অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

सांसद आदर्श ग्राम योजना

11 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ की गई सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) का उद्देश्य गांवों और वहाँ के लोगों में उन मूल्यों को स्थापित करना है जिससे वे स्वयं के जीवन में सुधार कर दूसरों के लिए एक आदर्श गांव बने। जिससे लोग उनका अनुकरण उन बदलावों को स्वयं पर भी लागू करें। यह योजना संसद के दोनों सदनों के सांसदों को प्रोत्साहित करती है कि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र के कम से कम एक गांव की पहचान करें और 2016 तक एक आदर्श गांव उसका विकास करें। और 2019 दो और गांवों को शामिल करते हुए देश भर में फैले 6 लाख गांवों में से 2,500 से अधिक गांवों को इस योजना का हिस्सा बनाएं।

सांसद आदर्श ग्राम योजना की मान्यताएं

  • लोगों की भागीदारी को स्वीकार करना जैसा समस्याओं का अपने आप में समाधान है-सुनिश्चित करें कि समाज के सभी वर्ग ग्रामीण जीवन से संबंधित सभी पहलुओं से लेकर शासन से संबंधित सभी पहलुओं में भाग लें।
  • अंत्योदय का पालन करें- गांव के 'सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति "को अच्छी तरह जीवन जीने केल लिए सक्षम बनाएँ।
  • लैंगिक समानता और महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करें।
  • सामाजिक न्याय की गारंटी को सुनिश्चित करें।
  • श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा और स्वैच्छिकता की भावना को स्थापित करें।
  • सफाई की संस्कृति को बढ़ावा दें।
  • प्रकृति के सहचर के रुप में रहने के लिए-विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन सुनिश्चित करें।
  • स्थानीय सांस्कृतिक विरासत संरक्षण और प्रोत्साहन दें।
  • आपसी सहयोग, स्वयं सहायता और आत्म निर्भरता का निरंतर अभ्यास करना।
  • ग्रामीण समुदाय में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना।
  • सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी बरतना।
  • स्थानीय स्वशासन की भावना को विकसित करना।
  • भारतीय संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों में प्रतिष्ठापित मूल्यों का पालन करना।

उद्देश्य

मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं-
1 . पहचानी गईं ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए नेतृत्व की प्रक्रियाओं को गति प्रदान करना।
2 . जनसंख्या के सभी वर्गों के जीवन की गुणवत्ता के स्तर में सुधार निम्न माध्यमों से करना

  • बुनियादी सुविधाएं में सुधार
  • उच्च उत्पादकता
  • मानव विकास में वृद्धि करना
  • आजीविका के बेहतर अवसर
  • असमानताओं को कम करना
  • अधिकारों और हक की प्राप्ति
  • व्यापक सामाजिक गतिशीलता
  • समृद्ध सामाजिक पूंजी

3 . स्थानीय स्तर के विकास और प्रभावी स्थानीय शासन के मॉडल इस प्रकार बनाना जिससे आस-पड़ोस की पंचायतें प्रेरित और प्रोत्साहित होकर उन मॉडल को सीखने और अपनाने के लिए तैयार हों।
4 . चिंहित आदर्श ग्राम को स्थानीय विकास के ऐसे केंद्रों के रुप में विकसित करना जो अन्य ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित कर सकें।

दृष्टिकोण

1 . इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, एसएजीवाई को निम्नलिखित दृष्टिकोण से निर्देशित किया जाएगा-
2 . मॉडल ग्राम पंचायतों को विकसित करने के लिए संसद (सांसद) सदस्य के नेतृत्व, क्षमता, प्रतिबद्धता और ऊर्जा का इस्तेमाल करना
3 . स्थानीय स्तर के विकास के लिए समुदाय को जोड़ना और पहल के प्रेरित करना
4 . लोगों की आकांक्षाओं और स्थानीय क्षमता के अनुरूप व्यापक विकास करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों, निजी और  5 . स्वैच्छिक पहल का समन्वय करना
6 . स्वैच्छिक संगठनों, सहकारी समितियों और शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ भागीदारी विकसित करना
7 . परिणामों और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना

आदर्शग्राम की गतिविधियां

एक आदर्श ग्राम में ग्राम पंचायत, नागरिक समाज और सरकारी मशीनरी में लोगों को दृष्टिकोण साझा करने, उनकी अपनी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का हर संभव सर्वोत्तम उपयोग करने विधिवत तरीके से सांसद द्वारा समर्थित होना चाहिए। स्वाभाविक रूप से एक आदर्श ग्राम संदर्भ विशिष्ट होगा। हालांकि, पक्के तौर पर महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान करना अभी भी बाकी है।

SAGY

आदर्श ग्राम योजना के दिशानिर्देशों को हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

योजना से जुड़ी नवीनतम जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सासंद आदर्श गांव के तहत गोद लिया गया गांव जयापुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सासंद आदर्श गांव के तहत गोद लिया गया गांव जयापुर बनारस से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। मिश्रित जनसंख्या वाले इस गांव में कई जाति व समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं। कहा जाता है कि यह गांव शुरू से ही संघ का गढ़ रहा है।

