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पंचायत समिति

पंचायत समिति

  1. एक परिचय
  2. पंचायत समिति की संरचना
  3. पंचायत समिति की कार्यावधि
  4. प्रमुख और उप प्रमुख का निर्वाचन
  5. शपथ ग्रहण
  6. प्रमुख/उप प्रमुख और अन्य सदस्यों को भत्ते
  7. पंचायत समिति की बैठक
  8. पंचायत समिति के कार्य एवं दायित्व
  9. पंचायत समिति की स्थाई  समितियाँ
  10. स्थायी समितियों के कृत्य
  11. प्रमुख की शक्ति, कार्य और दायित्व
  12. उप-प्रमुख के शक्ति, कार्य और दायित्व
  13. पंचायत समिति का स्टाफ
  14. कार्यपालक पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों की शक्तियाँ एवं कार्य
  15. पंचायत समिति की निधि
  16. पंचायत समिति द्वारा कराधान
  17. पंचायत समिति द्वारा ऋण की उगाही
  18. पंचायत समिति का बजट
  19. लेखा
  20. अंकेक्षण
  21. प्रमुख और उप-प्रमुख का त्याग पत्र
  22. प्रमुख/उप-प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव
  23. सदस्य का त्याग पत्र
  24. पंचायत समिति से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु

एक परिचय

त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अन्तर्गत पंचायत समिति मध्यवर्ती पंचायत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्राम पंचायत एवं जिला परिषद के बीच कड़ी का कार्य करता है। जिस प्रकार केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकार के प्रशासनिक एवं विधायी सम्बन्धी सारे कार्य संविधान के नियमों के अनुकूल संचालित होता है, उसी प्रकार पंचायत समिति के सारे कार्य बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के विभिन्न धाराओं एवं नियमों के अनुकूल संचालित होता है। बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-34 से लेकर धारा-61 तक में पंचायत समिति के सारे कार्यो को सम्मिलित किया गया है । पंचायत समिति का गठन प्रखंड स्तर पर होता है। ग्राम पंचायत की तरह प्रत्येक पंचायत समिति का प्रादेशिक  निर्वाचन क्षेत्र होता है, जो लगभग 5000 की आवादी पर निर्धारित होता है।

पंचायत समिति की मुख्य धारा एवं उससे संबंधित प्रावधानों का संक्षिप्त विवरण नीचे अंकित है:-

पंचायत समिति की संरचना

लगभग 5000 की आबादी पर निर्धारित प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से पंचायत समिति के लिये एक प्रतिनिधि पंचायत समिति सदस्य के रूप में मतदाताओं द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है। पंचायत समिति में प्रादेशिक  निर्वाचन क्षेत्र से सीधे चुनकर आये हुए सदस्यों के अतिरिक्त और भी निम्न सदस्य होते है :-

  • सम्बन्धित प्रखंड या इसके निर्वाचन क्षेत्र का अंशत: या पूर्णत: प्रतिनिधित्व करने वाला लोक सभा एवं विधान सभा के सदस्य;
  • राज्य सभा एवं विधान परिषद के वे सदस्य जो पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) के अन्तर्गत निर्वाचक के रूप में पंजीकृत हों;
  • पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) में पड़ने वाली सभी ग्राम पंचायत के मुखिया;
  • पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी प्रखंड विकास पदाधिकारी होता है।

पंचायत समिति की कार्यावधि

पंचायत समिति की कार्यावधि पाँच वर्षो की होती है। इसकी पहली बैठक से अगले पाँच वर्षो तक कार्यावधि होगी।

प्रमुख और उप प्रमुख का निर्वाचन

पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्य अपने बीच से दो सदस्यो को प्रमुख और उप-प्रमुख के रूप में चुनेंगे। यदि प्रमुख और उप प्रमुख के पद किसी कारण से बाद में रिक्त हो जाय तो पुन: अपने में से प्रमुख एवं उप-प्रमुख को चुनेंगे।

शपथ ग्रहण

पंचायत समिति के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों को अनुमंडल दंडाधिकारी शपथ ग्रहण करायेंगे। निर्वाचित प्रमुख एवं उप-प्रमुख को भी प्रथम बैठक में ही शपथ ग्रहण करायेंगे। प्रथम बैठक की तिथि का निर्धारण तथा अध्यक्षता भी वही करेंगें।प्रथम बैठक के बाद की सभी पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप-प्रमुख करेंगे।

प्रमुख/उप प्रमुख और अन्य सदस्यों को भत्ते

पंचायत समिति के प्रमुख/उपप्रमुख और अन्य सदस्य यथा निर्धारित बैठक शुल्क और भत्ता प्राप्त करते हैं। प्रमुख/ उप-प्रमुख को मासिक भत्ता मिलता है।

पंचायत समिति की बैठक

  • पंचायत समिति की साधारण बैठक दो माह में कम से कम एक बार बुलाना आवश्यक है। इस बैठक  की सूचना कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा पंचायत समिति के सभी सदस्यो को बैठक की तिथि, स्थान, तथा बैठक के लिये विषय सूची के साथ दस दिन पूर्व भेजनी होगी।
  • पंचायत समिति की प्रत्येक बैठक साधारणत: पंचायत समिति के मुख्यालय में की जायगी।
  • पंचायत समिति बैठक का कोरम कुल सदस्यों की संख्या के आधे सदस्यों की उपस्थिति से पूरा होगा। बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर बैठक दुवारा वुलाने का प्रावधान है। इस प्रकार दोबारा बुलाई गई बैठक में कुल सदस्यों की संख्या के पॉचवे भाग, यानि 20 प्रतिशत की उपस्थिति से कोरम पूरा होने का प्रावधान है। इससे कम विधिमान्य नहीं होग
  • पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख और उनकी अनुपस्थिति में उप प्रमुख  को करना है। यदि प्रमुख/उप प्रमुख दोनो अनुपस्थित हो तो उपस्थित सदस्यों के बीच से एक सदस्य का चयन अध्यक्षता के लिये किया जायगा।
  • साधारण बैठक में सभी विषयों का निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से होगा। किसी विषय पर मत विभाजन की स्थिति में मतदान के द्वारा निर्णय किया जायगा। अध्यक्षता करने वाला सदस्य चाहे तो मतदान में वे मतो की संख्या घोषित होने से पहले भाग ले सकते है। मत बराबर होने की दशा  में वे अपना निर्णायक मत देगा ।
  • पंचायत समिति की बैठक में विचारार्थ आये हुए मामले पर वैसा प्रमुख/उप प्रमुख/सदस्य मतदान नहीं करेगा या बैठक में भाग नहीं लेगा जिसका प्रत्यक्ष अर्थिक या निजी लाभ निहित हो।
  • प्रत्येक बैठक की कार्यवाही का लिखा जाना और उसपर अध्यक्षता करने वाले का हस्ताक्षर होना आवश्यक  है। कार्यवाही पंजी  पंचायत समिति के कार्यालय में रखी जायगी। कार्यपालक पदाधिकारी पंजी का संरक्षक होगा।
  • पंचायत समिति की बैठक में सम्बंन्धित पदाधिकारी उपस्थित रहेगें जिन्हें समय से बैठक की सूचना दी जायगी।

