देश में एव अध्ययन के अनुसार यह पाया गया है कि जब नए भवनों का डिजाइन होता है, तो व ऊर्जा उपयोगिता पर पूर्ण ध्यान नहीं दिया जाता। ऊर्जा उपयोगिता की धाराओं को डिजाइन की स्टेज नए भवनों के निर्माण के समय–डिजाइन में शामिल करना अति आवश्यक है। व्यापारिक संस्थानों में कुल बिजली की खपत का 8% ही है। और यह प्रतिवर्ष 11-12% आगे बढ़ रहा है। इस का कारण है नए व्यापारिक भवनों में बढ़ती ऊर्जा की आवश्यकता /व्यापारिक संस्थान 9% प्रतिवर्ष की तीव्र गति से बढ़ रहे है। जिन्हें निस्तर बढ़ रहे सर्विस सैक्टर सक शक्ति मिलती है। देश में व्यापारिक भवनों में वार्षिक ऊर्जा की खपत अनुमानित 200 kw या अधिक प्रति वर्ग मीटर प्लोर एरिया के अनुसार है।
ऊर्जा संरक्षण एक्ट 2001 के अनुसार ऊर्जा क्षमता केन्द्र अपनी ऊर्जा संरक्षण एवं व्यापारिक परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए। ऊर्जा संरक्षण भवन मानक को सीपित किया है। जिन के अनुसार भारत को पांच जलवायु जोन में बांटा गया है। इस में बड़े-2 भवनों के लिए न्यूनतम ऊर्जा खपत स्तर को सुनिश्चित किया गया है। जिन में 500 (की.वा) या कांट्रैक्ट अधिक या डिमांड 600 (केवीए) या कंडिशन अधिक होता है। तथा जिन का एरिया 1000 वर्ग मीटर या अधिक है।
ऊर्जा क्षमता या सद्उपयोगिता ब्यूरो, विधुत मंत्रालय भारत सरकार ने मई 2007 में ऊर्जा संरक्षण भवन मानकों को प्रारम्भ किया है। प्रारम्भ में इस मानकों को क्रियान्वित करना ऐच्छिक है पर यह ऊर्जा संरक्षण एक्ट 2001 के अधीन आवश्यक कर दिया जाएगा। यह मानव पम बाहरी दीवार, छत, शीशों के सीन, बिजली, हीटिंग, एअर कंडिशन आदि के लिए देश को जलवायु अनुसार पांच मण्डलों में बांटता है। प्रादेशिक सरकारों को अधिकार है। कि वो इन मानकों को अपने सीनीय/प्रान्तीय आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर उचित आवश्यक संशोधन कर लें | इन ऊर्जा संरक्षण भवन मानक (E.C.B.C) में बिजली की खपत को 120-160 kwh प्रति वर्ग मीटर कम किया जा सकता है तथा ऊर्जा बचत 20-40 % तक दिखाई जा सकती है जो भवनों के दिन में उपयोग तथा जलवायु के स्वरूप आदि पर भी आधारित होगी।
ऊर्जा संरक्षण एक्ट 2001 की धारा 15 के अनुसार प्रादेशिक सरकार अपनी उद्घोषणा तथा ब्यूरो की सलाह पर:
i. ऊर्जा संरक्षण भवन मानकों में प्रादेशिक/स्थानीय जलवायु के दृष्टिगत संशोधन कर सकेगी और भवनों में ऊर्जा के प्रयोग बारे नियम बना सकेगी तथा उन्हें सुनिश्चित कर सकेगी।
ii. भवन के कक्षों के प्रत्येक मालिक को या अधिवृत व्याक्ति को जो नामांकित उपभोक्ता है। वे भवन ऊर्जा मानकों को मानने के लिए निर्देश देगी।
