वृद्धि मानक के आधार पर बच्चे के विकास के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। शैशवावस्था एवं बाल्यावस्था तक लड़के एवं लड़कियों के विकास की गति प्राय: समान होती है। परंतु 11 वर्ष की आयु या वय: संधि के आरंभ के कारण लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा लम्बी, स्वस्थ एवं भारी हो जाती है।
शारीरिक वृद्धि का महत्त्वपूर्ण लक्षण है शिशु के सम्पूर्ण शारीरक आकार में परिवर्तन। शैशवावस्था में यह परिवर्तन तीव्र गति से होता है। एक वर्ष की आयु के शिशु की लम्बाई में 50% की वृद्धि होती है, तथा दुसरे वर्ष 75% की। इसी संरूप से शरीरिक भार में भी वृद्धि होती है । अथार्त 5वें माह में दो गुनी, 1 वर्ष में तीन गुनी तथा बाद के दो वर्षों तक चार गुनी वृद्धि हो जाती है । वृद्धि का यही संरूप यदि अनवरत रहता है तो 10 वर्ष की आयु तक बच्चे की लम्बाई 100 इंच एवं भार 200 पौंड हो जाता है । पूर्व एवं मध्य बाल्यावस्था में विकास धीमी गति से चलता है, पुन: किशोरावस्था में विकास की गति तीव्र हो जाती है ।
लम्बाई एवं भार में आयु वृद्धि के साथ होने वाले परिवर्तन होते है क्योंकी प्रतिवर्ष का विकास परिपक्व शारीरिक आकार की ओर उन्मुख होता है वृद्धि मानक के आधार पर बच्चे के विकास के स्तर का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है । शैशवावस्था एवं बाल्यावस्था तक लड़के एवं लड़कियों के विकास की गति प्राय: समान होती है । परंतु 11 वर्ष की आयु या वय: संधि के आरंभ के कारण लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा लम्बी, स्वस्थ एवं भारी हो जाती है, क्योंकी उनमें वय: संधि दो वर्ष पूर्व ही आ जाता है परंतु कुछ ही समय पश्चात् लड़कों के भार में वृद्धि तीव्र गति से शुरू हो जाती है । प्राय: लड़कियाँ 16 वर्ष की आयु में तथा लड़के 17 या 18 वर्ष की आयु में परिपक्व हो जाते हैं ।
अनूसंधान यह प्रदर्शित करते हैं कि शैशवावस्था में तीव्र परंतु अवात्वारित वृद्धि पायी जाती है तथा बाल्यावस्था में वृद्धि मंद परंतु स्थिर गति से होती है एवं किशोरावस्था के आरम्भिक वर्षो में विकास परिपक्वता को प्राप्त करता है । विकास के चरणों में वृद्धि दर सदैव एक जैसा नहीं होता । अनूसन्धनों से स्पष्ट है कि 7 से 63 दिन के बीच कोई वृद्धि नहीं हुई परंतु अचानक 24 घंटो में ही ½ इंच वृद्धि हो गयी । वृद्धि प्रवेग के दौर में बच्चे परेशान, चिडचिडे और ( भोजन से अरूचि) या भूखे रहते हैं (लैम्पल एवं सहयोगी, 1992) । एक अन्य आध्ययन में पाया गया है कि3 एवं 10 वर्ष की आयु में तीव्रतम वृद्धि प्रवेग होता है । लड़कियों में यह प्रवेग 3.5, 3.5, 6.5 वर्ष की आयु में तथा लड़कों में 4.5, 7.5 एवं 10.5 वर्ष की आयु में तीव्रतर होती है (बटलर एवं अन्य, 1990) ।
स्रोत: जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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