प्रतिरक्षण बचपन के रोग और विकलांगता की रोकथाम के लिए सबसे महत्वपूर्ण और कम लागत वाली रणनीति है और इस प्रकार यह सभी बच्चों के लिए एक बुनियादी जरूरत है। निम्नलिखित अनुसूची की स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सिफारिश की गई है और यह बाल स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं द्वारा सबसे व्यापक रूप से अनुपालन किये जाने वालों में से एक है।
लाभार्थी |
आयु |
टीका |
नवजात शिशु |
जन्म के समय |
बीसीजी* एवं ओपीवी** |
6 हफ्ते |
डीटीपी एवं ओपीवी |
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10 हफ्ते |
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14 हफ्ते |
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9 महीने |
खसरे का टीका |
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18 महीने |
डीटीपी एवं ओपीवी (बूस्टर खुराक) |
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बच्चे |
5 वर्ष |
डीटी टीका |
10 वर्ष |
टिटेनस टॉक्सॉइड |
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16 वर्ष |
जन्म के समय या डीटीपी/ओपीवी के समय
शून्य खुराक के नाम से जानी जाने वाली खुराक और यदि पहले छूट जाए, तो 14 दिन की आयु तक दी जा सकती है।
लघुरूप:
बीसीजी = बैसिलस कैल्मिट्टी गुएरिन
डीपीटी = डिफ्थीरिया, पर्टुसिस एवं टिटेनस
ओपीवी = ओरल पोलियो वैक्सिन
डीटी = डिफ्थीरिया एवं टिटेनस वैक्सिन
भारतीय बाल रोग अकादमी हमारे देश में बाल रोग विशेषज्ञों का सबसे बडा व्यावसायिक संगठन है जो पूरी तरह से राष्ट्रीय अनुसूची की पुष्टि और उसका समर्थन करता है। यह उप्रयुक्त अनुसूची में आगे 2 अतिरिक्त टीके जोड़ता है, अर्थात् हेपेटाइटिस बी टीके की तीन खुराकें (जन्म के समय, एक महीने और उम्र के छह महीने) में दी जानी चाहिए। आईएपी भी लगभग 15 से 18 महीनों की उम्र में एमएमआर (खसरा, कण्ठमाला का रोग और रूबेला टीका) की सिफारिश करता है। यह याद रखा जाना चाहिए कि भले ही रूबेला एक मामूली बीमारी प्रतीत हो, इसमें उस बच्चे में जन्मजात दोष उत्पन्न करने की गंभीर सम्भावना होती है, जिसकी माँ रूबेला के खिलाफ सुरक्षित नहीं है और गर्भावस्था की आरम्भिक अवस्था के दौरान संक्रमित हो।
आयु |
टीके |
नोट |
जन्म |
बीसीजी |
---- |
ओपीवी शून्य |
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हेपेटाइटिस बी – 1 |
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6 हफ्ते |
ओपीवी-1 + आइपीवी-1/ओपीवी-1 |
केवल ओपीवी यदि आइपीवी नहीं दिया जा सकता है। |
डीटीपीडब्ल्यू-1/ डीटीपीए-1 |
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हेपेटाइटिस बी – 2 |
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हिब – 1 |
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10 हफ्ते |
ओपीवी-2 + आइपीवी-2/ओपीवी-2 |
केवल ओपीवी यदि आइपीवी नहीं दिया जा सकता है। |
डीटीपीडब्ल्यू-2/ डीटीपीए-2 |
||
हिब – 2 |
||
14 हफ्ते |
ओपीवी-3 + आइपीवी-3/ओपीवी-3 |
केवल ओपीवी यदि आइपीवी नहीं दिया जा सकता है। |
डीटीपीडब्ल्यू-3/ डीटीपीए-3 |
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हेपेटाइटिस बी – 3 |
हेपेटाइटिस बी की तीसरी खुराक 6 महीने की आयु में दी जा सकती है। |
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हिब – 3 |
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9 महीने |
खसरा |
---- |
15-18 महीने |
ओपीवी-4 + आइपीवी-4/ओपीवी-4 |
केवल ओपीवी यदि आइपीवी नहीं दिया जा सकता है। |
डीटीपीडब्ल्यू बूस्टर - 1 या डीटीपीए बूस्टर - 1 |
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हिब बूस्टर |
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एमएमआर – 1 |
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2 वर्ष |
