भारत एक उष्णकटिबंधीय (ट्रापिकल) देश है, जिसमें लगभग 300 दिन सौर विकिरण प्राप्त होता है तथापि देश के ऊर्जा मिश्रण में सौर ऊर्जा का योगदान अत्यन्त न्यून है। देश में कुल स्थापित 329000 मेगावाट क्षमता में से सोलर फोटोवोल्टाईक संयंत्रो से विद्युत उत्पादन की क्षमता मात्र 12500 मेगावाट अप्रैल, 2017 तक है। सौर पॉवर परियोजनाओं की आर्थिक व्यवहारिता एवं जीवाष्म ईंधन के मूल्यो में वृद्धि के कारण भविष्य में सौर पॉवर की मार्केट में प्रभावी बढ़ोत्तरी अपेक्षित है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 40 प्रतिशत विद्युत उत्पादन की बचनबद्वता और उक्त के अंतर्गत वर्ष 2022 तक 100000 मेगावाट सोलर पॉवर से लक्षित उत्पादन, जिसमें से 40000 मेगावाट सोलर रूफटॉप परियोजना की स्थापना से प्राप्त किया जाना निश्चित है, के आलोक में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अतिरिक्त संशोधित राष्ट्रीय टैरिफ नीति-2016 के अनुसार वर्ष 2021 तक सौर ऊर्जा की 08 प्रतिशत भागीदारी (जल विद्युत उत्पादन को छोड़कर) राज्य के ऊर्जा मिश्रण में लक्षित है।
उत्तर प्रदेश सरकार नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन हेतु कृत संकल्पित है एवं उसके द्वारा आर्थिक एवं पर्यावरणीय उद्देश्यों को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास गति प्राप्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाये जा रहे है। राज्य में सौर ऊर्जा की संभावित क्षमता 22300 मेगावाट है, जिसके दोहन से राज्य सरकार राज्य की ऊर्जा आवश्यकता की पूर्ति एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर.ई.) भारत सरकार द्वारा राज्य के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन हेतु निर्धारित 10700 मेगावाट लक्ष्य (जिसके अंतर्गत 4300 मेगावाट लक्ष्य रूफटॉप परियोजनाओं के लिए निर्धारित है) की प्राप्ति हेतु करना चाहती है। राज्य सरकार सौर ऊर्जा के दोहन करने में इच्छुक है।
राज्य में ऊर्जा की मांग की पूर्ति एवं उपलब्धता समस्त ग्रामीण एवं शहरी परिवारो को वर्ष 2018-19 तक 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति उपलब्ध कराने का राज्य सरकार का लक्ष्य है। इस महत्वकांक्षी लक्ष्य की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश में पॉवर सेक्टर परिदृश्य को पूर्णतया रूपांतरित करने एवं सौर ऊर्जा की वृहद सम्भावनाओ के दोहन की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त राज्य में सौर ऊर्जा परिनियोजन से निवेश आकर्षित होगा, जिससे राज्य में रोजगार के अवसरों में बढ़ोत्तरी होगी। सोलर उद्योगो द्वारा परियोजनाओं की कमिशनिंग के पूर्व एवं निर्माण अवधि में तथा सौर परियोजनाओं के पूर्ण उपयोगी जीवनकाल में परियोजनाओं के संचालन एवं रखरखाव हेतु नियमित रोजगार उपलब्ध होता है। सोलर उद्योगों में निवेश एवं घरेलू / स्थानीय सोलर पैनल विनिर्माण से कुशल एवं अकुशल क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित हो सकेगें।
इस परिदृश्य में राज्य सरकार सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की वृहद्व संभावनाओ एवं ऊर्जा उपलब्धता में सुधार के दृष्टिगत राज्य सरकार में सौर ऊर्जा आधारित सोलर पॉवर प्लाण्ट की स्थापना हेतु इच्छुक है। उक्त लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा सौर ऊर्जा नीति-2017 घोषित एवं अंगीकृत की जाती है।
इस नीति का शीर्षक उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति 2017 होगा।
i. राज्य में सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की परियोजनाओं की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना और निवेश के अवसर प्रदान करना।
ii. सभी को पर्यावरण के अनुकूल एवं सस्ती बिजली उपलब्ध कराने हेतु सहायता प्रदान करना।
iii. राज्य में शोध एवं विकास, नवोन्मेष एवं कौशल विकास को बढ़ावा देना।
iv. 8 प्रतिशत के सोलर रिन्यूएबल परचेज आबलिगेशन के लक्ष्यों को वर्ष 2022 तक प्राप्त करना।
उत्तर प्रदेश सौर ऊर्जा नीति-2017 जारी होने की तिथि से प्रभावी होगी एवं 05 वर्ष की अवधि अथवा राज्य सरकार द्वारा नई नीति अधिसूचित करने की अवधि जो भी पूर्व हो तक लागू रहेगी। नीति के संचालन अवधि में आवंटित की गयी सोलर पॉवर परियोजनाएं इस नीति में प्राविधानित प्रोत्साहन हेतु नीति में वर्णित समय सीमा अथवा जहां समय सीमा स्पष्ट नहीं है, परियोजना के उपयोगी जीवनकाल हेतु अर्ह होगी।
सौर ऊर्जा नीति राज्य में स्थापित निम्नलिखित सौर परियोजनाओं के लिए लागू होगी।
5.1 यूटीलिटी स्केल सौर ऊर्जा परियोजनायें :
सोलर फोटोवोल्टाईक एवं सोलर थर्मल प्रोद्योगिकी पर आधारित यूटीलिटी स्केल की ग्रिड संयोजित सोलर पॉवर परियोजनायें जिसमें निम्न प्रकार की परियोजनाएं सम्मिलित होगीं:
5.2 सोलर रूफटॉप परियोजना :
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक राज्य के लिए रूफटॉप सोलर पॉवर प्लाण्टो की स्थापना हेतु निर्धारित 4300 मेगावाट क्षमता के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राज्य में सोलर रूफटॉप पॉवर प्लाण्ट की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा।
5.3 ऑफ़ ग्रिड संयंत्र :
इलेक्ट्रिकसिटी एक्ट-2003 (यथा संशोधित) के अंतर्गत राज्य विद्युत नियामक आयोग को नवीकरणीय ऊर्जा के प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग रीति से टैरिफ अंगीकृत करने हेतु रिन्यूएबल परचेज आबलिगेशन से सम्बन्धित नियमों को जारी करने एवं व्हीलिंग, पारेषण और विद्युत वितरण के शुल्क को निर्धारित करने हेतु अधिकृत किया गया है।
राज्य सरकार द्वारा कुल विद्युत खपत का 08 प्रतिशत (जैसा कि टैरिफ नीति में परिभाषित है) सौर ऊर्जा से प्राप्त करने का प्रयास किया जायेगा। उक्त की प्राप्ति हेतु वर्ष 2022 तक सोलर पॉवर की 10700 मेगावाट क्षमता की स्थापना लक्षित है, जिसमें से 4300 मेगावाट क्षमता रूफटॉप सोलर पॉवर प्लाण्ट की स्थापना से प्राप्त की जायेगी।
राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में निम्नलिखित श्रेणी से सम्बन्धित सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा।
8.1 यूटीलिटी स्केल ग्रिड संयोजित सौर परियोजनाएं:
नीति की संचालन अवधि में लक्षित क्षमता यूटिलीटी स्केल ग्रिड संयोजित सौर परियोजनाओं का 6400 मेगावाट होगी। रिन्यूएबल परचेज आबिलीगेशन की पूर्ति के दृष्टव्य यूपीपीसीएल द्वारा डिस्कॉम के माध्यम से अधिक से अधिक सौर ऊर्जा कय किये जाने का प्रयास किया जायेगा। वर्तमान रिन्यूएबल परचेज आबिलीगेशन आंकलन के अनुसार प्रथम 2000 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं से उत्पादित 100 प्रतिशत ऊर्जा यूपीपीसीएल द्वारा डिस्काम के माध्यम से कय की जायेगी तथा इन परियोजनाओं को “मस्ट रन स्टेट्स” प्रदान किया जायेगा। तत्पश्चात सौर पॉवर परियोजनाओं की शेडयूलिंग यूपीपीसीएल/एसएलडीसी के अनुसार मेरिट आर्डर पर की जायेगी। यह व्यवस्था ग्रिड सुरक्षा एवं ग्रिड स्थिरता के अधीन होगी। रिन्यूएबल परेचेज आबिलीगेशन बढ़ोत्तरी होने की दशा में ग्रिड क्षमता के आधार पर अधिक क्षमता की परियोजनाओं से उत्पादित 100 प्रतिशत सौर पॉवर क्रय की जा सकती है। इन परियोजनाओं को "मस्ट रन स्टेट्स” प्रदान किया जायेगा।
8.1.1 श्रेणी-1 सोलर पार्क:
राज्य सरकार द्वारा राज्य में बंजर भूमि का उपयोग विद्युत उत्पादन हेतु करने के उददेश्य से एकीकृत सोलर पार्क की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा। सोलर पार्क के विकास में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु स्थापित किये जा रहे सोलर पार्को में परियोजना विकासकर्ताओं को सोलर परियोजना में प्लग एवं प्ले विकल्प उपलब्ध कराया जायेगा। सोलर पार्क न्यूनतम 100 मेगावाट क्षमता के सन्निहित भूमि पर स्थापित किये जायेगे। सोलर पार्क की निर्धारित न्यूनतम क्षमता नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर.ई.)
भारत सरकार द्वारा सोलर पार्क की स्थापना पर केन्द्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सोलर पार्क की निर्धारित न्यूनतम क्षमता अनुमोदन के अधीन होगें।
सौर पार्क में स्थापित सौर परियोजनाओं से सुगमतापूर्वक विद्युत निकासी हेतु भारत सरकार की वित्तीय सहायता से ग्रीन कोरीडोर का निर्माण कराया जायेगा। ग्रीन कोरीडोर की स्थापना के लिए भारत सरकार से वित्तीय सहायता प्राप्त की जायेगी एवं भारत सरकार से जिस सीमा तक वित्तीय सहायता प्राप्त होगी अवशेष धनराशि सौर पार्क विकासकर्ता द्वारा कनेक्टीवीटी चार्जेज के रूप में सोलर प्लाण्ट की उपयोगी जीवनकाल हेतु प्रतिवर्ष प्रति मेगावाट की दर से प्राप्त की जायेगी।
सोलर पार्क की स्थापना निम्नवत होगी :
अ. सार्वजनिक क्षेत्र के सोलर पार्क
राज्य सरकार द्वारा सालर पार्क की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा और भूमि उपलब्धता की सम्भावना के दृष्टिव्य बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मेगा सालर पार्क की स्थापना की जायेगी।
राज्य सरकार द्वारा निम्न प्रणालियो द्वारा विकसित सोलर पार्को की स्थापना को समर्थन प्रदान किया जायेगा।
अ.1 केन्द्र/राज्य सरकार के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम अथवा स्पेशल परपज व्हीकल द्वारा स्थापित एवं प्रबन्धित सोलर पार्क।
अ.2 सोलर इनर्जी कारपोरेशन ऑफ़ इण्डिया (सेकी) एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के द्वारा गठित संयुक्त उपक्रम लखनऊ सोलर पॉवर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा स्थापित एवं प्रबन्धित सोलर पार्क।
अ.3 राज्य सरकार की ओर से सोलर इनर्जी कारपोरेशन ऑफ़ इण्डिया (सेकी) द्वारा पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों पर स्थापित एवं प्रबन्धित सोलर पार्क।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निम्नवत प्रोत्साहन सोलर पार्क की स्थापना हेतु उपलब्ध कराये जायेगें:
i. सोलर पार्क की स्थापना के लिए पटटा अथवा उपयोग करने का अधिकार पर भूमि की उपलब्धता।
ii. निकटतम पारेषण सबस्टेशन से सोलर पार्क की कनेक्टीवीटी।
iii. ग्रिड नेटवर्क के सुदृणीकरण हेतु सहायता।
iv. उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन/ विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा सौर ऊर्जा पार्क से उत्पादित 100 प्रतिशत ऊर्जा क्रय करने का प्रस्ताव दिया जायेगा, जिसमें से न्यूनतम 50 प्रतिशत उत्पादित ऊर्जा का विक्रय अनिवार्य रूप से उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन/विद्युत वितरण कम्पनी को किया जाना होगा।
पारेषण की लागत अनुकूलन हेतु एसटीयू उत्तर प्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि. के परामर्श से सोलर पार्क की स्थापना स्थल का निर्धारण किया जायेगा। सोलर पार्क के अन्दर स्थल/परियोजना आवंटन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर.ई.) के दिशा-निर्देशो के अनुसार आमंत्रित प्रतिस्पर्धात्मक निविदा के द्वारा किया जायेगा।
ब. निजी क्षेत्र सोलर पार्क
राज्य में निजी कम्पनी द्वारा सोलर पार्क की स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निम्नवत प्रोत्साहन निजी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना हेतु उपलब्ध कराये जायेगें:
i. ग्रिड नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण हेतु सहायता।
ii. उत्तर प्रदेश पॉवर कारपोरेशन/विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा सौर ऊर्जा पार्क से उत्पादित 100 प्रतिशत ऊर्जा कय करने का प्रस्ताव दिया जायेगा।
iii. पूर्णतया थर्ड पार्टी विक्रय अनुमन्य होगी।
8.1.2 श्रेणी-2 वितरण लाईसेन्सी को सोलर पॉवर विक्रय हेतु वृहद सोलर पॉवर स्टैण्ड अलोन परियोजना की स्थापनाः
उक्त श्रेणी की सोलर पॉवर की परियोजनाओं की स्थापना के लिए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) नोडल एजेन्सी होगी। इन परियोजनाओं की न्यूनतम क्षमता किसी एक स्थल पर 05 मेगावाट होगी। सोलर पॉवर परियोजनाओं का आवंटन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर. ई.), भारत सरकार की दिशा-निर्देशों के अनुसार आमंत्रित प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के माध्यम से किया जायेगा।
