नागरिकपुर ग्राम पंचायत की कहानी
“स्वच्छता स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण है” – महात्मा गांधी
नागरिकपुर एक ग्राम पंचायत है, जहाँ हाल ही में पंचायत चुनाव हुए हैं । चुनाव के बाद नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को स्वास्थ्य से जुड़ी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा है, जैसे कि:
- दस्त के कारण बच्चों की मौत हो जाना ।
- महिलाओं में निर्जलीकरण के मामले ।
- स्कूली बच्चों में अनुपस्थिति की ऊँची दर ।
- कभी-कभी सर्पदंश के मामले ।
- बाहरी इलाकों (अक्सर शौच करने के क्षेत्र) में महिलाओं से छेड़छाड़ और
- संचारी रोगों के कारण कार्य दिवस का नुकसान ।
नागरिकपुर ग्राम पंचायत के नवनिर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों ने ग्राम पंचायत की स्वच्छता संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए अपनी पहली बैठक का आयोजन किया । इस बैठक में चुने हुए सभी प्रतिनिधियों ने भाग लिया । सरपंच ने स्वच्छता के मुद्दों के समाधान के लिए बाहरी सहायता या मदद पर निर्भर न होने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि चूँकि हम इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं और चूँकि भारत के संविधान ने 73वें संशोधन के माध्यम से ग्राम पंचायतों को 29 विषयों की जिम्मेदारी सौंपी है (जिसमें स्वच्छता के मुद्दे भी शामिल हैं), इसलिए इन समस्याओं से निजात पाना हमारा दायित्व है । ग्राम पंचायत के प्रतिनिधियों ने इससे सहमति व्यक्त की तथा 6 माह के अंदर स्वच्छता की स्थिति में सुधार लाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया ।
इसी बैठक में दिशानिर्देशों के अनुसार ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वी.डब्ल्यू.एस.सी) का गठन किया गया तथा यह निर्णय लिया गया कि ग्राम पंचायत के मार्गदर्शन में वी.डब्ल्यू.एस.सी स्वच्छता में सुधार के लिए कदम उठाएगी ।
मॉडल जी.पी.डब्ल्यू.एस.सी/वी.डब्ल्यू.एस.सी. में तकरीबन 6 से 12 सदस्य होंगे जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- ग्राम पंचायत के सदस्य
- 50 प्रतिशत महिलाएं (जिसमें आशा कार्यकर्त्ता/ए एन एम/आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं शिक्षक शामिल हैं)
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा समाज के कमजोर वर्गों के प्रतिनिधि
स्वच्छता के घटक के अंतर्गत निम्नलिखित शामिल हैं
- मानव/पशु के मल का सुरक्षित निस्तारण
- पेय जल का सुरक्षित भंडारण एवं रखरखाव
- निजी सफाई (जिसमें मासिक धर्म के दौरान सफाई शामिल है)
- मकान की सफाई
- भोजन में स्वच्छता
- अपशिष्ट जल का सुरक्षित निस्तारण
- ठोस अपशिष्ट का सुरक्षित निस्तारण
- सामुदायिक सफाई
बस्तियों का दौरा किया गया, जहाँ स्वच्छता की अनेक समस्याएं देखी गई :
- खुले में शौच करना
- जगह-जगह कचरा डालना
- बंद नालियां तथा सड़कों पर अपशिष्ट जल का फैलना
- हैंड पंप, बोर वेल एवं सार्वजनिक टोंटियों के चारों ओर गंदगी, कचरा एवं कीचड़ जमा होना
- स्कूलों एवं आंगनवाडियों में बेकार पड़े शौचालय और
- हाथ धोने तथा व्यक्तिगत सफाई के बारे में जागरूकता का अभाव ।
सरपंच ने अन्य चुने हुए प्रतिनिधियों तथा ग्राम स्तर के पदाधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया तथा शुरू में निम्नलिखित कार्य योजना का प्रस्ताव रखा|
समुचित स्वच्छता क्यों महत्वपूर्ण है?