टाइफॉइड |
प्रति 3-4 वर्ष में पुनर्टीकाकरण |
5 वर्ष |
ओपीवी – 5 |
---- |
डीटीपीडब्ल्यू बूस्टर – 2 या डीटीपीए बूस्टर – 2 |
---- |
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एमएमआर – 2 |
एमएमआर टीके की दूसरी खुराक, पहली खुराक के आठ महीने बाद किसी भी समय दी जा सकती है। |
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10 वर्ष |
टीडीएपी |
केवल लड़कियां, 0, 1-2 तथा 6 महीने पर तीन खुराकें |
एचपीवी |
||
टीके जो माता-पिता से विचार-विमर्श के बाद दिये जा सकते हैं |
||
6 हफ्तों से अधिक |
न्युमोकोक्कल कॉन्जुगेट |
6,10, तथा 14 हफ्तों पर 3 प्राथमिक खुराकें, और उनके बाद 15-18 महीनों पर एक बूस्टर |
रोटावाइरल टीके |
4-8 हफ्तों के अंतराल पर 2/3 खुराकें (ब्रांड पर निर्भर) |
|
15 महीनों के बाद |
वेरिसेल्ला |
आयु 13 वर्ष से कम: एक खुराक आयु 13 वर्ष से अधिक: 4-8 हफ्तों के अंतराल पर 2 खुराकें |
18 महीनों के बाद |
हिपेटाइटिस ए |
6-12 महीनों के अंतराल पर 2 खुराकें |
लघुरूप:
बीसीजी : बैसिलस कैल्मेट गुएरिन
ओपीवी : ओरल पोलियोवाइरस वैक्सिन
डीटीडब्ल्यूपी: डिफ्थीरिया, टिटेनस, होल सेल पर्टुसिस
डीटी: डिफ्थीरिया एवं टिटेनस टॉक्सॉइड
टीटी: टिटेनस टॉक्सॉइड
हेप बी: हेपेटाइटिस बी टीका
एमएमआर: मीज़ल्स, मम्प्स, रुबेल्ला वैक्सिन
हिब: हिमोफिलस इंफ्लुएंज़ा टाइप ‘बी’ टीका
आइपीवी: इनेक्टिवेटेड पोलियोवाइरस वैक्सिन
टीडी: टिटेनस, रिड्यूस्ड डोज़ डिफ्थीरिया टॉक्सॉइड
टीडीएपी: टिटेनस, रिड्यूस्ड डोज़ डिफ्थीरिया एंड एसेल्युलर पर्टुसिस
एचपीवी: ह्युमन पेपिल्लोमा वाइरस वैक्सिन
पीसीवी: न्युमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सिन;
डीटीएपी: डिफ्थीरिया, टिटेनस, एसेल्युलर पर्टुसिस वैक्सिन
पीपीवी 23: 23 वलेंट न्योमोकॉकल पॉलिसेकराइड वैक्सिन
हेपेटाइटिस ए (जल जनित पीलिया) टीका, हेम बी टीका और वेरिसला (चेचक) टीका जैसे नए टीकों का उपयोग करने का निर्णय बाल चिकित्सकों तथा माता-पिता दोनों के बीच भिन्न हो सकता है और चिकित्सक बच्चे के लिए उनके बारे में विचार-विमर्श कर सकते हैं, चूंकि वर्तमान में, हमारे देश के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में ये टीके शामिल नहीं हैं, उनका तर्कसंगत उपयोग लागत, बच्चे की उम्र, माता पिता की चिंताओं, बच्चे के प्रति जोखिम और डॉक्टर- माता-पिता के निर्णय पर आधारित होना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा राष्ट्रीय प्रतिरक्षण अनुसूची की अनुशंसा
टीका |
आयु |
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जन्म |
6 हफ्ते |
10 हफ्ते |
14 हफ्ते |
9-12 महीने |
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प्राथमिक टीके |
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बीसीजी |
X |
---- |
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ओरल पोलियो |
X |
X |
X |
X |
---- |
डीपीटी |
---- |
X |
X |
X |
---- |
हेपेटाइट्इस बी* |
---- |
X |
X |
X |
---- |
खसरा |
---- |
X |
|||
बूस्टर खुराकें |
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डीपीटी + ओरल पोलियो |
16 से 24 महीने |
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डीटी |
5 वर्ष |
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टिटेनस टॉक्सॉइड (टीटी) |
10 वर्ष पर तथा पुनः 16 वर्ष पर |
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विटामिन ए |
9, 18, 24, 30 तथा 36 महीने |
||||
गर्भवती महिला |
|||||
टिटेनस टॉक्सॉइड (पीडब्ल्यू): पहली खुराक |
गर्भावस्था के दौरान जितनी जल्दी हो सके (पहला सम्पर्क) |
||||
दूसरी खुराक |
पहली खुराक के एक महीने बाद |
||||
बूस्टर |
यदि पहले टीकाकरण हो गया हो, तो 3 वर्ष के भीतर |
प्रतिरक्षण क्या है और यह कैसे काम करता है?