प्रोत्साहनः
1. राज्य के बुन्देलखण्ड एवं पूर्वान्चल में स्थापना हेतु 5 मेगावाट एवंम अधिक क्षमता की प्रस्तावित सोलर पॉवर परियोजनाओं के ग्रिड संयोजन हेतु अधिकतम पारेषण लाईन की निर्माण लागत का व्यय राज्य सरकार द्वारा निम्नानुसार वहन किया जायेगाः
परियोजना विकासकर्ता द्वारा पारेषण लाईन के निर्माण की अवशेष लागत, बे तथा सबस्टेशन के निर्माण का व्यय वहन किया जायेगा। यह प्रोत्साहन स्टेट ट्रांसमिशन यूटलिटी (एसटीयू)/विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा पारेषण लाईन एवं बे के निर्माण किये जाने की स्थिति में ही देय होगा। अवशेष शुल्क उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (यूपीईआरसी) के द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किये गये रेग्यूलेशन के अनुसार होगा।
2. कम क्षमता की परियोजनाओं की एक साथ पॉवर पूलिंग की व्यवस्था अनुमन्य होगी।
8.1.3 श्रेणी-3 वितरण लाईसेन्सी को सोलर पॉवर विक्रय हेतु नहरों/झीलों पर वृहद सौर पॉवर परियोजनाओं की स्थापना
प्रदेश में नहरों पर वृहद सौर पॉवर परियोजनाओं की स्थापना की सम्भावनाओं के दृष्टव्य सिंचाई विभाग द्वारा चिन्हित की गयी नहरों के ऊपर सौर पॉवर परियोजनाओं की स्थापना की जायेगी। सोलर पॉवर परियोजनाओं का आवंटन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर.ई.), भारत सरकार की दिशा-निर्देशो के अनुसार आमंत्रित प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग के माध्यम से किया जायेगा।
8.1.4 श्रेणी-4 तृतीय पक्ष को सोलर पॉवर विक्रय हेतु अथवा कैपटिव उपयोगार्थ वृहद सोलर पॉवर स्टैण्ड अलोन परियोजना की स्थापनाः
परियोजनाओं की स्थापना तृतीय पक्ष को सोलर पॉवर विक्रय हेतु अथवा 100% कैपटिव उपयोगार्थ/ अथवा आंशिक कैपटिव उपयोगार्थ और आंशिक उत्पादन को विद्युत वितरण कम्पनी को अथवा तृतीय पक्ष (थर्ड पार्टी) को विक्रय हेतु की जा सकती है।
i. राज्यान्तरिक सौर पॉवर को तृतीय पक्ष को विक्रय पर अथवा कैपटिव उपयोग पर व्हीलिंग चार्ज/ ट्रांसमिशन चार्ज पर 50 प्रतिशत की छूट होंगी। यह छूट तकनीकी फीजबिल्टी एवं उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग रेग्यूलेशन समय-समय पर संशोधित के अनुरूप लागू होगे । वितरण/पारेषण लाईन हानि एवं कास सब्सिडी सरचार्ज, उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग रेग्यूलेशन समय-समय पर संशोधित के अनुरूप लागू होगे।
ii. राज्य द्वारा क्योकि पॉवर आयात की जाती है इसलिये अन्र्तराज्यीय सौर पॉवर के विक्रय पर राज्यान्तरिक ट्रांसमिशन तंत्र के लिये कास सब्सिडी सरचार्ज एवं व्हीलिंग चार्ज/ट्रासंमिशन चार्ज पर 100 प्रतिशत की छूट होगी।
iii. सौर ऊर्जा विक्रय पर मीटरिंग एसटीयू/डिस्ट्रीब्यूशन लाईसेन्सी सबस्टेशन के स्तर पर की जायेगी।
8.2 ग्रिड संयोजित सोलर रूफटॉप परियोजनाएं
उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग रूफटॉप सोलर पीवी ग्रिड इन्टरैक्टिव सिस्टमस ग्रास/नेटमीटरिंग रेग्यूलेशन के अनुसार रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट संयंत्रों की राज्य में निम्न व्यवस्थाओं के अंतर्गत स्थापना को प्रोत्साहित किया जायेगा।
8.2.1 कियान्वयन प्रणाली
अ. नेट मीटरिंगः
इस व्यवस्था के अंतर्गत पात्र उपभोक्ता के परिसर में स्थापित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट से उत्पादित सयंत्रों से उत्पादित ऊर्जा का उपयोग बिल्डिंग में उपभोक्ताओं द्वारा किया जाता है तथा बिलिंग कालावधि के दौरान अधिशेष विद्युत, यदि कोई हो, का डिस्काम द्वारा विद्युत प्रदाय के समायोजन के उपरांत, उपभोक्ता को विद्युत प्रदान की जाती है।
ब. ग्रास मीटरिंग :
इस व्यवस्था के अंतर्गत पात्र उपभोक्ता के परिसर में स्थापित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट से उत्पादित सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत वितरण कम्पनी की प्रणाली में आपूर्तित कर दी जायेगी एवं तदनुसार उसका मापन कर दिया जायेगा।
8.2.2 योजना की क्रियाविधि:
8.2.2.1 सरकारी /अर्धसरकारी/सार्वजनिक संस्थाये :
i. प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी संस्थानों/अर्ध सरकारी संस्थानों/सरकारी स्वैच्छिक संस्थान/सहायता प्राप्त संस्थान/प्रतिष्ठान के कार्यालय भवनों में कैपटिव उपयोगार्थ सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की नेट मीटरिंग व्यवस्था के अंतर्गत स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा। इन संस्थानो पर थर्ड पार्टी (रेस्को मोड) द्वारा रूफटॉप सोलर पॉवर प्लाण्ट की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा। इस व्यवस्था के अंतर्गत उपभोक्ता एवं थर्ड पार्टी (रेस्को) के मध्य पॉवर परचेज अनुबन्ध (पीपीए) तथा उपभोक्ता एवं विद्युत वितरण कम्पनी के मध्य नेट मीटरिंग इन्टरकनेक्शन अनुबन्ध किया जायेगा।
ii. राज्य सरकार द्वारा ग्रिड कनेक्टेड/स्माल पॉवर प्लाण्ट सम्बन्धी योजना के अंतर्गत दिये गये नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार की योजना में सहयोग करते हुए प्रदत्त लाभ प्राप्त किये जायेगें। उक्त के अतिरिक्त राज्य द्वारा शासकीय विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों की छतों पर रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट के क्रियान्वयन संबंधी योजना में सक्रिय प्रतिभाग किया जायेगा। उपरोक्त के अतिरिक्त समय-समय पर सरकार द्वारा पोषित अन्य सम्बन्धित प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ भी उपलब्ध होगा।
iii. सभी सार्वजनिक संस्थानों/सरकारी अथवा सहायता प्राप्त अस्पतालों, शोध संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, छात्रावासों तथा प्रशिक्षण संस्थानों, पुस्तकालयों एवं राज्य में स्थित भारतीय रेल के प्रतिष्ठानों जैसे टिकट आरक्षण केन्द्र, रेलवे स्टेशन, शोध एवं विकास संगठन, अतिथि गृह, हालिडे होम, निरीक्षण भवन इत्यादि जोकि सरकार की परिधि के अंतर्गत आते हैं, द्वारा ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट स्थापित करने का प्रयास किया जायेगा एवं उससे उत्पादित ऊर्जा का उपयोग किया जायेगा एवं अपनी वार्षिक विद्युत खपत के कुछ प्रतिशत पूर्ति के लिए ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना करायी जायेगी और सोलर पॉवर प्लाण्ट से उत्पादित विद्युत का स्वयं उपभोग किया जायेगा। ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना क्षमता उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग के आरएसपीवी रेग्यूलेशन 2015 के अनुसार की जायेगी।
iv. नोडल एजेन्सी यूपीनेडा द्वारा विभिन्न आवासीय/ गैर सरकारी विभागों में थर्ड पार्टी (रस्को मोड) रूफटॉप सोलर पॉवर प्लाण्ट हेतु स्थापना की मांग को सक्रियता से एकत्रित किया जायेगा। यूपीनेडा द्वारा माडल अनुबन्ध एवं स्टेण्र्डड पीपीए तैयार किया जायेगा तथा टैरिफ निर्धारण एवं रेस्को के चयन हेतु प्रतिस्पर्धात्मक बिडिंग द्वारा किया जायेगा। ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट की स्थापना हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा एंव प्रथम चरण में नगर निगम क्षेत्रों के अधिक से अधिक भवनों पर संयंत्रो की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा।
v. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के सरकारी, अर्ध सरकारी, राज्य वित्त पोषित संस्थान, राज्य सरकार के निगम तथा वैधानिक संस्थाओं इत्यादि पर ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना रेस्को से कराने की स्थिति में भुगतान सुरक्षा हेतु बजट प्राविधान किया जा सकता है। उक्त योजना से जनित परिणामों के आधार पर राज्य के सरकारी, अर्ध सरकारी, राज्य वित्त पोषित संस्थान, राज्य सरकार के निगम तथा वैधानिक संस्थाओं इत्यादि पर ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना के लिए बजटीय प्राविधान भी कराया जा सकता है।
8.2.2.2 आवासीय एवं निजी संस्थाएं:
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वाणिज्यक औद्योगिक इकाईयों एवं आवासीय भवनों पर उपयुक्त क्षमता के ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट उनके परिसर/क्षेत्र में स्थित छतों पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किये गये रेग्यूलेशन के अधीन स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित किया जायेगा।
