परिचय
देश के अधिकांश गांव अभी भी शिक्षा, चिकित्सा सुविधाओं, पीने के पानी, बिजली, सडक, ऋण सुविधाओं, सूचना और बाजार व्यवस्था जैसी, समस्याओं से जूझ रहे हैं| इस पृष्ठभूमि में, ग्राम विकास कार्यक्रम (वीडीपी) तैयार कर, किसी भी गांव को, विशेषकर, पिछडे इलाकों के गॉव को दत्तक स्वीकार करते हुए, उस गांव का सर्वांगीण और समेकित विकास निश्चित किया जा सकता है|
ग्राम विकास कार्यक्रम – उद्देश्य
वित्त्ीय समावेशन पर विशेष ध्यान देना और चयनित गांव का एकीकृत रूप से विकास करना ग्राम विकास कार्यक्रम का लक्ष्य है| इसमें आर्थिक विकास, आधारभूत संरचना का विकास और ऋणों की उपलब्धता के साथ साथ मानव विकास के अन्य पहलू, यानी, शिक्षा, चिकित्सा, पेय जल की आपूर्ति, आदि शामिल हैं|
कार्यान्वयन एजेंसी की आवश्यकता
सरकारी विभागों, पंचायती राज संस्थानों, बैंकों, गैर सरकारी संगठनों और अन्य सार्वजनिक संगठनों और विकास एजेन्सियों का गॉंव के सर्वांगीण विकास में शामिल होना आवश्यक है| इस एकजुट प्रयास में समन्वयन के लिए किसी भी नोडल एजेंसी की पहचान अनिवार्य है, परंतु योजना के कार्यान्वयन हेतु अपने आप में यह एक पूर्व-अपेक्षा नहीं है, क्योंकि नाबार्ड द्वारा अपने जिला विकास प्रबंधक के माध्यम से ग्राम विकास कार्यक्रम सीधे तैयार किया जा सकता है और कार्यान्वित किया जा सकता है|
नोडल/कार्यान्वयन एजेंसी कौन बन सकता है
कृषि/ग्रामीण क्षेत्र आधारित विश्वविद्यालय, किसान विकास केन्द्र, किसान क्लब, स्वयं सहायता समूह, ग्राम विकास समितियां, एकल ग्रामीण वालंटियर, सहकारी समितियां, डाक-घर और बैंक की शाखाओं जैसी कोई भी इच्छुक सरकारी/गैर-सरकारी एजेंसी नोडल एजेंसी बन सकती है|
नोडल एजेंसी का चयन
नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक स्वयं ग्राम विकास कार्यक्रम संबंधी कार्य कर सकते हैं या उपर्युक्त में से किसी एक का चयन कर नाबार्ड के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय से परामर्श से कार्यक्रम को अंतिम रूप दे सकते हैं| यह सुनिश्चित किया जाए कि चयनित एजेंसी स्थानीय हो और वांछित परिणाम प्राप्त करने हेतु अन्य हितधारकों से आवश्यक सहायता जुटाने में सक्षम हो|
नोडल एजेंसी की व्यापक भूमिका एवं दायित्व
- गांव में जागरूकता पैदा करना और विभिन्न विकास गतिविधियों के मामले में लोक संगठनों/समुदायों के निर्माण में प्रभावी नेतृत्व प्रदान करना
- गांव में नाबार्ड, राज्य/केन्द्र सरकार और एजेंसियों के विभिन्न कार्यक्रमों के संगम/ समेकन को सुगम बनाना
- ऋण सहायता में बढोत्तरी और वित्तीय समावेशन के साथ सामाजिक एवं आर्थिक और आजीविका में सुधार सुनिश्चित करने के लिए गांव के सभी परिवारों के लिए ग्राम विकास कार्यक्रम तैयार करने में सहायता करना/कार्यक्रम बनाना
- ग्रामीण जनता की क्षमता निर्माण आवश्यकताओं की पहचान करना
- कृषि के अंतर्गत उत्पादन और उत्पादकता में सुधार को सुगम बनाना
- जनता/ स्थानीय संस्थानों की भागीदारी से गांव में आधारभूत संरचनाओं के विकास में योगदान प्रदान करना
- वन संरक्षण और गांव की पारिस्थितिकी का संरक्षण और भू सार और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना|
- योजना के कार्यान्वयन में प्रगति की निगरानी करना|
गांवों का चयन – व्यापक मानदंड
- चयनित गांव जिला विकास प्रबंधक (डीडीएम) के जिले में होना चाहिए| (श्रेष्ठता के आधार पर गैर-डीडीएम जिले के गांव पर भी विचार किया जा सकता है)
- चयनित गांव में अनुक्रियात्मक पंचायत मशीनरी का होनी चाहिए|
- चयनित गांव अच्छी तरह से जिला मुख्यालय के साथ जुड़ा होना चाहिए|
- जो गांव स्वैच्छिक रूप से सहभागिता/योगदान के लिए उच्च् स्तर पर आगे आता है, उसे प्राथमिकता देनी है|
- ऐसे पिछड़े गांवों को प्राथमिकता देनी हैं, जिनमें विकास की संभाव्यता और आवश्यकता है|
ग्राम विकास कार्यक्रम – प्रमुख गतिविधियां
- ग्रामीण समुदायों से विचार विमर्श करना और सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) तकनीक द्वारा उनकी विभिन्न आवश्यकताओं का मूल्यांकन करना|
- स्वयं सहायता समूह/संयुक्त देयता समूह/किसान क्लब पहलों/उत्पादक समूहों के गठन के माध्यम से गरीबों की ऋण आवश्यकताओं को निपटाना|
- ग्रामीण हाट, गांव के आसपास विकास, कौशल विकास, सूक्ष्म उद्यम विकास (एमईडी), उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) सहित कृषि/कृषीतर गतिविधियॉं|
- ऋण आवश्यकतओं का मूल्यांकन/कृषि ग्रामीण विकास परियोजनाओं का निर्माण||
- यदि कोई सरकारी प्रायोजित कार्यक्रम हो तो, उसके सहयोग से आधारभूत संरचनाओं का सृजन करना| (इस संदर्भ में गांव में संयोजन, सिंचाई, सामाजिक आधारभूत संरचना आदि के लिए ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि से निधियों के आबंटन को प्राथमिकता दी जाए)|
- बैंकों, सरकारी विभागों और सामुदायिक संगठनों से कार्मिक क्षमता निर्माण सहित अन्य संवर्धन आवश्यकताओं हेतु अतिरिक्त ऋण आवश्यकताओं का मूल्यांकन|
- सामाजिक विकास, यानी शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं शिशु विकास, युवा कल्याण, आदि के लिए सरकारी विभागों के साथ समन्वयन
- सरकारी योजना में निर्धारित विकास कार्यक्रमों का कार्यान्वयन|
- बाजार से संबंधित मध्यस्थता
- पर्यावरण/पारिस्थितिकी ऊर्जा से संबंधित गतिविधियां
- मूल्य चेन प्रबंधन
- (ये केवल उदाहरण के लिए हैं, व्यापक और विस्तृत नहीं हैं)
ग्राम विकास कार्यक्रम योजना प्रलेख तैयार करना
योजना की तैयारी से पहले सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन (PRA)
कार्य करना है – योजना में निम्न बातें शामिल होनी चाहिए :
- प्राथमिक सूचना – महिला/पुरुष जनसंख्या की सूचना, जनगणना से साक्षरता और अन्य विवरण, गॉंव का क्षेत्रफल, भू-उपयोग पद्धति, मुख्य फसलों, दूध, मछली, सब्जियों और अन्य प्रमुख उत्पादों का उत्पादन और उत्पादकता की पद्धति, वन आवरण और जल स्रोत, आदि| सामाजिक संरचना, पिछड़े वर्गों के परिवार, स्वास्थ्य, पेय जल, बिजली, आदि सुविधाओं की उपलब्धता|
- वर्तमान स्थिति – लिंग भेद पर्यावरण, आधारभूत संरचना में कमियों, संचार सुविधाओं, आदि सहित समस्याएं/ कठिनाइयां|
- बैंकों, गैर-सरकारी संगठनों, डाक घरों, आदि जैसी संस्थागत एजेंसियों की उपस्थिति और सहयोग से संबंधित सूचना|
- वसूली स्थिति सहित ऋण प्रवाह का विवरण|
निम्न क्षेत्रों को कवर करते हुए नोडल/कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा योजना प्रलेख तैयार किया जाए:
- बैंकिंग संस्थानों के ऋण सहयोग से विकास गतिविधियां|
- नाबार्ड और राज्य/केन्द्र सरकारी एजेंसी/विभाग सहित अन्य एजेंसियों से उपलब्ध अनुदान या सरल ऋण सहयोग के रूप में संवर्धन सहयोग|
- ग्रामीण आधारभूत संरचना विकास निधि के माध्यम से राज्य सरकार के विभागों द्वारा या सीधे राज्य सरकार या पंचायती राज संस्थानों के सहयोग से आधारभूत सुविधाओं का सृजन|
- योजना के अंतर्गत अनुदान सहयोग से निधियां उपलब्ध कराने के लिए गांवों के अंगीकरण से संबंधी संवर्धन गतिविधियां (उदा| बैठकों/कार्यशालाओं का आयोजन / प्रचार आदि)
- उपर्युक्त के अलावा की जाने वाली कोई अन्य विशेष गतिविधियां/ कार्यक्रम/ योजनाएं
सरकार/अन्य एजेंसियों और नाबार्ड के कार्यक्रमों के साथ अभिमुखता
- राज्य और केन्द्र सरकार की एजेंसियों, अन्य एजेंसियों और नाबार्ड से अनुदान और अन्य सहायता प्राप्त होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के बीच तालमेल बिठाना
- शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, आदि सामाजिक विकास की सरकारी योजनाओं में एकरूपता और तालमेल के लिए प्रयास किये जाएं| नाबार्ड द्वारा समर्थित विभिन्न संवर्धन योजनाओं की निदर्शी सूची अनुबंध-I में दी गयी है| योजना की व्यापक संरचना तैयार करने का मुख्य ढांचा अनुबंध- II में दिया गया है|
समेकित योजना बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए :
ऋण वितरण में परिवारोन्मुख दृष्टिकोण :
