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रोगनिदान तालिका

लक्षणों की आवृत्ति (कितनी बार और कितनी-कितनी देर में)

  • तालिका में बीमारी के लक्षणों को चिन्हों की मौजूदगी और समय बताये है। उदाहरण के लिए गले की गड़बड़ियों के सभी मामलों में खॉंसी हमेशा होती है। परन्तु फेफड़ों के तपेदिक के मामले में ऐसा नहीं है। इसमें कभी-कभी तो खॉंसी होती ही नहीं है और कभी-कभी देरी से होती है। खॉंसी होने या न होने की इस विविधता को तालिका में शामिल किया जा सकता है। लक्षणों और संकेतों में इन अन्तरों को हमने ह (हमेशा), अ (अक्सर) क (कभी-कभी) और के रूप में अलग-अलग दिखाया है। तालिका में जहॉं खाली खाने हैं उनका अर्थ है कि उन बीमारियों में वो लक्षण या संकेत नहीं होते। तालिका के खड़े स्तभ्भों में किसी बीमारी के साथ आने वाले लक्षण और संकेत दिए गए हैं।
  • जिस की जॉंच आप कर रहे है उसमें कोई बहुत ही कभी-कभी दिखाई देने वाला लक्षण मिलने पर आप आसानी से यह निदान कर सकते हैं कि कौन सी बीमारी की सम्भावना सबसे ज़्यादा है। जैसे कि अगर बीमारी मलेरिया जैसी दिखे और साथ में पेट दर्द भी हो तो निदान में शक की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि तालिका बताती है कि मलेरिया में भी कभी-कभी पेट में दर्द हो सकता है।

जल्दी या देर से

बीमारी में कौन से लक्षण जल्दी दिखाई देने लगेंगे और कौन से ‘दे’ यानी देरी से, ये भी तालिका में बताया गया है। उदाहरण के लिए आम जुकाम के कुछ मामलों में खॉंसी देरी से शुरू होती है। जल्दी दिखाई देने वाले लक्षणों के साथ आप ज (जल्दी) का चिन्ह भी लगा सकते हैं। हमने ऐसा इसलिए नहीं किया क्योंकि बीमार व्यक्ति आपके पास शुरू-शुरू में ही आएगा।

खास लक्षण

तालिका में सीधी तरफ एक और स्तंभ है। इस स्तंभ में बीमारी से सम्बन्धित खास लक्षण दिए गए हैं। जैसे की बुखारवाले तालिका में मस्तिष्क शोथ में गर्दन का अकडना।

तालिका निदान

तालिका में सीधी तरफ सबसे आखिर में निदान का स्तम्भ है। इसलिए किसी एक पंक्ति में बाई से दाई ओर जाते हुए हम आखरी स्तम्भ तक दी गई सभी बीमारी के चिकित्सीय पहलू जान सकते हैं।

तालिका में बीमारियों की तुलना करना

  • अगर आप किन्हीं दो बीमारियों की तुलना करना चाहते हैं तो उन दोनों से सम्बन्धित पंक्तियों की तुलना करिए। इससे आप को इन दोनों में समानताएँ और फर्क के बारे में पता चल जाएगा।
  • इसके अलावा अगर आप कभी यह जानना चाहेंगे कि किन-किन बीमारियों में कोई एक लक्षण होता है। इसके लिये आपको खड़े स्तम्भ को देखना पड़ेगा।
  • इस तरह से बीमारियों के चिकित्सीय पहलुओं की पूरी जानकारी देने के अलावा ये तालिकाएँ आपको बीमारियों की तुलना करने और लक्षणों और चिन्हों की छानबीन का मौका भी देती है।
  • तालिका में क्योंकि काफी विविधता है इसलिए आप अपने क्षेत्र में मौजूद बीमारी की जानकारी भी डाल सकते हैं। इस तरह से तालिकाएँ जानपदिक अध्यनन का एक साधन भी है।