भारत सरकार ने ऊर्जा संरक्षण विधेयक 2001 इस उदेश्य से लागू किया है। ताकि ऊर्जा संरक्षण की सभी विधाओं को परिभाषित करने तथा प्रिभान्वित करने के लिए उस एव व्यवास्थित करने तथा विकिवत् ढांचे में लाया जा सके और ऊर्जा की खपत में उपादेयता लाई जा सके। इस एक्ट की धाराएं मुख्य तथा ऊर्जा के संरक्षण और उपयोग में तथा इस से सम्बान्धित तथा अन्य चीजों में गुणात्मकता लाने से सम्बन्ध रखती है। इस एक्ट के अन्तगर्त सभी शक्तियां केन्द्र तथा प्रादेशिक सरकारों को दी गई है। जो अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में इस की धाराओं को प्रभावी ढंग से लागू कर सकें । उपयुक्त एक्ट 1 मार्च 2002 से प्रारम्भ हो गया है।
ऊर्जा उपयोगिता विभाग -विधुत मन्यायन भारत सरकार एव केन्द्रीय एजेन्सी है। जो ऊर्जा संरक्षण एक्ट को क्रियान्वित मुव्यवान्यित तथा निरीक्षण का कार्य अपनी विभिन्न सहायक एजेन्सीयों के माध्यम से अधिनियमित करेगी।
विधेयक की धारा 15 के अन्तर्गत प्रादेशिक सरकार को अधिवृत किया गया है। कि वह किसी भी एजेन्सी को अधियुकित एजेन्सी घोषित करे जो इस एक्ट की धाराओं को अनियमित व्यवस्थित ढंग से लागू करे तथा ऊर्जा नवीनीकरण विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामांकित किया गया है। जो हरियाणा में इस एक्ट की सभी धाराओं को सरकार के घोषण-पत्र दिनांक 2-7-2003 के अनुसार लागू करे।
1. ऊर्जा संरक्षण भवनों के मानको को प्रादेशिक / सीनीय वातावरणीय परिवर्तनों के अनुसार संशोधित करना
2. नामांकित उपभोक्ता को उदा ऊर्जा संरक्षण भवन मानकों धाराओं को प्रेषित करना
3. स्वीकृत ऊर्जा अभिलोवाका से ऊर्जा आय–व्यय को नामांकित उपभोक्ता द्वारा आर्डर करवाना
4. इस सम्बन्ध में लोगों में जागृति लाने, सूचनाओं का प्रसार करने तथा प्रशिक्षय आयोजन करने के लिए कदम उठाना।
5. इस ऊर्जा के उपयोग तथा सम्बन्धित उपकरणों के उपयोग को उपेक्षावृत अधिक महत्व देने के लिए कदम उठाना।
6. किसी भी नामांकित उपभोक्ता को ऊर्जा उपभोग बारे वांछित सूचना प्रदान करने के लिए निर्देशित करना।
7. निरीक्षण के उद्देश्य से सभाओं को शामिल करने के लिए निर्देशित करना।
8. ऊर्जा उपयोग के लिए निर्देशित मानकों को लागू किए जाने को सुनिसचित करने के लिए निरीक्षक नियुक्त करना।
9. ऊर्जा संरक्षण एक्ट के क्रियान्वयन के लिए प्रादेशिक सरकार प्रादेशिक ऊर्जा संरक्षण फंड संचलित करेगी ताकि प्रदेश में ऊर्जा के उचित उपयोग और संरक्षण को बढ़ावा मिले।
वो व्यापारिक भवन जिन के पास 500 k.w है अथवा 600 k.v.a का है, वो ही या अधिक इस ऊर्जा संरक्षण भवन मानकों के अन्तर्गत आएंगी।
b) ऊर्जा की गहन खपत वाले उद्योग
i. थर्मल पावर स्टेशन- 30,000 मैट्रिक टन वार्षिक तेल खपत या अधिक वाले
ii. फर्टीलाइजर -30,000 मैट्रिक टन वार्षिक तेल खपत या अधिक वाले
iii. सीमेंट- 30,000 मैट्रिक टन वार्षिक तेल या अधिक वाले
iv. लोहा या स्टील- 30,000 मैट्रिक टन वार्षिक तेल खपत या अधिक वाले
v. क्लोर अलकली-12,000 MTOE या अधिक
vi. एल्यूमिनियम- 7500 MTOE या अधिक
vii. रेलवे वर्कशाप 30,000 MTOE या अधिक
टैक्स टाइल- 3000 MTOE या अधिक
ix. पल्प और पेपर- 3000 MTOE या अधिक
x. ट्रांस्पोर्ट
xi. कैमिकल्ज
