ये अंग हैं : मुंह, चबाने कि नली, अमाशय (पेट)छोटी अंतरी, बड़ी अंतरी, गुदा, मल निकलने का रास्ता|
इसके साथ-साथ यकृत (लीवर), पिताशय, अपेंडिक्स, अग्नाशय सहयोगी अंग के रूप में काम करते हैं|
पचाने वाले अंगों के काम
- हमारे पचाने वाले अंग भोजन को पचाने भोजन से सेहत देने वाले पोषक चीजों को शरीर में रखने के अलावे पच जाने के बाद बचे चीजों को मल के रूप में बाहर निकालने का काम करते हैं|
- मुंह, दांत, जीभ, होंठ, मसूड़े भोजन को चखते हैं चबाकर भोजन को छोटे-छोटे टुकडों में बाटते हैं|
- इसके बाद लार खाने को नरम और गीला बनाती है ताकि भोजन को आसानी से गटका जा सके|
- मुंह से पेट तक भोजन को पहुँचाने का काम एक नली से होता है, जिसे ग्रासनली कहते हैं|
- अमाशय (पेट)में एक तरह का अम्ल निकलता है, यकृत (लीवर) पित्त रस बनाती है जो पित्ताशय में जमा होता है और अग्नाशय एन्जाइम बनाता है|
- ये सभी रस भोजन पचाने में सहायक होते हैं पित्त से निकला रस चिकनाई और चर्वी वाले भोजन को पचाने काम करता है|
- भोजन पेट में दो चार घंटे रहता है, फिर छोटी अंतरी में चला जाता है|
- छोटी अंतरी भी इन्जाइम बनाती है| यह भोजन को और टुकड़े को पचा देती है
- छोटी आंत ही भोजन से विटामिन, खनिज तथा दूसरे सेहत बनाने वाले पोषक चीजों को सोख लेती है| जो भोजन छोटी आंत में नही पचते हैं वे बड़ी अंतरी में पहुंच जाते हैं|
- बीमारी के कारण छोटी अंतरी के काम में रूकावट आ जाती है
- बड़ी अंतरी में भोजन मल का रूप लेता है
- बड़ी अंतरी पानी और पोषक चीजों के सोख लेते हैं बीमार पड़ने पर पानी सोखने कि छमता खतम हो जाती है तब मल पानी कि तरह निकलने लगता है|
दांत, मसूड़े और मुंह की देखभाल
- भोजन को ठीक से चबाने और पचाने के लिए निरोग और मजबूत दांतों कि जरूरत होती है|
- दांतों को दोनों समय सफाई न करने से वे कमजोर हो जा सकते हैं
- मीठी चीजें अधिक न खाएं, उनका दांतों पर बुरा असर होता है
- मीठी चीज खाने के बाद दांतों को अच्छी तरह साफ करें
- आंवला, संतरा, नीबू, अमरुद, अंकुरित चना, टमाटर आदि खाएं| इनसे दांत और मसूड़े मजबूत होता है|
- नीम का दातून सबसे अच्छी मानी जाती है उसका उपयोग दोनों समय करें
- नमक और सरसों के तेल से दांत साफ करने पर मसूड़े मसूढे मजबूत रहते हैं|
दांत का दर्द
- अगर दांत में छेद हो तो उसे हमेशा साफ रखें
- दर्द होने पर एस्प्रिन कि गोलियां लें
- ध्यान देने वाले दांतों के बीच लौंग रखने से भी राहत मिलती है|
पायरिया
- पायरिया मसूड़ों का रोग है
- मसूड़ों से खून भी निकलता है
- ध्यान रखें कि दांतों के बीच कुछ अटका न रहे|
मुंह में सफेद दाग
- कई रोगों में जीभ और ऊपर वाले जबड़े में पीली या उजली तह जम जाती है
- बुखार में तो यह आम लक्षण है
- यह तह अपने आप में खतरनाक नहीं होती
- गरम पानी में खाने वाला सोडा मिलाकर कुल्ला करें| तह धीरे धीरे खत्म हो जाएगा
- कभी-कभी मुंह के अन्दर और जीभ पर छाले निकल आते हैं
- छाले अधिक पेन्सिलिन के इस्तेमाल से होता है
- अगर छाले बहुत दिन तक रहें और घाव में बदल जाए तो डाक्टर कि सलाह लें| हो सकता है कि आपको मुंह का कैंसर हो|
खट्टी डकारें, छाती में जलन और पेट का फोड़ा (अल्सर)
- खट्टी डकारें चरबी वाला खाना, शराब पीने और काफी पीने से आ सकते हैं
- पेट में बहुत अम्ल बन जाता है तो डकारें आती है और छाती में जलन होती है
