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जल्दी निदान और प्राथमिक उपचार

परिचय

कुछ दुर्घटनाओं में आपको प्राथमिक चिकित्सा और मदद भी देनी चाहिए। अक्सर इसी प्राथमिक चिकित्सा और मदद से ज़िन्दगी बचाई जा सकती है। उदाहरण के लिए जहरीले सॉंप के काटने पर तुरन्त दी गई प्राथमिक चिकित्सा अस्पताल में बाद में विशेषज्ञों द्वारा दी गई चिकित्सा से ज़्यादा महत्वपूर्ण होती है। आपके द्वारा तुरन्त दी गई प्राथमिक चिकित्सा से ज़हर का खून में फैलना बच सकता है।

इसलिए हर तरह की बीमारियों में हमारी एक निश्चित भूमिका और ज़िम्मेदारी है। एक प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता को प्रथम सम्पर्क में सभी तरह की बीमारियों में कुछ न कुछ करना होता है। और कभी-कभी अगर विशेषज्ञ उपलब्ध न हों तो आप अतिरिक्त ज़िम्मेदारी भी ले सकते हैं। दूसरी ओर ऐसा भी हो सकता है कि प्राथमिक स्वास्थ्यकर्मी को छोड़कर लोग डाक्टरों के पास जाना पसन्द करें। बीमारियों के इस वर्गीकरण से प्रथम सम्पर्क चिकित्साकर्मियों यानि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तय करें कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।

मृत्यु की जॉंच करना

बीमारी, बुढ़ापे या दुर्घटना के कारण जीवन का अन्त हो जाता है। कभी-कभी हमें मरते हुए या मर चुके व्यक्ति को जॉंचने के लिए भी बुलाया जा सकता है। ऐसा नहीं है कि लोगों ये समझ नहीं पाते कि व्यक्ति मर चुका है। परन्तु अक्सर वे इसकी पुष्टि के लिए चाहते हैं ऐसा न हो कि गलती से किसी को मृत समझ लेनेसे उसे मदद से वंचित न हो जाना पड़े। जब किसी की जान बचाने के लिए बुलावा आता है तो ये अक्सर काफी जटिल स्थिति होती है।

1. महत्वपूर्ण अंग काम करने के बन्द कर देते हैं

मत्यु का अर्थ है कि जीवन के लिए ज़रूरी कार्यों बन्द हो जाना - जैसे संचरण, श्वसन और मस्तिष्क की सक्रियता। अगर इनमें से एक बन्द हो जाए और अन्य दो अभी भी चल रहे हों (वो भी कुछ सैकण्डों में बन्द हो जाते हैं) तो तुरन्त पुन: उत्तेजित करने की कोशिश की ज़रूरत होती है। यह तय कर लें कि ये अंग वास्तव में बन्द हो गए हैं।

2. दिल और संचरण

नाड़ी का रुकना इसका प्रमुख संकेत है। कलाई की नाड़ी अक्सर (और खासकर मृत्यु के करीब) काफी कमज़ोर होती है। गले की नाड़ी हमेशा ज़्यादा भरोसेमन्द होती है। यहॉं भी ध्यान रखें कि मृत व्यक्ति की नाड़ी देखते समय आपकी अपनी नाड़ी की धड़कन से भ्रम हो सकता है। इसलिए दिल की धड़कन सबसे बेहतर संकेत है। आपको इसका पता छाती पर हाथ या आला रखने से लग सकता है।

3. साँस चलना

साँस लेने का अन्दाज़ा छाती के ऊपर नीचे होने या नाक से हवा निकलने या आले से पता चल सकता है। पुराने समय में नाक के सामने रुई या पॅंख रखकर देखना साँस लेने का सबसे उपयोगी संकेत होता था।

4. मस्तिष्क की सक्रियता

मस्तिष्क की सक्रियता की जॉंच हम आँख में देखकर कुछ संकेतों से कर सकते हैं।

5. पुतली प्रतिवर्त

आँख में पुतलिया तारा प्रतिवर्त एक बहुत ही विश्वसनीय और महत्वपूर्ण संकेत है। मृत्यु के बाद तारे काफी फैल जाते हैं। तारा इसलिए फैल जाता है क्योंकि मौत के बाद पेशियॉं ढीली पड़ जाती हैं। यह मस्तिष्क के सक्रियता का सबसे महत्वपूर्ण संकेत होता है। मृतक की आँखें भी अपनी चमक खो देती हैं। आप पुतली की जॉंच आँखों में टॉर्च आदि से रोशनी डालकर कर सकते हैं।

6. देरी से प्रकट होने वाले संकेत

शरीर धीरे-धीरे ठण्डा पड़ना है और रंग मटमैला होना हैं। इसके अलावा कुछ घण्टों में पेशियॉं सख्त और कड़ी हो जाती हैं। इसे मरणोत्तर कडापन कहते हैं। कई घण्टे गुजर जाने पर शिराएं सूज आती हैं। बाद में त्वचा का रंग उड़ने लगता है। अगर आपको पक्का पता न चले कि व्यक्ति मर चुका है या नहीं तो और लोगों की सहायता लें।

स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य

 

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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