पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने ग्रामीण स्वच्छता के प्रभारी राज्य मंत्रियों और सचिवों के साथ नई दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय विचार विमर्श का आयोजन 2012 में किया गया। इसकी अध्यक्षता पेयजल और स्वच्छता मंत्री श्री भरत सिंह सोलंकी ने की। उन्होंने कहा कि निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के अंतर्गत 2020 तक देश को खुले में शौच करने से शत-प्रतिशत मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसे इससे पहले ही प्राप्त कर लिया जाना चाहिए। 12वीं पंचवर्षीय योजना में एनबीए के अंतर्गत पहले वर्ष में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के निर्माण और उपयोग में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया और न केवल बीपीएल परिवारों को बल्कि अनुसूचित जातियों और जनजातियों, छोटे और सीमांत किसानों, भूमिहीन मज़दूरों और विकलांग आदि को प्रोत्साहन राशि देने के लिए अधिक प्रावधान किए गये। खुले में शौच जाना ग्रामीण क्षेत्रों की एक बड़ी समस्या है जिससे महिलाओं और बच्चों को अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। समग्र स्वच्छता अभियान को 2012 में निर्मल भारत अभियान में परिवर्तित किया गया है। इस अभियान के अंतर्गत व्यक्तिगत शौचालय निर्माण के लिए इकाई परियोजना लागत बढ़ाकर 10,000 रूपये कर दी गई है।
मंत्री महोदय ने यह भी कहा कि देश में स्वच्छता की स्थिति सुधारने में महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि लोगों में खुले में शौच जाने के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता लायी जाए। उन्होंने इसके लिए मीडिया से सहयोग करने की अपील की। केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 1986 में शुरू किया गया था, लेकिन कम वित्तीय आवंटन के कारण इसका प्रभाव कम रहा।
वर्ष 2012 में टीएससी को निर्मल भारत अभियान के रूप में परिवर्तित किया गया और ग्रामीण क्षेत्रों में सफार्इ कवरेज़ की गति को और बढ़ाने के लिए दिशा-निर्देशों और उद्देश्यों को संशोधित किया गया। इसके अंतर्गत प्रोत्साहन राशि को बढ़ाकर 4600 रूपये (3200 केन्द्र से और 1400 रूपये राज्य से) कर दिया गया है। पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में केन्द्र की ओर से 500 रूपये और देने का प्रावधान है। मनरेगा के अंतर्गत सभी वांछनीय लाभार्थियों को आईएचएचएल के अनुसार 4500 रूपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी गई है। दो दिन तक चले विचारविमर्श के दौरान एनबीए के शुरू होने के बाद राज्यों की वस्तुगत और वित्तीय प्रगति की समीक्षा, एनबीए मनरेगा कन्वर्जेंस लागू करने की समीक्षा नये एनजीपी मार्गदर्शनों को लागू करना स्वच्छता निगरानी ढांचे की समीक्षा एनजीओ और अंतर्राष्ट्रीय संसाधन एजेंसियों की भूमिका की समीक्षा और शत-प्रतिशत शौच मुक्त बनाने की समयावधि आदि पर ध्यान केन्द्रित किया गया।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के 2014 के प्रतिवेदन के अनुसार निर्मल भारत अभियान का लक्ष्य, सभी ग्रामीण परिवारों के लिए 100 प्रतिशत स्वच्छता संबंधी सुविधाएं वर्ष 2022 तक उपलब्ध कराना है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) 2012, के अनुसार 40.60 प्रतिशत ग्रामीण बसावटों के पास शौचालय हैं।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने लोकसभा में बताया कि योजना आयोग के कार्यक्रम मूल्यांकन प्रभाग द्वारा संपूर्ण स्वच्छता अभियान (टीएससी) के कार्यान्वयन का मूल्यांकन किया गया है।
निर्मल भारत अभियान (एनबीए) के अंतर्गत शौचालयों के निर्माण के लिए सभी पात्र लाभार्थियों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की 3200 रूपये की पूर्ववर्ती राशि को बढ़ाकर 4600 रूपये कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त शौचालय के निर्माण के लिए महात्मा गाधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 5400 रूपये तक का उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त 900 रूपये के लाभार्थी अंशदान के साथ ही शौचालय की कुल लागत अब 10,900 रूपये है (पर्वतीय और दुर्गम क्षेत्रों के लिए1,400 रू)।
श्री कुशवाहा ने बताया कि स्वच्छता के लिए वित्तीय सहायता बढ़ाते हुए 12वीं पंचवर्षीय योजना परिव्यय को 37,159 करोड़ रूपये निर्धारित किया गया है जो 11वीं पंचवर्षीय योजना परिव्यय के 6540 करोड़ रूपये से 468 प्रतिशत अधिक है।
केन्द्रीय ग्रामीण विकास तथा स्वच्छ जल और स्वच्छता मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि 2019 तक सभी के लिए स्वच्छता का लक्ष्य हासिल करने में विभिन्न श्रेणियों के ग्रामीण शौचालय बनाने के लिए उन्होंने धन बढ़ाने के उद्देश्य से एक कैबिनेट नोट तैयार किया है। आज यहां स्वच्छता तथा पेयजल पर राष्ट्रीय कार्यशाला में श्री गडकरी ने कहा कि घरेलू शौचालयों के लिए राशि 10000 रुपये से बढ़ाकर 15000 रुपये की जाएगी, स्कूल शौचालयों के लिए 35000 रुपये की जगह 54000 रुपये दिये जाएगें। इसी तरह आंगनबाड़ी शौचालयों के लिए 8000 रुपये की जगह 20000 रुपये दिये जाएंगे तथा सामुदायिक स्वच्छता परिसरों के लिए 2 लाख रूपये की जगह 6 लाख रूपये देने का प्रस्ताव है। श्री गडकरी ने यह भी कहा कि ग्रामीण इलाकों में शौचालय बनाने के काम को मनरेगा से अलग कर दिया जाएगा।
उन्होंने तेजी से निर्णय लेने और समाज के सभी वर्गों से सहयोग मांगा ताकि अगले साढ़े चार वर्षों में भारत को गंदगी मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सके। उन्होंने कार्यशाला में शामिल राज्यों के मंत्रियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों से संघीय भाव से काम करने को कहा ताकि 2019 तक स्वच्छ भारत बनाने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की परियोजना लक्ष्य को हासिल किया जा सके।
श्री गडकरी ने इस बात की आवश्यकता पर जोर दिया कि शौचालय बनाने में गुणवत्ता हो तथा कम लागत की टेक्नॉलाजी का इस्तेमाल हो ताकि शौचालय 30 से 40 वर्ष तक टिकें। पेयजल की समस्या विशेषकर आर्सैनिक, अत्यधिक फ्लोराइड, भारी धातु तथा अन्य प्रदूषकों वाले 17 हजार बस्तियों की समस्या के बारे में उन्होंने कहा कि इस मामले से निपटने के लिए अगले दो महीनों में एक नई योजना शुरू की जाएगी और योजना पर युद्ध स्तर पर काम किया जाएगा।
इस अवसर पर पेयजल तथा स्वच्छता मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में गंदगी पर अप्रसन्नता व्यक्त कि थी और 2019 तक स्वच्छ भारत के लक्ष्य को हासिल करने की सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 2015 तक देश के प्रत्येक स्कूल में लड़के, लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय होंगे। श्री जैन ने कहा कि आईईसी प्रत्येक ग्रामीण बस्ती में शौचालय बनाने का संदेश फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। उन्होंने कार्पोरेट जगत से इस उद्देश्य के लिए सहयोग देने की अपील की।
जाने-माने वैज्ञानिक डॉ. आर. ए. माशेलकर ने कहा कि नये विचार केवल विचार नहीं रहने चाहिए बल्कि उन्हें भारत को आगे बढ़ाने के लिए व्यवहार में लाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गति, स्तर और सतत क्रम तीन ऐसे विचार हैं जिनको अमल में लाकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली जा सकती है। डॉ. माशेलकर ने कहा कि भारतीय समस्याओं को भारत के संदर्भ में समाधान की आवश्यकता है न कि पश्चिमी नकल की।
स्रोत: पेयजल एवं स्वच्छता विभाग,केंद्र सरकार एवं पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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