स्वाइन फ्लू को स्वाइन इन्फ्लूएंजा अथवा महामारी इन्फ्लूएंजा (पैन्डेमिक इन्फ्लूएंजा) सांस की उच्च संक्रामक बीमारी के रूप में जाना जाता है। यह बीमारी वायरस के कारण होती है, जिसे एच1एन1 वायरस (जिसकी पहचान वर्ष २००९ में की गई थी) कहा जाता हैं। यह वायरस सूअरों की श्वासनली (श्वसन तंत्र) को संक्रमित करता है तथा बाद में यह वायरस मनुष्य में संचारित हो जाता है। इसके परिणामस्वरुप नाक बहना, खाँसी, भूख में कमी और व्यवहार में बेचैन होती हैं। इन्फ्लूएंजा वायरस की तुलना में स्वाइन फ्लू एक नए तरह का वायरस (फ्लू) था जो कि वर्ष २००९-२०१० के दौरान फ्लू महामारी (पैन्डेमिक इन्फ्लूएंजा) के लिए उत्तरदायी था। स्वाइन फ्लू वायरस परिवर्तित हो सकता है इसलिए यह मनुष्यों के बीच आसानी से संचारित होता हैं।
आधिकारिक तौर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने १० अगस्त २०१० में स्वाइन फ्लू के महामारी न रहने की घोषणा की थी। हालाँकि, इसका मतलब यह नहीं हैं कि स्वाइन फ्लू पूरी तरह से समाप्त हो गया है। स्वाइन फ्लू इन्फ्लूएंजा महामारी एच १ एन १ वायरस के कारण होता है तथा इसका प्रसारण मौसम के अनुसार दुनिया भर में जारी रह सकता है।
स्वाइन फ्लू की ऊष्मायन अवधि एक से चार दिनों (लक्षण प्रकट होने वाला समय) की होती हैं। इसके लक्षण इन्फ्लूएंजा (फ्लू) के समान हैं। इसके लक्षणों में शामिल है :
स्वाइन फ्लू वायरस के कारण होता है, जिसे एच1एन1 वायरस कहा जाता हैं। यह वायरस सूअरों की श्वासनली (श्वसन तंत्र) को संक्रमित करता है तथा बाद में यह वायरस मनुष्य में संचारित हो जाता है। इसके परिणामस्वरुप नाक बहना, खाँसी, भूख में कमी और व्यवहार में बेचैन होती हैं।
स्वाइन फ्लू का वायरस लगभग छह फुट की दूरी से अन्य व्यक्तियों में फैल सकता है। मुख्य रूप से स्वाइन फ्लू का वायरस व्यक्तियों के खाँसते, छींकते या बात करते समय उत्सर्जित बूंदों द्वारा फैलता हैं। यह बूंदें आपके नज़दीकी व्यक्ति के मुंह या नाक में जा सकती हैं, जो कि संभवतः साँस के माध्यम से फेफड़ों में भी जा सकती है। कुछ मामलों में, स्वस्थ व्यक्ति को पीड़ित व्यक्ति की संक्रमित सतह या अन्य वस्तुओं को छूने से भी फ्लू हो सकता है।
स्वाइन फ्लू का चिकित्सकीय उपचार रोगी की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके लक्षणों के आधार पर किया जा सकता हैं। इसका निदान प्रयोगशाला परीक्षण तकनीक के माध्यम से पुष्टि किए जाने के बाद किया जाता हैं, जिसे आरटी पीसीआर (रिवर्स प्रतिलेखन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन) कहा जाता हैं।
दो एंटीवायरल एजेंट स्वाइन फ्लू को रोकने या प्रभाव को कम करने में सहायक हैं। वे ज़नामीविर (रेलेंज़ा) और ओसेलटेमीविर (टेमीफ्लू) हैं। इनका उपयोग इन्फ्लूएंजा ए और बी दोनों के लक्षणों को कम करने या रोकथाम के लिए किया जाता हैं।
इन दवाओं का अंधाधुंध उपयोग चिकित्सक द्वारा निर्धारित चिकित्सीय निर्देश के बिना नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह वायरल प्रतिरोध के दौरान, दवा की प्रभावहीनता को पैदा कर सकता हैं।
संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सबसे प्रभावी उपाय स्वच्छता का अभ्यास करना है। इन्फ्लूएंजा के खिलाफ़ टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका है। रोकथाम के लिए सुझाव:
स्त्रोत : राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रवेशद्वार,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 1/28/2020
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