्त ऊतक आसानी से उन्हें खुरदरा बना सकते हैं । इस कारण दांत तापमान के प्रति बहुत संवेदनशील हो सकते हैं । नतीजतन, मसूढ़े व दांतों की हड्डियों कमजोर हो सकती हैं ।

दांतों का गिरना - वृद्धावस्था की तीसरी आम समस्या है । सारे या कुछ दांतों के गिरने से भोजन को चबाने की समस्याएँ पैदा हो सकती हैं । ऐसे में व्यक्ति अधिक मुलायम खाना लेना शुरू कर सकता है, जिससे उसके भोजन की पौष्टिकता पर असर पड़ सकता है । वह फल और सब्जियों की बजाय, केवल ब्रेड और चावल जैसा भोजन शुरू कर सकता है जिससे पौष्टिकता में कमी आती है ।

मुंह का कैंसर – वह चौथी आम बीमारी है जो बुजुर्ग लोगों को अपना शिकार बनाती है । यह वर्षों तक जारी किसी बुरी लत- जैसे पान, तंबाकू, गुटका, धूम्रपान, शराब, मुंह की सफाई के प्रति लापरवाही, मुंह के संक्रमणों, अधिक नुकीले दांतों वाले व्यक्ति में पौष्टिकता की विभिन्न प्रकार की कमियों के कारण मुंह के कैंसर का रूप ले सकता है ।

बचने के उपाय

मुंह की ठीक से साफ – सफाई रखना मुंह के उपरोक्त सभी रोगों से बचने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है । नीचे कुछ जरूरी उपाय बताए गए हैं:

1. पान, गुटका और पान मसाला इत्यादि चबाना बंद कर देना चाहिए । मुंह के अच्छे और रोगहीन रखने के लिए किसी भी तरह के तंबाकू का सेवन पूरी तरह बंद कर देना चाहिए ।

2. ब्रश और टूथपेस्ट का इस्तेमाल दांतों को साफ करने का सबसे अच्छा तरीका है । बुरे दंत- मंजनों और सख्त ब्रश से बचने की कोशिश करनी चाहिए । इससे मसूढ़ों को नुकसान पहूंचता है ।

3. ब्रश करने का सही तरीका इस्तेमाल किया जाना चाहिए । मसूढ़ो के किनारों से शुरू करते हुए, ऊपर से नीचे के ओर, दांतों की बाहरी और भीतरी तरफ को हल्के हाथों से रगड़ना चाहिए ताकि दांत पूरी तरह साफ हो सकें । दांतों की चबाने वाली सतह पर ब्रश को गोल- गोल घुमा कर साफ करना चाहिए ।

4. जिन लोगों की दांतों के बीच अधिक जगह होती है या जिनके दांत बहुत सटे होते हैं, उन्हें अपने दांतों के बीच के हिस्से की सफाई करने के लिए ज्यादा घने ब्रशों की जरूरत हो सकती है ।

5. टंग – क्लीनर के द्वारा जीभ की नियमित सफाई की जानी चाहिए ।

नकली दांतों की देखभाल

नकली दांत इस्तेमाल करने वाले लोगों के लिए दो चीजें बहुत जरूरी हैं । नकली दांतों की ठीक से सफाई और उनका ठीक आकार ।

इस संबंध में निम्न बातों का पालन करना चाहिए :

1. नकली दातों को रत के वक्त निकाल उन्हें धोना और साफ करना चाहिए । उन्हें पानी में डुबो कर रखना चाहिए । लगातार नकली दांत लगाए रखने से ऊतक थक जाते हैं और मुंह की श्लेष्मा झिल्ली में घाव होने लगते हैं ।

2. नकली दांतों को सुबह साबुन और ब्रश से पूरी तरह साफ करने के बाद ही लगाया जाना चाहिए । खाना खाने के बाद हर बार उन्हें निकाल गरारे किये जाने चाहिए । ब्रश पूरी तरह से साफ करने के बाद ही लगाया जाना चाहिए । खाना खाने के बाद ही हर बार उन्हें निकाल कर गरारे किए जाने चाहिए और बहते पानी में उन्हें धोने के बाद ही लगाया जाना चाहिए ।

3. बाजार में नकली दातों को साफ करने के पाउडर उपलब्ध हैं । सप्ताह में एक बार इनके उपयोग से नकली दांतों को गंदगी और दाग हटाने में मदद मिलती है ।

4. उम्र बढ़ने के साथ अपने नकली दांत बदलते रहें ।

भोजन : क्या खाएं और क्या नहीं

1. खासकर खाने के बाद मिठाई की मात्रा को घटानी चाहिए । उसे कम करना चाहिए ।

2. फलों और हरी पत्तियों वाली सब्जियों का सेवन करना चाहिए । ऐसे भोजन को अधिक चबाने की जरूरत होटी है । ये लार की मात्रा में वृद्धि करते हैं । इस तरह बनी लार अस्थिक्षय के विरूद्ध सबसे अच्छी प्राकृतिक औषधि होती है ।

3. पनीर में भी अस्थिक्षय को रोकने का गुण होता है ।

फ्लोराइड का प्रयोग

दांतों के अस्थिक्षय को रोकने का सबसे निरोधक उपाय फ्लोराइडों का प्रयोग करना है । फ्लोराइड दांतों के इनेमल को अधिक सख्त बनाते हैं और उसे अम्लों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं इन्हें खाया भी जा सकता है । और उन्हें मुहं में लगाया भी जा सकता है खाए जाने वाले फ्लोराइड केवल दांतों के विकसित होने और मसूढ़ों से बाहर निकलने तक ही, यानी जन्म से 14 साल तक ही लाभकारी होते हैं इस उम्र के बाद फ्लोराइड को बाहर से मुंह में लगाना लाभदायक होता है । इसके लिए, आम तौर पर फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट प्रयोग किए जा सकते हैं और मुंह के भीतरी हिस्से को नियमित रूप से फ्लोराइड युक्त मुख – प्रक्षालक (माउथ रिंस) से साफ किया जा सकता है । ये चीजें बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं ।

वृद्धावस्था में दांतों के अस्थिक्षय बढ़ जाता है, इसलिए इस उम्र में फ्लोराइड का इस्तेमाल अधिक उपयोगी होता है । इस उम्र में, कभी लगवाए गए दांतों की हड्डी का क्षय, मसूढ़ों के बाहर के दांतों में अस्थिक्षय के कारण नई चोटें और दांतों की जड़ों का अस्थिक्षय के कर्र्ण उखड़ते जाना आधिक होता है।

फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट से दांतों को रोजाना – सुबह और शाम – साफ करना अस्थिक्षय को रोकने का समुचित उपाय है ।

इसके अलावा, विभिन्न दीर्घकालिक रोगों के लिए कई दवाएँ ले रहे या सिर और गर्दन के कैंसरों के लिए विकिरण या कीमोथेरेपी करा रहे वृद्ध लोगों में अस्थिक्षय का खतरा अधिक होता है । इस तरह के रोगियों का मुंह सूखा रहता है । (जिरोस्टोमिया) और लार के न होने या कम हो जाने की स्थिति में अस्थिक्षय का हमला अधिक तेज हो जाता है । इस तरह का हमला अधिक तेज हो जाता है । इस तरह के रोगियों को फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट के अलावा, रोजाना 0.2 प्रतिशत फ्लोराइड युक्त मुख-प्रक्षालक का प्रयोग करना चाहिए ।

किसी योग्य पेशेवर दंत – चिकित्सा से हर छह महीने बाद, दांतों व मुंह की जाँच आवश्य करानी चाहिए । जिन लोगों के सारे दांत गिर चुके है और जो पूरी तरह नकली दांत इस्तेमाल कर रहे हैं उन्हें नियमित रूप से मुंह की जाँच करानी चाहिए । नकली दांत के नीचे की हड्डी समय के साथ सिकुड़ जाती है । इससे नकली दांत ढीले पड़ सकते हैं । दांतों को अधिक समय तक लगाए रखने या मुंह को अधिक बंद किए रहने से मुंह में दर्द या अल्सर हो सकते हैं ।

दंत- चिकित्सा से जाँच कराने के अलावा, प्रत्येक वृद्ध व्यक्ति को स्वयं भी अपने मुंह के जाँच करते रहना चाहिए । अगर मुंह में कोई लाल, सफ़ेद या रंगदार दाग या जख्म दिखाई देता है और दो सप्ताह से अधिक बना रहता है मुंह या गर्दन में कोई सूजन या गांठ दिखती है, तो उसे फौरन डॉ. को दिखाया जाना चाहिए और उसकी जाँच करानी चाहिए । लापरवाही बरतने के खरतनाक परिणाम निकल सकते हैं । मुंह के कैंसर का अगर शुरू में pa पता लग जाए, तो उसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है । लेकिन, अगर रोग का पता बाद की आवस्था में चला, तो उपचार जटिल व खर्चीला हो जाता है और संभव है की उसके उतने अच्छे परिणाम न निकलें ।

स्त्रोत: हेल्पेज इंडिया/ वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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