पंचायत समिति के कार्य एवं दायित्व

  • केन्द्र तथा राज्य सरकार एवं जिला परिषद द्वारा सौपे गये कार्य करना ;
  • सभी ग्राम पंचायत के वार्षिक योजनाओं पर विचार विमर्श  एवं समेकन करना तथा समेकित योजनाओं को जिला परिषद में प्रस्तुत करना ;
  • पंचायत समिति का वार्षिक योजना बजट पेश  करना ;
  • प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित व्यक्तियों को राहत देना ;
  • प्राकृतिक आपदाओं में प्रमुख को 25 हजार रूपया तक खर्च करने का अधिकार है ;
  • कृषि एवं उद्यान की उन्नति एवं विकास करना, खेती के उन्नत तरीको का प्रचार प्रसार करना, किसानों  के प्रशिक्षण  का इंतजाम  करना ;
  • सरकार के भूमि विकास एवं भूसंरक्षण कार्यकलापों के कार्यान्वयन में सरकार और जिला परिषद की सहायता करना ;
  • लघु सिंचाई कार्यों के निर्माण एवं अनुरक्षण में सरकार और जिला परिषद् की सहायता करना ;
  • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम एवं स्कीमों का आयोजन और कार्यान्वयन करना ;
  • पशुपालन एवं पशु चिकित्सा सेवा का विकास एवं विस्तार करना ;
  • मत्स्य उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करना ;
  • खादी ग्राम एवं कुटीर उद्योग को प्रोत्साहित करना ;
  • ग्रामीण आवास योजनाओं का कार्यान्वयन तथा आवास स्थल का वितरण करना ;
  • ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं का कार्यान्वयन, मरम्मत एवं संरक्षण करना ;
  • जल प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण ;
  • ग्रामीण स्वच्छता योजनाओं का कार्यान्वयन ;
  • सामाजिक एवं फार्म वानकी के अन्तर्गत अपने नियंत्रणाधीन सड़को के किनारे और अन्य सार्वजनिक भूमि पर वृक्ष लगाना एवं उनका संरक्षण करना ;
  • सड़क, भवन, पुल, जल मार्ग तथा संचार के योजनाओं को कार्यान्वयन एवं संरक्षण करना ;
  • गैर परम्परागत उर्जा स्त्रोतो का पता लगाना उसके विकास हेतु आवश्यक  कार्य करना ;
  • शिक्षा  के अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय भवनों का निर्माण मरम्मत एवं संरक्षण आदि कार्य करना ;
  • तकनीकी प्रशिक्षण  तथा व्यवसायिक शिक्षा   का विकास करना ;
  • वयस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा  एवं सर्वशिक्षा  अभियान का कार्यान्वयन करना ;
  • सांस्कृतिक कार्यकलाप के अन्तर्गत सांस्कृतिक एवं खेल कूद कार्य कलापों का कार्यान्वयन ;
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अन्तर्गत स्वास्थय एवं परिवार कल्याण कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करना ;
  • महिलाओं एवं बच्चो के कार्यक्रम को कार्यान्वयन करना तथा इनके विकास हेतु कार्यक्रम का निर्माण करना ;
  • समाज कल्याण, जिसमें शारीरिक तथा मानसिक रूप से नि:षक्त लोगों के कल्याण हेतु कार्यक्रम तैयार करना तथा सरकार द्वारा चलाये जा रहे योजनाओं को कार्यान्वयन कराना ;
  • कमजोर  वर्गो विशेषकर  अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जन जातियों को कल्याण हेतु सरकार द्वारा चालायी गई योजनाओं का कार्यान्वयन करना ;
  • जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत आवश्यक  वस्तुओं का वितरण सुनिश्चित कराना ;
  • ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यक्रमों का कार्यान्वयन ;
  • सहकारिता के अन्तर्गत सहकारी कार्य कलापों का विकास करना ;
  • पंचायत समिति क्षेत्र के अन्तर्गत वाचनालय एवं पुस्तकालय खोलने से सम्बंन्धित क्रिया कलापों को बढावा देना ;
  • समय-समय पर सरकार द्वारा निर्देशित  या सौपें गये अन्य कार्य करना ;

पंचायत समिति की स्थाई  समितियाँ

 

बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा-50 के अनुसार स्थाई समिति गठित करने का प्रावधान है। पंचायत समिति अपने कार्यो के प्रभावी निर्वहन के लिये अपने सदस्यों में से निर्वाचन द्वारा निम्नलिखित समितियाँ गठित करेगी:-

पंचायत समिति की स्थायी समितियाँ

1.  सामान्य स्थायी समिति

2.  वित्त अंकेक्षण तथा योजना समिति

3.  उत्पादन समिति

4.  सामाजिक  न्याय समिति

5.  शिक्षा समिति लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति

लोक निर्माण समिति

2.  प्रत्येक समिति में निर्वाचित सदस्यों में से अध्यक्ष सहित कम से कम तीन और अधिक से अधिक पाँच सदस्य होगें। प्रत्येक समिति अपने दायित्वों के प्रभावी निर्वहन के लिये विशेषज्ञों  या लोक हित से सम्बध्द अधिकतम दो सदस्यों को कोऑप्ट (सहयोजित) कर सकती है।

3.  प्रमुख सामान्य स्थायी समिति तथा वित्त, अंकेक्षण तथा योजना समिति का पदेन सदस्य और अध्यक्ष होगा तथा प्रत्येक समिति के लिये एक अध्यक्ष नामित करेगा। उप-प्रमुख सामाजिक न्याय समिति का अध्यक्ष होगा।  प्रमुख उपर्युक्त दो समितियों सहित तीन से अधिक समितियों के अध्यक्ष का प्रभार नही रखेगा , परन्तु प्रत्येक समिति में कम से कम एक महिला सदस्य होगी तथा सामाजिक  न्याय समिति में एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनुसूचित जन जाति का होगा।

4.  पंचायत समिति का निर्वाचित सदस्य तीन से अधिक समितियों का सदस्य नही होगा।

5.  कार्यपालक पदाधिकारी सामान्य स्थायी समिति तथा वित अंकेक्षण एवं योजना समिति का पदेन सचिव होगा। प्रत्येक अन्य स्थायी समिति के सचिव के रूप में जिलापदाधिकारी या उनके द्वारा प्राधिकृत पदाधिकारी जो प्रखण्ड स्तरीय सम्बध्द विभाग का प्रभारी होगा उसे सचिव के रूप में नामित करेगा।

स्थायी समितियों के कृत्य

पंचायत समितियों के सामान्य मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण के अधीन स्थायी समितियां बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा '51' के अनूसार निम्नलिखित कृत्यों का निर्वहन  करेगा :-

  • सामान्य स्थायी समिति- अन्य समितियों के कार्यों के समन्वय एवं सभी शेष कार्य जो अन्य समिति के प्रभार में नही है, सहित पंचायत समिति से संबंधित सामान्य कार्यों का निष्पादन करेगी।
  • वित, अंकेक्षण तथा योजना समिति और  वित, अंकेक्षण, बजट एवं योजना से संबंधित कृत्यों का निष्पादन करेगी।
  • उत्पादन समिति और  कृषि, भूमि विकास, लघु सिंचाई एवं जल प्रबंधन, पशुपालन, दुग्धशाला ,कुक्कुट एवं मत्स्यपालन, वानिकी प्रक्षेत्र, खादी ग्रामीण एवं कुटीर उद्योगों तथा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से संबंधित कार्यों का निष्पादन करेगी।
  • सामाजिक न्याय समिति- निम्नलिखित से संबंध्द कृत्यों का निष्पादन करेगी।
    • अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनतातियों तथा अन्य कमजोर वर्गों की शैक्षिक, आर्थिक,सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अन्य हितों का प्रोत्साहन
    • ऐसी जातियों एवं वर्गों का सामाजिक अन्याय तथा अन्य सभी प्रकार के शोषणों से सुरक्षा प्रदान करना।
    • महिलाओं तथा बच्चों का कल्याण
    • शिक्षा समिति- प्राथमिक, माध्यमिक, जन-शिक्षा सहित, पुस्तकालयों एवं सांस्कृतिक कार्यकलाप संबंधी कार्य करेगी।
    • लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समितिऔर  लोक स्वास्थ्य परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कृत्यों का निष्पादन करेगी।
    • लोक निर्माण समितिऔर  ग्रामीण आवास, जलापूर्ति श्रोत सड़क एवं आवागमन के अन्य माध्यमों एवं ग्रामीण विद्युतीकरण एवं संबंध्द कार्यों के निर्माण एवं अनुरक्षण सहित सभी प्रकार के कार्य करेगी।

समितियों की प्रक्रिया

  • पंचायत समिति सदस्यों के चुनाव, उसके कार्य संचालन तथा उनसे सम्बध्द सभी मामलों में विनियम बना सकेगी।
  • प्रत्येक समिति का अध्यक्ष समिति के कार्यों के मामले में पंचायत समिति के कार्यालय से कोई सूचना, विवरणी, विवरण लेखा या प्रतिवेदन मंगवाने तथा पंचायत समिति के किसी भी अन्य सम्पति या समिति से संबंधित कार्य की प्रगति के निरूपन और निरीक्षण का हकदार होगा।
  • प्रत्येक पंचायत समिति को यह अधिकार होगा कि वह समिति के कार्य से संबंध्द पंचायत समिति के किसी पदाधिकारी को अपनी बैठक में उपस्थित होने की अपेक्षा करें। समिति के अनुदेशों के अधीन सचिव सूचना निर्गत करेगा और पदाधिकारियों की उपस्थिति सुनिश्चित करेगा।