प्रतिरक्षण मानव शरीर को टीकाकरण के माध्यम से विभिन्न संक्रामक रोगों से बचाने का एक तरीका है। प्रतिरक्षण हमारे शरीर को रगों के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार करता है यदि हम भविष्य में उनके सम्पर्क में आएं।
शिशु कुछ प्राकृतिक प्रतिरक्षण के साथ जन्म लेते हैं, जो उन्हें उनकी माता तथा स्तनपान द्वारा प्राप्त होता है। यह धीरे-धीरे कम होने लगता है, जैसे-जैसे शिशु की स्वयं की प्रतिरक्षण प्रणाली विकसित होना आरम्भ हो जाती है। आपके शिशु का प्रतिरक्षण कराना उसे प्राणघातक बीमारियों के विरुद्ध अतिरिक्त बचाव प्रदान करता है।
अनुसूची यह सिफारिश करती है कि जब शिशु 1-1/2 माह आयु का हो तो टीकाकरण आरम्भ हो जाना चाहिए। लेकिन उस स्थिति में क्या किया जाना चाहिए जब बच्चा टीकाकरण के लिए देरी से लाया जाए? क्या टीकाकरण तब भी आरम्भ किया जाना चाहिए?
हां, अवश्य। शिशु को टीकाकरण के लिए देरी से लाया जाए, तब भी उसे सारे टीके लगाए जाने चाहिए। जबकि आदर्श प्रतिरक्षण अनुसूची का अनुपालन सबसे उचित है, बच्चे को किसी भी सूरत में टीकाकरण से वंचित नहीं रखा जाना चाहिए, भले ही उसे इसके लिए देरी से लाया जाए। लेकिन समग्र प्रतिरक्षण को पूर्ण करने के लिए 1 वर्ष की आयु से पहले हरसम्भव प्रयास किया जाना चाहिए।
टीकाकरण के क्या दुष्प्रभाव होते हैं?
केवल कुछ ही नवजात शिशुओं तथा बच्चों में टीकाकरण के बाद दुष्प्रभाव विकसित होते हैं। हमने बीसीजी के दुष्प्रभावों के बारे में पहले ही चर्चा कर ली है। डीपीटी के इंजेक्शन के बाद, नवजात शिशु को इंजेक्शन लगाने के स्थान पर दर्द हो सकता है और सम्भवतः बुखार भी आ सकता है। ऐसी स्थिति में बच्चे को ½ चम्मच पैरासिटामॉल दिया जा सकता है।
खसरे के इंजेक्शन के बाद खसरे जैसे घाव उत्पन्न हो सकते हैं। यह सामान्य बात है। बहुत कम मामलों में, प्रतिरक्षण के तुरंत बाद बच्चों को एलर्जीयुक्त प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। साथ ही यदि शिशु को बुखार आ जाये या वह बेहोश हो जाए, तो तुरंत किसी डॉक्टर से परामर्श लिया जाना चाहिए। प्रतिरक्षण देने वाले लोग एलर्जीयुक्त प्रतिक्रियाओं की स्थिति से निबटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं और यदि बच्चे का तुरंत उपचार किया जाए, तो वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाएगा।
कभी-कभार बच्चे को दूसरे व तीसरे टीके के लिये ठीक एक महीने बाद ले जाना सम्भव नहीं होता है। यदि ऐसा हो, तो क्या पूरा कोर्स दोहराया जाना चाहिए?
नहीं, हल्के से विलम्ब से कोई फर्क नहीं पडता। अनुसूची के अनुसार टीकाकरण जारी रखें और जितनी जल्दी हो सके, कोर्स पूरा करें। बच्चा तभी पूर्ण रूप से सुरक्षित रहेगा जब उसे 1 बीसीजी इंजेक्शन, 3 डीपीटी इंजेक्शन, 3 ओपीवी खुराकें तथा खसरे का एक इंजेक्शन प्राप्त हो जाए। अतः सही समय पर बच्चे को टीकाकरण के लिए ले जाना और यह सुनिश्चित करना कि टीकाकरण पूर्ण हुआ है, बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या कोई ऐसे कारण हैं कि मेरे बच्चे का प्रतिरक्षण नहीं किया जाए?
बच्चे को प्रतिरक्षित न किया जाए, इसके लिए बहुत कम कारण हैं। सामान्यतः जुकाम या दस्त जैसी आम बीमारियां आपके बच्चे को टीके देने के लिए रुकावट नहीं होती हैं।
हालांकि ऐसी कुछ स्थितियां हैं, जिनमें आपको अपने स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को अपने बच्चे की स्थितियों के बारे में बताना चाहिए। इनमें से कुछ ये हैं:
हम कैसे मालूम कर सकते हैं कि टीके सुरक्षित हैं?
अन्य दवाओं की तरह टीके उनकी सुरक्षा की दृष्टि से कई गहन परीक्षणों से गुज़रते हैं। जब यह पाया जाता है कि वे सुरक्षित हैं, उसके बाद ही उन्हें सामान्य टीकाकरण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है। उसे शामिल करने के बाद भी हर टीके को लगातार जांचा जाता है और आवश्यकता होने पर उचित कार्यवाही की जाती है। यदि कोई टीका सुरक्षित नहीं हो तो उसका प्रयोग नहीं किया जाता है।
बीसीजी का टीका केवल बाईं भुजा पर ऊपर क्यों लगाया जाता है?
बीसीजी का टीका एकरूपता बरकरार रखने के लिए तथा सर्वेक्षकों द्वारा टीकाकरण हो जाने की पुष्टि करने में आसानी के लिए बाईं भुजा पर ऊपर लगाया जाता है।
हम नवजात शिशुओं (1 महीने से कम आयु) को बीसीजी की 0.05 मिलि खुराक क्यों देते हैं?
ऐसा इसलिए है कि नवजात शिशुओं की त्वचा पतली होती है और 0.1 मिलि का त्वचाभेदक इंजेक्शन त्वचा को नष्ट कर सकता है या भीतरी ऊतकों में घुस सकता है और स्थानीय फोड़ा या बढ़ी हुई गांठ उत्पन्न कर सकता है।
बीसीजी एक वर्ष की आयु तक ही क्यों दिया जा सकता है?
अधिकांश बच्चे एक वर्ष की आयु होने पर प्राकृतिक क्लीनिकल/उप-क्लीनिकल क्षय संक्रमण से ग्रस्त होते हैं। यह भी बाल्यकाल के क्षय के गम्भीर प्रकारों जैसे टीबी मेनिंजाइटिस तथा मिलिअरी रोग के विरुद्ध बचाव करता है।
यदि बीसीजी के बाद कोई निशान नहीं उभरता, तो क्या बच्चे को पुनः टीका दिया जाना चाहिए?
यदि कोई निशान नहीं उभरता, तो भी बच्चे को पुनः टीका दिए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
किस आयु तक बच्चे को ओपीवी दिया जा सकता है?
बच्चों को ओपीवी 5 वर्ष की आयु तक दिया जा सकता है।
क्या ओपीवी तथा विटामिन ए, डीपीटी की बूस्टर खुराक के साथ दिया जा सकता है?
हां।
क्या किसी नवजात शिशु को ओपीवी के तुरंत बाद स्तनपान कराया जा सकता है?
हां।
यदि किसी बच्चे को निर्धारित समय पर डीपीटी 1,2,3 तथा ओपीवी 1,2,3 नहीं मिल पाया हो तो किस आयु तक टीका दिया जा सकता है?
डीपीटी का टीका 2 वर्ष की आयु तक दिया जा सकता है और ओपीवी 5 वर्ष की आयु तक दिया जा सकता है। यदि किसी बच्चे को पहले की खुराकें प्राप्त हुई हों लेकिन अनुसूची पूर्ण नहीं हुई हो, तो अनुसूची पुनः आरम्भ नहीं करें और इसके बजाय श्रृंखला को पूर्ण करने के लिए बची हुई खुराकें दें।
यदि बगैर कोई टीका प्राप्त 2 से 5 वर्ष आयु का कोई बच्चा आता है, तो उसे कौन से टीके दिये जाने चाहिए?