गांव की जनसंख्या 2974 है। इसमें पुरुषों की संख्या 1541 है जबकि महिलाओं की संख्या 1433। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। मूलभूत सुविधाओं से यह गांव महरूम है। यहां न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है न मिडिल स्कूल। यहां कोई पशु चिकित्सालय भी नहीं है। लोगों को कई सुविधाओं के लिए पास के गांव जक्खिनी जाना पड़ता है।

सेवापुरी विधानसभा क्षेत्र में पड़ने वाले इस गांव के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वाराणसी आने पर सबसे पहले इसी गांव का नाम सुना था। हालांकि दुखद घटना की वजह से इस गांव का नाम सुना। इस गांव में आग लगने से पांच लोगों की मौत हो गई थी इस वजह से इस गांव का नाम सुना। उसी समय मै इस गांव से जुड़ गया।उन्होंने कहा कि हम जयापुर को आदर्श गांव बनाएंगे।

जयापुर के लोग गांव की सड़कों के निर्माण को लेकर वर्षों से सपने संजोए थे लेकिन लगता है सपना अब पूरा हो रहा है। विकास कार्य होता देख ग्रामीणों में खुशी की लहर है। उन्हें उम्मीद है कि अब गांव की तस्वीर बदल जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गोद लिए जाने के बाद उनके आह्वान का जयापुर गांव वासियों ने तत्काल स्वागत किया। गांव के करीब 300 वर्ष पुराने महुआ के पेड़ को संरक्षित करने की कवायद के साथ अब कन्या के पैदा होने पर जश्न मनाने का भी संकल्प लिया जा रहा है। कन्या की शादी के लिए धन की व्यवस्था करने का रास्ता गांव वालों ने निकाल लिया है।

अभिभावक अब अपने खेतों की मेड़ व बाग की खाली जमीनों पर कन्या जन्म के साथ ही धन देने वाले पौधे लगाएंगे। कन्या धन के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए इस कदम से अचानक ही आसपास के गांवों में भी मानो चेतना सी आ गई है। जयापुर ग्राम की प्रधान दुर्गावती देवी की प्रेरणा पर गांव के नारायण पटेल की अगुवाई में कई लोगों ने पौधरोपण किया। जयापुर में नरेंद्र मोदी ने कहा था ‘आप कन्या भ्रूण हत्या रोकें, मैं कानून का पालन सुनिश्चत करता हूं। कन्या के पैदा होने पर उत्सव मनाएं। बुजुर्गो, धरोहरों व पुराने पेड़ों की पहचान कर उसका सम्मान व संरक्षण करें’।

बीएचयू में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो. बीडी त्रिपाठी ने कहा कि पौधे लगाने से एक तय अवधि के बाद धन तो प्राप्त होने ही लगेगा, शादी ब्याह जैसे महंगे आयोजन में भी ये पेड़ सहारा बनेंगे, पर्यावरण का भी संरक्षण होगा। ध्यान बस यह रखना है कि कन्या के पैदा होते ही पांच दस फलदायी पौधे खेत के मेंड़ या बाग में रोप दिए जाएं।

वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश का जयापुर गांव में अंकुरित भी होने लगा। मोदी अभी दिल्ली पहुंचे भी न थे कि उनके आह्वान का अनुसरण करते हुए ग्रामीणों ने गांव के सबसे पुराने पेड़ की तलाश कर ली। 300 साल पुराने महुआ के इस पेड़ को संरक्षित करने की कवायद शुरू कर दी।

ग्रामीणों के अनुसार महुआ के इस पेड़ के बारे में सभी ने पूर्वजों से सुना और जाना है। बहरहाल, वृक्ष के चारों ओर ग्रामीण जुटे और विधि पूर्वक उसकी पूजा की। यह वृक्ष किसान सूर्य प्रताप सिंह के परिवार का है। कई पीढ़ी पूर्व इसे रोपा गया था। वृक्ष पूजन के बाद प्रसाद वितरण भी हुआ। तय हुआ कि इस धरोहर वृक्ष का संरक्षण किया जाएगा। चबूतरा बनाया जाएगा, पेड़ की आयु व रोपण करने वाले शख्स का नाम भी लिखा जाएगा ताकि गांव के बच्चे वृक्ष की बाबत जानें और पौधरोपण के लिए प्रेरित हों। गांव के नर्सरी संचालक खेलावन राजभर ने पुराने पेड़ की जर्जर डाली को मजबूत करने के लिए जांच की, कीटनाशक छिड़काव बीमार से दिखने वाले बूढ़े वृक्ष की दशा सुधारने की रणनीति बनी। इसके लिए बीएचयू के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। ग्रामीणों को स्वच्छता के लिए जागरूक भी किया। सचेत किया कि आदर्श गांव बनाना है तो हमें पीएम मोदी के संदेशों का पालन करना होगा।

सांसद आदर्श ग्राम योजना - अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

स्त्रोत : पत्र सूचना कार्यालय, दैनिक समाचार

सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए क्लिक करें।

 

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate