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गर्भाधान से जन्म तक

गर्भाधान से जन्म तक

  • अन्य परिवेशीय कारक
  • इस भाग में कुछ परिवेशीय कारक के बारे में जानकारी दी गयी है जिनका गर्भकालीन विकास में नकारात्मक प्रभाव होता है।

  • उद्दीपन
  • इस भाग में गर्भ काल के समय बाह्य उद्दीपनों (मधुर - संगीत, कहानियां) की सहयता से शिशुओं के बेहतर विकास का उल्लेख किया गया है।

  • गर्भ संस्कार
  • प्रेगनेंसी के 9 महीने से लेकर शिशु के 2 वर्ष तक होने तक किए जाने वाले कार्य जिससे कि शिशु के मन, मस्तिष्क और शरीर का संपूर्ण विकास हो. सकारात्मक विकास हो. इस कार्य हेतु के जाने वाले संस्कार गर्भ संस्कार कहलाते हैं.

  • गर्भकालीन विकास की प्रवृत्ति
  • इस भाग में गर्भकालीन विकास के विभिन्न प्रवृत्तियों ( शिशु के आकार, त्वचा के रंग, अनुपात, क्षमता एवं विकास की गति ) की जानकारी दी गयी है|

  • गर्भाधान
  • इस लेख में गर्भाधान की पूरी अवधि और उससे जुड़े तथ्यों का उल्लेख किया गया है।

  • गर्भाधान से बच्चे के जन्म तक की विकास यात्रा
  • इस लेख में गर्भाधान से बच्चे के जन्म के बीच महिलाओं एवं बच्चों में होने वाले मानसिक एवं शारीरिक परिवर्तनों का जिक्र किया गया है।

  • जन्म पश्चात् विकास को प्रभावित करने वाले कारक
  • इस भाग में शिशु जन्म के समय अत्यंत नाजुक स्थिति क्या - क्या हो सकती है उसका उल्लेख किया गया है।

  • जैविकीय एवं परिवेशीय कारकों के प्रभाव
  • इस भाग में गर्भ काल के दौरान जैविकीय एवं परिवेशीय कारकों के प्रभाव का संक्षिप्त विवरण दिया गया है|

  • प्रजनन स्वास्थ्य : एक समझ
  • प्रजनन स्वास्थ्य के विषय में बताया गया है|

  • प्रेगनेंसी के दौरान कपड़े चुनते समय यह सावधानियां जरूर रखें
  • प्रेगनेंसी के दौरान हर प्रकार के कपड़े कोई महिला नहीं पहन सकती है प्रेगनेंसी में कपड़े चुनने के दौरान काफी सावधानी रखने की आवश्यकता होती है. प्रेगनेंसी के दौरान कपड़े पहनने में क्या क्या सावधानी रखनी चाहिए, यह हर एक महिला को पता होना आवश्यक है.

  • प्रेगनेंसी ड्रेसेस कब से पहनना शुरू करें
  • प्रेगनेंसी ड्रेसेस कब पहनना शुरू करें यह एक बहुत अच्छा सवाल है। गर्भावस्था के कपड़े पहनने का सही समय हर महिला के लिए अलग हो सकता है। यह काफी हद तक महिला और उसके शरीर की गर्भावस्था के विकास पर निर्भर करता है।

  • शिशु के जन्म के उपागम
  • इस भाग में शिशु के जन्म के प्रक्रिया भिन्न- भिन्न समाज समुदाय एवं संस्कृतियों में भिन्न – भिन्न रूपों में अपनायी जाती है|

  • शिशु जन्म
  • इस भाग में बच्चे के जन्म के समय माँ के शरीर में क्या–क्या परिवर्तन होते हैं उसके बारे में बताया गया है।

  • सुरक्षित मातृत्व : मुख्य बिन्दुएँ
  • सुरक्षित मातृत्व की प्रमुख पहुओं पर प्रकाश डाला गया है|

  • स्तनपान कराती है तो भोजन में इन बातों का जरूर ध्यान रखें
  • शुरुआती छह माह तक माता का दूध ही बच्चे का भोजन होता है. माता जी सभी प्रकार का भोजन लेती है, उसका असर नवजात शिशु पर पड़ता है. इसलिए माता को बच्चे के स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अपने भोजन में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए.

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