पैट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (पीसीआरए) में रसोई गैस तथा कैरोसीन की बचत के बहुत से प्रयोग किए हैं। यह इंडियन ऑइल कार्पो।लि।(अनु।एवं वि। केंद्र), होटल मैनेजमेंट एवं कैटरिंग तथा एप्लाइड न्यूट्रिशियन, नई दिल्ली के सहयोग द्वारा किया गया। इन प्रयोगों से यह सिद्ध किया है कि किफायती अच्छी आदतों को अपनाकर 30% कैरोसीन तथा रसोई गैस बचाई जा सकती है एवं उन अच्छी आदतों को जानना और भी आश्चर्यजनक होगा जिनके कारण बड़ी मात्रा में ईंधन का अपव्यय होता है।
हानि को कम करने तथा रसोई गैस एवं कैरोसीन पर लगने वाले धन का पूरा मूल्य वसूलने के लिए नीचे कुछ बिंदु दिए जा रहे हैं :
योजना में लगेगा थोड़ा सा समय और ईंधन की होगी बृहद बचत
स्टोव सुलगाने के पूर्व, यदि आप सारी पकाने के लिए आवश्यक सामग्री को अपनी पहुँच में रखें तो थोड़ी सी मितव्ययता के साथ आप ईंधन की बर्बादी को टाल सकते हैं। प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हुआ है कि एक गैस स्टोव में अधिक बड़े बर्नर को अनावश्यक रूप से जलाए रखना अधिक ईंधन की खपत करता है। प्रतिदिन बचाए गए थोड़े से पैसे भी माह के अंत में एक बड़ी रकम के रूप में सामने आते हैं।
याद रखें
खाना बनाने की प्रत्येक सामग्री को पकाने हेतु तैयार कर लेने एवं अपनी पहुँच में रख लेने के बाद ही स्टोव सुलगाएँ। व्यर्थ में जल रही लौ को तुरंत बंद कर दें।
प्रेशर कुकर खाना बनाने का सबसे तीव्र तथा बहुत ही किफ़ायती तरीका है। प्रयोगों द्वारा सिद्ध हुआ है कि साधारण प्रक्रिया की तुलना में प्रेशर कुकिंग से चावल पर 20%, भीगे चने की दाल पर 46% एवं माँस पर 41.5% ईंधन बचत (कैरोसीन तथा रसोई गैस की बचत) की जा सकती है। बनाने की प्रक्रिया में लगने वाले समय की बचत भी समान रूप से उच्च आंकी गई है। प्रेशर कुकर से और अधिक बचत लाभ लेने के लिए, विभिन्न सामग्रियों जैसे चावल, दाल व सब्जियाँ को एक समय में पकाने हेतु कुकर के डिब्बों का प्रयोग करें। अब जरा कल्पना करें आप कितने ईंधन तथा पैसे की बचत कर लेंगे और सारा भोजन भी कितनी जल्दी तैयार होगा।
याद रखें
प्रेशर कुकिंग से ईंधन तथा समय दोनों की बचत होती है। एक समय में एक से अधिक सामग्री को पकाने के लिए प्रेशर कुकर के डिब्बों का प्रयोग करें।
प्रयुक्त पानी की मात्रा विभिन्न व्यंजनों के लिए भिन्न-भिन्न होती है। कभी-कभी तो एक ही व्यंजन के लिए विभिन्न गृहणियाँ पानी की अलग-अलग मात्रा का प्रयोग करती हैं। अधिक पानी का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पानी की अधिक मात्रा ईंधन का अपव्यय करती है। इसके पश्चात, यदि अतिरिक्त पानी को निथार दिया जाए तो मूल्यवान पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। चावल को दोनों प्रकार से पकाकर किए गए शोधों में प्रयुक्त पानी की मात्रा के आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि ईंधन की खपत 65 प्रतिशत बढ़ गई। अतः खाना बनाने के लिए पानी की सही मात्रा का ही प्रयोग करें।
याद रखें
अधिक पानी से ईंधन की अतिरिक्त मात्रा लगती है जिसे बचाया भी जा सकता है।
जब एक बर्तन की सामग्री उबाल बिंदु तक पहुँच गए हो तो उसे उबलते रहने के लिए धीमी आँच पर्याप्त है। उबलने की अवस्था में अधिक ऊष्मा देने से अनावश्यक रूप से द्रव भाप में बदलता है। इसलिए जब पानी या कोईं अन्य द्रव उबल रहा हो तो धीमी आँच करने से अपव्यय की दर भी कम हो जाती है। यह गैस में नॉब को मध्यम आँच पर करके एवं कैरोसीन स्टोव में बत्ती को नीचे करके किया जा सकता है। विभिन्न प्रयोगों के आधार पर यह देखा गया कि उबलना शुरू होते ही आँच धीमी कर देने से ईंधन में 24% बचत हुई। इसे स्वयं करके देखें आप पाएँगे कि खाना बनाने में बिलकुल समान समय लगता है।
याद रखें
जैसे ही उबलना प्रारंभ हो आँच धीमी कर दें।
प्रयोग द्वारा यह सिद्ध हुआ है कि सामग्री जैसे दाल-चावल आदि यदि पकाने के पूर्व भिगो लिए जाएँ तो ईंधन की बचत होती है। रातभर भीगा २५० ग्रा। काबुली चना उतनी ही मात्रा के बिना भीगे काबुली चने की तुलना में २२% कम ईंधन खपत करता है।