यदि बगैर कोई टीका प्राप्त 2 से 5 वर्ष आयु का कोई बच्चा आता है, तो न्यूनतम 4 हफ्तों (या एक महीने) के अंतर पर ओपीवी के साथ डीटी की दो खुराकें दी जा सकती हैं। डीटी की पहली खुराक के साथ खसरे के टीके की एकल खुराक देने की भी आवश्यकता होती है।
डीपीटी की दो खुराकों के बीच 4 हफ्तों का न्यूनतम अंतर क्यों होना चाहिए?
ऐसा इसलिए है कि दो खुराकों के बीच अंतर घटा देने से रोग प्रतिकारक की प्रतिक्रिया और बचाव पर असर पड़ सकता है।
डीपीटी टीका एंटीरो-लैटरल मध्य जांघ में क्यों दिया जाता है और ग्लूटिअल क्षेत्र (नितंबों) पर क्यों नहीं?
शिआटिक धमनी के नुकसान को रोकने के लिए डीपीटी टीका एंटीरो-लैटरल मध्य जांघ में दिया जाता है और ग्लूटिअल क्षेत्र पर नहीं। इसके अलावा, ग्लूटिअल क्षेत्र के वसा में जमा टीका उपयुक्त प्रतिरक्षा प्रदान नहीं करता है।
अगर किसी बच्चे को डीपीटी से एलर्जी होना पाया जाए या डीपीटी के बाद उसे एंसिफेलोपैथी विकसित हो तो क्या करना चाहिए?
अगर किसी बच्चे को डीपीटी से एलर्जी हो या डीपीटी के बाद उसे एंसिफेलोपैथी विकसित हो, तो उसे बची हुई खुराकों के लिए डीपीटी के बजाय डीटी का टीका दिया जाना चाहिए, क्योंकि आम तौर पर वह पी (पूर्ण कोशिका पर्टुस्सिस) घटक होता है जो एलर्जी/एंसिफेलोपैथी उत्पन्न करता है।
यदि किसी लड़की को उम्र के 16 साल तक एनआईएस के अनुसार डीपीटी, डीटी और टीटी की सभी खुराक प्राप्त हुई हों और वह 18 साल की उम्र में गर्भवती हो जाती है, तो क्या गर्भावस्था के दौरान उसे टीटी की एक खुराक दी जानी चाहिए?
अनुसूची के अनुसार गर्भावस्था के दौरान टीटी की दो खुराक दें।
क्या हेपेटाइटिस बी टीका एक ही सिरिंज में डीपीटी के साथ मिलाकर इंजेक्शन के रूप में दिया जा सकता है?
नहीं, डीपीटी और हेपेटाइटिस बी टीके (यदि अगर-अलग आपूर्ति की गई हो) एक ही सिरिंज में मिश्रित कर या उसके माध्यम से नहीं दिये जा सकते हैं।
हेपेटाइटिस बी टीका किस उम्र तक दिया जा सकता है?
राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची के अनुसार, हेपेटाइटिस बी टीका एक वर्ष की आयु तक डीपीटी की प्रथम, द्वितीय और तृतीय खुराक के साथ दिया जाना चाहिए।
जन्म के 24 घंटे के भीतर ही हेपेटाइटिस बी टीके की खुराक क्यों देनी चाहिए?
हेपेटाइटिस बी टीके की जन्म खुराक (पहले 24 घंटे के भीतर) प्रसव-पूर्व हेपेटाइटिस बी के संचरण को रोकने में कारगर होती है।
खसरे का टीका केवल ऊपरी दायीं बांह पर ही क्यों दिया जाना चाहिए?
एकरूपता बनाए रखने और सर्वेक्षक द्वारा पुष्टि करने में मदद करने के लिए खसरे का टीका ऊपरी दायीं बांह पर दिया जाता है।
यदि किसी बच्चे को उम्र के 9 महीनों पहले खसरे का टीका प्राप्त हुआ है, तो वह टीका बाद में दोहराना क्या आवश्यक है?
हाँ, राष्ट्रीय टीकाकरण अनुसूची के अनुसार, खसरे का टीका, 9 महीने की उम्र पूर्ण होने के बाद 12 महीने की उम्र तक देने की जरूरत होती है। आदर्श उम्र में यदि खसरे का टीका नहीं दिया जाता है, तो उसे 5 वर्ष की उम्र तक दिया जा सकता है।
यदि एसआइए के दौरान 16-24 महीने उम्र के किसी बच्चे को जेई टीका दिया गया है, तो क्या वह आरआई के भाग के रूप में जेई टीका फिर से प्राप्त कर सकता है?
