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जोड़ों का संकुचन

पोलियो में विशिष्ट संकुचन

लकवाग्रस्त एक बच्चा जो इस प्रकार से घिसटता है और वह कभी भी अपने पांव सीधे नहीं कर पाता उसमें धीरे-धीरे इस प्रकार के संकुचन पैदा हो सकते हैं जिससे वह अपने कूल्हों, घुटनों एवं पिंडलियों को सीधा नहीं रख सकता|

  • टखने से टेढ़ा हो जाना (पंजों का संकुचन)
  • टखने में बाहर का टेढ़ापन
  • पैर के बीच में टेढ़ापन
  • टखने में अन्दर का टेढ़ापन

अन्य सामान्य विकृतियाँ

  • वजन सहने वाले (शारीर के वजन के संभालने वाले) कमजोर जोड़ों में विकृतियाँ हो सकती हैं|
  • ज्यादा खिंचाव युक्त जोड़
  • घुटने से बाहर पैर
  • धंसी पीठ घुटने में टेढ़ापन
  • पिछला एक तरफ का हिस्सा (जब घुटना बाहर होगा घुटने का पीछे का टेढ़ापन तो पैर अन्दर होगा)

ज्यादा खिंचाव युक्त जोड़

  • घुटने से बाहर पैर
  • धंसी पीठ घुटने में टेढ़ापन
  • पिछला एक तरफ का हिस्सा (जब घुटना बाहर होगा घुटने का पीछे का टेढ़ापन तो पैर अन्दर होगा)

अंगों का अपने जोड़ से हटना

  • थोड़ा बहुत या कई बार पूरी तरह से जोड़ों का हट जाना (विशेष रूप थोड़ा सा घुटना) से घुटना, पैर, कुल्हा,कंधा, कलाई टला या उखड़ा हुआ अंगूठा आदि)
  • घुटना थोड़ा सा उखड़ा हुआ
  • थोड़ा सा उखड़ा हुआ पैर

रीढ़ की हड्डी का टेढ़ापन

  • छोटे पैर के कारण झुके हुए कुल्हे की वजह से साधारण सा टेढ़ापन रीढ़ की हड्डी में आ सकता है|
  • पीछे की (पीठ की) मांसपेशी की कमजोरी के कारण रीढ़ की हड्डी में काफी गंभीर टेढ़ापन आ सकता है| इस झुकाव के कारण जीवन को खतरा हो सकता है, कयोंकि छोटी सी जगह में फेफड़ों एवं हृदय का सिमटना खतरनाक है|
  • एक गंभीर रूप से लकवाग्रस्त बच्चा
  • कंधे में विस्थापन कोहनी अन्दर को टेड़ी
  • रीढ़ की कशेरुकाओं के मुड़ने से उभर कर आया कुल्हा
  • सबसे पहले रीढ़ की हड्डी सीधी है जबकि बच्चा बेहतर स्थिति में है| लेकिन कुछ समय बाद यह टेढ़ापन स्थाई हो गया (सीधा नहीं हो सकता)

 

कई बार दिमागी पक्षाघात

  • कई बार दिमागी पक्षाघात को भी पोलियो के साथ जोड़ दिया जाता है, खासकर तब फ्लोपी (शिथिल) किस्म का दिमागी पक्षाघात हो|
  • यद्यपि दिमागी पक्षाघात प्रायः शरीर  को विशिष्ट ढंग से प्रभावित करता है|
  • दिमागी पक्षाघात
  • हाथ व पाँव के चारो अंग
  • एक ही तरफ के हाथ व पाँव
  • दोनों पाँव
  • पोलियो में बहुत ही अनियमित रूप से लकवा होता है|
  • मांसपेशी विकृति लकवा धीरे-धीरे शुरू होकर बाद में ख़राब हो जाता है|

कुल्हे या पुट्ठे की समस्या: के कारण शिथिलता या क्रियाहीनता तथा मांसपेशी का पतला या कमजोर होना शामिल है| कुल्हे के दर्द और विस्थापन को जाँच लें|

फिरा या मुड़ा पाँव: जन्म के साथ होता है|

इर्बस पालिसी’ या एक  हाथ या पाँव के कुछ भाग में लकवा, जोकि जन्म के दौरान कंधे की क्षति से आती है|

कुष्ठ: हाथ या पाँव का लकवा बड़े बच्चों में धीरे-धीरे शुरू होता है| प्रायः वहाँ पर त्वचा में धब्बे तथा स्पर्श शुन्यता होती है| रीढ़ की हड्डी में तपेदिक होने के कारण, धीरे-धीरे या अचानक शरीर के निचले भाग में लकवा हो सकता है

सुषुम्मा नाड़ी की क्षति : या पैर या हाथ से जुडी खास नस का ख़राब होना| आमतौर पर गंभीर रुप से पीठ या गर्दन की चोट के मामलों में देखा गया है कि लकवाग्रस्त अंग की महसूस शक्ति समाप्त हो जाती है|

लैथरिज्म : इसमें नीचे के सभी अंग लकवाग्रस्त होते हैं| वस्तुतः लैथरिज्म में अंगों में कड़ापन आ जाता है|

स्पाइना बायफिडा – यह जन्मजात होता है| पैरों में महसूस की शक्ति घट जाती है| और प्रायः पीठ में कूबड़ (या शल्यक्रिया से निशान) आ जाते हैं|

जिन बच्चों में उनके जोड़ों या हड्ड्यों में खराबी, या गंभीर रूप से विटामिन ‘सी’ का आभाव, या जोड़ों के दर्द के साथ मियादी बुखार, जोकि पोलियो के कारण लकवा से हो, आदि हैं तो उन्हें अपने अंग संचालन में कठिनाई हो सकती है| इन चीजों को ध्यान में रखते हुए ध्यान पूर्वक जाँच करानी चाहिए|

लकवा या मांस पेशी विकृति के अन्य कारण – पोलियो की भाँति फ्लोपी लकवा के कई कारण हैं| इनमें से सर्वाधिक सामान्य ही गुलियान बार-ए’ पैरालिसेस है| जो एक वायरस के संक्रमण, विषाक्तता यह अनजाने कारणों से हो सकता है| यह बिना चेतावनी के पाँव से शुरू होकर में फैल सकता है| कई बार महसूस शक्ति घट जाती है| प्रायः शक्ति धीरे-धीरे वापस आती है| पूरी तरह से या थोड़ी सी, हफ्तों या महीनों के बाद| पुनर्स्थापन और रोकथाम पोलियो की भांति दूसरी समस्याएँ हैं|

स्रोत:- जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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