अस्वच्छता की वजह से निम्नलिखित कुप्रभाव होते हैं:
- संचारी बीमारियाँ
- बच्चों का विकास अवरुद्ध होना
- शिशुओं की मृत्यु दर में वृद्धि
- यू.5.एम.आर (5 साल पूरा करने से पूर्व बच्चों की मृत्यु)
- बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता में कमी
इस प्रकार, चिकित्सा व्यय में वृद्धि, मजदूरी की क्षति, उत्पाद एवं उत्पादकता में कमी होती है जो परिवार के लिए आर्थिक नुकसान का मुख्य कारण है |
ग्राम पंचायत निम्नलिखित कार्य कर सकती है:
- दिशानिर्देशों के अनुसार जी.पी.डब्ल्यू.एस.सी/ वी.डब्ल्यू.एस.सी.का गठन
- डंपिंग यार्ड के लिए स्थान उपलब्ध कराना
- नियम बनाना तथा उनका पालन न करने के लिए दंडात्मक कार्रवाई का निर्णय लेना और
- स्वच्छता की गतिविधियों की योजना, कार्यान्वयन एवं मॉनिटरिंग में जी.पी. डब्ल्यू.एस.सी./वी.डब्ल्यू.एस.सी.एस सी की मदद लेना |
जी.पी. डब्ल्यू.एस.सी/वी.डब्ल्यू.एस.सी. के कार्य
ग्राम पंचायत निम्नलिखित कार्य करने के लिए जी.पी.डब्ल्यू.एस.सी/वी.डब्ल्यू.एस.सी. को निर्देश कर सकती है:
- समस्या की गंभीरता के लिए सर्वेक्षण
- स्वच्छता की कार्य योजना तैयार करना
- स्वच्छता कार्यक्रम का कार्यान्वयन
- डंपिंग यार्ड के लिए स्थान उपलब्ध कराना
- गलियों में झाड़ू लगाने, नालियों का निर्माण एवं सफाई करने, ठोस एवं अपशिष्ट जल के निस्तारण के लिए व्यवस्था करना
- पेय जल स्त्रोतों/आउटलेट पर प्लेटफार्म का अनुरक्षण और
- गाँव के लोगों में स्वच्छता एवं सफाई के बारे में जागरूकता पैदा करना |
प्रस्तावित उपाय
- मुद्दों की पहचान करने तथा स्वच्छता में सुधार की आवश्यकता पर गाँव के लोगों को शिक्षित करने के लिए गाँव का दौरा करना ।
- स्वच्छता एवं सफाई की प्रचलित प्रथाओं की जानकारी के लिए परिवार का सर्वेक्षण करना।
- अपेक्षित व्यक्तिगत परिवार शौचालय (आई.एच.एच.एल) एवं सामुदायिक शौचालयों (सी.टी.) की संख्या का निर्धारण करना ।
- ग्राम सभा की मंजूरी प्राप्त करने के बाद व्यक्तिगत परिवार शौचालय (आई.एच.एच.एल) एवं सामुदायिक शौचालय (सी.टी.) के निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार करना ।
- जैविक दृष्टि से क्षरणशील एवं जैविक दृष्टि से गैर क्षरणशील अपशिष्ट को डालने के लिए अलग पेटी/थैली रखने के लिए लोगों को प्रेरित करना ।
- अपशिष्ट के घर-घर संग्रहण के लिए तंत्र की व्यवस्था करना ।
- डंपिंग यार्ड की व्यवस्था करना ।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए प्रस्ताव तैयार करना जिसमें कंपोस्ट का निर्माण, ग्रे पानी (रसोई एवं स्नान ग्रह से उत्पन्न) का शोधन तथा बायो गैस प्लांट का निर्माण शामिल है ।
- बोर वेल, हैंड पंप एवं सार्वजनिक टोंटियों का आसपास के क्षेत्र की सफाई करना ।
- नालियों की नियमित रूप से सफाई ।
- निर्मल ग्राम पुरस्कार के लिए अपेक्षित क्षेत्रों में सुधार के लिए योजना तैयार करना ।
ग्राम पंचायत तथा वी डब्ल्यू एस सी ने प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा की:
- योजना के अनुसार आई एच एच एल का निर्माण ।
- जल के स्त्रोतों एवं आउटलेट के आसपास के क्षेत्र की सफाई ।
- नालियों की सफाई ।
