অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

स्वाइन फ्लू-एक परिचय

परिचय

स्वाइन फ्लू को स्वाइन इन्फ्लूएंजा अथवा महामारी इन्फ्लूएंजा (पैन्डेमिक इन्फ्लूएंजा) सांस की उच्च संक्रामक बीमारी के रूप में जाना जाता है। यह बीमारी वायरस के कारण होती है, जिसे एच1एन1 वायरस (जिसकी पहचान वर्ष २००९ में की गई थी) कहा जाता हैं। यह वायरस सूअरों की श्वासनली (श्वसन तंत्र) को संक्रमित करता है तथा बाद में यह वायरस मनुष्य में संचारित हो जाता है। इसके परिणामस्वरुप नाक बहना, खाँसी, भूख में कमी और व्यवहार में बेचैन होती हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस की तुलना में स्वाइन फ्लू एक नए तरह का वायरस (फ्लू) था जो कि वर्ष २००९-२०१० के दौरान फ्लू महामारी (पैन्डेमिक इन्फ्लूएंजा) के लिए उत्तरदायी था। स्वाइन फ्लू वायरस परिवर्तित हो सकता है इसलिए यह मनुष्यों के बीच आसानी से संचारित होता हैं।

आधिकारिक तौर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने १० अगस्त २०१० में स्वाइन फ्लू के महामारी न रहने की घोषणा की थी। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं हैं कि स्वाइन फ्लू पूरी तरह से समाप्त हो गया है। स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा महामारी एच १ एन १ वायरस के कारण होता है तथा इसका प्रसारण मौसम के अनुसार दुनिया भर में जारी रह सकता है।

लक्षण

स्वाइन फ्लू की ऊष्मायन अवधि एक से चार दिनों (लक्षण प्रकट होने वाला समय) की होती हैं। इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के समान हैं। इसके लक्षणों में शामिल है :

  • बुख़ार
  • सिरदर्द
  • नाक बहना
  • गले में खराश
  • खांसी की तकलीफ या सांस
  • भूख में कमी
  • दस्त या उल्टी

कारण

स्वाइन फ्लू वायरस के कारण होता है, जिसे एच1एन1 वायरस कहा जाता हैं। यह वायरस सूअरों की श्वासनली (श्वसन तंत्र) को संक्रमित करता है तथा बाद में यह वायरस मनुष्य में संचारित हो जाता है। इसके परिणामस्वरुप नाक बहना, खाँसी, भूख में कमी और व्यवहार में बेचैन होती हैं।
स्वाइन फ्लू का वायरस लगभग छह फुट की दूरी से अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है। मुख्य रूप से स्वाइन फ्लू का वायरस व्यक्तियों के खाँसते, छींकते या बात करते समय उत्सर्जित बूंदों द्वारा फैलता हैं। यह बूंदें आपके नज़दीकी व्यक्ति के मुंह या नाक में जा सकती हैं, जो कि संभवतः साँस के माध्यम से फेफड़ों में भी जा सकती है। कुछ मामलों में, स्वस्थ व्यक्ति को पीड़ित व्यक्ति की संक्रमित सतह या अन्य वस्तुओं को छूने से भी फ्लू हो सकता है।

उपचार

स्वाइन फ्लू का चिकित्सकीय उपचार रोगी की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके लक्षणों के आधार पर किया जा सकता हैं। इसका निदान प्रयोगशाला परीक्षण तकनीक के माध्यम से पुष्टि किए जाने के बाद किया जाता हैं, जिसे आरटी पीसीआर (रिवर्स प्रतिलेखन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) कहा जाता हैं।

प्रबंधन

दो एंटीवायरल एजेंट स्वाइन फ्लू को रोकने या प्रभाव को कम करने में सहायक हैं। वे ज़नामीविर (रेलेंज़ा) और ओसेलटेमीविर (टेमीफ्लू) हैं। इनका उपयोग इन्फ्लूएंजा ए और बी दोनों के लक्षणों को कम करने या रोकथाम के लिए किया जाता हैं।

इन दवाओं का अंधाधुंध उपयोग चिकित्सक द्वारा निर्धारित चिकित्सीय निर्देश के बिना नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह वायरल प्रतिरोध के दौरान, दवा की प्रभावहीनता को पैदा कर सकता हैं।

रोकथाम

संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपाय स्वच्छता का अभ्यास करना है। इन्फ्लूएंजा के खिलाफ़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। रोकथाम के लिए सुझाव:

  • बार-बार हाथ धोएं।
  • चेहरे पर हाथ न लगाएं। चेहरे के किसी भी हिस्से को छूने के लिए सभी तरह के प्रलोभनों का विरोध करें।
  • गर्म पानी में नमक डालकर दिन में दो बार गरारे करें।
  • (एच1एन1 के विशिष्ट लक्षण गले/नाक गुहा में आरंभिक संक्रमण विकसित होने के बाद, दो से तीन दिन के भीतर दिखाई देते हैं।
  • अपनी नाक रोज़ दिन में कम से कम एक बार नमक वाले गर्म पानी से ज़रूर साफ़ करें।
  • दिन में एक बार नाक अवश्य छिनकें और दोनों नाक को नमक के गर्म पानी में भीगी हुई रुई से साफ़ करें। इससे वायरल के घनत्व को कम करने में अति प्रभावी सहायता मिलती है।
  • अपनी प्राकृतिक प्रतिरक्षा को अधिक से अधिक विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों (अमला और अन्य खट्टे फल) के सेवन द्वारा बढ़ाएं।
  • आप अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों (चाय और कॉफी, आदि) का सेवन करें, जो फ़ायदा कुल्ला करने से प्राप्त होता हैं वहीँ फ़ायदा गर्म पानी पीने से प्राप्त होता हैं, क्योंकि गर्म पानी पीने से गले के वायरस पेट में चले जाते हैं और वहां ये बढ़ते नहीं हैं तथा जीवित भी नहीं रहते हैं।

स्त्रोत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रवेशद्वार,भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 1/28/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate