कृत्रिम एवं अर्द्ध कृत्रिम स्वापक पूरे विश्व में कैलेन्डस्टाइन लेबोरेटरीज (जिन्हें सामान्यत - क्लैन लैब्स के रूप में जाना जाता है) में अवैध रूप से निर्मित किए जाते हैं और भारत भी इसका अपवाद नहीं है । तथापि, इनके द्वारा निर्मित क्लैन लैब का प्रकार और स्वापक का प्रकार स्थान दर स्थान भिन्न होता है । परंपरागत रूप से कैलेन्डस्टाइन लेबोरेटरी भारत में दो प्रकार के हैं - लघु सामयिक सुविधाएं जो अफीम को हेरोइन में बदलने की प्रक्रिया करते हैं और दूसरा बृहत औद्योगिक स्तर सुविधायें जो मैथाकूलोन का निर्माण करती हैं ।
हाल के दिनों में भारत में जो दृश्यवस्तु सामने आ रही है वह है क्लैन लैब्स मैन्युफैक्चरिंग एमफैटामाइन्स । जबकि एमफैटामाइन्स लैब्स की संख्या मुख्य उपभोक्ता देशों की तुलना में बहुत कम है फिर भी यह क्लैन लैब्स जो पूर्वगामी जैसे कि ऐफैड्रिन तथा सिडोफैड्रिन के रूप में खतरा पैदा करते हैं, देशों में प्रचुर मात्रा में बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं व्यापार किया जाता है । ऐसे भी उदाहरण सामने आए हैं जहां पर ऐफैड्रिनयुक्त औषधीय निर्माण को घरेलू वितरण चैनल से अलग कर दिया गया और ऐफैड्रिन के निस्सारण को एटीएस के अवैध निर्माण से अलग कर दिया गया । एफैड़ा बलगरीज युक्त ग्रीन टी सार के कुछ प्रेषणों को जब्त किया गया और विदेशों में रोका गया क्योंकि ये यूरोपीय यूनियन तथा साउथ अमेरिका के कुछ देशों में लागू विनियम ऐफैड्रा निर्माण के उपयोग की अनुमति नहीं देते हैं जिसमें एफैड्रिन की लघु मात्रा पाई गई है। इन्हें अवैध व्यापार से अलग किया जा सकता है और भारत एवं भारत के बाहर दोनों जगह इसकी अवैध तस्करी के लिए एमफैटामाइन्स में परिवर्तित किया जा सकता है ।
अवैध निर्माण का मुकाबला केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से किए गए समुचित उपायों द्वारा की जाएगी जो इस प्रकार हैं –
(i) केन्द्र सरकार निम्नलिखित समुचित उपाय करेगी -
(क) विशिष्ट एंटी नारकोटिक्स एजेंसीज जैसे कि एनसीबी, सीबीएन तथा डीजीआरआई में प्रवर्तन अधिकारियों के समूह को विकसित करना और प्रशिक्षण देना ताकि कानूनी एवं अनुवर्ती कार्रवाई के द्वारा क्लैन लैब को ध्वस्त किया जा सके ।
(ख) अफीम, पोस्त के अवैध उत्पादन तथा पूर्वगामियों के निर्माण एवं व्यापार पर कड़ी निगरानी रखना ताकि विचलन को रोका जा सके ।
(ग) देश में अफीम पोस्त के अवैध उत्पादन का पता लगाना और इसे नष्ट करना ।
(घ) विशिष्ट एंटी नारकोटिक्स एजेंसीज जैसे कि एनसीबी, सीबीएन तथा डीजीआरआई को मजबूत करना ।
जहां जरूरत हो राज्य सरकारें जिला स्तर पर सेल अथवा स्क्वाड का गठन करेगी जिसमें पुलिस तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी रहेंगे जो अफीम पोस्त की अवैध खेती, अफीम का अवैध उत्पादन, क्लैन लैब में स्वापक का अवैध निर्माण आदि के खिलाफ कार्रवाई कर सकें ।
वैध औषध निर्माण जिसमें स्वापक द्रव्य और मन -प्रभावी पदार्थ शामिल हैं, का गलत प्रयोग के लिए विचलन भारत में गंभीर समस्या है । स्वापक जैसे कि कोडीन, बूप्रीनौरफिन, डाइजपम तथा अल्प्राजोलम युक्त निर्माण का सामान्य रूप से गलत प्रयोग होता है । इस समस्या के समाधान में निम्नलिखित प्रयास किए जाएंगे -
(क) उन औषण निर्माण के प्रकारों को नियमित रूप से मानीटरिंग करना जिनका विचलन, अवैध तस्करी एवं गलत प्रयोग होता है ।
(ख) रिस्क एनालाइसिस को संचालित करना तथा आयात और निर्यात प्रेषण की प्रोफाईलिंग।
