पशु स्वास्थ्य देखभाल पशुपालन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है। पशु के स्वास्थ्य पर अपर्याप्त ध्यान कम उत्पादकता, स्थायी विकलांगता और जानवर के जीवन की हानि के रूप में पशुपालन करने वाले परिवारों के लिए भारी नुकसान का कारण हो सकता है। इसलिए मनुष्यों की तरह पशुओं के लिए भी समय पर टीकाकरण और डीवर्मिग(कृमिनाशक)जैसे स्वास्थ्य देखभाल के उपाय करना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा जब भी पशु बीमारी के लक्षण दिखाता है, तत्काल पशु चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए।
संक्रामक रोगों के फैलने और आंतरिक/बाहिरी परजीवी पशुधन की मृत्यु के दो प्रमुख कारण होते हैं। संक्रामक रोग वर्ष के दौरान नियमित समय पर महामारी के रूप में होते हैं। टीकाकरण के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अब लगभग सभी प्रमुख संक्रामक रोगों के लिए टीके उपलब्ध हैं ।
परजीवी वर्ष भर रहने वाली समस्या है जिसे डीवर्मिग/कृमिनाशक से नियंत्रित किया जा सकता है । पशुओं के रक्त, आंतरिक अंगों (आँतों, जिगर, आमाशय और फेफड़ों) और त्वचा पर अनेक जीव, कीड़े और कृमि रहते हैं। ये परजीवी पशुओं की उत्पादकता को कम कर देते हैं। इसलिए हर पशु मालिक को पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार इन परजीवियों से अपने पशुधन की रक्षा के लिए प्रयास करना चाहिए। बाहिरी परजीवियों (चिचड़ी, मक्खियों, पिस्सुओं, घुन और आंतरिक (गोल कृमि, हुक कृमि, और फ्लक्स) के लिए भी प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं।
पशु बात नहीं कर सकते, लेकिन वे संवाद कर सकते हैं। देरी से उपचार आरंभ करने से उत्पादकता और जीवन की भी हानि हो सकती है, इसलिए उनके संवाद की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है।
एक बीमार पशु में उपरोक्त लक्षणों में से एक या एक से अधिक दिखाई देता है तो,वह बीमार माना जा सकता है और पशु चिकित्सक की सलाह मांगी जा सकती है।
इन लक्षणों में से कुछ है:
स्वस्थ पशु के लक्षण |
बीमार पशु के लक्षण |
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नियमित रूप से कृमि निवारक और समय पर टीकाकरण द्वारा, उत्पादकता घाटे के एक प्रमुख कारण से बचा जा सकता है। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि जब भी पशु बीमारी के लक्षण दिखाता है पशुओं के स्वास्थ्य देखभाल के लिए समय पर कार्रवाई करने की जरूरत है। पशुपालन/पशुधन संबंधी स्थायी समिति बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान और पशुपालन विभाग के सहयोग से लोगों को जागरूक बनाने की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है ।
रोग |
किस जानवर को टीका लगाया जाना चाहिए |
टीका कब लगाया जाना चाहिए |
रक्तस्रावी पूति (हैमरेजिक सेप्टिसीमिया) (एचएस) |
मवेशी, भैंस, भेड़ और बकरियां
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हर साल बरसात के मौसम से पहले |
ब्लैक क्वार्टर्स (बीक्यू) |
मवेशी, भैंस, भेड़ और बकरियां
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हर साल बरसात के मौसम से पहले |
बिसहरिया |
मवेशी, भैंस, भेड़ और बकरियां
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केवल जब रोग उभरे |
इंट्रोटोक्सेमिया |
भेड़ और बकरियां |
हर साल बरसात के मौसम से पहले |
पीपीआर (पेटिस डेस पेस्टिस रुमिनन्ट्स)
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भेड़ और बकरियां |
बरसात के मौसम से पहले |
खुर और मुँह के रोग (एफएमडी) |
मवेशी, भैंस, सुअर, भेड़ और बकरियां
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स्वाइन फीवर |
सुअर |
साल में एक बार |
दुधिया ग्राम पंचायत के लोगों को इस बात का एहसास करने में अधिक समय की आवश्यकता नहीं पड़ी कि केवल स्वस्थ पशुओं से ही सफल और लाभदायक पशुपालन किया जा सकता है । इसके लिए बाड़े में स्वच्छता, पीने का सुरक्षित पानी और पशु की सफाई और स्वच्छता बनाए रखना अत्याधिक महत्वपूर्ण है । ग्राम सभा में यह संकल्प लिया गया कि गाँव में प्रत्येक पशु का समय पर टीकाकरण और नियमित रूप से डीवर्मिग/कृमिनाशक किया जाएगा। ग्राम पंचायत ने स्थायी समिति, दुधिया पशु पालन समिति से पशुओं की गणना करने और विभाग से टीकाकरण और स्वच्छ दवाओं के लिए एक मांग रखने के लिए कहा। इस तरह के एक छोटे से उपाय से, रुग्णता और पशुओं की मृत्यु से होने वाला घाटा काफी कम हो गया था। बेहतर पोषण ने भी काफी हद तक पशुओं की कम उत्पादकता की समस्याओं का समाधान किया ।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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