उ. ग्रामीण गरीबों की सतत बैकिंग सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना।
ग्रामीण विकास की अन्य योजनाओं का लाभ स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लक्षितों तक पहूँचाना।
स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आजीविका विकास सुनिश्चित करना।
गरीब महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक सशक्तिकरण करना।
चयनित जिलों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में हर परिवार से एक महिला को लेकर स्वयं सहायता समूहों की निर्माण करना तथा उस क्षेत्र को तीन वर्ष में ऐसे समूहों से संतृप्त कर देना।
उ. इस कार्यक्रम के अंर्तगत भारत में कितने जिलों का चयन किया गया है तथा झारखंड में निम्न 18 जिलों का चयन किया गया है- पलामू, लातेहार, गढ़वा, गिरिडीह, बोकारो, हजारीबाग, राँची, खूँटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला- खरसावाँ, धनबाद, चतरा, गुमला कोडरमा एवं रामगढ़।
उ. हाँ, ये भारत सरकार की योजना है जिसे नाबार्ड द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
उ. हाँ, भारत सरकार ने केन्द्रीय बजट 2011 -12 के अंतर्गत इस योजना के लिए ‘महिला स्वयं सहायता समूह विकास कोष’ के नाम से 500 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है, जिसे नाबार्ड के सहयोग से अग्रेसित किया जा रहा है। इस कोष का उपयोग स्वयं सहायता समूहों को अनुदान सहायता व ऋण के सापेक्ष पुनर्वित देने के रूप में किया जाएगा।
उ. 1. बैंकों, गैर सरकारी संगठनों तथा अन्य हितधारकों के लिए आवश्यकता अनुरूप जागरूकता पैदा करना तथा उनकी क्षमतावृद्धि करना।
2. ‘महिला स्वयं सहायता समूह विकास कोष’ से उपलब्ध अनुदान को सुयोग्य एवं चयनित संस्थाओं तक उनके कार्य – प्रगति के अनुसार पहूँचाना।
3. चयनित जिलों के अग्रणी बैंक तथा डी.डीएम्, नाबार्ड इस योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेवार होंगे।
4. स्वयं सहायता समूहों को दिये गए ऋण के सापेक्ष बैंकों को रियायती दर पर पुनर्वित्त प्रदान करना।
5. स्वयं सहायता समूहों की निगरानी के लिए क्वाउड कंप्यूटिंग पर आधारित एक सौफ्टवेयर नाबार्ड द्वारा स्थापित किया गया है।
6. योजना का मूल्यांकन ।
उ. 1. संबंधित जिलों में अग्रणी बैंक ने जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम्), नाबार्ड के साथ मिलकर इस योजना को जिले में लागू करने के लिए सुयोग्य गैर सरकार संगठनों का चुनाव करेंगे।
2. हर प्रखंड में कम से कम दो सीबीएस सुविधा युक्त बैंक शाखा, नोडल शाखा के रूप में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए काम करेंगे तथा इस योजना के अंतर्गत समूहों को ऋण व अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने के लिए संबंधित गैर सरकारी संगठनों के साथ समझौता- ज्ञापन करेंगे। इस योजना का संचालन करने के लिए आवश्यक है कि बैंक इन शाखाओं में एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति करे जो समूहों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को देखें।
3. वित्तीय सेवा, विभाग, भारत सरकार के 17 नवंबर 2011 के दिशा- निर्देशों के अनुसार बैंक स्वयं सहायता समूहों के नकद साख सीमा के आधार पर ऋण देगी।
4. जिला के एलडीएम संबंधित परियोजना क्रियान्वयन तथा निगरानी समिति के सदस्य होंगे तथा समय समय पर महिला स्वयं सहायता समूहों के प्रगति का पुनरीक्षण करेंगे।
5. परियोजना क्रियान्वयन तथा निगरानी समिति यह सुनिश्चित करेगी कि संबंधित जिले में नए व गुणवत्ता युक्त महिला स्यवं सहायता समूहों का निर्माण हो तथा वे विभिन्न आयवृद्धि गतिविधि से जुड़े।
उ. 1. चयनित जिलों के अग्रणी जिला प्रबंधक (एल. डी. एम्.) ने जिला विकास प्रबंधक (डी. डी. एम्.) नाबार्ड तथा जिला स्तरीय परामर्शदात्री समिति (डी.एल.सी.सी.) के अनुमोदन से एंकर एन.जो.ओ. (मुख्य संस्था) का चुनाव करना।
2. जिस संस्था को स्वयं सहायता समूहों बनाने तथा उनका बैंक से जुडाव के से संबंधित समझा है व स्वयं सहायता समूहों के निर्माण तथा वित्तीय जुडाव के संबंध में गहरा अनुभव है, उसी संस्था की इस योजना के क्रियान्वयन के लिए चूना जाएगा या उसे महत्व दिया गया है।
3. चयनित संस्था के द्वारा कोई भी ऐसी गतिविधि नहीं की गयी हो जो लोगों के परेशानी का कारण बने।
4. यह निश्चित किउअ गया है कि चुनी गई संस्था आर.एम्.के., कपार्ट, नाबार्ड तथा राज्य सरकार के द्वारा काली सूची में नहीं डाली गयी जो।
5. चुनी गयी एंकर गैर सरकारी संस्था योजना के क्रियान्वयन में जिला स्तर पर मुख्य अभिकरण (एजेंसी) की भूमिका निभाएगी। वह स्थानीय तथा जमीनी स्तर के छोटे संस्था के साथ साझेदारी में काम करेगी। इस साझेदारी से जुड़े खर्च का वहन समूहों के प्रोत्साहन से जुड़े कोष से एंकर संस्था के द्वारा जाएगा।
6. बैंक शाखा चुने हुए एंकर एनजीओ/सहायक संस्था के साथ समझौता – ज्ञापन करेगा।
उ. 1. चयनित चुने गए एंकर एनजीओ (मुख्य गैर सरकारी संगठन)/सहयोगी संस्था गरीबों को स्वयं सहायता समूह बनाने तथा उसे पोषित करने के लिए संगठित करेंगे। तथा उनमें बचत तथा ऋण कि आदत को विकसित करेंगे तथा चयनित बैंक शाखा के साथ लिंकेज (जुडाव) करेंगे।
2. चयनित एंकर एनजीओ/सहयोगी संस्था जिले में गरीब परिवारों के बीच संभावित महिला स्वयं सहायता समूहों का मानचित्रण करेगी।
3. चयनित एंकर एनजीओ संभावित महिला स्वयं सहायता समूहों के निर्माण, पोषण तथा विकास करने के लिए एक योजना प्रस्ताव नाबार्ड को प्रस्तुत करेगी।
4. चयनित गैर सरकारी संस्था/सहयोगी संस्था को प्रति समूह के आधार पर अनुदान सहायता प्रदान की जायेगी।
5. चयनित एंकर एनजीओ/ सहयोगी के द्वारा एसएच जी के साथ किसी भी तरह की वित्तीय मध्यस्थता नहीं की जाएगी।
6. चयनित एंकर एनजीओ/ सहयोगी संस्था ये सुनिश्चित करेंगे कि स्वयं सहायता समूह के चुकाने की क्षमता के अनुसार होंगे।
7. चयनित एंकर एनजीओ/सहयोगी संस्था बैंक के साथ हस्ताक्षरित करने के बाद एक व्यावसायिक सुगमकर्ता के रूप में बैंक के साथ काम करेंगे। तथा बैंक उनके द्वारा प्रेरित स्वयं सहायता समूहों के द्वारा लिए गए ऋण के बकाया राशि के ऊपर मासिक स्तर पर ‘सेवा शुल्क’ गैर सरकारी संगठन को देगी।
प्र. 8. स्यवं सहायता समूहों द्वारा बैंक के लिए ऋण की वसूली के लिए गैर सरकारी संस्था/ सहयोगी संस्था अनुवर्तन करेगी तथा समूह के ओवरड्यू की राशि को संस्था के ‘ सेवा शुल्क’ से काटा जाएगा।
उ. चयनित एंकर एन जी ओ को अनुदान राशि के रूप में प्रत्येक समूह पर 10,000 रूपये की राशि पांच किश्तों में विभिन्न परिणाम संकेतकों के आधार पर दी जाएगी।
उ. बैंकों के द्वारा संबंधित गैर सरकारी संस्थाओं को सेवा शुल्क के रूप में उनके द्वारा इस परियोजना के अंतर्गत बनाए गए एस एच जी द्वारा लिए गए औसत मासिक बकाया ऋण पर 5% सलाना की दर से दी जाएगी।
उ. चयनित एंकर एनजीओ/सहयोगी संस्था को सेवा शुल्क ऋण से संबंधित सेवा प्रदान करने (एसएचजी द्वारा लिए गए ऋण का पूनर्भूगतान सुनिश्चित करने) के लिए दिया जाएगा।
उ. चयनित एंकर एनजीओ/सहयोगी संस्था की ऋण दायित्व उसे भुगतान किए गए 5% सेवा शुल्क राशि तक ही समिति होगी।
उ. हाँ, किसी विशेष जिले में जहाँ एक से ज्यादा गैर सरकारी संस्थाएं इस परियोजना को क्रियान्वित कर रही है, वहाँ सभी को व्यवसायिक सुगमकर्त्ता के रूप में माना जा सकता है। परंतु इसके लिए संबंधित संस्था का बैंक के साथ समझौता ज्ञापन होना आवश्यक है।
उ. नकद साख/ऋण संबंधित ग्राहकों (एसएचजी सहित) को उपलब्ध ऋण की वह सुविधा है जिसमें वे जरूरत के मुताबिक आहरण व भुगतान कर सकते है। एसएचजी को यह नकद साख सीमा उनकी बचत के गुणक के रूप में निर्धारित की जाती हैं।
उ. इन ऋण पर ब्याज की अधिकतम दर संबंधित बैंक की बेस दर +5% वार्षिक, तक ही हो सकती हैं। हालाँकि इससे कम ब्याज दर पर ऋण देने के लिए बैंक स्वत्रंत है।
उ. समान्यत: यह वार्षिक आधार पर किया जाता है परन्तु किसी खास परिस्थिति में यह संबंधित बैंक के विवेकानुसार त्रिमासिक, अर्धवार्षिक अवधि में भी किया जा सकता है।
उ. नहीं, यह आवश्यक नहीं की स्वयं सहायता समूहों का पंजीकरण हो। परन्तु यह आवश्यक है की समूह को प्रभावी तरीकों से चलाने के लिए तथा इसकी गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए आवश्यक नियम क़ानून बनाए जाए।
उ. जैसे ही स्वयं सहायता समूह का गठन होगा तथा समूह कुछ बैठक कर लेगा, वह अपने पास के चयनित बैंक शाखा में या नजदीकी सीबीएस शाखा में या नजदीकी सीबीएस शाखा (जिसे बाद में नोडल शाखा के रूप में चयनित किया जा सकता है) में खाता खोल सकता है। यह बहुत जरूरी है कि स्वयं सहायता समूह अपने पैसे तथा बचत को सुरक्षित रखे तथा साथ ही समूह के लेन-देन में पारदर्शिता को बनाए। बैंक में बचत खाता खोलना वास्तव में समूह तथा बैंक में बचत खाता खोलना वास्तव ने समूह तथा बैंक के बीच एक रिश्त्ते की शूरूआत है। भारतीय रिजर्व बैंक ने इस संबंध में आदेश दिया है कि सभी बैंक पंजीकृत या अपंजीकृत स्वयं सहायता समूहों का बचत खाता खोलें।
समूह के बचत खाता खोलने के लिए निम्न कागजातों की आवश्यकता होगी:-
उ. सामान्यत: समूह गठन के 6 माह बाद बैंक ऋण ले सकता है। इस 6 माह की अवधि में समूह के सदस्य अपनी बचत राशि को लेन-देन कर आपसी विश्वास तथा सामंजस्य को मजबूत करते हैं।
उ. बैंक किसी भी स्वयं सहायता समूह के कुछ सदस्यों के डिफाल्टर होने से समूह को ऋण देने से मना नहीं कर सकता। हालाँकि, समूह बैंक के लिए गए ऋण से ऐसे सदस्यों को आन्तरिक ऋण देने से मना कर सकते हैं।
उ. ऋण का उद्देश्य आकस्मिक आवश्यकता बढ़ने पर, परिवार में किसी के बीमार, शादी आदि में या आय बढ़ोतरी के लिए सम्पति आदि की खरीदारी के लिए या पुराने ऋण को चुकाने के लिए हो सकते है। समूह के सदस्य आपस में विचार विमर्श कर यह निर्णय ले सकते है कि सदस्यों को किस कम के लिए ऋण दिया जाए। समूह को ऋण के उद्देश्य निर्धारण की स्वत्रंता होती है। (उपभोग व उत्पादन के लिए)।
उ. ऋण किस संस्तुति व निकासी हमेशा स्वयं सहायता समूह के नाम से की जाती हैं, न कि किसी व्यक्तिगत सदस्य के नाम से।
उ. ऋण की मात्रा समूह के द्वारा अगले 3 साल में की जाने वाली अनुमानित बचत के 4 गुना तक हो सकती हैं। (बैंक स्वयं सहायता समूह के अच्छे रिकार्ड तथा स्वास्थ के देखते हुए इस अनुपात को बढ़ा भी सकता है) समान्यत: बैंक से ऋण निकासी की सीमा जमा वर्तमान बचत के अनुसार ही होती है।
उ. आरबीआई व नाबार्ड के नियमों के अनुसार कोई भी बैंक किसी भी स्वयं सहायता समूह से कॉलेटरल/ जमानत नहीं लेगा। स्वयं सहायता समूह को ऋण स्वीकृत करने के लिए कॉलेटरल जमानत की जरूरत नहीं है क्योंकि:-
क) समूह के सदस्य यह जानते है कि बैंक से लिए ऋण उनका अपने धन जैसा पैसा है, बचत की तरह, इसलिए वे इस विवेकपूर्वक उपयोग करते हैं।
ख) समूह के सदस्य इस बात को लेकर जागरूक है कि वे समूहिक रूप से ऋण के भुगतान के लिए जिम्मेवार है।
ग) इसलिए वे ऋण लेने वाले सदस्यों के ऊपर एक नैतिक दबाव बनाते हैं।
घ) इन सब के कारण बैंक को अपनी राशि ब्याज सहित सही समय पर मिल जाती है।
उ. नहीं, ऐसा करना समूह में आंतरिक ऋण की आपसी लेन- देन प्रक्रिया को तथा सदस्यों में वित्तीय अनुशासन को प्रभावित करेगा।
उ. नाबार्ड ने स्वयं सहायता समूहों को अनुश्रवण करने के लिए एक खास वेबसाइट बनाया है www,nabardshg.in । इस वेबासाइट में प्रत्येक संस्था जो एसएचजी गठन व बैंक लिंकेज के लिए काम कर रही है (इस परियोजना सहित,) अपना पंजीकरण करती है तथा खुद के द्वारा इस प्रयोजन में होने वाली सभी प्रगति के बारे में नियमित रूप से अपडेट करती है।
उ. प्रत्येक बैंक के पास एक मूल्यांकन प्रपत्र (रेटिंग चार्ट) होता हैं जिसमें समूह का आकार, सदस्यों का प्रकार, उपस्थिति तथा बैठक, सहभागिता का स्तर, बचत की उपयोगिता, ऋण की वापसी, लेखा पुस्तकों का रख-रखाव, सदस्यों में संबंधित ज्ञान का स्तर आदि मानदंड दिए होते हैं इन सभी मानदंडों के आधार पर बैंक ऋण की मात्रा निर्धारित करता है। बैंक समूह का समय-समय पर यह मूल्यांकन कर सकता है कि समूह अपने संसाधन का उपयोग अपनी वित्तीय अनुशासन के अनुरूप कर रहा है या नहीं।
उ. नहीं, केवल नये एसएचजी ही इस परियोजना में शामिल किए जा सकते हैं। बैंक में खाता खोलने की तारीख के आधार पर नवगठित स्वयं सहायता समूह को इस परियोजना के अंतर्गत गिना जाएगा।
उ. समझौता ज्ञापन हर चुने गए बैंक शाखा के साथ किया जाएगा या शाखा को नियंत्रित करने वाले कार्यालय के साथ या जिला में भी शाखा इस योजना में भागदारी कर रहे है, उनकी तरफ से संबंधित बैंक के जिला समन्वयक के द्वारा समझौता क्या जा सकता है।
उ. 16 गैर सरकारी संस्थाओं का चयन इस योजना के अंर्तगत झारखण्ड के 18 LWE प्रभावित तथा पिछड़े जिलों में क्रियान्वित करने के लिए हुआ है।
उ. इन जिलों को चयन वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उनके पिछड़ेपन तय LWE प्रभाविकता के आधार पर किया गया है।
उ. चुने हुए जिले के प्रत्येक प्रखंड में प्रारंभिक स्तर पर योजना का क्रियान्वयन चुने हुए दो बैंकों के नोडल शाखा जिनके पास CBS की सेवा है के द्वारा किया जाएगा। DLCC के अनुमोदन पर LDM,DDM नाबार्ड के साथ मिलकर क्रियान्वयन करने वाली शाखाओं का चुनाव करेंगे, जो अग्रणी बैंक, अन्य व्यवसायिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक या अरबन को ऑपरेटिव बैंक भी हो सकती हैं।
हालाँकि यदि कोई स्वयं सहायता समूह अपने नजदीकी नॉन-नोडल बैंक शाखा में अपना बचत खाता खोलने तथा वित्तीय लेन-देन करना चाहता है तो संबंधित हितधारकों की स्वीकृति से कर सकते है। संबंधित एंकर एनजीओ इन बैंक शाखाओं के साथ एमओयू तथा योजना के अंदर प्रायोजित सेवा शुल्क की अवधारणा का पालन करना होगा।
उ. हाँ नाबार्ड के द्वारा इस योजना के अंतर्गत बने महिला स्वयं सहायता समूहों को ऋण के सापेक्ष, संबंधित बैंकों के लिए पुनार्वित उपलब्ध है।
उ. वित्तीय अनुदान एंकर संस्था के लिए है क्योंकि परियोजना की संस्तुति एंकर एनजीओ को ही की गई है जो इसके पूर्ण क्रियान्वयन के लिए जिम्मेदार होगा। एंकर संस्था तथा सहयोगी संस्था आपसी निर्णय द्वारा अनुदान को बाँट सकते है। इस संदर्भ में नाबार्ड की कोई भी भूमिका नहीं है।
उ. इस स्थिति में एंकर संस्था बनाए गए स्वयं सहायता समूह की संख्या के आधार पर स्वीकृति पत्र में वर्णित शर्तों के अनुसार नाबार्ड के पूर्व-अनुमोदन के अधर अधिक वित्तीय अनुदान के लिए योग्य होगा।
उ. योजना की अवधि स्वयं सहायता समूह गठन की संभावना व फेंजिंग पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए समूह गठन की संभावना फेज 3 साल के लिए है तो प्रारंभिक 3 वर्षों में समूहों के ऋण लिंकेज तथा आजीविका संवर्धन के लिए उसके बाद के 2 साल और लगेंगे। इस तरह परियोजना स्वत: 5 साल तक चलेगी।
उ. इस योजना के अंतर्गत यह अपेक्षित है कि स्वयं सहायता समूह तथा इसके सदस्यों को अच्छी गुणवत्ता पूर्ण सेवा उपलब्ध होगी जिसके लिए उनके सेवा शुल्क वसूल किया जाएगा। यह भी अपेक्षित है कि स्वयं सहायता समूह क्रेडिट प्लस सेवा प्राप्त कर रहे हैं। जिससे वे अपनी जीविकोपार्जन को बढ़ा सकेंगे। सरकार ब्याज दर कम करने की प्रक्रिया में है।
उ. CBS युक्त बैंकों को इस योजना के अंतर्गत लेने के कारण यह भी की सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवाओं की सहायता से इस योजना की ठीक ढंग से निगरानी कर सकेंगे। यदि जिला जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की शाखायें भी सीबीएस सम्पन्न हो जाती है तो उन्हें तो भी इस परियोजना के अंतर्गत नोडल शाखा के रूप में शामिल किया जा सकता है।
उ. नहीं, इस परियोजना के अंतर्गत ऐसे समूहों की केवल क्षमतावृद्धि जा सकती है।
उ. नहीं बचत खाते के स्वयं सहायता समूहों को इस परियोजना में शामिल माना जाएगा।
उ. समूह सदस्यों द्वारा संयुक्त होकर किए गए सामूहिक क्रियाकलापों जो की व्यक्तिगत तथा सामान्य समस्याओं से जुड़ हैं, की आवृति का विश्लेषण करते हुए,स समूह के गतिशीलता को जाँच सकते हैं।
उ. इसका निर्धारण समूह सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।
उ. स्वयं समूह द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार ये बैठक साप्ताहिक/परीक्षक/ मासिक हो सकती है।
उ. न्यूनतम निम्न पुस्तके समूह के पास होनी चाहिए:-
उ. हाँ, सदस्य अपना व्यक्तिगत खाता रख सकता है।
स्रोत : राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक, झारखण्ड /जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची
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