(ग) ऐसे औषध निर्माणों पर नियंत्रण की समय-समय पर समीक्षा और यदि आवश्यक हो तो उन्हें मजबूत करना इस बात को ध्यान में रखते हुए कि गलत प्रयोग को रोकने तथा चिकित्सा हेतु पर्याप्त उपलब्धता के बीच संतुलन बनाए रखना है ।
(घ)ऐसे स्वापकों के उपयोगी लत के बारे में जागरूकता बढ़ाते हुए बुरी लत को रोकना।
यह सुनिश्चित करने के लिए वैध रूप से उत्पादित अफीम का कोई विचलन नहीं है । भारत सरकार ने निम्नलिखित उपाय किए हैं और ये उपाय जारी रहेंगे -
(क) नियमित रूप से समीक्षा करना और मिनिमम क्वालीफाइंग इल्ड (एमक्यूवाई) को बढ़ाना जो किसान के लिए अगले वर्ष अफीमपोस्त की खेती करने संबंधी लाइसेंस प्राप्त करने हेतु योग्य बनना पड़ता है तथा (एनसी) ।
(ख)अफीम उत्पादन क्षेत्र को क्रमिक रूप से समेकित करना और अधिक प्रभावी नियंत्रण हो सके ।
(ग) निराधी उपायों को मजबूत करना और उन किसानों पर कानूनी कार्रवाई करना जो अफीम का विचलन करते पाए जाते हैं ।
पुरोगामी वे रसायन है जो दवाओं के अवैध निर्माण के लिए आवश्यक हैं। लेकिन जिनके अन्यथा कई वैध उपयोग भी होते हैं। चूंकि पुरोगामियों का उत्पादन मुश्किल होता है, अवैध नशीली दवाओं के निर्माता आमतौर पर उन्हें वैध उत्पादन और पुरोगामियों के व्यापार को पथांतरित करके प्राप्त करते हैं। भारत सहित बड़ी रासायनिक और दवा उद्योगों वाले देश पुरोगामियों के तस्करों के प्राकृतिक लक्ष्य कर रहे हैं। भारत सरकार ने कतिपय पुरोगामी रसायनों को नियंत्रित पदार्थों के रूप में घोषित किया है। इन पदार्थों का विनिर्माण, व्यापार, परिवहन, उपभोग और उपयोग नियंत्रित पदार्थ (एनडीपीएस) विनियमन आदेश के निबंधनों के तहत विनियमित है। 1993. (एनसी) प्रायः पुरोगामियों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्रत्यावर्तित किया जाता है। पथांतरण या उसके प्रयास को रोकने के उद्देश्य से, इस संबंध में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे -
क) पथांतरण रोकने तथा पुरोगामियों के वैध विनिर्माण, व्यापार तथा उपयोग के साथ हस्तक्षेप नहीं करने के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने के द्वारा पुरोगामी रसायनों के वैध विनिर्माण और व्यापार को विनियमित करना।
ख) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से पथांतरण रोकने के लिए, जबकि वैध व्यापार को बढ़ावा देने के लिए, विशेष रूप से निर्यात के साथ आयात और निर्यात का विनियमन।
ग) पथांतरण, पथांतरण का प्रयास और लदान के संदिग्ध नौप्रेषण की जाँच।
घ) पुरोगामी नियंत्रण में अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करते हुए भारतीय व्यापार और उद्योग की रक्षा।
ङ) अन्य देशों के साथ पुरोगामी नियंत्रण में अपनी विशेषज्ञता और अनुभव साझा करना और अन्य देशों के लिए अपने कानूनों, मानक संचालन प्रक्रियाओं और कार्यप्रणाली को मजबूत बनाने हर संभव सहायता प्रदान करना।
च) इस संबंध में स्वापक औषधि और मन - प्रभावी पदार्थ के अवैध व्यापार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय 1988 के प्रावधानों को लागू करना और यथा आवश्यकता सभी संभव अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मांगना और देना।
स्रोत: राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकारअंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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