चयनित गांवों में ग्रामीण समुदायों की विभिन्न ऋण आवश्यकताओं का मूल्यांकन और उनको पूरा करने में यथा संभव परिवारोन्मुख दृष्टिकोण अपनाना चाहिए|
किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के अंतर्गत ऋणकर्ताओं को कवर करना – वित्तीय समावेशन
काश्तकार, मौखिक पट्टेदार, बंटाईदार, चूक कर्ताओं सहित ऐसे सभी किसानों, जो अभी तक किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत कवर नहीं किये गये हैं, को पहचान कर उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड केसीसी के तहत लाने के सभी प्रयास करना है| बैंकों को यह समझाना है कि वे किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ही फसली ऋणों का वितरण सुनिश्चित करें और कुल फसली ऋणों का 2% काश्तकार/मौखिक पट्टेदारों को वितरित किया जाए|
जनता की भागीदारी
योजना की सफलता और निरंतरता, उस योजना जनता द्वारा अपनाने और सहभागिता पर निर्भर करती है| अत: प्रत्येक स्तर पर जनता की सहभागिता सुनिश्चित करना चाहिए|
योजना का लक्ष्य
योजना का उद्देश्य – चयनित गांवों का विकास इस प्रकार करना है कि वह "संपूर्ण विकास का एक दोहराने योग्य मॉडल बन जाए|
ग्राम विकास कार्यक्रम - मुख्य कार्य नीतियां
ग्राम विकास कार्यक्रम - मुख्य कार्य नीतियां (क) ग्राम पंचायतों (पंचायती राज संस्थाओं), स्वयं सहायता समूहों, किसान क्लबों, संयुक्त देयता समूहों और अन्य जन संगठनों के सहयोग से जनता की भागीदारी के साथ विकासात्मक गतिविधियो को कार्यान्वयन करना चाहिए| ‘समेकित विकास’ में नोडल कार्यान्वयन एजेंसी के सहयोग से संबंधित राज्य सरकार द्वारा आधारभूत संरचनाओं का सृजन शामिल है| यदि आवश्यक हो, तो स्थानीय स्रोतों के आधार पर और बैंकों के सहयोग और सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की सहायता से स्वयं सेवकों के माध्यम से जनता, स्वयं सहायक समूह, किसान क्लब, ग्राम पंचायत द्वारा मानवविकास की अन्य आर्थिक गतिविधियों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल की आपूर्त, आदि को भी अपनाया जा सकता है, नोडल एजेंसी सीधे या बैंक/सरकार, आदि से मिलकर इन कार्यक्रमों का समन्वय सुगम बनाने तथा वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है|
ग्राम विकास कार्यक्रम के दस आवश्यक क्षेत्र :
- पोषक सार हेतु सभी प्रकार की मिट्टियों की जांच करना और उर्वरक उपयोग संबंधी सुझाव देना|
- समेकित मिट्टी/पोषक प्रबंधन|
- फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना और उपयुक्त फसल पैटर्न का सुझाव देना
- 100% प्रमाणित बीजों का उपयोग करने, अल्प लागत निविष्टियों अर्थात् कृमि कूडा खाद, हरित खाद, आदि के प्रयोग हेतु प्रोत्साहित करना|
- किसान विकास केन्द्रों/विश्वविद्यालयों आदि जैसे अनुसंधान संस्थानों में किसानों को ऋण, तकनीकी और विपणन संबंधी गहन प्रशिक्षण देना|
- ठेके पर खेती और विपणन लिंकेज को बढ़ावा देना|
- आनुषंगिक कार्यकलापों, यानी डेरी, मुर्गीपालन, मत्स्यपालन, आदि को बढ़ावा देना और तृतीयक कार्यकलापों को प्रोत्साहित करना|
- कृषि उत्पाद हेतु भण्डार क्षमता का निर्माण करना|
- पूरे पैमाने पर वित्तीय समावेशन और साहुकारी लेनदेन क्रियाकलापों को अधिकांश रूप से समाप्त करना|
योजना की अवधि
ग्राम विकास कार्यक्रम की अवधि 3 वर्ष की होगी और आवश्यक होने पर 2 वर्ष आगे तक बढायी जा सकती है| कार्यान्वयन एजेंसी/अन्य एजेंसियां 3 वर्षों के अंदर योजना कार्यान्वित करने का भरसक प्रयास करेंगी ताकि ग्रामीण समुदाय के जीवन पर उसके सामाजिक और आर्थिक प्रभाव दिखाई दें| ग्राम विकास कार्यक्रम का प्रथम चरण 31 मई, 2012 तक पूरा किया जाना है उसके दूसरे चरण के लिए क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा 31|03|2012 तक योजना को अंतिम रूप देकर मंजूरी दी जाए| योजना की मंजूरी की तारीख से 3 वर्ष के अंदर कार्यान्वयन पूरा किया जाए| ग्राम विकास योजना दस्तावेज पर संबद्ध क्षेत्रीय कार्यालयों में एफटीटीएफ के अंतर्गत परियोजना मंजूरी समिति द्वारा विचार विमर्श किया जा सकता है|
प्रभाव को बेंचमार्क करना
तीन वर्ष की अवधि के लिए योजना के प्रभाव को मापने के लिए एक बेंचमार्किंग रणनीति वांछनीय है, जो निम्न प्रकार है :
- ……|% तक गरीबी रेखा के नीचे के परिवारों को ……| % तक कम करना
- साक्षरता स्तर को …||% तक बढाना
- अतिरिक्त नियोजन के अवसरों का सृजन कर पलायन के वर्तमान …||% स्तरको …||% तक कम करना|
- हर मौसम में गांवों तक पहुंचने के लिए सड़क व्यवस्था का निर्माण करना
- 100% वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करना और ऋण संवितरण को दोगुना करना
- ग्रामीण उद्योगों के लिए इकाइयों का संवर्धन, फसल कटाई के उपरांत सार-संभाल, प्रसंस्करण सहित मूल्यवर्धन को बढ़ावा देना और ग्रामीण कृषीतर क्षेत्र के अंतर्गत अन्य आर्थिक इकाइयों को बढ़ावा देन
- महिला-पुरुष संबंधी दृष्टिकोण
- पर्यावरण का संरक्षण /पारिस्थितिकी संतुलन /पुनर्निर्माण
तीनों वर्षों के लिए प्रत्येक वर्ष की समाप्ति पर संभावित स्थिति इंगित की जाए| विभिन्न सूचकों के अंतर्गत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निविष्टियां उपलब्ध कराने वालों को मोटे तौर पर निम्न प्रकार वर्गीकृत किये जाए (विभिन्न विभागों, बैंकों और नोडल एजेंसी सहित अन्य एजेंसियों से उपलब्ध संसाधनों को सूचित करते हुए) :
ऋण का विनियोजन
- विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के अंतर्गत विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों द्वारा प्राक्कलित लक्ष्य
- ऐसी गतिविधियां जिन्हें नाबार्ड या अन्य एजेंसियों की विविध संवर्धन निधियों से आर्थिक सहायता दी जा सकती है
अस्थायी बजट
- चयनित गांव में पहचानी गयी नोडल/या कार्यान्वयन एजेंसी की सहायता से विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के विविध कार्यकलापों और अभिसरण के समन्वयन हेतु एक वर्ष की अवधि के लिए, ऐसे गांव की जनसंख्या के आधार पर, गांवों में विभिन्न कार्यकलापों हेतु प्राक्कलित लागत अनुबंध-III में दी गयी है| स्थानीय आवश्यकताओं/अपेक्षाओं के अनुरूप अलग-अलग गांवों हेतु अलग-अलग प्राक्कलित लागत में लचीलापन हो सकता है| प्रत्येक गांव के लिए संवर्धन बजट की अधिकतम सीमा रु|50,000/- प्रति वर्ष तक सीमित है| ग्रामीण विकास योजना दस्तावेज पर संबद्ध क्षेत्रीय कार्यालय में एफटीटीएफ के अंतर्गत परियोजना मंजूरी समिति द्वारा विचार विमर्श किया जा सकता है|
- क्षेत्रीय कार्यालयों को शक्तियों का प्रत्यायोजन तथा तनाव/धमकियों के अंतर्गत परिचालित गैर सरकारी संगठनों को अतिरिक्त प्रोत्साहन
क. विनिर्दिष्ट आवश्यकता आधारित अन्य आकस्मिक, परंतु आवश्यक व्यय सहित लागत को पूरा करने के लिए प्रति ग्राम विकास कार्यक्रम (ग्राविका) के गांव के लिए प्रति वर्ष रूपए 15,000 तक क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी को “विविध सहयोग” शीर्ष के तहत शक्तियों का प्रत्यायोजन का अधिकार होगा| आवश्यक आकस्मिक व्यय की मात्रा “विविध सहयोग” शीर्ष के अंतर्गत रूपए 15,000/- की समग्र सीमा के अंदर रूपए 5,000/- से अधिक नहीं होनी चाहिए|
ख. ग्राम विकास योजना के कार्यान्वयन हेतु परियोजना धारक को प्रोत्साहन के रूप में रूपए 10,000/- से अनधिक शामिल है| गैर-सरकारी संगठनों, जो पर्वतीय/दूरस्थ/नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में (जिले और राज्यों की सूची अनुबंध में दी गयी है), काम करते हैं, के लिए प्रोत्साहन को वर्तमान रूपए 10,000/- को बढाकर रूपए 16,000/- प्रति गॉंव प्रति वर्ष कर दिया जाएगा| तथापि ग्राविका के कार्यान्वयन हेतु जिम्मेदारी प्रलेख पर हस्ताक्षर करते समय एजेंसी के साथ परस्पर सहमत शर्तों पर भुगतान की जाने वाली प्रोत्साहन की राशि पर बातचीत की जा सकती है| प्रोत्साहन अनुबंध- III में सूचित तीन वर्षों की अवधि के लिए नोडल एजेंसी को प्रति वर्ष दी जाने वाली प्रशासनिक और अन्य शीर्ष तहत होने वाले व्यय को पूरा करने के अतिरिक्त होगा|
3. ग्राम विकास योजना के कार्यान्वयन हेतु परियोजना धारक को प्रोत्साहन के रूप में रूपए 10,000/- से अनधिक शामिल है| गैर-सरकारी संगठनों, जो पर्वतीय/दूरस्थ/नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में (जिले और राज्यों की सूची अनुबंध में दी गयी है), काम करते हैं, के लिए प्रोत्साहन को वर्तमान रूपए 10,000/- को बढाकर रूपए 16,000/- प्रति गॉंव प्रति वर्ष कर दिया जाएगा| तथापि ग्राविका के कार्यान्वयन हेतु जिम्मेदारी प्रलेख पर हस्ताक्षर करते समय एजेंसी के साथ परस्पर सहमत शर्तों पर भुगतान की जाने वाली प्रोत्साहन की राशि पर बातचीत की जा सकती है| प्रोत्साहन अनुबंध- III में सूचित तीन वर्षों की अवधि के लिए नोडल एजेंसी को प्रति वर्ष दी जाने वाली प्रशासनिक और अन्य शीर्ष तहत होने वाले व्यय को पूरा करने के अतिरिक्त होगा|
4. क्षेत्रीय कार्यालयों को "लचीला दृष्टिकोण" अपनाने के लिए और कुछ विविध हस्तक्षेपों का समर्थन करने हेतु, जैसे जागरूकता कार्यक्रम, सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) कार्य पर प्रशिक्षण या अन्य कोई सहयोग पर, जो ग्राविका में कवर नहीं किया गया है, के समर्थन हेतु क्षेत्रीय कार्यालय प्रभारी को तीन वर्ष की अवधि के लिए प्रति गांव रूपए 3 लाख तक की शक्तियों का प्रत्यायोजन होगा| (रूपए 1 लाख प्रति गांव प्रति वर्ष, जिसमें ग्राविका के अंतर्गत निर्धारित सभी हस्तक्षेपों हेतु व्यय शामिल हैं, अर्थात -
क. अनुबंध-III में इंगित के अनुसार संवर्धन कार्यकलापों के लिए प्रति गांव संवर्धन बजट रूपए 50000/ तक सीमित है|
ख. गैर-सरकारी संगठनों के लिए प्रति वर्ष योजना कार्यान्वयनकर्ता एजेन्सी को देय प्रोत्साहन रूपए 16000/ है, जो पहाडी/दूरस्थ/नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में काम करते हैं, तथा अन्य क्षेत्रों के लिए रूपए 10000 /- हैं, और
ग़. “विविध हस्तक्षेप” सहित वास्तव में आवश्यक होने पर वास्तविक आधार पर व्यय करने के लिए समयोपयोगी निधि के रूप में प्रति वर्ष रूपए 40,000/ (रूपए 34000/ पहाडी क्षेत्रों में) उपलब्ध कराए गए|
“विविध सहयोग” के अंतर्गत सहायता मंजूर करते समय पर्याप्त सावधानी बरती जानी है|
परिचालन व्यवस्था
- नोडल एजेंसी द्वारा बैंकरों के लिए कार्यशाला आयोजित करना, जिसमें संकल्पना तथा परिचालन के तरीकों पर विचार विमर्श किया जाए|
- संबंधित सरकारी अधिकारियों, बैंकों, गैर सरकारी संगठनों, स्थानीय पंचायतों और अन्य विकास एजेंसियों हेतु स्थानीय स्तर पर कार्यशाला का आयोजन, जिसमें संकल्पना और उसके परिचालन के तरीके पर विचार विमर्श किया जाए|
- अधिकारियों की टीम को या पदनामित समूह (केवल इसी के लिए होने की आवश्यकता नहीं), को उत्त्र दायित्व दिया जाए और बुनियादी स्तर पर ग्राम विकास कार्य के समन्वयन के लिए एक नोडल अधिकारी नामित किया जाए|
- ग्राम विकास समिति नाम से एक समिति बनाई जाए जिसमें संबद्ध सरकारी विभागों, बैंकों, गैर सरकारी संगठनों और चुने हुए शिक्षाविद/सामाजिक कार्यकर्ता, आदि शामिल होंगे, जो योजनाओं के निर्माण, नेट वर्किंग, कार्यान्वयन, निगरानी, आदि में सहायता करेंगे|
- ग्राम विकास समिति के सदस्य सर्वसम्म्ति से अपने में से किसी एक को ग्रामीण विकास समिति की अध्यक्षता के लिए नेता के रूप में चुनेंगे|
- नोडल एजेंसी/जिला विकास प्रबंधक प्रारंभिक अवस्था में ग्राम विकास समिति के गठन/विकास के लिए (प्रथम 3 से 6 महीनों के लिए) बैठकों के आयोजन में सहायता करेंगे| जिला विकास प्रबंधक से अपेक्षा है कि वे इस पर व्यक्तिगत ध्यान दें तथा निरंतर आधारपर योजना के कार्यान्वयन की सघन निगरानी करें| वे सफल कार्यान्वयन के लिए अपेक्षित किसी प्रकार की तकनीकी अथवा प्रबंधकीय सहायता के लिए नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क कर सकते है|
- चूँकि ग्राम विकास योजना का लक्ष्य सरकारी और अन्य एजेंसियों की सभी योजनाओं को एक साथ लाना है अत: स्थानीय स्तर के सरकारी अधिकारियों को शामिल होना आवश्यक है|
- चूँकि गॉंव के विकास में ग्राम पंचायतों की अहम भूमिका होती है, अत: कार्यक्रम में उन्हें प्रारंभ में ही शामिल किया जाए|
- ग्रामीण जनता में जागरूकता पैदा करने और योजना के परिचालन हेतु उनके सुझाव प्राप्त करने के लिए अलग से बैठकें आयोजित की जा सकती है| स्थानीय नेताओं के साथ चर्चा में संकल्पना तथा संभावित लाभों, आदि के बारे में उन्हें बताया जाए|
- ग्रामीणों/ सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन कार्य पर चर्चा कर गांव की जरूरतों की पहचान की जाए| योजना के उद्देश्य और उसके प्रायोगिक स्वरूप के बारे में लोगों को बताया जाए ताकि उनकी अपेक्षाएं बहुत अधिक न हों|
- चूँकि योजना में ऋण प्रवाह निर्णायक है, अत: योजना बनाते समय स्थानीय स्तर पर ही बैंकरों को शामिल करना अनिवार्य है| ऋण का लक्ष्य नीचे से ऊपर की ओर दृष्टिकोण के आधार पर आकलित किया जाए|
- चूँकि ऋण संवितरण में वृद्धि के लिए बैंक ऋण की वसूली मे सुधार भी एक मुख्य आवश्यकता है, अत: सभी हितधारकों के साथ विचार विमर्श कर गॉंव में ऋण वसूली में पर्याप्त सुधार हेतु रणनीति बनाने की आवश्यकता है| तथापि यह योजना के कार्यान्वयन में लोगों की सहभागिता/सम्मिलन का परिणाम हो सकता है|
निगरानी व्यवस्था
ग्राम विकास समिति कार्यक्रम की निगरानी करेगी और जिला स्तर पर एक अलग निगरानी समिति बनाई जाएगी| इसमें बैंकों, गैर सरकारी संगठनों नाबार्ड, राज्य सरकार के विभाग और अन्य संबद्ध एजेंसियां शामिल होंगी| समीक्षा बैठक तिमाही आधार पर आयोजित की जाएगी|
प्रगति रिपोर्ट
नोडल एजेंसी तिमाही अधार पर इस प्रयोजन हेतु निर्धारित फार्मेट में नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय/जिला विकास प्रबंधक को प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी|
अनुबंध I
नाबार्ड की विभिन्न निधियों की सूची जिनसे संवर्धन योजनाओं को सहायता दी जा सकती है :
- ग्रामीण नवोन्मेष निधि (आरआईएफ) (कृषि और गैर-कृषि क्षेत्र के नवोन्मेषी कार्यकलापों में सहायता हेतु)
- वाटरशेड विकास निधि (डब्ल्यूडीएफ) (विपदाग्रस्त और गैर-विपदाग्रस्त जिलों में वाटरशेड विकास में सहायता के लिए)
- आदिवासी विकास निधि (टीडीएफ) – (वाड़ी कार्यक्रम को दोहराने और आदिवासियों के समेकित विकास के लिए अन्य विकास मॉडलों के लिए सहायता हेतु)
- कृषि नवोन्मेष और संवर्धन निधि (एफआईपीएफ) – (नवोन्मेषी कार्यकलापों की सहायता और कृषि क्षेत्र की गतिविधियों का संवर्धन करने के लिए)
- ग्राम आधारभूत सुविधा विकास निधि (आरआईडीएफ) – (राज्य सरकार और पंचायती राज संस्थानों, आदि द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक और सामाजिक आधारभूत सुविधाओं के लिए))
- | अनुसंधान और विकास निधि (आरएण्डडी फंड) – (कृषि तथा संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान कार्य को सहायता के लिए)
- | सहकारिता विकास निधि (सीडीएफ) – (ग्रामीण सहकारी संस्थाओं को सुदृढ बनाने के लिए)
- ग्रामीण आधारभूत सुविधा संवर्धन निधि (आरआईपीएफ)
- ग्रामीण आधारभूत सुविधा संवर्धन निधि (आरआईपीएफ)
अनुबंध II
ग्राम विकास कार्यक्रम – योजना की रूपरेखा का संक्षिप्त ढांचा
अंतर्भूत मुख्य कदम
- पहचाने गये गांवों के लोगों से परामर्श
- सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन कार्य करना
- जनता की आवश्यकताओं को पहचानना
- योजना प्रलेख तैयार करना (गांव के सामाजिक-आर्थिक, आधारभूत सुविधाओं विकास के लिए)
- ग्राम विकास समिति, गैर सरकारी संगठन, बैंक, सरकारी विभाग, पंरासं, नाबार्ड और अन्य एजेंसियों के समक्ष उसे प्रस्तुत करना|
- भौतिक, आर्थिक और संवर्धन के सहायता के लिए समन्वय और नेटवर्क
- प्रत्येक हितधारक से निश्चित प्रति-बद्धता प्राप्त करना
- सच्चे मन से कार्यान्वयन आरंभ करना
सहायता के व्यापक क्षेत्र – चेक लिस्ट
- आधारभूत सुविधाएं : आधारभूत सुविधाओं के निर्माण अपूर्ण परियोजनाओं को पूरा करने में सहायता प्रदान करना – सडक, पुल, लघु सिंचाई परियोजनाएं, स्कूल, स्वास्थ्य केन्द्र, पशु चिकित्सा केन्द्र
- ग्रामीण आवास : सफाई सुविधा सहित कम-लागत आवासों के निर्माण के लिए बैंकों द्वारा ऋण सुविधाएं प्रदान करना|
- वाटरशेड विकास : वाटरशेड विकास निधि से या सरकार से या राज्य सरकार की किसी भी विकास एजेंसी के पास उपलब्ध विशेष निधियों से सहायता प्रदान करना|
- “वाडी” कार्यक्रम : कुछ राज्यों में सफलता पूर्वक कार्यान्वित किये जाने वाले वृक्षों पर आधारित आजीविका कार्यक्रम, जिन्हें आदिवासी जिलों में कार्यान्वित करने के लिए विचार किया जा सकता है| इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु नाबार्ड/राज्य सरकार, आदि से सहायता की जा सकती है|
- कृषीतर क्षेत्र का संवर्धन और विकास : बाजार की मांग और पारंपरिक उपभोक्ता आधारित कौशल या स्थानीय स्रोतों के बीच संतुलन को ध्यान में रखते हुए चयनित गांवों में कृषीतर क्षेत्र की गतिविधियों पर योजनाबद्ध जोर देने के लिए|
- सूक्ष्म वित्तपोषण: लोगों को, विशेषकर महिलाओं को, स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए सहायता प्रदान करना और उन्हें ऋण की उपलब्धता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करते हुए स्थानीय बैंकों सेसहबद्धता द्वारा सूक्ष्म वित्तीय सेवाएं प्रदान करना| नाबार्ड सहित विभिन्न एजेंसियों से सहायता लेकर समूहों/गैर सरकारी संगठनों/ बैंकों की क्षमता बढाना|
- कृषक समूहों/ संयुक्त दायित्व समूहों या शिल्पकार समूहों के गठन के लिए गैर सरकारी संगठनों को सहायता देना|
- लाभ प्रद नकद फसलों को उगाने हेतु किसानों को प्रेरित करने के लिए प्रसार सेवाएं उपलब्ध कराने में सरकार और कृषि विश्व विद्यालय/अनुसंधान संस्थानों से समन्वय करना|
- पशुपालन/मछली पालन जैसे आनुषंगिक उपजीविकाओं द्वारा किसानों/ग्रामीणों के नकदी प्रवाह में सुधार करना|
- कारपोरेट निकायों के साथ लिंकेज को सुगम बनाना|
- व्यक्तियों/युवाओं को आय अर्जन गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना|
- क्षमता निर्माण के लिए एक्सपोजर दौरे/कार्यक्रमों का आयोजन करना|
- स्थानीय बैंकरों के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी क्षमता को बढाने और प्रेरित करने के साथ साथ अतिदेयों की वसूली में उन्हें सहयोग देना|
- गॉंवों आदि में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधी पहलों को सुगम बनाना|
- पर्यावरण संबंधी पहलों को प्रोत्साहित करते हुए पर्यावरण पारिस्थितिकी की पुन: स्थापना करना और “हरित गांव” की संकल्पना को साकार करना|
- मूल्य शृंखला प्रबंधन को सुगम बनाना|
मानव विकास पहलू
मानव विकास पहलू
जिला विकास प्रबंधकों के जिलों के लिए ग्राम विकास योजना प्रति वर्ष प्रति गॉंव के लिए विभिन्न गतिविधियों के लिए अधिकतम बजट
अनुबंध III
क्र. सं.
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विवरण
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Mमोडल 1
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Mमोडल 2
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Mमोडल 3
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1
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ग्राम स्तरीय बैठकें (प्रति बैठक का अनुमानित व्यय
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4,000
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6,000
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8,000
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2
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सरकारी अधिकारियों/जनता के प्रतिनिधियों, राजस्व अधिकारियों और विशेषज्ञों के साथ सुग्राहीकरण
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5,000
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5,000
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5,000
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3
