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स्नायविक विकास

स्नायविक विकास

परिचय

जन्म से पूर्व एवं बाद दे 3-4 वर्ष की आयु पर्यन्त स्नायविक संस्थान का विकास अत्यंत शीघ्रता से होता है गर्भकाल में स्नायूकोशिकाओं की संख्या एवं आकार में तीव्रता से वृद्धि होती है तथा जन्म लेने तक कोशिकाओं का विकास शीघ्रता से होता रहता है| 3 या 4 वर्ष की आयु के पश्चात् स्नायु संस्थान सापेक्षिक रूप से धीमी गति से विकसित होने लगता है|

 

भूमिका

जन्म के समय मस्तिष्क का भार पूरे शरीर के भार का 1/18, 10 वर्ष की आयु तक 1/10, 15 वर्ष की आयु में 1/13 एवं वयस्क होने तक 1/14 भाग हो जाता है| यह संरूप प्रमस्तिष्क एवं अनूमस्तिष्क के विकास में भी समान रूप से पाया जाता है| शैशवावस्था में इन दोनों मस्तिष्क का विकास अत्यंत तीव्रता से होता है| अनुमस्तिष्क, जिसकी भूमिका शरीरिक एवं अन्य भागों के नियंत्रण में अहम होती है,प्रथम वर्ष की आयु तक सर्वाधिक (तीन गुना) विकसित हो जाती है| 8 वर्ष की आयु तक मस्तिष्क पूर्णत: परिपक्व हो जाता है| परंतु आन्तरिक प्रमस्तिष्क अभी पूरी तरह विकसित नहीं होता| चूंकि वृद्धि आंतरिक होती है, अत: आकार एवं भार के आधार पर इसका मापन अनुपयूक्त होगा (गेसेल, 1954, हैलेहन एवं अन्य, 1975)| मस्तिष्क एवं स्नायु संस्थान की वृद्धि एवं विकास का प्रभाव बाल विकास के विविध पक्षों पर पड़ता है | शरीर के अन्य अंगो की तुलना में मानव मस्तिष्क का विकास तीव्रतर होता है| तंत्रिका कोष तीन चरणों में विकसित होते हैं : 1. उत्पादन, 2. प्रवर्जन, 3. विभेदन| यद्यपि प्रमस्तिष्क कार्टेक्स का पर्श्वीकरण जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है तथापि प्रथम वर्ष की आयु तक लचीलापन बना रहता है| हस्त प्रबलता की प्रवृति शैशवावस्था में व्यक्त होती है तथा पूर्व बाल्यावस्था में समृद्ध होती है, यह पर्श्वीकरण का एक उदहारण है वाम हस्त प्रबलता के विकासात्मक दोष के सूचक मन जाता है, परंतु ज्यादातर ऐसे बच्चों में कोई दोष नहीं पाया जाता है| अवमस्तिष्क, रेटूकूलर, कपर्स कैलोजम आदि का विकास पूर्व बाल्यावस्था में तीव्र गति से होता है| इनके द्वारा मस्तिष्क के विभिन्न भागों के बीच संयोजन स्थापित करने में सहायता मिलती है| शैशवावस्था से किशोरावस्था तक विभिन्न अंतरालों के मस्तिष्क वृद्धि प्रवेग के शोध साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनसे स्पष्ट होता है की संवेदी पेशीय अवधि में पर्याप्त उद्दीपन की आवश्यकता होती है जिससे बौद्धिक विकास अभीष्ट हो सके|

 

स्रोत: जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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