8.2.3 प्रोत्साहन:
नीति की संचालन अवधि के दौरान पात्र संस्थाओं को ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना हेतु यथा अनुमन्य निम्नवत प्रोत्साहन उपलब्ध होगें:
i. निजी आवासीय क्षेत्रो में नेट मीटरिंग व्यवस्था के अन्तर्गत बड़े पैमाने पर ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की स्थापना को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार से देय केन्द्रीय वित्तीय सहायता के अतिरिक्त राज्य सरकार द्वारा रू. 15,000.00 प्रति किलोवाट अधिकतम रू. 30,000.00 प्रति उपभोक्ता अनुदान उपलब्ध होगा। उक्त अनुदान का भुगतान लाभार्थी को रूफटॉप प्रणाली के संयंत्र स्थापना एवं कमिशनिंग तथा समस्त अभिलेखों को राज्य नोडल एजेन्सी (यूपीनेडा) को प्रस्तुत करने के उपरांत प्रतिपूर्ति के रूप में किया जायेगा। अनुदान प्रथम आवक प्रथम पावक के सिद्वान्त पर प्रथम 100 मेगावाट क्षमता के लिए आन लाईन आवेदन पर दिया जायेगा। परियोजना स्थापना में छह माह से अधिक विलम्ब होने पर यह सहायता यूपीनेडा द्वारा वापस ले ली जायेगी। उक्त अनुदान नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रदत्त केन्द्रीय वित्तीय सहायता के अतिरिक्त होगा, जिसका अंतरण राज्य नोडल एजेन्सी के माध्यम से किया जायेगा।
ii. रूफटॉप सोलर पैनल के माड्यूल स्ट्रक्चर की ऊँचाई को भवन की कुल ऊँचाई जोकि बिल्डिंग बायलाज के अन्तर्गत अनुमन्य हो, के अतिरिक्त आगणित नहीं किया जायेगा। ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट परियोजना की स्थापना की स्थिति में निर्माण के सम्बन्ध में कोई अतिरिक्त अनुमति स्थानीय प्राधिकरण/निकाय से अनुमति लिये जाने की आवश्यकता नहीं होगी।
iii. बहुमंजिला भवनों, आवासीय परिसर, वाणिज्यिक भवन आदि के प्रकरण में ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट सयंत्रो की स्थापना सामान्य सुविधा क्षेत्र में की जा सकेगी। यह प्रणाली सोसाइटी द्वारा धारित कॉमन मीटर कनेक्शन, थोक कनेक्शनधारी तथा कॉमन सुविधा क्षेत्र के कनेक्शन हेतु होगी, और किसी भी अन्य प्रकरण में यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि परिसर में रहने वाले निवासियों के न्यायोचित अधिकार को बाधित न किया जा रहा हो।
iv. 10 किलोवाट क्षमता तक ग्रिड संयोजित सोलर पॉवर प्लाण्ट को राज्य विद्युत निरीक्षक के निरीक्षण से मुक्त होगा।
8.2.4 मीटरिंग व्यवस्था, विद्युत निकासी वोल्टेज तथा वितरण प्रणाली के साथ संयोजन :
ग्रिड संयोजित रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक पॉवर प्लाण्ट की मीटरिंग व्यवस्था, विद्युत निकासी वोल्टेज एवं विद्युत वितरण कम्पनी के नेटवर्क से ग्रिड संयोजन की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की रूफटॉप सोलर फोटोवोल्टाईक रेग्यूलेशन समय-समय पर संशोधित के अनुरूप होगी।
8.3 अन्य ऑफ़ ग्रिड संयंत्रो की स्थापना:
राज्य में सोलर स्ट्रीट लाईट एवं सिंचाई हेतु सोलर वाटर पम्प, ऑफ़ ग्रिड संयंत्रों की स्थापना को अनुदान पर बढ़ावा दिया जायेगा। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में ऑफ़ ग्रिड संयंत्रो की स्थापना को बढ़ावा दिया जायेगा तथा समय-समय पर समीक्षा की जायेगी एवं अनुदान हेतु उपयुक्त निर्णय लिया जायेगा। उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा पूर्व में घोषित “मिनीग्रिड नीति उत्तर प्रदेश-2016" को इस नीति के साथ संलग्न किया जा रहा है, जिसे समय-समय पर आवश्यक्तानुसार राज्य सरकार द्वारा पुर्नविचार किया जा सकता है।
राज्य में सौर ऊर्जा पॉवर से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने के उददेश्य से राज्य सरकार द्वारा निम्नानुसार सौर पॉवर परियोजना की स्थापना में सुविधा प्रदान करने हेतु निम्न प्राविधान किये जायेगें।
उक्त सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए सौर पॉवर विकासकर्ता द्वारा निष्पादित सौर पॉवर परचेज अनुबन्ध में परियोजना स्थापना के लिए निर्धारित समय अवधि अथवा परियोजना आवंटन से 02 वर्ष की समयावधि जो भी पहले हो, सुनिश्चित की जायेगी। परियोजना विकासकर्ता द्वारा निर्धारित समय अवधि में सोलर पॉवर परियोजना की स्थापना नहीं किये जाने की दशा में इस नीति के अंतर्गत समस्त प्राविधान स्वतः निरस्त हो जायेगे। उपरोक्त प्राविधान सोलर पॉवर परियोजनाओं और सोलर पार्क पर यथा स्थान, लागू होगें:-
i. एकल विण्डो किलेयरेंस प्रणाली:
राज्य नोडल एजेन्सी समस्त सोलर पॉवर परियोजनाओं हेतु आन लाईन एकल विण्डो किलेयरेंस प्रणाली लागू करेगी।
ii. ऊर्जा बैंकिंगः
प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ऊर्जा की बैंकिंग की अनुमति प्रदान की जायेगी, जोकि विद्युत वितरण कम्पनी के सत्यापन के अधीन उत्तर प्रदेश कैपटिव रिन्यूएबल इनर्जी (CRE) रेग्यूलेशन-2014 तथा इनके अनुवर्ती संशोधन के अनुसार होगी।
iii. इलेक्ट्रिकसिटी डयूटी :
प्रदेश में स्थापित समस्त सौर पॉवर परियोजनाओं से उत्पादित ऊर्जा का विक्रय जोकि विद्युत वितरण कम्पनी अथवा थर्ड पार्टी को किया जाये अथवा कैपटिव उपयोगार्थ किया जाये 10 वर्ष तक इलेक्ट्रिकसिटी ड्यूटी से मुक्त होगी।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एम.एन.आर.ई.) भारत सरकार द्वारा समय-समय पर सौर पॉवर परियोजनाओं पर उपलब्ध कराये जा रहे प्रोत्साहन जैसे कि एक्साईज ड्यूटी एवं कस्टम ड्यूटी से छूट आदि भी परियोजना विकासकर्ताओं को अनुमन्य होगी।
इस नीति के अनुश्रवण एवं क्रियान्वयन में उपलब्ध समस्याओं एवं समय-समय पर उत्पन्न अंर्तविभागीय प्रकरणों के निस्तारण हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जायेगा।
मुख्य सचिव अध्यक्ष
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अध्यक्ष |
अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य
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सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा स्त्रोत विभाग |
सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, वित |
सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, नियोजन |
सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, आवास |
सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, राजस्व |
सदस्य |
सचिव/प्रमुख सचिव, ऊर्जा |
सदस्य |
प्रबन्ध निदेशक, यूपीपीसीएल |
सदस्य |
प्रबन्ध निदेशक, यूपीपीटीसीएल |
सदस्य |
निदेशक, यूपीनेडा |
सदस्य सचिव |
उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण इस (यूपीनेडा) नीति के क्रियान्वयन के लिए नोडल एजेन्सी होगी। नोडल एजेन्सी का सुदृणीकरण एवं विस्तार किया जायेगा।
12.1 नोडल एजेन्सी की भूमिका:
सौर ऊर्जा नीति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु योजनाओं के क्रियान्वयन एवं परियोजना विकासकर्ताओं की सुगमता एवं सहायता का कार्य नोडल एजेन्सी द्वारा निम्नवत किया जायेगा ।
12.1.1 परियोजनाओं की बिडिंग :
नोडल एजेन्सी द्वारा प्रदेश में सोलर पॉवर परियोजनाओं की बिडिंग से संबंधित सभी प्रक्रियाओं का सम्पादन किया जायेगा।
12.1.1.2 यूटीलिटी स्केल सौर ऊर्जा परियोजनाओं हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न कार्यकलाप जैसे बिड प्रक्रिया प्रबन्धन हेतु परामर्शदाता को नियुक्त करने, एकल विण्डो प्रणाली हेतु आउटसोर्सिंग एवं इस नीति के माध्यम से उपलब्ध कराये जाने वाले अन्य प्रोत्साहन या प्रदेश में सौर नीति के क्रियान्वयन हेतु बजटीय प्राविधान किये जायेगें।
12.1.1.3 अन्य विभागों के बजटीय प्राविधानों के अंतर्गत स्थापित की जाने वाली सौर परियोजनाओं हेतु फीजिबिल्टी रिर्पोट तैयार किये जाने एवं बिड प्रक्रिया प्रबन्धन से संबंधित लागत को संबंधित विभाग द्वारा वहन किया जायेगा। नोडल एजेन्सी द्वारा उक्त सुविधा प्रदान किये जाने के क्रम में अल्प सेवा शुल्क प्राप्त किया जा सकता है।
12.1.2 शासकीय भूमि/स्थान के लिये सुविधा :
राज्य सरकार या इसकी एजेंसियों के नियंत्रण में उपयुक्त भूमि/ स्थानों के आवंटन में सहायता प्रदान की जायेगी।
12.1.3 अन्य विभागों के साथ समन्वय:
परियोजनाओं की त्वरित स्थापना हेतु राईट ऑफ़ वे, यदि कोई हो, जलापूर्ति एवं सम्बन्धित अवस्थापना जैसे सड़क इत्यादि की व्यवस्था हेतु नोडल एजेन्सी द्वारा अन्य विभागों से समन्वय स्थापित किया जायेगा।
12.1.4 प्रशिक्षण :
प्रशिक्षण और शिक्षण संस्थानों के साथ गठबंधन कर उपयुक्त कौशल विकास हेतु।
12.1.5
आवासीय क्षेत्र में रूफटॉप सोलर पॉवर प्लाण्ट की स्थापना हेतु उपलब्ध अनुदान व्यवस्था का क्रियान्वयन
नोडल एजेन्सी द्वारा पैरा 8.2.3 (i) में उपलब्ध राज्य सहायता व्यवस्था का क्रियान्वयन हेतु योजना तैयार की जायेगी।
राज्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में शोध एवं विकास के सम्बन्ध में शोधकर्ताओं में जागरूकता उत्पन्न करने एवं निजी क्षेत्र को सौर ऊर्जा प्रोद्योगिकी के विश्वसनीयता एवं भारतीय परिस्थितियों विशेषकर उत्तर प्रदेश में अनुकूलता सम्बन्धित बिन्दुओ पर शोध हेतु राज्य सरकार द्वारा दो संस्थान/विश्वविद्यालय में सोलर टेस्टिंग एवं मानकीकरण सुविधाओं की स्थापना की जायेगी।
भारत सरकार द्वारा लक्षित 100000 मेगावाट क्षमता सोलर की स्थापना हेतु समस्त देश में एवं राज्य में अधिक मात्रा में सौर ऊर्जा तकनीकी में प्रशिक्षित प्रोफेशनल्स की आवश्यकता होगी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के माध्यम से नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ सोलर इनर्जी (एनआईएससी) भारत सरकार के सहयोग से इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल एवं सिविल विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम कराये जायेगें । उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के माध्यम से नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ सोलर इनर्जी (एनआईएससी) भारत सरकार द्वारा संयुक्त रूप से विभिन्न कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम किये जायेगें तथा 10000 सूर्यमित्र तैयार किये जायेगें। सोलर पॉवर परियोजनाओं की स्थापना, संचालन एवं रखरखाव सोलर उत्पादको की टेस्टिंग, सौर संसाधन मूल्यांकन आदि के क्षेत्र में कौशल विकास किया जायेगा । यूपीनेडा द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमो के अंतर्गत प्रमाणपत्र उपलब्ध कराये जायेगें। प्रशिक्षण हेतु फण्ड नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ़ सोलर इनर्जी (एनआईएससी) एवं प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से प्राप्त किये जायेगें।
i. सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन हेतु स्थापित होने वाले प्लांट्स को निम्न विशिष्ट प्रयोजन हेतु उद्योग का दर्जा दिया जायेगा:
अ. परियोजना विकासकर्ता द्वारा लोकहित में सौर विद्युत उत्पादन परियोजनाओं की स्थापना के लिए क्रय की जा रही 5.058 हैक्टेयर से अधिक भूमि को लैण्ड सीलिंग के अन्तर्गत मण्डलायुक्त स्तर से अनापत्ति दिया जाना।
ब. सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में सौर ऊर्जा स्रोतो की इकाईयो की स्थापना हेतु प्रभार्य स्टाम्प शुल्क में 100 प्रतिशत की छूट प्रदान किया जाना।
स. इलेक्ट्रिकसिटी डयूटी से 10 वर्ष की अवधि हेतु छूट प्रदान किया जाना।
ii. समस्त सौर विद्युत उत्पादन परियोजनाओं को पर्यावरण अनापत्ति प्राप्त करने हेतु छूट प्रदान है।
iii. ग्रिड संयोजित सोलर पीवी परियोजनायें को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण नियंत्रण नियम के तहत स्थापना और संचालन की सहमति/एनओसी प्राप्त करने से छूट।
प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए अत्यन्त उपयुक्त होने के दृष्टिव्य अधिकांशतः सौर विद्युत परियोजनाओं की स्थापना इस क्षेत्र में होने की सम्भावना है। उत्पादित सौर ऊर्जा को बुन्देलखण्ड क्षेत्र से प्रदेश के अन्य भागों में पारेषित करने पर आने वाली पारेषण लागत कम करने के उदेश्य से उक्त सौर ऊर्जा का उपयोग बुन्देलखण्ड क्षेत्र में ही हो सके तथा बुन्देलखण्ड क्षेत्र में रोजगार सृजन हेतु, इस क्षेत्र में उद्योग की स्थापना किये जाने पर उक्त उद्योग को आपूर्ति की जाने वाली विद्युत पॉवर उचित रूप से अनुदानित (रियायती) टैरिफ पर उपलब्ध होगी।
नीति के संशोधन एवं व्याख्या का अधिकार उत्तर प्रदेश सरकार को इस नीति के अंतर्गत उपलब्ध प्राविधानो को संशोधन/समीक्षा/व्याख्या/ शिथिल करने का अधिकारी होगा।
स्त्रोत: नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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