पारसी समुदाय जोकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक योग अधिनियम, 1992 के अंतर्गत एक अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदाय है, कि जनसंख्या जो 1941 में 1,1,4,000 टी, वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, 2001 में घटकर 69,001 रह गई है। इस घटती जनसंख्या को रोकने या इस रूख को बदलने के उद्देश्य से, भारत सरकार ने इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत समझी है।
सदियों, पहले जब भारत में पहले पारसियों का आगमन हुआ था, पारसी, भारतीय समाज में घुल-मिल गए थे। साथ ही साथ वे अपने विशेष रीति-रिवाजों और परंपराओं तथा जातिय पहचान को बनाये रहे।इनकी जनसंख्या में प्रौढ़ों और बुजुर्गों की बड़ी तादाद है। इस सामान्य भारतीय जनसंख्या जिसमें युवाओं का प्रभुत्व है, के बजाय विकसित देशों में दृष्टिगोचर जनसंख्या परिदृश्य के अधिक समान है।
भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या और जनन क्षमता में तीव्र गिरावट रही है। यह दिलचस्प है कि पारसी महिलाओं की विवाह की आयु लगभग 27 वर्ष पुरूषों की लगभग 21 वर्ष है। 9 परिवारों में केवल एक में ही 10 वर्ष से कम आयु का एक बच्चा होता है।
1.4 पारसी समुदाय की कुल जननक्षमता दर 1 (एक) से नीचे पंहुच गई है, जिसका तात्पर्य है कि औसतन एक पारसी महिला अपने गर्भ धारण करने की अवधि में 1 से कम (0.8) शिशु को जन्म देती है। इसके अलावा, 31% पारसी 60 वर्ष की आयु से अधिक है और 30% से अधिक पारसियों ने “कभी विवाह” नहीं किया है।
विलंब से विवाह के अलावा, पारसी समुदाय के बीच कम जननक्षमता के लिए स्वेच्छा और अस्वेच्छा से बच्चे का न होना एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है। गैर- पारसियों की तुलना में अविवाहित पारसी पुरूषों का प्रतिशत काफी अधिक है।
1950 के दशक से, मृत्यु से जनसंख्या प्रतिस्थापन दर सतत रूप से निष्प्रभावी हुई है। ऐसा चिकित्सा और सामाजिक-संस्कृतिक कारणों से हो सकता है।
अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) द्वारा कराए गए अध्ययनों और पारजोर फाउंडेशन तथा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस (टीआईएसएस), द्वारा कराए गए संयुक्त अध्ययनों में पारसियों की जनसंख्या में गिरावट के लिए महत्वपूर्ण कारणों के रूप में निम्नलिखित कारण चिन्हित किए गए हैं-
क) विलंब से विवाह करना और विवाह न करना;
ख) जननक्षमता में कमी आना;
ग) उत्प्रवास;
घ) वाह्य – विवाह; और
ङ) संबंध विच्छेद और तलाक होना।
पारसी समुदाय के सदस्यों की इस गिरते हुए रूख को रोकने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग रही है।
उपर्युक्त को देखते हुए, भारत सरकार पारसी समुदाय की आबादी के गिरते हुए रूख को रोकने और उनकी जनसंख्या को निचले स्तर से ऊपर लाने हेतु बदलाव लेन के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना जरूरी समझती है।
इस योजना का उद्देश्य वैज्ञानिक नवाचार और ढाँचागत हस्तक्षेप अपनाकर पारसी आबादी के गिरते रूख को उलटना और उनकी जनसंख्या को स्थिर रखना तथा भारत में पारसियों की जनसंख्या बढ़ाना है।
यह योजना अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदाय अर्थात केवल पारसियों के लिए है।
वन्ध्यत्व के इलाज हेतु पारसी समुदाय के भीतर लक्षित समूह निम्नानुसार होगा -
(i) शिशु उत्पन्न करने की आयु वाले विवाहित पारसी दंपत्ति जो योजना के अंतर्गत सहायता चाहते हैं।
