भारतीय अर्थ व्यवस्था उच्च विकास पथ पर अग्रसर है। यूएनडीपी के मानव विकास सूचकांक 2016 के अनुसार 188 देशों की सूची में यह 131वें स्थान पर था। अपने नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारने की दृष्टि से इसकी उपलब्धि विकास गाथा के अनुरूप नहीं रही है। हालांकि, विभिन्न राज्य इस दृष्टि से विशिष्ट क्षमतावान हैं, फिर भी, उन्हें अपने नागरिकों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचा आदि में सुधार के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राज्यों के अंदर भी बड़े पैमाने पर भिन्नताएं है। कुछ जिलों ने अच्छा प्रदर्शन किया है जबकि कुछ ने कठिनाई का सामना किया है। ऐसे ज़िले जो अर्ध विकसित क्षेत्र में आते है उनकी प्रगति में सुधार के लिए संगठित प्रयास करने की जरुरत है। फलस्वरूप एचडीआई की दृष्टि से देश की रैंकिंग में अत्यधिक वृद्धि होगी और सतत संधारणीय ध्येय (एसडीजी) को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। यह 2022 तक नए भारत के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
कार्यक्रम के तहत ध्यानाकर्षण के प्रमुख क्षेत्र
यह कार्यक्रम जन आंदोलन के दृष्टिकोण को अपनाते हुए जिले के समग्र सुधार के लिए है। इसमें सभी जिलों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कार्य निष्पादन के निम्नांकित प्रयास किये जायेंगे-
क) स्वास्थ्य और पोषण ।
ख) शिक्षा
ग) कृषि और जल संसाधन ।
घ) वित्तीय समावेशन और कौशल विकास
ङ) सड़क, पेयजल की उपलब्धता, ग्रामीण विद्युतीकरण और व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालयों सहित अन्य आधारभूत सुविधाओं का विस्तार ।
मुख्य कार्य योजना
कार्यक्रम की मुख्य कार्य योजना निम्नानुसार है -
- राज्य मुख्य प्रेरकों की भूमिका निभाएंगे।
- प्रत्येक जिले की क्षमता के अनुसार कार्य करना।
- विकास को जन आंदोलन बनाना, समाज के प्रत्येक वर्ग, विशेषकर युवाओं को शामिल करना।
- सबल पक्षों की पहचान कर बेहतर परिणाम देने वाले क्षेत्रों को चिन्हित करना ताकि वे विकास के उत्प्रेरक के रूप में कार्य कर सके।
- प्रतिस्पर्धा की भावना जगाने के लिए प्रगति का आंकलन और ज़िलों की रैंकिंग।
- ज़िले राज्य स्तर पर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम के लिए संस्थागत प्रबंध
- यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें राज्य मुख्य संचालक हैं।
- केन्द्र सरकार के स्तर पर कार्यक्रम के क्रियान्वयन का दायित्व नीति आयोग का रहेगा। इसके अतिरिक्त, अलग-अलग मंत्रालयों को जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- हर जिले के लिए, अपर सचिव/संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को केन्द्रीय प्रभारी अधिकारी के रूप में मनोनीत किया गया है।
- प्रभारी अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत विशिष्ट मुद्दों पर ध्यानाकर्षित करने और स्कीमों पर चर्चा के लिए सीईओ, नीति आयोग की संयोजकता में एक अधिकार प्राप्त समिति अधिसूचित की गई है।
- इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु राज्यों से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति गठित करने का भी अनुरोध किया गया है।
- राज्यों में नॉडल अधिकारी/राज्य स्तरीय प्रभारी अधिकारी भी मनोनीत किये गए है।
जिलों का चयन
पारदर्शी मापदंडों के आधार पर 115 जिलों का चयन किया गया है। इन जिलों द्वारा अपने नागरिकों की गरीबी, अपेक्षाकृत कमजोर स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा की स्थिति तथा अपर्याप्त आधारभूत संरचना की दृष्टि से झेली जाने वाली चुनौतियों को शामिल करते हुए एक मिश्रित सूचकांक तैयार किया गया है। इन जिलों में वामपंथ, उग्रवाद से पीड़ित वे 35 जिले भी शामिल हैं जिन्हें गृह मंत्रालय द्वारा चयनित किया गया था।
