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श्रमिकों के लिए जीवन बीमा की योजनाएं

इ.एस.आई.एस. और जीवनबीमा की अन्य योजनाएं

एम्पलोयीस स्टेट इंशोरेंस स्कीम द्वारा उद्योगों में काम करने वाले मजदूरों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य पर होने वाला पूरा खर्च मिल जाता है।मजदूर, फैक्टरी के मालिक और सरकार मिल कर इस योजना के लिए धनराशि मुहैया करवाते हैं। यह मजदूरों को भी काफी फायदे भी उपलब्ध (मुहैया) करवाती है। इसमें चिकित्सीय जांच, इलाज, अस्पताल में दाखिला, बीमार व्यक्ति को ले जाने के लिए वाहन, बीमार पड़ने पर छुट्टियॉं और फैक्टरी में काम के कारण होने वाली बीमारी के कारण अनुपस्थित रहने पर मुआवज़ा शामील है। इ.एस.आई.एस. इसके लिए कुछ डॉक्टरों और अस्पतालों को मान्यता देती है। यानि इन जगहों पर इलाज करवाने पर इ.एस.आई.एस. द्वारा पैसा मिल जाता है। शहरों में इ.एस.आई.एस. के अपने अस्पताल भी होते हैं इन संस्थानों में बहुत सी सुविधाएं होती हैं। इ.एस.आई.एस. एक बहुत ही व्यापक कार्यक्रम है पर आमतौर पर इसमें मिलने वाली सेवाओं की गुणवत्ता खास अच्छी नहीं होती, जिस कारण से मजदूरों को अकसर शिकायत रहती है। फिर भी इसने मजदूरों और उनके परिवारों को काफी व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं दिलाई हैं।

कुछ जगहों में मजदूरों को ज़्यादा तनखा मिलती है, इसलिये उन्हें इ.एस.आई.एस. में रूचि  नही होती। इन फैक्टरियों में अपनी खुद की स्वास्थ्य सेवाएं भी हो सकती हैं। इन मजदूरों और उनके परिवारों को कम कीमत पर स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं और उनके संस्थान उनके लिए भुगतान करते हैं। इसे थर्ड पार्टी पेमेंट सिस्टम कहते हैं। इसकी भी अपनी समस्याएं हैं। इससे चिकित्सा की कीमतों में बढ़ोतरी हो जाती है क्योंकि खर्चा कोई और दे रहा होता है। हाल में थर्ड पार्टी पेमेंट सिस्टम में बीमा कंपनियॉं भी आ गई हैं। अस्पतालों और जांच आदि के बढ़ते हुए खर्च के कारण बहुत से लोग स्वास्थ्य बीमा करवाने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

ध्यान योग्य बातें

अगर आप फैक्टरी के मजदूर के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित हैं तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखने से आपको मदद मिलेगी-

  • अलग अलग फैक्टरियों की विभिन्न इकाइयों में होने वाले कामों के बारे में जानकारी रखना। उनमें होने वाले खतरनाक कामों आदि के बारे में जानकारी रखना। साथ के मजदूरों से बात करना और उनकी शिकायतें सुनना। इन सब बातों का लेखा जोखा रखना। पता करना कि मजदूरों की स्वास्थ्य जांच होती है या नहीं। यह जांच कितने कितने समय में होती है? क्या आपको और मजदूरों को लगता है कि यह जांच काफी है? अगर नियमित रूप से जांच नहीं होती तो इसके क्या कारण हैं?
  • काम की जगह में किस तरह की दुर्घटनाएं होती हैं, इसके लिए कौन से सुरक्षा उपाय अपनाए जाते हैं? दुर्घटना हो जाने पर तुरंत दी जाने वाली कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं? क्या इन दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है? इसके लिए क्या किया जा सकता है - मजदूरों को प्रशिक्षण देना, मशीन, उपकरण, या तरीके बदलना?
  • क्या फैक्टरी में स्वास्थ्य का रिकार्ड रखा जाता है? क्या फैक्टरी इंस्पेक्टर  को रिपोर्ट भेजी जाती हैं? काम की जगह से जुड़ी हुई अपंगता या बीमारी के लिए क्या प्रबंधन सही ढंग से मुआवज़ा देता है या फिर ज़रूरत पड़ने पर काम बदल देता है? कुछ ऐसे मजदूर भी हो सकते हैं जो इन्ही कारणों से अपनी नौकरियों से हाथ धो बैठे हों, उनसे भी पता करें। काम की जगह के खतरों के अनुसार काम से होने वाली अपंगता और बीमारियों की सूची बनी होती है। यह पक्का करें कि आपका सामना जिन समस्याओं से हो रहा है वो उसमें शामिल हैं या नहीं।
  • क्या फैक्टरी के डॉक्टर स्वास्थ्य को हुए नुकसान का सही आकलन कर रहे हैं? अकसर कई कारणों से वे ऐसा नहीं करते। मजदूरों को अपनी नौकरी जाने का डर होता है, इसलिए वे इस संबंध में चुप रहना ही बेहतर समझते हैं। मजदूरों को बताएं कि फैक्टरी के मालिक का यह फर्ज है कि वो उनका इलाज करवाएं, उन्हें मुआवज़ा दें और उन्हें कोई वैकल्पिक काम दे। इस मकसद के लिए 'श्रमिक मुआवज़ा अधिनियम' मौजूद है।
  • बहुत सी फैक्टरियॉं इ.एस.आई.एस. योजना के तहत आती हैं। इसके तहत बहुत सी सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य जांच, इलाज, इलाज का खर्चा, वेतन समेत छुट्टी, मुआवज़ा, एंबुलेंस का खर्च और यहॉं तक की दाहसंस्कार का खर्च आदि शामिल होती हैं। अगर फैक्टरी इ.एस.आई.एस. के तहत नहीं आती तो उसका अपना स्वास्थ्य विभाग या डॉक्टरों का एक पैनल होता है जिनके पास मजदूर इलाज के लिए जा सकते हैं।
  • विभिन्न उद्योगों में अलग अलग खतरों से निपटने के लिए स्वास्थ्य नियम पुस्तक होती है। उदाहरण के लिए अगर आप किसी खाद की फैक्टरी के खतरों के बारे में जानना चाहते हैं तो ये इस पुस्तक में दिए गए होंगे। अगर आपको ज़्यादा जानकारी चाहिए हो तो आप अपने क्षेत्र के संबंधित संगठन या अंर्तराष्ट्रीय मजदूर संगठन के ऑफिस से संपर्क कर सकते हैं।
  • हमारे हजारों लाखों  मजदूर असंगठित  क्षेत्रो में काम करते है| इनमें फैक्टरी कानून नही होता, ना की कोई स्वास्थ्यसेवा या इ एस आय एस.। ऐसे मजदूरों की हालत काफी कठिन  है। उदाहरण के तौर पर निर्माण याने इमारत, रस्ते आदि काम पर ऐसे हालात में लाखों  लोग काम कर रहे है। अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना इनको लागू है।
  • उत्पादकता और आर्थिक क्षमता बढ़ाना फैक्टरियों में एक प्रमुख उद्देश्य होता है। परन्तु मजदूरों का स्वास्थ्य भी इसका हिस्सा है इससे अलग नहीं होता। स्वास्थ्य और सुरक्षा उपायों से खर्च में कमी आती है, उत्पादकता बढ़ती है, मजूदरों की भलाई सुनिश्चित होती है और संस्थान को मानवीय बनाती है।
  • काम से जुड़े हुए खतरे

आप के गॉंव में कई सारे काम धंधे होते होंगे, उनके बारे में ध्यान से अध्ययन करें और सुरक्षा उपायों पर ध्यान दें। कुछ काम धंधे तुलनात्मक रूप से अधिक सुरक्षित होते हैं, कुछ बुरे होते हैं और कुछ बेहद खतरनाक होते हैं। अपने खुद के स्वास्थ्य के काम के बारे में सोचें, काम के कारण स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को पहचानें और सोचें कि इन्हें कैसे अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है।

 

स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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