xii. चीनी उद्योग
क्रम. |
उद्योग का नाम |
मैट्रिक टन तेल या अधिक |
अउपातित ऊर्जा खपत
|
संभावित नामांकित उपभोक्ता |
1 |
थर्मल पावर स्टेशन |
|
|
|
1A |
कोयला, गैस, टरवाईन, तरल, ठोस इर्धन |
30000
|
2600-3800 K-Cal/Kwh
|
12.5 MW या अधिक (PLF = 72%) |
2 |
सीमेंट प्लांट |
|
|
|
2A |
सीमेंट प्लांट |
30000
|
63 से 110 Kwh/T सीमेंट 660 to 822K-Cal/Kg of कलिंकर |
1000 TPD या अधिक |
2B |
ग्रांइडिग युनिट सीमेंट |
|
25 Kwh/T से 48 Kwh/T |
7.2 मिलियन टन प्रतिवर्श या अधिक |
3 |
पल्प और पेपर
|
|
|
|
3A |
लिखना, छपना पेपर की विशिष्टता |
30000
|
1100-1500 Kwh/ T3.5 - 6.0 मिलियन या अधिक K-Cal/T |
41,000 T प्रतिवर्ष या अधिक
|
3B |
अखबारी कागज
|
30000
|
1000-1800 Kwh/ T2.25 - 4.5 मिलियन K-Cal/T |
50,000 T प्रतिवर्ष |
3C |
कृषि आधारित क्राफ्ट
|
30000
|
800 - 1200 Kwh/ T2.5 - 3.5 मिलियन K-Cal/T |
65,000 टन प्रतिवर्ष या अधिक |
4 |
फर्टीलाइजर |
30000 |
|
|
4A |
अमोनिया यूटिया |
30000 |
5.2 to 7.7 मिलियन K-Cal/T |
कृषि आधारित सभी प्लांट (अमोनिया यूटिया पैदा करने वाले) वो नामांकित गिना जाएगा जिनकी निर्माण क्षमता एक मिलियन या अधिक है।
|
4B |
फास्फेट |
30000 |
33 से 98 Kwh/T |
1.3 मि. टन प्रतिवर्ष या अधिक |
5 |
क्लोर-अलकली |
|
|
|
5A B |
मेम्बरेन प्लांट
|
12000
|
2390-2700 Kwh/T0.5 - 0.7 मिलियन K-Cal/T |
पारा अथवा मैम्बरेन टैक्नोलोजी के लिए 40,000 टन प्रतिवर्ष क्षमता |
6 |
लोहा-स्टील इटैग्रेटिड स्टील प्लांट |
30000
|
(Energy index) 6.5 to 7.5 मिलियन K-Cal टन स्टील कास्ट |
सभी इटैग्रेटिड स्टील प्लांट |
6A |
स्टील पिघलाने वाली अथवा भट्टियां |
30000
|
600 - 800 Kwh/T तरल मैटल 20,000 - 60,000 |
400,000 तरल मैटल लैवल |
6B |
|
|
K-Cal/T तरल मैटल |
|
6C |
री-रोलिंग मिल्लिंग फ़ार्नस |
30000
|
60 - 90 Kwh/ T 2.2 मिलियन टन 45,000- 55,000 K-Cal/T |
2.2 मिलियन टन या अधिक |
7 |
टैक्सटाइल |
|
|
|
7A |
कोटन सिंयौटिक यार्न (स्पिानिंग) |
3000 |
3150 - 4700 Kwh/T
|
2500 टन प्रतिवर्ष या अधिक की संख्या पर |
7B |
विसकोज फिलासैंट रेयोन यार्न
|
3000
|
4050 - 4900 Kwh/T7.7 to 9.7 मिलियन K-cal/T
|
पल्प की क्वालिटी पर अधारित 2200 टन |
7C |
टायर कॉर्ड
|
3000 |
3150 to 3700 Kwh/T10 to11.8 मिलियन K-cal/T
|
प्रतिवर्ष या अधिक 2000 टन प्रतिवर्ष |
8 |
एल्यूमिनियम |
|
|
|
8A |
प्राइमरी स्क्रैप |
7500 |
14700 to 15300 Kwh/T |
सारे एल्युमिनियम प्लांट |
8B |
मैल्टिंग, कास्टींग रोलिंग |
7500 |
700 to 850 Kwh/T 0.9 to .2 मिलियन K-Cal/T
|
40,000 टन प्रतिवर्ष रोलिंग गेडा |
9 |
रेल्वे |
गज़ट नोटिफ़िकेशन के अनुसार |
|
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स्त्रोत: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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