संकेतक और कार्य संपादन में सुधार के उपाय
संकेतकों में सुधार के आसान उपाय नीचे दिए गए हैं –
क) मुख्य कार्य संपादन संकेतकों की पहचान - प्रत्येक विशिष्ट क्षेत्र में प्रगति को दर्शाने वाले महत्वपूर्ण संकेतकों को चिन्हित किया गया है।
ख) प्रत्येक जिले में वर्तमान स्थिति का पता लगाना और राज्य में सर्वश्रेष्ठ जिले की बराबरी का प्रयास करना - जिले को पहले अपनी स्थिति का पता लगाना चाहिए और राज्य में सर्वश्रेष्ठ जिले के साथ इसकी तुलना करनी चाहिए। अंत में इसे देश का एक सर्वश्रेष्ठ जिला बनने का प्रयास करना है।
ग) कार्य निष्पादन को सुधारना और अन्य जिलों के साथ प्रतिस्पर्धा के उपाय करना।
संकेतकों में सुधार के चरण
आधारभूत सुविधाएँ संकेतक
संकेतक – 1
पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता वाली ग्रामीण बस्तियों का प्रतिशत (ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 40 लीटर)
योजना
- राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम
उपाय
- पेयजल हेतु अपेक्षित मानदंडों को पूरा करने के लिए जल संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- जल की कमी वाले इलाकों में वर्षाजल संरक्षण तथा भूजल पुनर्भरण के माध्यम से जल संधारण सुनिश्चित करना।
- मौजूदा पेयजल योजनाओं का संचालन और अनुरक्षण सुनिश्चित करना।
- प्रस्तावित लक्ष्य को देखते हुए स्वीकृत योजनाओं की संख्या।
- लक्ष्य के अनुरुप पूरी की जा चुकी योजनाओं की संख्या।
संकेतक – 2
घरेलू शौचालय युक्त परिवारों का प्रतिशत
योजना
- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)
उपाय
- प्रशिक्षित मिस्त्री और प्लम्बर की उपलब्धता सुनिश्चित करना शौचालय निर्माण हेतु निर्माण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- शौचालयों में जल की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- प्रस्तावित लक्ष्य की तुलना में, स्वीकृत पारिवारिक शौचालयों की संख्या
- लक्ष्य की तुलना में निर्मित शौचालयों की संख्या
संकेतक – 3
आश्रयहीन अथवा कच्ची दीवार और कच्ची छत वाले एक कमरे में रह रहे। परिवारों या कच्ची दीवार और कच्ची छत वाले 2 कमरों में रह रहे परिवारों के लिए निर्मित पक्के मकानों की संख्या
योजना
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
उपाय -
- आवासन हेतु भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- प्रशिक्षित मिस्त्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- आवासों के निर्माण हेतु कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- प्रस्तावित लक्ष्य की तुलना में स्वीकृत आवासों की संख्या
- लक्ष्य की तुलना में पूरे किए गए आवासों की संख्या
संकेतक – 4
बिजली सुविधायुक्त परिवारों का प्रतिशत
उपाय
- चौबीसों घंटे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करना
- विद्युत आपूर्ति पर नजर रखने के लिए फीडर मॉनीटरिंग का उपयोग करना
- फीडर मॉनीटरिंग व्यवस्था को स्वचालित और ऑनलाइन किया जाएगा
संकेतक – 5(क)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बारहमासी सड़क सुविधा वाली बस्तियों का प्रतिशत
संकेतक - 5(ख)
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत जिले में कुल स्वीकृत किलोमीटर सड़कों में से पूर्ण हो चुके बारहमासी सड़क कार्यों के संचयी किलोमीटर की संख्या प्रतिशत के रूप में
योजना
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
