लोहरदगा
झारखण्ड राज्य के दक्षिण पश्चिम भग में अवस्थित एवं १९८३ में जिले के रुप में अस्तित्व में लाेहरदगा में जैन पुराणों के अनुसार भगवान महावीर ने यात्रा की थी। उनके रुकने के स्थान को “लोर-ए-यादगा” के नाम से जाना जाता है। मुंडारी में इसका अर्थ आंसुवों की नदी (River of Tears) है | सम्राट अकबर पर लिखी पुस्तक “आयने अकबरी” में भी “किस्मत-ए-लोहरदगा का उल्लेख है। लोहरदगा हिंदी के दो शब्दों ‘लोहार’ जिसका शाब्दिक अर्थ लोहे का व्यापारी और ‘दगा’ जिसका अर्थ केंद्र अर्थात लोह खनिज का केंद्र होता है।