(ii) वन्ध्यत्व उत्पन्न करने वाली बीमारियों का वयस्कों/युवाओं/युवतियों/किशोरों/किशोरियों में पता लगाना। किशोरों/किशोरियों की जाँच के लिए, माता-पिता/कानूनी अभिभावक की लिखित सहमति अनिवार्य होनी चाहिए।
वन्ध्यत्व एक जटिल नैदानिक सामाजिक – मनोवैज्ञानिक मामला है। वन्ध्यत्व दो वर्षों से अधिक से गर्भ धारण करने में असमर्थ होना है और अनिवार्य रूप में एक बीमारी नहीं है। चिकित्सा विज्ञान में बढ़ोतरी होने के साथ, आज के समय में 90% वन्ध्यत्व का इलाज संभव है। अधिकांश दंपतियों के लिए, यह सही चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक परामर्श हो सकता है तथा सही उम्र सर्वोत्तम चिकित्सा विशेषता हो सकती है। इस योजना के अंतर्गत हस्तक्षेप पूर्ण गोपनीयता बनाए रखते हुए कड़े चिकित्सा नवाचार के अंतर्गत किया जाएगा।
घटती जनसंख्या को रोकने के लिए द्विकोणीय दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी। इस योजना में दो संघटक होंगे:
क) पक्ष समर्थन: परिवार के सदस्यों और शीघ्र विवाह हेतु विवाह योग्य आयु के लड़के/लड़कियों को परामर्श, यौवन और उसके बाद चिकित्सीय मामलों का इलाज, सही समय पर पितृत्व तथा वन्ध्यत्व की समस्या का पता लगे ही इसके उपचार की सहायता के लिए दृष्टिकोण पक्षसमर्थन के भाग होंगे। इसमें प्रचार और जागरूकता सहित अभिवृद्धि कार्यक्रम भी शामिल होंगे।
ख) चिकित्सा सहायता: सहायता प्रजनन प्रौद्योगिकी (एआरटी) जिसमें चिकित्सा सहायता के रूप में अपेक्षानुसार इन-विट्रो निषेचन (आई वी एफ) और इंट्रा – साईट्रोप्लाजिम्क स्पर्म इंजेक्शन शामिल है।जननक्षमता मामलों से निपटने के लिए, शादी-शुदा दंपतियों की वन्ध्यत्व की जाँच करने और पता लगाने, परामर्श देने तथा जननक्षमता का इलाज के करने और के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी जब उनकी जननक्षमता का चिकित्सीय जाँच में पता लग जाए।
प्रत्येक लक्षित/ समूह के लिए मानक चिकित्सा नवाचार का अनुसरण स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के परामर्श से किया जाएगा।
किसी इलाज को शुरू किये जाने के पूर्व मरीज को सम्पूर्ण इलाज योजना की सूचना देना इलाज करने वाले अस्पताल की ओर से अनिवार्य होगा और उनकी अथवा उसके/उसकी माता/पिता कानूनी अभिभावकों की सहमती लेना आवश्यक होगा।
स्वास्थय अपर परिवार कल्याण, मंत्रालय भारत सरकार के परामर्श से चिकित्सा नवाचारों के अनुसार इलाज के चक्रों का अनुसरण किया जाएगा।
मरीजों की गोपनीयता को सर्वाधिक महत्व दिया जाएगा। लक्षित दंपतियों के नाम और पहचान के संबंध में गोपनीयता रखी जाएगी। योजना का कार्यान्वयन करने वाला संगठन मरीजों के सभी ब्यौरा रखेगा और इलाज करा रहे दंपत्तियों की कुल संख्या के बारे में मंत्रालय को कूट भाषा में सूचना प्रदान करेगा।कार्यान्वयनकर्त्ता एजेंसी द्वारा रखे जाने वाले सभी रजिस्टर और विस्तृत प्रलेख मंत्रालय, लेखा परीक्षा पदाधिकारियों और निरीक्षण करने के लिए मंत्रालय के प्राधिकृत प्रतिनिधियों द्वारा निरीक्षण के अध्ययाधीन होंगे।
इस समुदाय को उनकी वन्ध्यत्व की समझ के बारे में शिक्षित किए जाने की अत्याधिक जरूरत है। इसके समाधान हेतु एक व्यापक अभियान चलाना जाना जरूरी है जिसमें सामान्य सूचना सत्र, मीडिया प्रचार, परामर्श सत्र और ऐसे कार्यक्रम शामिल हो जो पारसियों को अधिक बच्चों के लिए और इस समुदाय के भीतर जल्दी विवाह करने के लिए प्रोत्साहित करने में मददगार हों। लक्ष्य यह है की विवाह योग्य आय की युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता सृजित हो और युवा युगल इस समुदाय की घटती जनसंख्यक को रोकने का प्रयास करें तथा जहाँ आवश्यक हो विवाह से पहले शीघ्र निदान और इलाज कराएं।
सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) अथवा अभिवृद्धि कार्यक्रम (सेमिनार, प्रचार, ब्रोशर, पारसी समुदाय की जातिय पत्रिकाएँ, पक्ष समर्थन आदि) मुंबई में बाम्बे पारसी पंचायत की सहायता से पारजोर फाउंडेशन और देश के अन्य नगरों, शहरों और मूफिस्सिल क्षेत्रों में फेडरेशन ऑफ पारसी जरथूस्ट्रन अजूमंस ऑफ इंडिया के विभिन्न सदस्यों द्वारा चलाया जाएगा।
यह 100% केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है।
हालाँकि पारसियों को तमाम अन्य समुदायों की तुलना में सापेक्ष रूप में अधिक संपन्न समझा जाता है, फिर भी अनेक मामलों में निम्न आर्थिक स्तर से संबंधित पारसी परिवार हैं जो जनन क्षमता इलाज का वहन नहीं कर सकते हैं। यहाँ तक कि मध्यवर्ग के दंपत्तियों के लिए भी इसको बार- बार इलाज का व्यय वहन करना मुश्किल होता है।
सहायता के इच्छुक विवाहित पारसी दंपत्ति पारसी संबंधित चिकित्सक द्वारा सुझाए गए नुस्खे के अनुसार सहायता प्रजनन प्रौद्योगिकियों के इलाज चक्रों को कराएगा, जिसमें जरूरी होने पर चिकित्सा सहायता के रूप में इन-विट्रो निषेचन और इंट्रा-साईट्रोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन शामिल होंगे, जो 5.00 लाख रूपए अथवा वास्तविक अनोसर, जो भी कम हो, अधिकतम लागत के अध्ययधीन होंगे।
यह इलाज अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा पैनल में शामिल किए गए अस्पतालों/औषधालयों में कराया जाएगा। अस्पतालों को स्वास्थय और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार और प्रत्येक नगर/शहर के पारसियों से पैनल में शामिल किया जाएगा।
आर्थिक सहायता को जननक्षमता उपचार, जिसमें दवाईयों की लागत शामिल है (अनुवर्ती दवाईयों सहित), दंपत्तियों जिनकी आय निम्नलिखित निर्धारित सीमा में है को चिकित्सा के बाद की सहायता के लिए विस्तारित किया जाएगा:
क्रम सं. |
सभी स्रोतों से वार्षिक पारिवारिक आय |
उपलब्ध कराई जाने वाली आर्थिक सहायता |
1. |
10 लाख रूपये एवं उससे कम |
100% |
2. |
10-15 लाख रूपये |
75% |
3. |
15-20 लाख रूपये |
50% |
विशेष राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में उपयुक्त प्राधिकारी से आय प्रमाण- पत्र आवश्यक होगा।
शादी करने योग्य आयु के पारसी लड़के और लड़कियों (किशोर से 30 वर्ष आयु तक), जो की ठीक की जाने वाली रोग विषयक समस्या जिसका परिणाम वन्ध्यता होता है को क्रमश: 15000/- रूपये और 25000/- रूपये की चिकित्सीय सहायता कराई जाएगी।
12वीं योजना अवधि के बचे हुए संपुर्ण 4 वर्षो के पक्षसमर्थन घटकों के इए 1.35 करोड़ रूपये निर्धारित किए जाएंगे। यह संसाधनों की उपलब्धता के अध्यधीन होगा।
पारजोर फाउन्डेशन हस्तक्षेपों की सफलता को संभव बनाने के लिए पारसी समुदाय और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी होगा।
योजना का कार्यान्वयन पारजोर फाउन्डेशन द्वारा बांबे पारसी पंचायत (बीपीपी) के मदद से और संगठनों/सोसाइटियों/अंजुमनों तथा तीन वर्षो में मौजूद संबंधित समुदाय की पंचायत के माध्यम से किया जाएगा।
पारजोर फाउन्डेशन स्थानीय अंजुमनों और पंचायतों को प्राथमिकता देगा जो स्थानीय समुदाय का सहयोग, परामर्श और कार्यशालाओं के लिए एकत्र कर सकने में समर्थ संगठन है।
इस योजना के अंतर्गत सहायता हेतु पात्रता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, पारजोर फाउन्डेशन बाम्बे पारसी पंचायत और संबंधित अंजुमनों की सहायता से निम्नलिखित को सत्यापित करेगा:
क) कि चिकित्सीय सहायता का लाभ उठाने के लिए जाँच हेतु लक्षित विवाहित दंपत्ति आवश्यक आय पात्रता मानदंडों को पूरा करते है।
ख) कि जाँच के लिए विवाहित दंपत्तियो अथवा शादी की उम्र के लड़का/लड़की पारसी समुदाय से संबंधित है।
ग) कि जननक्षमता चिकित्सा प्राप्त करने वाली विवाहित महिला की उम्र गर्भधारण करने की है।
बाम्बे पारसी पंचायत और संबंधित अंजुमनों की सहायता से पारजोर फाउन्डेशन प्रार्थियों से प्रस्ताव प्राप्त करने, उनका मूल्यांकन डाक्टरों/पैनल में शामिल अस्पतालों/पैनल में शामिल औषधालयों के साथ करने तथा लाभार्थियों की सिफारिश चिकित्सा के लिए करने और चिकित्सा पूरी होने के बाद बिलों की प्रतिपूर्ति के लिए उनकी जाँच करने के लिए जिम्मेदार होंगे।।
वे मंत्रालय को, उनको दी गई निधियों के समेकित उपयोग प्रमाण-पात्र भी प्रस्तुत करेंगे।
मंत्रालय इस संबंध में पारजोर फाउंडेशन और बीपीपी के साथ एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा।
चिकित्सा उपचार के भुगतान की निधियों को अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा एक समझौते के अंतर्गत सीधे ही लिए इलेक्ट्रोनिक अंतरण के जरिए पैनल में शामिल संबंधित अस्पताल के बैंक खाते में किया जाएगा।
संसाधन की उपलब्धता के आधार पर निधियों को पक्षसमर्थन और विस्तृत कार्यक्रमों हेतु पारजोर फाउन्डेशन को जारी किया जाएगा। अभिवृद्धि कार्यक्रमों को भुगतान के लिए बनी निधियों का अंतरण इलेक्ट्रोनिक माध्यम से पारजोर फाउन्डेशन के बैंक खाते में किया जाएगा।
ईसीएस/आरटीजीएस/एनईएफटी के माध्यम से संगठन/अस्पताल के खाते में सीधे ई-भुगतान करने के लिए संगठन/अस्पताल को निर्धारित प्रारूप में अधिकार - पात्र देना होगा। अधिकार-पत्र देना होगा। अधिकार – पत्र पर संगठन/अस्पताल के खाते वाले संबंधित बैंक शाखा के प्रबंधक द्वारा प्रति हस्ताक्षरित होना चाहिए।
मंत्रालय योजना के अंतर्गत प्रस्तावों पर विचार करने तथा अनुमोदन देने के लिए एक संस्वीकृति दाता समिति का गठन करेगा।
संस्वीकृतिदाता समिति में संबंधित संयुक्त सचिव अध्यक्ष के रूप में, मंत्रालय में निदेशक (वित्त), स्वास्थय एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधि, पारसी समुदाय के प्रतिनिधि और अन्य हितधारक तथा संबंधित निदेशक/उप – सचिव संयोजक के रूप में शामिल होंगे।
संस्वीकृतिदाता समिति योजना के कार्यान्यवन लिए सिफारिशें भी करेगी। कार्यान्यवन के दौरान आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए सिफारिशें भी करेगी।
मंत्रालय को योजना के अंतर्गत, योजना के प्रशासनिक व्यय और प्रबंधको पूरा करने योग्य संविदा स्टॉफ को रखने, निगरानी एवं मूल्यांकन रिपोर्ट आदि के लिए वार्षिक बजट का 3% तक अलग रखने की अनुमति होगी।
संबंधित संगठन मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रारूप में तिमाही प्रगति करेंगे। योजना की निगरानी, प्रभाव आकलन और मूल्यांकन मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। स्वतंत्र एजेंसियों के माध्यम से भी मूल्यांकन कराया जाएगा।
मंत्रालय योजना का मध्यावधि मूल्यांकन वर्ष 2015-16 में करेगा।
योजना की समीक्षा 12वीं योजना के अंत में की जाएगी।
स्रोत: भारत सरकार, अल्पसंख्यक कार्यों का मंत्रालय
इस पृष्ठ में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न- बहु-क्षे...
इस पृष्ठ में अनुसूचित जाति कल्याण से सम्बंधित अत्य...
इस भाग में नोबेल शांति पुरस्कार(2014) प्राप्त शख्...
इस भाग में अटल पेंशन योजना की जानकारी दी गई है।