- घरेलू अपशिष्ट का संग्रहण तथा उसे डंपिंग यार्ड में डालना ।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट का प्रबंधन ।
- पशु-खाद का प्रबंधन ।
- व्यक्तिगत सफाई ।
सरपंच एवं वार्ड के सदस्यों को इस कार्य में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा । परन्तु वे दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे और लोगों का स्वैच्छिक समर्थन एवं सहयोग प्राप्त किया । इसके लिए उनको परिवारों का दौरा करना पड़ा ताकि ग्रामीणों को व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप से उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया जा सके ।
ग्राम पंचायत द्वारा स्वच्छता योजना तैयार करने के चरण
चरण -1: सूचना का संग्रहण तथा समस्या की गंभीरता का आकलन
- ग्राम पंचायत की आबादी ।
- परिवारों (एच एच) की संख्या ।
- ऐसे परिवारों की संख्या जहाँ शौचालय नहीं हैं ।
- ऐसे आई एच एच एल की संख्या जिनको प्रयोग में लाने की जरूरत है ।
- ऐसे व्यक्तियों की संख्या जो खुले में शौच करते है ।
- ऐसे व्यक्तियों की संख्या जो परिवार में शौचालय होने के बावजूद खुले में शौच करते हैं।
- ठोस एवं तरल अपशिष्ट के निस्तारण की प्रथाओं पर सूचना ।
- स्कूलों एवं आंगनवाड़ियों में शौचालय की स्थिति में सूचना ।
चरण – 2: रणनीतियों की पहचान करना
- ऐसे परिवारों की संख्या जिनके लिए सामुदायिक शौचालयों की जरूरत है (अपरिहार्य कारणों से) ।
- गाँव में हर रोज उत्पन्न होने वाले ठोस अपशिष्ट की मात्रा का निर्धारण करना (जैविक एवं अजैविक)।
- क्षेत्रफल के साथ डंपिंग यार्ड बनाने के लिए अभिचिन्हित स्थान ।
- प्रस्तावित संग्रहण तंत्र – घर – घर/सार्वजनिक डिब्बा ।
- डंपिंग यार्ड तक अपशिष्ट को ले जाने के लिए प्रस्तावित तंत्र ।
- अपशिष्ट (जैविक/अजैविक) को अलग करने के लिए प्रस्तावित पद्धति ।
- ठोस अपशिष्ट के निस्तारण के लिए प्रस्तावित तकनीकी विकल्प (कंपोस्ट पिट, वर्मी कंपोस्ट, बायो गैस यूनिट, भट्टी, रिसाइक्लिंग यूनिट आदि) ।
- तरल अपशिष्ट के निस्तारण के लिए प्रस्तावित तकनीकी विकल्प ।
- नालियों, सोक पिट, लीच पिट आदि के निर्माण एवं सफाई का ब्यौरा ।
- बोर वेल एवं सार्वजनिक टोंटियों के आसपास के प्लेटफार्म में सुधार के लिए प्रावधान ।
- स्वच्छता एवं सफाई के बारे में समुदाय में जागरूकता को बढ़ावा देना ।
चरण – 3: लागत अनुमान तैयार करना
- मांग एवं प्रस्तावों को अंतिम रूप देना तथा उनकी प्राथमिकता निर्धारित करना ।
- संबंधित सरकारी पदाधिकारियों की सहायता लेकर तकनीकी प्रस्ताव एवं लागत अनुमान तैयार करना ।
चरण – 4: संसाधन जुटाना
- निर्मल भारत अभियान/मिशन स्वच्छ भारत (एन बी ए/एम एस बी) तथा अन्य योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध निधियों के उपयोग की संभावना का आंकलन करना ।
- लागत अनुमान तथा उपलब्ध निधियों के बीच अंतर होने की स्थिति में किसी उपयुक्त विकल्प पर निर्णय लेना, जैसे कि प्राथमिकताओं को चरणवार कार्यान्वित करना या समुदाय एवं आम जनता के योगदान से लागत एवं उपलब्ध निधि के अंतर की भरपाई करना ।
स्वच्छता योजना के लिए क्या है प्रावधान?
स्वच्छता के विषय में जागरूकता के लिए ग्राम पंचायत में सूचना, शिक्षा व संचार (आई.ई.सी.) गतिविधियों के लिए क्या प्रावधान है?
जिला स्तर पर जिला जल एवं स्वच्छता मिशन के माध्यम से, ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक संसाधन केन्द्रों के माध्यम से तथा पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायतों के माध्यम से सूचना, शिक्षा एवं संचार (आई.ई.सी.) की गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए निर्मल भारत अभियान/मिशन स्वच्छ भारत (एन.बी.ए/एम.एस.बी.) के तहत आई.ई.सी. के लिए प्रावधान है । उपलब्ध निधियों का ब्यौरा अध्याय-7 में दिया गया है ।
- स्वच्छता दूत: ग्राम पंचायत प्रशिक्षित ग्रामीण उत्प्रेरक (उत्प्रेरकों) की पहचान कर उन्हें ‘स्वच्छता दूत’ नामित कर सकती है । वे स्वच्छता की गतिविधियों का समन्वय, परिवारों का मार्गदर्शन और ग्राम पंचायत और परिवारों के बीच सेतु के रूप में काम करेंगे ।
- स्वच्छता दिवस: ग्राम पंचायत माह के किसी विशेष दिन को स्वच्छता दिवस के रूप में निर्धारित कर सकती है । किसी खुले सार्वजनिक स्थान पर इस दिन बैठक का आयोजन किया जाता है । समुदाय के सदस्यों तथा अन्य हितधारकों के साथ ग्राम पंचायत के सदस्य स्वच्छता के क्षेत्र में हुई प्रगति की समीक्षा, कमियों की पहचान, व्यय की समीक्षा और रुझानों एवं अनुभवों के आधार पर भावी कार्य योजना बना सकतें हैं ।
- ग्राम स्वच्छता सभा: स्वच्छता के लिए ग्राम सभा की बैठक विशेष रुप से 6 माह में एक बार बुलाई जाती है । ग्राम स्वच्छता सभा के रूप में यह बैठक विभिन्न स्वच्छता दिवसों पर लिए गए निर्णयों पर प्रगति की समीक्षा करने, लाभार्थियों की सूची पढ़कर सुनाने, स्वच्छता के कार्य की गुणवत्ता का मूल्यांकन करने, वित्त की समीक्षा करने तथा गाँव के लोगों के प्रश्नों का उत्तर देने आदि के लिए होती है । ये बैठकें ठीक उसी तरह पूरी गंभीरता के साथ आयोजित की जानी चाहिए जिस तरह से ग्राम सभा की नियमित बैठकें आयोजित की जाती हैं तथा निर्णयों के पालन को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।
इस संबंध में ग्राम पंचायत बी.आर.सी. तथा जिला स्तरीय एन.बी.ए/एम.एस.बी. समन्वयकों से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकती है तथा आई.ई.सी. की गतिविधियाँ शुरू कर सकती है ।
बाद के अध्यायों में हम ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता से जुड़ी चुनौतियों, समस्याओं एवं समाधानों के बारे में अधिक विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे ।
ग्राम पंचायतों के लिए सुगम सहायता एजेंसियां
ग्राम पंचायतों के पास अक्सर सभी कार्यो को संपन्न करने के लिए विशेषता एवं आवश्यक सूचनाएँ नहीं होती हैं | इसलिए तकनीकी एवं अन्य सहायता प्रदान करने के लिए निम्नलिखित संस्थाएँ/एजेंसियां उपलब्ध हैं:
- जल एवं स्वच्छता विभाग के प्रभारी कनिष्ठ अभियंता/सहायक अभियंता (सभी तकनीकी मामलों, आयोजन तथा रिपोर्टे तैयार करने के लिए) |
- ब्लॉक संसाधन केंद्र (बी.आर.सी) (आई.ई.सी. एवं प्रशिक्षण की गतिविधियों के लिए)|
- पेय जल एवं स्वच्छता मिशन (डी.डब्ल्यू.एस.एम) (आई.ई.सी, प्रशिक्षण के लिए तथा आर.एस.एम की स्थापना आदि के लिए) |
स्त्रोत: पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार