অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम से अलग दिए जाने वाले टीके

परिचय

नवम्बर 2002 तक- राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में दी जाने वाली वैक्सीन्स (टीकों) का विवरण तालिका न. 2 व 3 में दिया गया है| ये सभी सरकारी अस्पतालों, डिस्पेंसरियों तथा स्वास्थ्य केन्द्रों से नि:शुल्क उपलब्ध हैं| तथापि, ऐसी और भी वैक्सीन्स हैं जो आवश्यक हैं और बच्चों को लगवानी चाहिए| ये वैक्सीन्स अपेक्षाकृत काफी महंगी हैं और बाजार से खरीदी जा सकती हैं|

हिपेटाइटिस ‘बी’ वैक्सीन

इस वैक्सीन की 3 खुराकें आवश्यक हैं (दिल्ली में 4 खुराकों की सिफारिश की जाती है – देखेंpolioतालिका न. 3) आयु की कोई पाबन्दी नहीं हैं (वास्तव में वयस्कों को भी यह वैक्सीन लेनी चाहिए)| यह वैक्सीन  (यकृत, लिवर) की एक घातक बीमारी ‘हिपेटाइटिस बी’ से रक्षा करती है जिसे भारत में एच.आई.वि./एड्स से भी अधिक व्यापक माना जाता है| यह बीमारी दूषित सीरीजों व सूइयों, रक्त तथा असुरक्षित यौन संबंधों से फैलती है और एक सूक्ष्म विषाणु (वायरस) से होती है| हिपेटाइटिस बी से जिगर की दीर्घकालीन बीमारी तथा पीलिया हो सकता है जो घातक हो सकता है जो घातक हो सकता है| इस वैक्सीन को लेने की समय तालिका यह है:

पहली खुराक : पहले दिन

दूसरी खुराक : पहली खुराक के एक महीने बाद

तीसरी खुराक : पहली खुराक के 6 महीने बाद

10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए खुराक की मात्रा : 10 माइक्रोग्राम

वयस्कों तथा वर्ष से अधिक आयु के बच्चों के लिए खुराक की मात्रा : 20 माइक्रोग्राम

यह वैक्सीन इंजेक्शन के द्वारा मांसपेशी में दी जाती है (इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन)

मेनिन्जइटिस वैक्सीन

मेनिन्जइटिस या सेरिब्रो- स्पाइनल फीवर (जिसे समान्यत: “ब्रेन फीवर” या गर्दनतोड़ बुखार” कहते हैं) मस्तिष्क की झिल्लियों में होने वाला एक गंभीर रोग है| यह भिन्न प्रकार के जीवाणुओं तथा विषाणुओं आदिः के कारण हो सकता है| मेनिन्जइटिस का हर प्रकार हवा से फ़ैलने वाला तथा रोकथाम किया जा सकने वाला होता है| केवल एक जीवाणु जिसे मेनिंगोकोकस हैं, से होने वाली मेनिन्जइटिस की रोकथाम के लिए वैक्सीन उपलब्ध है| यह वैक्सीन 50 रू प्रति खुराक की दर से बाजार में उपलब्ध है (नवम्बर 2002 की कीमत)|

खुराक/ मात्रा : त्वचा के नीचे (सबकूटेनिअस) या मांसपेशी में (इंट्रामस्कुलर) इंजेक्शन के द्वारा – 0.5 मी. ली. की केवल एक खुराक (चेतावनी देखें)

-  इसकी खुराक हर 3 साल बाद दोहराएँ|

चेतावनी : यह वैक्सीन 2 वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को नहीं लगवानी चाहिए|

टाइफाइड वैक्सीन

टाइफाइड रोग दूषित भोजन व जल के सेवन से फैलता है और एक जीवाणु इसे पैदा करता है| टाइफाइड वैक्सीन दो प्रकार की होती है:

क) ओरल टाइफाइड वैक्सीन – जो मुख से दी जाती है|

ब) इंजेक्टबल टाइफाइड वैक्सीन – जो कि इंजेक्शन द्वारा दी जाती है|

अ) ओरल टाइफाइड वैक्सीन

यह बाजार में “टाइफोरल” नाम से उपलब्ध है और यह वर्ष की आयु से अधिक के बच्चों तथा वयस्कों की दी जा सकती है| यह 3 कैप्सूलों की की पट्टी के रूप में आती है और इस प्रकार दी जाती है:

-  पहली खुराक: प्रथम दिन : एक कैप्सूल

-  दूसरी खुराक: तीसरे दिन: एक कैप्सूल

-  तीसरी खुराक: पांचवे दिन: एक कैप्सूल

इसका पूरा कोर्स हर 3 साल के बाद दोहराना चाहिए|


कीमत: 3 कैप्सूल के एक कोर्स की पट्टी 275 रू. में आती है (नवम्बर 2002 की कीमत) इन कैप्सूलों को भोजन से एक घंटा पहले, ठंडे या हल्के गर्म दूध या पानी के साथ लेना चाहिए|

 

चेतावनी/ सावधानी: गर्भवती महिलाओं, एच.आई.वी. पॉजिटिव  व्यक्तियों/ एड्स की रोगियों, बुखार व दस्तों से पीड़ित रोगियों को यह वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए|

ख) इंजेक्टेबल टाइफाइड वैक्सीन

यह 5 वर्ष से अधिक आयु के बच्चों तथा वयस्कों को दी जाने वाली वैक्सीन है और शुद्धिकृत, वी.आई. कैप्सूलर सेक्केराइड युक्त होती नही| इसे 5 वर्ष से छोटे बच्चों को नहीं देना चाहिए|

खुराक/ मात्रा: एक खुराक : 4.5 मि. ली., गहरे सबकूटेनिअस या इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन

कीमत :  (नवम्बर 2002) एक खुराक: 275 रू.

चेतावनी/ सावधानी: गर्भवती; स्तनपान कराने वाली महिलाओं तथा एच.आई.वी.पॉजिटिव /एड्स पीड़ित रोगियों व कैंसर पीड़ितों को यह वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए|

चिकन पाक्स वैक्सीन

इस वैक्सीन को देने बारे में डॉक्टर्स एकमत नही हैं| कुछ डॉक्टर्स तो इसे देने की सिफारिश भी नहीं करते हैं| इस मामले में सर्वोत्तम यही रहेगा कि आप किसी बाल रोग विशेषज्ञ से परामर्श करें कि आपके बच्चे को इसकी आवश्यकता है या नहीं| अगर आपको यह वैक्सीन देने की आवश्यकता है तो कृपया याद रखें कि :

-  1 वर्ष से कम आयु को बच्चे को यह टीका नहीं लगवाना चाहिए|

-  1 से 12 वर्ष आयु के बीच के बच्चों को केवल एक खुराक (0.5 मि. ली., सबकूटेनिअस इंजेक्शन ) की आवश्यकता होती हैं|

- 12 वर्ष अधिक आयु के बच्चों तथा वयस्कों को दो खुराकों (प्रत्येक खुराक 0.5 मि. ली. सबकूटेनिअस इंजेक्शन ) की आवश्यकता होती है| दोनों खुराकों के बीच 6-10 सप्ताह का अंतर होना चाहिए|

 

कीमत : (नवम्बर 2002) रू. 1345 प्रति खुराक|

चेतावनी/सावधानी : इस वैक्सीन को गर्भवती महिलाओं तथा बुखार वाली तीव्र बीमारियों से पीड़ित रोगियों को नहीं लगवाना चाहिए|

 

हिपेटाइटिस ‘ए’ वैक्सीन

यह जिगर (लिवर) का, एक विषाणु द्वारा होने वाला, रोग है जो समन्यत: दूषित जल व भोजन के माध्यम से फैलता है| इससे पीलिया हो जाता है और काफी व्यापक होता है|

इस रोग की रोकथाम के लिए हिपेटाइटिस ‘ए’ वैक्सीन के प्रयोग के बारे में मत अलग - अलग हैं| वैसे भी यह बहुत मंहगी वैक्सीन है| इसे लगवाना है या नहीं, इसके बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करें|

कीमत: (नवम्बर 2002) “जूनियर” की एक खुराक के लिए रू. 906/- तथा व्यस्क खुराक के लिए रू. 1360/-

-  अगर यह वैक्सीन लगवानी है तो इसके लिए समय तालिका यह है:

-  एक वर्ष से 18 वर्ष की आयु के लिए हिपेटाइटिस ‘ए’ जूनियर 720 वैक्सीन

खुराक : 0.5 मि. ली. इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन द्वारा एक खुराक| 6-12 महीनों के बाद दूसरी खुराक दें| (1 वर्ष से अधिक के – छोटे बच्चों के लिए “पीडियाट्रिक” खुराक भी उपलब्ध)

-  वयस्कों के लिए (18 वर्ष से अधिक आयु): 1440 वयस्कों हिपेटाइटिस वैक्सीन की 1.0 मि. ली. खुराक

-  इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के द्वारा 6-12 महीनों के बाद दूसरी खुराक दें|

इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन से यह वैक्सीन केवल बांह के सबसे ऊपर गोल भाग में (वयस्कों में) तथा जांघ के सामने के भाग में (बच्चों में) ही लगानी चाहिए|

 

सावधानी/ चेतावनी: स्तनपान करा रही या गर्भवती महिलाओं को यह वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए| इस वैक्सीन को रेफ्रीजरेटर में संग्रहण करते समय कभी भी जमने न दें|

 

एंटी रेबीज वैक्सीन

कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों, नेवलों, घोड़ों तथा कुछ जंगली जानवरों,जैसे कि बगीचे के चूहों, गीदड़ों, लोमड़ियों आदि के काटने से एक गंभीर तथा 100 प्रतिशत घातक रोग- “रेबीज” या “हाइड्रोफोबिया”  हो सकता है|

रेबीज की रोकथाम करने के लिए कई प्रकार की वैक्सीन्स (टीके) उपलब्ध हैं| पेट की खाल में दी जाने वाली पुरानी वैक्सीन हालाँकि सस्ती होती है परंतु इसके कारण अत्यधिक दुष्प्रभाव होने के कारण इससे बचना ही अच्छा है| इस प्रकार की वैक्सीन कुछ सरकारी अस्पतालों में नि: शुल्क लगती है|

पुराने तरह की इस वैक्सीन की तुलना में आजकल कई आधुनिक वैक्सीन कहते हैं| इन्हें “सैल कल्चर” वैक्सीन कहते हैं| ये अधिक प्रभावी, बेहतर तथा ज्यादा सुरक्षित होती है| हालाँकि ये काफी महँगी हैं| यहाँ यह याद रखना अच्छा है कि रेबीज की अगर रोकथाम नहीं की जाती है तो यह 100 प्रतिशत घातक है और इसका कोई उपचार नहीं हैं|

 

अगर आपको सैल कल्चर ए.आर.वी. लगवानी की आवश्यकता पड़ती है तो कम से 5 इंजेक्शन इस क्रम से लें : दिन 0,3,7,14,28 तथा दिन 90 (इच्छानुसार) पर एक- एक खुराक लगवाएं| जिस दिन आप पहला इंजेक्शन लगवाएं, उसे “दिन 0” मानें| अर्थात समय तालिका यह होगी :

“जीरो (शून्य) दिन : जिस दिन आपने पहला टीका लगवाया है|

दिन 3 : दूसरा इंजेक्शन

दिन 7 : तीसरा इंजेक्शन

दिन 14 : चौथा इंजेक्शन

दिन 28 : पांचवा इंजेक्शन

दिन 90 : छठा इंजेक्शन (इच्छानुसार)

 

कृपया ध्यान दें कि “जीरो” (शून्य) दिन वह दिन है जब आप पहला इंजेक्शन लगवाते हैं, न कि वह दिन जब आपको किसी जानवर ने काटा है|

 

उदाहरण के तौर पर, अगर आपने पहला टीका 1 अक्टूबर को लगवाया है तो आपके लिए इंजेक्शन लगवाने का सम्पूर्ण कार्यक्रम यह रहेगा:

 

-  पहला इंजेक्शन :  अक्टूबर 1 (“जीरो” दिन)

-  दूसरा इंजेक्शन : अक्टूबर 4 (दिन 3)

-  तीसरा इंजेक्शन : अक्टूबर 8 (दिन 7)

-  चौथा इंजेक्शन : अक्टूबर 15 (दिन 14)

-  पांचवा इंजेक्शन : अक्टूबर 29 (दिन 28)

-  छठा इंजेक्शन : जनवरी 27

(90 दिन : इच्छानुसार)

सैल कल्चर ए.आर.वी. लगवाते समय, कृपया ध्यान रखें कि :

1. ये टीके हमेशा ऊपरी बांह के गोल हिस्से में ही लगवाएं (कूल्हे) में कभी भी नहीं)|

2. इन टीकों को लगवाने को अवधि में शराब का सेवन न करें|

अति महत्वपूर्ण

अगर किसी व्यक्ति को कुत्ते, बिल्ली, बंदर या किसी जंगली जानवर ने काटा है तो काटे हुए भाग को तुरंत चलते हुए पानी के नीचे रखकर, साबुन से कम से कम 5-10 मिनटों तक लगातार धोएं| उसके बाद जख्म को किसी साफ कपड़े से ढक दें ( ढीली पट्टी बांध दें, कभी- भी कड़ी (टाइट) पट्टी ने करें| और किसी प्रशिक्षित डॉक्टर से संपर्क करें| वह भी आपको इसके बारे में सलाह देगा कि ए.आर.वी. के टीके लगवाने हैं या नहीं | कृपया जानवरों के काटने की उपेक्षा न करें| याद रखें, इसमें देरी करना जानलेवा सिद्ध हो सकता है | प्रतिवर्ष भारत में लगभग 30,000 लोगों की रेबीज के कारण मृत्यु हो जाती है| अधिकांश मामलों में – जानवरों के काटने को गम्भीरता से नहीं लेने के कारण ऐसा होता है |

महत्वपूर्ण : जानवरों के काटने से हुए जख्मों में स्थानीय, अप्रशिक्षित डॉक्टरों से टांके कभी भी न लगवाएं| किसी अस्पताल में जाकर शल्य चिकित्सक (सर्जन) से सलाह लें|

बाजार में उपलब्ध सैल कल्चर वैक्सीन :

शूद्धिकृत चिक एम्ब्रयो सैल वैक्सीन : (व्यवासायिक नाम : रबीपुर विरोरेब)

कीमत: लगभग 274/- प्रति खुराक (नवम्बर 2002 की कीमत)

ह्यूमन डिप्लोइड सैल वैक्सीन : नवम्बर 2002 में इसकी कीमत लगभग 1125 रू. प्रति खुराक थी |

कृपया ध्यान दें: जानवरों द्वारा काटने पर गर्भवती महिलाओं को ए.आर.वी. लगाई जा सकती है|

हैजा (कोलरा) वैक्सीन

इसे देने की आजकल सामान्यत: सिफारिश नहीं की जाती है | तदापि, कुछ देश हैजा वैक्सीन सर्टिफिकेट की मांग करते हैं| ऐसे मामले में आप बाजार से हैजा वैक्सीन खरीद कर लगवा सकते हैं|

खुराकें

आयु

पहली खुराक

दूसरी खुराक (4-6 सप्ताह बाद)

इंजेक्शन के प्रकार

1-2 वर्ष

0.2 मि. ली.

0.2 मि. ली.

सबकुटेनिअस

2-10 वर्ष

0.3 मि. ली.

0.3 मि. ली.

इंजेक्शन

10 वर्ष से अधिक

0.5 मि. ली.

0.5 मि. ली.

 

  • बूस्टर खुराक : हर 6 महीने बाद

 

सावधानी : यह वैक्सीन एक वर्ष से छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को नहीं लगवानी चाहिए|

येल्लो फीवर वैक्सीन

यह एक महत्वपूर्ण है जो हर उस व्यक्ति को लगवानी आवश्यक है जो अफ्रीका महाद्वीप के उन देशों की यात्रा पर जा रहा है जहाँ येल्लो फीवर (मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली, विषाणु द्वारा होने वाली एक गंभीर बीमारी) होता है| अगर कोई व्यक्ति ऐसे किसी (संक्रमित) देश से भारत आ रहा है तो उसे भारत में प्रवेश तभी करने दिया जाएगा जब वह येल्लो फीवर वैक्सीन से प्रतिरक्षित हो|

यह वैक्सीन केवल उन सरकारी केन्द्रों में उपलब्ध है जिन्हें “इंटरनेशल वैक्सीनेशन सेंटर” का नाम दिया गया है| ऐसा ही एक सेंटर दिल्ली में, नई दिल्ली नगर पालिका सीमित द्वारा चलाया जाता है| यह मंदिर मार्ग पर बिरला मंदिर के पास स्थित है और बुधवार तथा शुक्रवार के दिन दोपहर बाद कार्य करता है (फोन न. 011- 23362284)| अगर किसी को वहाँ कोई वैक्सीन लगवानी हो तो वहाँ 1.30 से 2.00 बजे पहुँचना पड़ेगा| अपने साथ अपना पासपोर्ट तथा 1 मि. ली. की एक सीरिज ले जाना न भूलें|

येल्लो फ़िवर के विरूद्ध “17 – डी वैक्सीन” उपलब्ध है| इसकी खुराक 0.5 मि. ली. है जिसे यात्रा करने की तिथि से कम से कम 10 दिन पहले, एक सबकुटेनिअस इंजेक्शन के द्वारा दिया जाता है| एक इंजेक्शन 10 वर्षों तक सुरक्षा प्रदान करता है| अगर आवश्यक हो तो 10 वर्ष बाद दूसरी खुराक लगवाएं|

चेतावनी/सावधानी: अगर संभव हो तो एक वर्ष से छोटे बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को एह वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए| अगर उन्हें यह लगानी आवश्यक हो तो बहुत सावधानी से, जोखिम का आकलन करके ही, यह वैक्सीन दें|

 

स्रोत: वालेंटरी हेल्थ एसोशिएशन ऑफ इंडिया/ जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate