राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश कार्यक्रम के क्रियान्वयन पर समय-समय पर मूल्यांकन अध्ययन करेगा।
मूल्यांकन अध्ययन विख्यात संस्थान एवं संगठन को दिया जा सकता है। ये अध्ययन केंद्र, राज्य या केंद्र शासित राज्यों द्वारा दिया जा सकता है। राज्य द्वारा अध्ययन किया गया प्रतिवेदन की प्रतियाँ केंद्र सरकार को सौंपी जानी चाहिए।
राज्यों/केंद्र शासित राज्यों द्वारा इन मूल्यांकन अध्ययन में अवलोकन के आधार पर और भारत सरकार द्वारा भी समवर्ती मूल्यांकन पर उपचारी कारवाई की जा सकेगी।
प्रत्येक प्रखंड में एक प्रखंड स्तरीय समिति होगा। इसकी संरचना निम्नलिखित है -
(i) परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. सभापति
(ii) परियोजना पदाधिकारी स्वरोजगार सदस्य
(iii) प्रखंड के सभी बैंक के शाखा प्रबंधक सदस्यगण
(iv) प्रखंड/अनुमंडल स्तर के सभी लाइन विभाग के पदाधिकारी सदस्यगण
(v) स्वयं सेवी संस्था के प्रतिनिधि सदस्यगण
(vi) स्वयं सेवी संस्था के प्रतिनिधि सदस्यगण
(vii) प्रखंड विकास पदाधिकारी आयोजनकर्त्ता
समिति की बैठक बी.डी.ओ. द्वारा आयोजन की जाएगी। अग्रणी बैंक अधिकारी, डी.डी.एम. नाबार्ड, अग्रणी जिलाधिकारी और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, विशेष निमंत्रण बैठकी में भाग ले सकते हैं।
वित्तीय संस्थान के ढाँचा मैनेजर पूर्व- निर्धारित प्रपत्र में योजना के अंतर्गत प्रखंड में वित्तीय सहयोग के बारे में प्रखंड कोप रिपोर्ट देगा। बी.डी.ओ. उस रिपोर्ट को स्वीकृत करेगा। प्रखंड स्तरीय समिति का कार्यवाही को पंचायत समिति को सूचना एवं आवश्यक के लिए भेजा जायेगा। साथ ही प्रतिलिपि परियोजना निदेशक, डी.आर.डी.ए. और अग्रणी बैंक अधिकारी को भेजना होगा।
जिला स्तर पर जिला एस.जी.एस.वाई. समिति होगी जिसका सभापतित्व जिला समाहर्ता मुख्य कार्यपालिका अधिकारी करेगा। यह समिति हरेक महीना बैठकी आयोजन कर एस.जी.एस.वाई. पर प्रगति का पुनरीक्षण करेगी और जहां जरूरी है उचित कारवाई के लिए सलाह देगी।
एस.जी.एस.वाई. योजना का पुनरीक्षण करना
राज्य स्तर में ग्रामीण विकास विभाग या कोई भी विभाग जिसे ग्रामीण विकास का उत्तरदायित्व सौंपा गया है, योजना का प्रायोजन, कार्यन्वयन, अनुश्रवण और मूल्यांकन करेगा।
राज्य स्तरीय एस.जी.एस.वाई. समिति को पूरे राज्य का एस.जी.एस.वाई. का क्रियान्वयन एवं निष्पादन के निरीक्षण करने का अधिकार किया गया है।
10. निदेशक (एस.आई.आर.डी.) – सदस्य
11. आयोजनकर्त्ता : (एस.एल.बी.सी.) – सदस्य
12. सचिव – ग्रामीण विकास – सदस्य सचिव
1.कार्यक्रम का नियोजन, क्रियान्वयन और अनुश्रवण में अगुवाई एवं मार्गदर्शन प्रदान करना।
2.एस.जी.एस.वाई. का जिलावार प्रगति का पुनरीक्षण करना और सुधार के लिए सलाह देना।
3.कार्यक्रम के उद्देश्य को मद्देनजर रखते हुए क्रियान्वयन का अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करना।
4.एस.जी,एस.वाई में प्रतिष्ठित स्वयं सेवी संस्थाओं को सम्मिलित करना।
5.राज्य स्तर में नीति निर्धारण एवं क्षेत्रीय स्तर- कार्यान्वयन के बीच सार्थक संवाद के लिए मंच प्रदान करना।
6.एस.जी.एस.वाई. से संबंधित अन्य मुद्दों के बारे में चर्चा करना।
ग्रामीण विकास, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार, नाइ दिल्ली की कार्यक्रम का नीति निर्धारण, अनुश्रवण और मूल्यांकन का पूरा उत्तरदायित्व है। साथ ही साथ कोस का केन्द्रीय अंश को निर्गमित करने का उत्तरदायित्व भी है। विभाग को सहायता प्रदा करने के लिए एक केन्द्रीय स्तर समन्वयक समिति गठन किया गया है। यह समिति छ: महीने के अन्तरकाल में एक बार बैठकी करेगी।
10. सलाहकार (ग्रामीण विकास) योजना आयोग - सदस्य
11 . अतिरिक्त सचिव और एफ. ए. ग्रामीण विकास मंत्रालय - सदस्य
12. व्यवासायिक बैंको के सभी अध्यक्ष सह सह प्रबंध निदेशक - सदस्यगण
13. ग्रामीण विकास राज्य सचिवों - सदस्यगण
14. अध्यक्ष, भारतीय बैंक संघ - सदस्य
15. संयुक्त सचिव (आई.आर.डी.) ग्रामीण विकास विभाग - सदस्य/सचिव।
इसके अलावे अन्य शासकीय एवं गैर- शासकीय अधिकारीयों को बैठकी में बुलाया जा सकता है यदि उनकी आवश्यकता महसूस किया गया।
योजना के प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वयन को सुनिश्चित एवं पुनरीक्षण करना।
सहयोग सेवाएँ की लिए सहबद्धता को पुनरीक्षण करना। राज्य सरकार एवं बैंक अधिकारियों के साथ निरन्तर संवाद के लिए मंच प्रदान करना।
जब आवश्यकता हो ऋण व्यवस्था को पुनरीक्षण करना तथा कुछ परिवर्तन के साथ विकास के लिए सिफारिश करना।
समवर्ती मूल्यांकन प्रतिवेदन पर विचार करना।
स्रोत : जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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