इलाज क्या सम्भव है और क्या नहीं

  • स्वास्थ्य कार्यकर्ता सभी बीमारियों का इलाज नहीं कर सकता। कुछ के लिए मरीज को डॉक्टर के पास भेजा जाना ज़रूरी होता है।

बीमारियों के प्रकार

बीमारियों का ये समूह मरीज से प्रथम सम्पर्क के आधार पर बना है।

  1. आसान बीमारियॉं (हरा रंग)

पहला समूह - आसान बीमारियॉं - उन बीमारियों का है जिनका उपचार स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्वयं कर सकते हैं। इन को पहचानना और इनका इलाज दोनों ही आसान होते हैं और ऐसा करना सुरक्षित भी होता है। ये बीमारियॉं अक्सर हुआ करती हैं।

  1. मध्यम बीमारियॉं (नीला रंग)

दूसरा समूह - मध्यम बीमारियॉं है। इनका निदान और उपचार थोड़ा जटिल होता है। इनमें थाड़ी जोखिम भी होती है। स्थाई या अस्थाई नुकसान पहुँच सकता है। कभी कभार इन बीमारियों से मृत्यु भी हो जाती है। इसलिए मध्यम की बीमारियों के लिए थोड़ी सी सावधानी की ज़रूरत होती है। और साथ ही लगातार नज़र रखनी ज़रूरत होती है कि बीमारी से कोई गड़बड़ी तो नहीं हो रही। जैसे कि दस्त से बच्चों में निर्जलीकरण या कुपोषण हो सकता है। मौत भी हो सकती है। अगर आप इन बीमारियों का इलाज करना चाहते हैं तो आपको इनके बारे में और जानकारी की ज़रूरत होगी।

हम आसान और मध्यम बीमारियों को गॉंव के स्तर पर सम्भाल सकते हैं। इन दोनों के लिए विशेषज्ञों की देखभाल की ज़रूरत नहीं होती। इसको हमने नीला रंग दर्शाया है।

  1. गम्भीर बीमारियॉं (लाल रंग)

इन गम्भीर बीमारियों से स्वास्थ्य और जिन्दगी को गम्भीर नुकसान होते हैं। इसीलिए ही इन्हें गम्भीर बीमारियॉं कहा जाता है। तीव्र गम्भीर: पहला समूह तीव्र गम्भीर स्थितियों का है जैसे मस्तिष्क शोथ या मस्तिष्कावरण शोथ आदि। हमको पता ही है कि इन बीमारियों से मौत हो सकती है। इसमें तुरंत मदद की जरुरी है। इसको हमने लाल रंग से दर्शाया है।

चिरकारी गम्भीर: तपेदिक या कैंसर जैसी बीमारियॉं चिरकारी और गम्भीर हैं जो धीमे बढ़ती हैं। परन्तु इनसे स्वास्थ्य और जिन्दगी को काफी नुकसान हो सकता है। इनको जल्दी पहचानकर डॉक्टर के पास भेजना है। जल्दी निदान से इनके जल्दी इलाज और ठीक होने की संभावना बढती है।

दुर्घटनाएँ

दुर्घटनाएँ एक अन्य गम्भीर समूह है। इनमें हुए नुकसान का अन्दाज़ा लगाना और इनका उपचार करना दोनों ही जटिल होते हैं। इन सभी गम्भीर स्थितियों में विशेषज्ञों का तुरन्त दिखाया जाना ज़रूरी होता है। परन्तु इसमें भी प्राथमिक चिकित्साकर्मी की बड़ी भूमिका होती है। यह भी लाल रंग से दर्शाया है।

आपको इन दुर्घटनाओं का जल्दी से जल्दी पहचानना और बीमार व्यक्ति को तुरन्त सही जगह पहुँचाना ज़रूरी हैं और बाद में ध्यान रखना भी सभी ज़रूरी होते हैं।

स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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