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सहभागी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए)
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6,000
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8,000
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10,000
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4
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कार्यशाला – ग्राम स्तर/जागरूकता बैठक (3-5 कार्यशालाएं @ रूपए 2000/-)
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6,000
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8,000
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10,000
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5
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40 किसानों व अन्य प्रतिभागियों के लिए एक्सपोजर दौरा @ रूपए 250/- प्रति प्रतिभागी
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10,000
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10,000
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10,000
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6
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प्रशिक्षकों हेतु प्रशिक्षण (लगभग 10-15 प्रति भागी @ रूपए 350/- प्रति प्रतिभागी)
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3,500
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4,200
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5,250
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7
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समुदाय के हित में सामान्य प्रकृति के कार्य विशेष में विचारों का आदान प्रदान (स्थानीय आवश्यकताओं
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5,000
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8,000
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12,000
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8
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ग्राविस प्रतिनिधियों, कृषि विभाग, कृविके के साथ बैठकें (3-4 बैठकें प्रतिवर्ष @ रूपए 500/-)*
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2,000
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2,000
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2,000
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9
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12 महीनों के लिए स्थानीय स्तर के समन्वयक @ रूपए 1000/-
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12,000
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12,000
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12,000
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10
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ग्राविस को सहायता
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5,000
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7,500
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10,000
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11
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प्रशासनिक व अन्य मदें/ आकस्मिक व्यय – उक्त व्यय का @ 10%
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* आसपास के 2-3 जिलों के प्रतिभागियों के समूह के लिए इसका आयोजन किया जा सकता है| मोडल 1: 3,000 तक जन संख्या
मोडल 2: 3,000 से अधिक 5,000 तक जनसंख्या मोडल 3: 5,000 से अधिक जन संख्या
सावधानी : : प्रति गांव संवर्धन बजट की अधिकतक सीमा रूपए 50,000/- प्र|व| तक रखी की गयी है|
स्त्रोत: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)