प्रमुख की शक्ति, कार्य और दायित्व

  • प्रमुख, पंचायत समिति की बैठक का आयोजन, अध्यक्षता तथा संचालन करेगा;
  • पंचायत समिति या स्थायी समिति के निर्णयों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करायेगें;
  • पंचायत समिति की वित्तीय और कार्यपालिका प्रशासन  पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा;
  • पंचायत समिति क्षेत्र (प्रखंड) में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित जान माल को तत्काल राहत देने के लिये उसे एक वर्ष में कुल पच्चीस हजार रूपये तक की राशि स्वीकृत करने की शक्ति होगी परन्तु पंचायत समिति की अगली बैठक में प्रमुख ऐसी स्वीकृत राशि का ब्यौरा पंचायत समिति की स्वीकृति हेतु रखेगा।

उप-प्रमुख के शक्ति, कार्य और दायित्व

  • प्रमुख की अनुपस्थिति में उप-प्रमुख पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता करेगा;
  • उप-प्रमुख पंचायत समिति के प्रमुख रूप में ऐसी शक्तियों का प्रयोग और  कर्तव्यों  का निष्पादन करेगा जो प्रमुख के लिखित आदेश  के द्वारा उसे सौंपा गया है;
  • प्रमुख का निर्वाचन लम्बित रहने या पंचायत क्षेत्र से प्रमुख की अनुपस्थिति के दौरान अथवा पन्द्रह दिनों से अधिक की अवधि के लिये प्रमुख के अवकाश  पर रहने की स्थिति में प्रमुख की शक्तियों का प्रयोग और  कर्तव्यों  का निर्वहन करेगा परन्तु प्रमुख के अवकाश से पुन: वापस आने पर वह अपनी सभी शक्तियों का प्रयोग वह पुन: प्राप्त कर लेगा।

पंचायत समिति का स्टाफ

  • सरकार पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी को नियुक्त करेगी ।
  • सरकार पंचायत समिति के अधीन काम करने के लिए समय-समय पर उतनी संख्या में राज्य सरकार के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को पदस्थापित करेगी जितना वह आवश्यक समझे ।
  • राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों के अधीन कोई पंचायत समिति अपने कार्य के संचालन के लिए समय-समय पर उतनी संख्या मे भुगतान के आधार पर या अवैतनिक कर्मचारियो की सेवा ले सकेगी जितनी की जरूरी हो।

 

कार्यपालक पदाधिकारी एवं अन्य पदाधिकारियों की शक्तियाँ एवं कार्य

  • पंचायत समिति के अधीन कार्यरत पदाधिकारी अथवा पदधारकों के कर्तव्यों का निर्धारण,पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण करेगा।
  • पंचायत समिति के सभी कार्यों एवं विकासात्मक स्कीमों के त्वरित कार्यान्वयन हेतु आवश्यक उपाय करेगा ।
  • पंचायत समिति और उसकी समितियों की बैठक की कार्यवाहियों से संबंधित सभी कागजात एवं दस्तावेजों को अपनी अभिरक्षा में रखेगा ।
  • कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति की निधि से रकम की निकासी एवं वितरण करेगा ।

कार्यपालक पदाधिकारी पंचायत समिति की प्रत्येक बैठक में शामिल होगा और उसे किसी समिति में शामिल होने तथा विचार विमर्श में भाग लेने का अधिकार होगा। किन्तु उसे कोई प्रस्ताव रखने या मतदान करने का अधिकार नही होगा। यदि पंचायत समिति के समक्ष रखे गये किसी प्रस्ताव से इस अधिनियम के उपबंधो का उल्लंघन होता हो या उसके असंगत हो तो उसका यह कर्तव्य होगा कि वह इसकी ओर पंचायत समिति का ध्यान आकृष्ट करेगा।