उपाय
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की प्रगति पर नज़र रखने के लिए जिलाधिकारी (डीसी) अलग से बैठक करेंगे।
- जिलाधिकारी की निगरानी में परियोजना को शीघ्रता से प्रारम्भ करना।
संकेतक - 6
इंटरनेट कनेक्शन युक्त ग्राम पंचायतों का प्रतिशत।
उपाय
- कोन्ट्रेक्ट के अनुसार कार्य पूर्ण करने के लिए अंतिम समय-सीमा निर्धारित करना।
संकेतक – 7
ग्राम पंचायत स्तर पर कॉमन सर्विस सेन्टर की स्थापना और उसे पूर्ण कवरेज देना।
उपाय
- कॉमन सर्विस सेन्टर की स्थापना के लिए ग्राम स्तर पर उद्यमियों को प्रोत्साहित करना।
वित्तीय समावेशन संकेतक
संकेतक – 1
प्रति 1 लाख की आबादी पर मुद्रा ऋण (रुपये में) का सकल वितरण
योजना
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना।
उपाय
- सभी शाखाओं में नोडल अधिकारी सुनिश्चित करना।
- सभी शाखाओं में मुद्रा प्रतीक चिन्ह (लोगो) बोर्ड सुनिश्चित करना।
- बैंकिंग सेवा केंद्रों और खासकर बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट नेटवर्क की संख्या बढ़ाना।
- ऋण आवेदनों को भरने में सहायता के लिए प्रत्येक ब्लॉक में क्षेत्रीय गैर-सरकारी संगठनों को शामिल करना और स्वयंसेवकों को नामित करना।
- मुद्रा ऋण आवेदन न देने के कारण का पता लगाना।
- ऋण आवेदनों का समय पर निपटारा करना।
- प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के लिए उद्यमीमित्र पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदनों की सुविधा प्रदान करना।
- मुद्रा डेबिट कार्ड को अपनाने और उपयोग करने के लिए जागरुकता बढ़ाना और प्रोत्साहित करना।
संकेतक – 2
प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत प्रति 1 लाख आबादी पर खोले गए खातों की संख्या।
योजना
- प्रधानमंत्री जन-धन योजना।
उपाय
- ज़िला-स्तरीय कार्यान्वयन और निगरानी समिति (डीएलआईसी) को सक्रिय कर सुव्यवस्थित निगरानी करना
- कॉल सेंटर्स की स्थापना और टोल फ्री नम्बरों की शुरुआत।
- खाते खोलने के लिए आधार–समर्थित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) का उपयोग।
- खाते चेलेन्ज मोड में खोले जाएं।
संकेतक – 3
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना - प्रति 1 लाख आबादी पर नामांकनों की संख्या।
योजना
- प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना।
उपाय
- दावा निपटाने की प्रक्रिया को सरल बनाना और न्यूनतम दस्तावेज़ी अपेक्षा सुनिश्चित करना
- राशि को दावेदार/मनोनीत व्यक्ति के बैंक खाते में सीधे हस्तान्तरित करने की सुविधा प्रदान करना
- बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत बीमा उत्पाद प्रदान करने के लिए सक्षम बनाना।
- योजना को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), मुद्रा ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और अन्य ऋणों के साथ जोड़ना
संकेतक – 4
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना - प्रति 1 लाख आबादी पर नामांकनों की संख्या
योजना
- प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
उपाय
- दावा निपटान प्रक्रिया को सरल बनाना और न्यूनतम दस्तावेज़ी अपेक्षा सुनिश्चित करना
- राशि को दावेदार/नामित व्यक्ति के बैंक खाते में सीधे हस्तान्तरित करने की सुविधा प्रदान करना
- बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के बीमा उत्पाद प्रदान करने के लिए सक्षम बनाना
- योजना को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), मुद्रा ऋण, किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और अन्य ऋणों के साथ जोड़ना
संकेतक – 5
अटल पेंशन योजना (एपीवाई) - प्रति 1 लाख आबादी पर लाभार्थियों की संख्या
योजना
उपाय
- सभी बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट को एपीवाई पेंशन उत्पाद उपलब्ध कराने हेतु सक्षम बनाना
- प्रपत्रों को हिंदी और अंग्रेजी रूपांतरण सहित क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराना
- छोटे उद्योगों और सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों को लक्षित करना
- पेंशन से वंचित लोगों को पेंशन प्रदान करने के लिए स्थानीय व्यापार समितियों (व्यापारी व्यवसाय मंच) का उपयोग करना
संकेतक - 6
कुल बैंकिंग खातों के प्रतिशत के रूप में आधार के साथ जोड़े गए खातों का प्रतिशत
उपाय
- बैंक में आधार को खातों से जोड़ने के लिए बैनर लगाएं
- बैंक शाखाओं में आधार नामांकन केन्द्र को चालू किया जाए
- बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट को आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान किया जाए
- बैंक शाखाओं/बीसी में ई-केवाईसी के माध्यम से अधिक सेवाएं प्रदान की जाए।
संकेतक – 1
अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण योजना में प्रमाणिक युवकों की संख्या जिले में 15 से 29 वर्ष आयु वर्ग के युवकों की संख्या
योजना
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई)
- दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयूजीकेवाई)
उपाय
- 2011 की जनगणना के आधार पर जिले में युवा आबादी का अनुमान लगाना और उनके प्रशिक्षण के लिए सर्वाधिक लक्ष्यों का निर्धारण करना।
- कौशल विकास मेलों और सामुदायिक भागीदारी के ज़रिए युवाओं की अपेक्षाओं का पता लगाना और उसके अनुरूप उन्हें आजीविका परामर्श देना
- हार्ड और सॉफ्ट आधारभूत सरंचना (मानव संसाधन सहित) सहित प्रशिक्षण संरचना का जायजा लेना
- समय पर मूल्यांकन और प्रमाणन सुनिश्चित करना
- कौशल मेलों के आयोजन के लिए स्थानीय विधायक और सांसद कोष का उपयोग करना और कौशल श्रेणी में चैम्पियन्स ऑफ चेंज पुरस्कार की शुरुआत करना |
- मनोनीत टीम के माध्यम से नियमित निगरानी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विद्यार्थियों की उपस्थिति, प्रशिक्षित शिक्षकों की उपलब्धता और आधारभूत सुविधाओं की पर्याप्तता बनी रहे।
संकेतक - 2
प्रमाणिक और नियोजित युवाओं की संख्या/अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण के तहत प्रशिक्षित युवाओं की संख्या
योजना
- पीएमकेवीवाई (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना),
- डीडीयूजीकेवाई (दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना)
उपाय
- लक्ष्य यह सुनिश्चित करने का है कि प्रमाणपत्र धारी प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के अवसर मिलें
- ज़िलेवार कौशल मैपिंग, ताकि मांग और आपूर्ति एक समान रहे।
- स्थानीय उद्योग की मांग के अनुसार, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में सुसंगत कोर्स/ट्रेड की सुनिश्चित करना
- प्रशिक्षण के अनिवार्य अंग के रूप में सॉफ्ट स्किल और मूल रुप से आईसीटी प्रशिक्षण सुनिश्चित करना
- पाठ्यक्रम निर्धारण में स्थानीय उद्योगों को शामिल करना और उन्हें प्रशिक्षण के लिए स्थान उपलब्ध कराने को प्रोत्साहित करना
- रोजगार मेले आयोजित करना और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहित करना ताकि प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं को कैंपस प्लेसमेंट दिया जा सके।
- प्लेसमेंट के बाद एक वर्ष तक विद्यार्थियों पर नज़र रखना
संकेतक – 3
प्रशिक्षण पूरा करने वालों की संख्या/पोर्टल पर पंजीकृत प्रशिक्षणार्थियों की कुल संख्या
योजना
- एनएपीएस (राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षुता प्रोत्साहन स्कीम)
- एनएटीएस (राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण स्कीम)
उपाय
- स्थानीय उद्योगों की पहचान करना जो प्रशिक्षणार्थियों को ले सकते हैं।
- आईटीआई और अल्पकालिक प्रशिक्षण केंद्रों को उद्योग से जोड़ना
- प्रशिक्षणार्थियों के पंजीकरण हेतु स्थानीय चेम्बर ऑफ कामर्स का उपयोग
- प्रशिक्षणार्थियों को काम पर रखने वाले स्थानीय उद्योग को नकद पुरस्कार अथवा मान्यता देकर प्रोत्साहित करना
- सीएससी केंद्रों का उपयोग और अनुभवी सलाहकारों की नियुक्ति कर प्रशिक्षणार्थियों के पंजीकरण को आसान बनाना
- डीबीटी (डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से वजीफे का समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित करना
संकेतक – 4
मान्यता प्राप्त पूर्व शिक्षण प्रमाण पत्र धारी व्यक्तियों की संख्या/अनौपचारिक तौर पर कुशल कार्यबल
योजना
पीएमकेवीवाई (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना)
उपाय
- लक्ष्य यह है कि अनौपचारिक रूप से कुशल कार्यबल के रोजगार की संभावना बेहतर हो
- ऐसे क्षेत्रों की पहचान करना जो अनौपचारिक रूप से प्रशिक्षित कामगारों को नियोजित करते हैं, और ऐसे कामगारों का डेटाबेस तैयार करना ।
- आरपीएल (पूर्व शिक्षा की मान्यता) के माध्यम से प्रमाणपत्र प्राप्त कामगारों की संख्या के लिए। सर्वाधिक लक्ष्य निर्धारित करना और चिन्हित क्षेत्रों के अंतर्गत प्रशिक्षण प्रदाताओं के लिए पीएमकेवीवाई के तहत निर्धारित लक्ष्य से उनकी तुलना करना
- गतिशीलता और परामर्श के लिए आरपीएल सलाहकारों की नियुक्ति करना तथा अभ्यर्थियों को मूल्यांकन के लिए तैयार करना
- आरपीएल प्रमाणित कामगारों को पुरस्कार राशि का भुगतान समय पर सुनिश्चित करना ब्रिज पाठ्यक्रम के दौरान हुए वेतन के नुकसान को पूरा करके कामगारों को प्रमाणपत्र लेने के लिए। प्रोत्साहित करना।
- त्वरित आकलन और प्रमाणन सुनिश्चित करना
- ऐसे कामगारों को वेतन के अंतर पर नियोजित करने के लिए उद्योगों को प्रोत्साहित करना
संकेतक – 5
अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण के तहत प्रशिक्षण प्राप्त प्रमाणित कमजोर/वंचित वर्ग के युवाओं की संख्या
क) महिलाएं - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त
ख) एससी - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त
ग) एसटी - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त
घ) ओबीसी - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त
ङ)अल्पसंख्यक - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त
च)अन्यरूपेण सक्षम - प्रमाणित प्रशिक्षणप्राप्त / प्रशिक्षण और प्रमाणपत्र प्राप्त युवाओं की कुल संख्या
योजना
- पीएमकेवीवाई (प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना)
- डीडीयूजीकेवाई (दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना
- अल्पसंख्यक, सामाजिक न्याय, महिला एवं बाल विकास विभाग और निःशक्तता विभाग की योजनाएं
उपाय
- 15 से 29 वर्ष आयु समूह की जनसंख्या में से इन वंचित वर्गों की युवा जनसंख्या को अलग से चिन्हित करना
- जागरुकता और परामर्श के लिए समुदायों और पंचायतों को शामिल करना (उदाहरण के लिए कौशल सखी मॉडल, महाराष्ट्र)
- बाधा रहित प्रशिक्षण सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना
- वंचित वर्गों के स्थानीय पारंपरिक व्यवसायों (उदाहरण के लिए जनजातीय कला/पारंपरिक हस्तशिल्प) की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्किल मेपिंग
स्रोत लिंक: भारत सरकार का नीति आयोग