- ऐसी हालत में छोटी आंत में एक घाव निकल जाता है, जिसे अल्सर कहते हैं|
- अल्सर को ठीक होने में बहुत दिन लग जाते हैं|
- इसमें बहुत ही दर्द होता है, दूध और पानी पीने से आराम मिलता | लेकिन दो तीन घंटो के बाद फिर दर्द शुरू हो जाता है|
- बिना डाक्टरी जांच के इस रोग को पहचाना नहीं जा सकता है
- शुरू में खून कि उल्टी और काली चिपचिपी मल निकलता है
- बहुत सारा खून निकलने से व्यक्ति मर भी सकता है|
बचाव और उपचार
- लेटे रहना चाहिए, शरीर के उपरी हिस्से को तकिया लगा कर उंचा रखें, आराम मिलेगा|
ऐसा करने से अल्सर बिगड़ सकता है ऐसा करने से कोई हानि नहीं होती है
- बहुत ज्यादा भोजन लेना -थोड़ा भोजन थोड़ी-थोड़ी देर पर
- शराब पीना - भोजन में उबला साग खाना
- कॉफी पीना - खूब पानी पीना
- मिरच-मसाला खाना - उबला अंडा या उबला आलू लेना
- चरबी वाला भोजन खाना
- कोला या सोडा पीना
- एस्प्रिन कि गोलियां लेना
- आप देखें कि क्या खाने से दर्द बढ़ता है, उनसे परहेज करें
- अल्सर बहुत दिन तक ठीक न हो तो डाक्टर कि सलह लें
- यों तो दूध पीने से आराम मिलता है, लेकिन अम्ल और ज्यादा बनने लगता है
- अल्सर का इलाज शुरू में करा लेना चाहिए|
लीवर (यकृत) का शोध
- यह शोथ खास कीटाणु से होता है
- शोथ में बुखार हो जाता है
- बच्चों पर कम असर पड़ता है, पर बड़ों के लिए खतरनाक हो सकता है
- अक्सरहाँ यह महामारी का रूप लेता है
- शोथ वाले व्यक्ति कि भूख मर जाती है
- कभी-कभी यकृत के पास दर्द होता है
- पेशाब गहरी भूरी या पीली हो जाती है
- हर हालत में डाक्टर से इलाज करवाएं
- शोथ से बचने के लिए हेपथैथिस बी का टीका लगवाएं|
पेट के कीड़े
- पेट में छोटे-बड़े कई तरह के कीड़े रहते हैं जिससे व्यक्ति बीमार पड़ सकता है
- बड़े कीड़े (केचुए) मल से निकलता है, कभी-कभी वह मुंह के रास्ते भी निकल सकता है|
- छोटे-छोटे कीड़े फेफड़ों तक पहुंच जाते हैं और नुकसान करते हैं
- बच्चों में केंचुओ कि अधिकता से पेट फूल जाता है|
- केंचुओ से दमा हो जाता है, दौरे भी पड़ने लगते हैं
- उपचार के लिए डाक्टर से पूछ कर मेवेंदाजोल या पिपरा लें|
- पपीते का बीज भी लाभ पहुंचाता है|
अमीबा
- ये परजीवी होते हैं
- इन्हें केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है-माइक्रोस्कोप छोटी चीजों को बड़ा कर दिखाता
- अमीबा के रोगी के मल ऐसे परजीवी लाखों कि संख्या में रहते हैं
- यह बहुत छुतहा होता है मल से जल में चला जाता है| अन्य लोगों पर असर करता है|
- कम पोषण देने वाले भोजन खाने से अमीबा होता है
- कभी-कभी अमीबा से जिगर में दर्दनाक और खतरनाक घाव निकल आते हैं|
- अमीबा होने पर दस्त भी लगते हैं और कब्जियत भी हो जाती है
- मल में खून भी निकल सकता है
- शौचालय के उपयोग से खुद को और दूसरों को भी अमीबा रोग से बचाया जा सकता
- जल्दी ठीक न हो तो डाक्टर से जांच जरूर करवा लें|
जियाडिया
- जियाडिया भी परजीवी है और इसके कीड़े भी बिना माइक्रोस्कोप के नहीं दिखते हैं|
- इनका ठिकाना आंतों में होता है
- जियाडिया होने पर मल बुलबुला लिए बदबू होता है
- पेट गैस या बदहजमी के कारण फूल जाता है
- पौष्टिक भोजन से लाभ मिलता है
- यह छुतहा रोग है, जल्दी फैलता है|
स्त्रोत: संसर्ग, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान