यह शंका होने पर कि उषा गर्भवती हो सकती है, मोहन उसे पास के एक दवा की दुकान पर गया| उसे अपनी परेशानी बताई| दुकानदार ने उषा के पेशाब की जाँच के बाद उसने बताया कि उषा गर्भवती है| उसने उषा को खाने की कुछ गोलियां दी| उसने कहा कि गोलियों लेने से गर्भ निकल जायेगा और माहवारी नियमित हो जाएगी| परन्तु उषा की माहवारी नहीं आई|
प्रीति एक अविवाहित लड़की है| वह अपनी परेशानी को लेकर लगातार स्थानीय हकीम के पास जाती रही| परन्तु उसने हकीम को यह नहीं बताया कि उसकी माहवारी अनियमित हो गई है|
सीता के साथ दूसरी घटना है| माहवारी न आने पर उसकी माँ उसे जड़ी-बूटियों का रस पीने को देती रही| सीता तीन दिनों तक रोज सुबह रस सेवन करती है|
करुणा को तीन माह का गर्भ है| वह और उसका पति अभी बच्चा नहीं चाहते है| दोनों ने यह तय किया कि स्थानीय नर्स पुष्पा से मिलकर गर्भ की सफाई करवा लेंगे|
अनचाहे गर्भ की स्थिति में अधिकांश दम्पति गर्भ को हटाना ही चाहते है| गाँव के स्तर पर जिनसे वे सामान्य तौर पर सलाह लेते हैं, वे हैः
गाँव या उसके नजदीक इन लोगों के उपलब्ध होने के कारण सलाह के लिए लोग इनके पास जाते है|
स्रोत:- जननी/ जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पृष्ठ पर दिव्यांगजन से सम्बंधित आलेख अधिकार आधा...
इस भाग में अनचाहे गर्भ के स्थानीय ईलाज के बारे में...
इस भाग में नोबेल शांति पुरस्कार(2014) प्राप्त शख्...
इस पृष्ठ में बिहार राज्य में अदरक की वैज्ञानिक खेत...