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जोड़ों या पेशियों में मोच

जोड़ों या पेशियो में मोच

मोच जोड़ में चोट लगने के कारण अस्थिबंध (लिगामेंट) की क्षमता से अधिक खीच जाने या मॉसपेशीयॉ के फटने के कारण होता है। इस तरह की बीमारियों का किसी तरह के आघात से खास रिश्ता होता है। चोट लगने के साथ ही सूजन शुरू हो जाती है। मोच किसी भी जोड़ में हो सकता है पर ऐड़ी और कलाई के जोड़ पर ज्यादा मोच आती है।

लक्षण और निदान

दर्द, सूजन, बुंदी चोट (ब्रुस), इससे जोड़ों को हिलाने-डुलाने में तकलीफ और अस्थिबंध के फटने पर चट चट की आवाज होती है। प्रभावित अंग का इस्तेमाल करने में मुश्किल होता है। भौतिक परिक्षण, द्वारा निदान किया जा सकता है ।

इलाज

साधारण मोच या फिर आघात से हुई गठिया में दर्द का डलाज आराम और दर्द निवारक दवाएँ जैसे ऐस्परीन या आईबूप्रोफेन है। सूजन की जगह पर हल्के कसकर पट्टी बाँध देने से सूजन कम हो जाती है और आराम पड़ता है। मोच को ठीक होने के लिए 2 से 3 दिनों तक चोट के हिस्से को कम हिलाने-डुलाने से मदद मिल सकती है।

अस्थिबंध (लिगामेंट) की क्षमता से अधिक खीच जाने या मॉसपेशीयॉ के फटने में शल्यक्रिया की जरूरत पड़ सकती है। औषधियाँ गाँवों में केतकी का या और कोई लेप लगाना काफी आम है। कभी-कभी इससे आराम पड़ता है।

होम्योपैथी

ऐसा दावा किया जाता है कि दर्द कम करने और जल्दी चोट ठीक करने के लिए आरनिका और सिमफाईटम बहुत उपयोगी दवाएँ हैं।

जोड़ों में रक्तस्राव (हिमआरथ्रोसिस)

जोड़ों में शिरा या धमनी के फटने या कटने के कारण होने वाले रक्तस्राव काफी नुकसान करने वाला होता है। इससे जोड़ बहुत तेज़ी से सूज जाते हैं। जोड़ो में तेज दर्द और हिलाने-डुलाने में परेशानी प्रमुख लक्षण हैं। यहॉ दबाने से दर्द और छुने पर गरम महसूस होता है।

जोड़ों में आन्तरिक रक्तस्राव या जोड़ की हडि्डयों में चोट एक गम्भीर स्थिति है। इससे जोड़ों को हिलाने-डुलाने में स्थाई समस्या हो सकती है। अगर ऐसा होने का ज़रा-सा भी शक हो तो समय रहते किसी हडि्डयों के विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया जाना ज़रूरी है। रक्तस्राव के कारण हुई सूजन और मोच में अक्सर भ्रम हो सकता है। परन्तु मोच में ये लक्षण 2 से 4 दिनों में कम होने लगते हैं।

जोड़ों में अकड़न (एनकाइलोसिस)

इस गीक्र शब्द का अर्थ क्षुका या मुड़ा हुआ होता है। जोड़ो में अकड़न का कारण जोड़ो की हडडी बीमारी या चोट के कारण असामान्य रूप से सख्त या चिपक जाती है। जोड़ो में अकड़न पुर्ण या आंशिक रूप से जोड़ो के अस्थि बंध और मासॅपेशियो की संरचनाओं में या बाहरी संरचनाओं में प्रजव्लन (सुजन और जलन) के कारण होती है। शल्य क्रिया से जोड़ो की अकड़न को ठीक किया जाता है।

संधिशोथ

आर्थ्राराइटस को हिन्दी में संधिशोथ और आम भाषा में गठिया या कहते है। आर्थ्रा यानी जोड़ राइटस यानी प्रजव्लन (सुजन और जलन), यह एक तरह की जोड़ो की बीमारी है। एक या अधिक जोड़ो का प्रजव्लन से प्रभावित होते है। 100 से अधिक अलग अलग तरह की गठिया की बीमारीयॉ होती है।

इनमें आम है अस्थिसंधिशोथ (अपकर्षक जोड़ रोग, आस्टीओआर्थ्राराइटस), जोड़ो में चोट और वृध्दावस्था के परिणाम रूवरूप के कारण होता है। संधिवातीय गठिया (आमवात रूमेटॅाइड आर्थ्राराइटस) और सेप्टिक आर्थ्राराइटस जोड़ो में संक्रमण के कारण होता है ।

जोड़ के रोगी को जोड़ो में दर्द की शिकायत रहती है। दर्द लगातार और प्रभावित जोड़ तक सीमित रहता है। कारण जोड़ में प्रजव्लन, बीमारी के कारण क्षति, रोजमर्रा घिसाई, अकड़न दर्द वाले जोड़ की मॉसपेशियॉ द्वारा प्रबल गति और थकान के तनाव के कारण का जोड़ो में संधिशोथ होता है ।

स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य

 

अंतिम बार संशोधित : 2/3/2023



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