याद रखें
पकाने वाले सामग्री को यदि पकाने के पूर्व भिगो लिया जाए तो ईधन की भारी मात्रा में बचत की जा सकती है।
बर्तन के किनारों को छूती लौ ऊष्मा का अपव्यय है क्योंकि यह वातावरण को ऊष्मा देती है। यदि आप ऐसे चौड़े बर्तन का प्रयोग करें जो लौ को पूरी तरह से ढँक ले तो आप ईंधन की बचत कर सकते हैं। हमारे प्रयोगों ने स्थापित किया है कि अधिकांश स्टोव्स में 20 सेमी. व्यास वाला बर्तन खाना बनाने के लिए आदर्श है। इस प्रकार का बर्तन लौ को पूरी तरह से कवर करता है, जब एक संकरे बर्तन का उपयोग करना हो तो प्रयास करें कि लौ कम रहे ताकि यह बर्तन के किनारों से बाहर न निकले।
याद रखें
लौ को पूरी तरह से ढँकने वाले चौड़े तले के बर्तन का प्रयोग करें, संकरे तथा ऐसे बर्तनों का प्रयोग टालें जिनसे लौ बाहर निकलती हो।
बर्तन को ढक्कन से ढँकना अच्छी आदत है, एक खुले बर्तन से सदैव ऊष्मा की हानि होती है जिसका अर्थ है ईंधन की बर्बादी। 100 सेमी. के मुँह का बर्तन जिसमें पानी नहीं हो, 96 सेल्सियस पर प्रति घंटा 7.2ग्रा. गैस की बर्बादी करता है और यदि किचन में हवा ज़्यादा हो तो यह ऊष्मा हानि को ढाई गुना बढ़ा देता है। यदि बर्तन ढ़ंका हुआ हो तो ऊष्मा हानि कम हो जाएगी तथा ऊष्मा के बर्तन में रहने से गैस की 1.45ग्रा. प्रति घं. बचत होगी।
याद रखें
खुले बर्तन को खाना बनाते समय अवश्य ढ़ँके।
खाना बनाने के गैस स्टोव में एक बड़ा व छोटा दोनो प्रकार के बर्नर होते हैं। एक छोटा बर्नर बड़े की तुलना में 5 से 10% कम गैस की खपत करता है ! 250 ग्रा. आलू को बनाने में किए गए प्रयोगों के आधार पर पाया गया है कि छोटा बर्नर बड़े की तुलना में केवल 7 मिनट ज्यादा लेकर 6.5% कम गैस की खपत करता है। इसी प्रकार से कैरोसीन स्टोव में भी धीमी आँच ईंधन की बचत कर सकती है। अब आप सोच सकते हैं ईंधन की कितनी मात्रा बर्बाद हुई जो कि बचाई जा सकती थी। सही है! छोटे बर्नर पर खाना बनने में केवल थोड़ा सा समय ज़्यादा लगता है किंतु आप हमेशा इतनी जल्दी में नहीं होते कि ईंधन की बर्बादी सह सकें।
याद रखें
अधिकांशतः छोटे बर्नर तथा धीमी लौ का इस्तेमाल करें विशेषकर तब जब आपके पास ज़्यादा समय हो।
यह आवश्यक है कि आप अपने गैस बर्नर की नियमित सफाई एवं कैरोसीन स्टोव की बत्ती की कटाई-छँटाई या बदली करते रहें। कालिख युक्त, गंदे बर्नर तथा घिसी बत्ती ईंधन की खपत को बढ़ा देती हैं। अपने स्टोव का नियमित रख-रखाव ईंधन बचाने में मदद करता है। यदि स्टोव के नॉब आसानी से घूमने वाले नही हैं तो उन्हें सही करें।
याद रखें
एक सधी हुई, नीली लौ का अर्थ है, दक्ष प्रज्जवलन। यदि आप एक नारंगी, पीली या असमान लौ देखते हैं तो ऐसी स्थिति में तुरंत बत्ती या बर्नर साफ करने की आवश्यकता है।
नॉन आईएसआई मार्क युक्त कैरोसीन बत्ती स्टोव की अपेक्षा आईएसआई मार्क युक्त स्टोव से कैरोसीन की 25% तक बचत होती है तथा उच्च दक्षता वाला आईएसआई मार्क युक्त एलपीजी स्टोव(जिसकी थमर्ल दक्षता 68%+ हो)गैस की 15% बचत करता है।
साफ़ बर्तन भी मदद करता है
केतली तथा कुकर में सामान्यतः अघुलनशील लवणों की एक पर्त पाई जाती है। एक मिमी। मोटी पर्त भी बर्तन में ऊष्मा के प्रसार को रोक देती है। यह आपकी ईंधन खपत 10% तक बढ़ा देता है।
याद रखें
खाने के बर्तन हमेशा अच्छे से साफ़ करने चाहिए।
फ़्रिज से निकाले गए खाने को, पकाने से पूर्व सामान्य ताप पर आ जाने दे
ठंडा दूध या फ्रिज से निकाली अन्य ठंडी सामग्री सीधे ही पकाने न लग जाएँ बल्कि इसे चूल्हे पर रखने से पूर्व कुछ देर बाहर निकाल कर रखें। बहुत ठंडा खाना ईंधन की अधिक खपत करता है।
यदि परिवार के सारे लोग साथ-साथ भोजन करते हैं तो यह आपसी प्रेम तथा आनंद का द्योतक होता है, साथ ही इससे खाने को परोसने के पूर्व बार बार गर्म करने की प्रक्रिया को भी टाला जा सकता है। यदि साथ खाना संभव न हो तो खाने को गर्म बनाए रखने के लिए इसे इंसुलेटेड बर्तन में रखें।
अंतिम बार संशोधित : 10/10/2021
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