नहीं, वर्तमान में यह एक एकल खुराक टीका है और दोहराया नहीं होना चाहिए।
यदि 2 वर्ष (24 महीने) से अधिक उम्र के बच्चे को आरआइ या एसआइए के माध्यम से जेई टीका प्राप्त नहीं हुआ हो, तो क्या उसे जेई टीका दिया जाना चाहिए?
हाँ, बच्चे को जेई टीके की एक खुराक प्राप्त करने की पात्रता है, आरआई के माध्यम से, 15 साल की उम्र तक।
विटामिन ए की कितनी रोगनिरोधी खुराकें दी जानी चाहिए और किस उम्र तक?
5 वर्ष की आयु तक विटामिन ए की कुल 9 रोगनिरोधी खुराकें दी जानी चाहिए।
विटामिन ए की दो खुराकों के बीच न्यूनतम अंतर कितना होना चाहिए?
विटामिन ए की किन्ही भी दो खुराकों के बीच न्यूनतम अंतर 6 महीने होना चाहिए।
विटामिन ए कैसे दिया जाना चाहिए?
विटामिन ए सिरप केवल प्रत्येक बोतल के साथ प्रदान चम्मच/डिस्पेंसर का उपयोग करना चाहिए। चम्मच में आधा निशान 100.000 आइयू इंगित करता है और पूरे स्तर तक भरे चम्मच में विटामिन ए की 200,000 आइयू होती है।
एक बार खोल लिये जाने पर विटामिन ए की बोतल कब तक इस्तेमाल की जा सकती है?
एक बार खोल लिये जाने पर विटामिन ए की बोतल 6-8 हफ्तों के बीच इस्तेमाल कर ली जानी चाहिए। बोतल पर खोलने की तारीख लिखें।
विटामिन ए पूरकता के अलावा, विटामिन ए की कमी को रोकने के लिए अन्य नीतिगत दिशा-निर्देश क्या हैं?
ये इनका संवर्धन हैं:-
यदि कोई बच्चा जिसे कभी कोई टीका नहीं लगाया गया हो, उम्र के 9 महीनों में लाया जाता है, तो सभी आवश्यक टीके क्या उसे उसी एक दिन में दिये जा सकते हैं?
हाँ, सभी आवश्यक टीके एक ही सत्र के दौरान दिए जा सकते हैं, लेकिन शरीर में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग एडी सीरिंज का उपयोग कर इंजेक्शन देकर। 9 महीने उम्र के जिस बच्चे को कभी कोई टीका नहीं लगाया गया हो, उसे एक ही समय में बीसीजी, डीपीटी, हेपेटाइटिस बी, ओपीवी और खसरा के टीके और विटामिन ए देना सुरक्षित व प्रभावी है।
यदि माँ/देखभाल करने वाला 9 महीने की उम्र में बच्चे को पहली बार लाने पर केवल एक इंजेक्शन देने की अनुमति देता/देती है, तो कौन सा इंजेक्शन दिया जाना चाहिए?
1-2 वर्ष आयु के बच्चे को, जिसे कभी कोई टीका नहीं लगाया गया हो, कौन से टीके लगाए जा सकते हैं?
बच्चे को डीपीटी1, ओपीवी-1, खसरा तथा विटामिन ए का 2 मिलि घोल दिया जाना चाहिए। इसके बाद उसे 2 वर्ष की आयु तक डीपीटी तथा ओपीवी की दूसरी तथा तीसरी खुराक एक महीने के अंतराल पर दी जानी चाहिए। बूस्टर खुराक ओपीवी 3/डीपीटी3 देने के बाद न्यूनतम 6 महीने पर दी जा सकती है।
विटामिन ए की कमी के नैदानिक संकेत वाले बच्चों के लिए उपचार की अनुसूची क्या है?
निदान के तुरंत बाद विटामिन ए की 200,000 आइयू की एक खुराक तुरंत दें, और उसके बाद 200.000 आइयू की एक और खुराक 1-4 हफ्ते बाद फिर से दें।
विटामिन ए के घोल की सीलबन्द बोतलों के भंडारण के लिए दिशानिर्देश क्या हैं?
विटामिन ए के घोल को सूर्य की सीधी रोशनी से दूर रखा जाना चाहिए तथा समाप्ति की तारीख तक इसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
स्रोत: डब्लू. एच. ओ., नेशनल इम्यूनाइजेशन सिड्यूल,इंडियन अकादमी ऑफ़ पदिअत्रिक्स( Pediatrics)
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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