पंचायत समिति को सम्पति अर्जित करने, धारण करने तथा निपटारा करने की शक्ति

  • पंचायत समिति को संम्पति अर्जित करने, धारण करने तथा निपटारा करने और संविदा करने की शक्ति होगी, परन्तु अचल संपति के निपटान के सभी मामले में पंचायत समिति सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त करेगी।
  • निर्मित समस्त सड़के भवन अथवा अन्य निर्माण कार्य जो पंचायत समिति द्वारा उसके निधियों से किया गया हो उसमें निहित होंगें।
  • पंचायत समिति की अधिकारिता में अवस्थित किसी भी सार्वजनिक संपति को सरकार उसे आवंटित कर सकेगी और तत्पश्चात ऐसी सम्पति पंचायत समिति में निहित हो जायगी और उसके नियंत्रण में आ जायगी।

जहां तक पंचायत समिति को इस अधिनियम के किसी प्रयोजन को पूरा करने के लिये किसी भूमि की आवश्यकता है, वहां उक्त भूमि में हित रखने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों से बातचीत कर सकता है और किसी समझौता पर पहुंचने में असफल होता है तो वह भूमि के अर्जन के लिए जिला दण्डाधिकारी के पास आवेदन कर सकता है, और अगर जिला दण्डाधिकारी को सामाधान हो जाय कि भूमि का अधिग्रहण किसी सार्वजनिक प्रयोजन के लिये आवश्यक है तो वह भू-अर्जन अधिनियम, 1894 (अधिनियम 1, 1894) के प्रावधानों के अधीन भूमि के अर्जन के लिये कार्रवाई करेगा और ऐसी भूमि अधिग्रहण के वाद पंचायत समिति में निहीत हो जायगी।

पंचायत समिति की निधि

1.  प्रत्येक पंचायत समिति में पंचायत समिति के नाम से एक पंचायत समिति निधि का गठन किया जाएगा और जमा खाते में निम्नलिखित प्रकार की राशि जमा की जायगी :-

  • केन्द्र एवं राज्य सरकार, जिला परिषद एवं स्थानीय प्राधिकरण द्वारा दिये गये अंशदान या अनुदान
  • केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत ऋण यदि कोई हो अथवा पंचायत समिति द्वारा अपनी सम्पति से उगाही राशि।
  • अपने द्वारा उगाहे गये पथ कर, उपशुल्क और शुल्क आदि।
  • पंचायत समिति में निहित या उसके द्वारा निर्मित या इसके नियंत्रण और प्रबंधन के अधीन किसी विद्यालय अस्पताल, औषधालय, भवन, संस्थान अथवा किसी निर्माण की बावत हुई सभी प्राप्तियाँ।
  • उपहार या अंशदान के रूप में प्राप्त सभी रकम और पंचायत समिति के पक्ष में किसी भी न्यास धर्मदाय से प्राप्त सभी आय।
  • जुर्माना तथा अर्थदण्ड से वसूले गये राशि
  • पंचायत समिति द्वारा प्राप्त अन्य सभी राशियाँ।

2.  प्रत्येक पंचायत समिति कुछ ऐसी रकम को अलग रखेगी और उसे प्रति वर्ष अपने प्रशासनिक कार्यों पर खर्च करने के साथ साथ अपने पदाधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन, भता, भविष्य निधि तथा उपादान को भुगतान के लिये अपेक्षित खर्च को पूरा करने में करेगी।

3.  प्रत्येक पंचायत समिति को यह शक्ति होगी कि वह अधिनियम के प्रयोजनों  को कार्यान्यवित करने हेतु यथोचित रकम खर्च करेगी।

4.  पंचायत समिति का निधि पंचायत समिति में निहित होगा और कोष के खाता में जमा राशि ऐसी अभिरक्षा में रखी जायगी या उनका निवेश इस प्रकार किया जायगा जैसाकि राज्य सरकार समय समय पर निदेश दें।

5.  पंचायत समिति की निधि से भुगतान के लिये सभी आदेशों और चेकों  पर कार्यपालक पदाधिकारी का हस्ताक्षर होगा।

पंचायत समिति द्वारा कराधान

पंचायत समिति वाहनों के रजिस्ट्रेशन पर (जो किसी अन्य अधिनियम के अधीन निबंधित न हो), तीर्थ स्थलों, हाटों, मेलों में सफाई व्यवस्था के लिए शुल्क, जल शुल्क, विद्युत शुल्क तथा संपति कर (उक्त सभी प्रकार की आवासीय एवं वाणिज्यिक संपतियों पर कर) आदि वसूल कर सकेगी। सरकार द्वारा नियमावली के गठन के बाद एवं अधिसूचित शुल्क/ फीस के आधार पर शुल्क वसूल कर सकेगी।

पंचायत समिति द्वारा ऋण की उगाही

पंचायत समिति विशिष्ट योजनाओं के निष्पादन हेतु राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति से बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थाओं से ऋण ले सकेगी।

पंचायत समिति का बजट

प्रत्येक पंचायत समिति प्रत्येक वर्ष ऐसे समय और उस रीति से जैसे कि विहित की जाय, अगले वित्तीय वर्ष के लिये अपनी प्राप्तियों एवं वितरणों का बजट तैयार करेगी तथा बैठक में उपस्थित सदस्यों के बहुमत से पारित करायगी और वैसी बैठक के लिए कुल सदस्यों के 50 प्रतिशत से कम में कोरम नहीं होगी।

लेखा

पंचायत समिति के लेखा का संधारण विहित प्रपत्र में किया जाएगा। पंचायत समिति के सारे अभिलेख पंचायत समिति के कार्यालय में रखा जायगा जिसका संरक्षक कार्यपालक पदाधिकारी होंगे।

अंकेक्षण

पंचायत समिति के लेखा की संपरीक्षा (अंकेक्षण) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अथवा उसके द्वारा प्राधिकृत प्राधिकार करेगा और प्रतिवेदन की एक प्रति पंचायत समिति को एक माह के भीतर प्रेषित कर दी जाएगी।

प्रतिवेदन प्राप्त होने पर पंचायत समिति प्रतिवेदन में बतायी गई त्रुटियों अथवा अनियमितताओं का समाधान करेगी और विहित प्राधिकार को तीन माह के अन्दर की गई अथवा की जानेवाली अपनी कार्रवाई की सूचना भेजेगी।

प्रमुख और उप-प्रमुख का त्याग पत्र

प्रमुख किसी भी समय अपना स्वलिखित त्याग पत्र (अनुमंडल पदाधिकारी के नाम से संबोधित) अनुमंडल पदाधिकारी को देगा। उप प्रमुख अपना त्याग पत्र प्रमुख को देगा। प्रमुख की अनुपस्थिति में अनुमंडल पदाधिकारी को संबोधित कर स्वलिखित त्याग पत्र देगा। त्याग पत्र दिये जाने के सात दिनों के अन्दर स्वलिखित त्याग पत्र वापस लिये जा सकते हैं। यदि सात दिनों के अन्दर त्याग पत्र वापस नहीं लियें जाते है तो उक्त पद स्वत: रिक्त माना जायगा।

प्रमुख/उप-प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव

पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्यों द्वारा बहुमत के आधार पर उसके लिये आहुत विषेष बैठक में प्रमुख/ उप प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव पारित होने पर वह अपना पद तत्काल छोड़ देंगें।

  • अविश्वास  सम्बन्धी प्रस्ताव पर पंचायत समिति के कुल निर्वाचित सदस्यो के कम से कम एक तिहाई निर्वाचित सदस्यो के द्वारा प्रमुख को संबोधित अधियाचना (आवेदन) देगा, जिसकी प्रतिलिपि पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी को भी दी जायगी। कार्यपालक पदाधिकारी अविलम्ब अधियाचना से प्रमुख को अवगत करायेगा। पंचायत समिति के सदस्यों द्वारा प्रमुख को दिया गया आवेदन प्राप्ति के पंद्रह दिनों के अन्दर प्रमुख उक्त विशेष बैठक आयोजित करेगा। यदि प्रमुख निर्धारित तिथि के अन्दर विषेष बैठक नहीं बुलाता है तो उप-प्रमुख या सीधे निर्वाचित कुल सदस्यो में से एक तिहाई सदस्य उक्त बैठक हेतु किसी तिथि का निर्धारण कर सकेगा एवं विशेष बैठक हेतु सदस्यो को सूचना निर्गत करने एवं कार्रवाई करने हेतु कार्यपालक पदाधिकारी से अपेक्षा कर सकेगा। पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी निष्चित रूप से निर्धारित की गई तारीख को विशेष बैठक की सूचना ससमय निर्गत कर विशेष बैठक आहूत करेगें ।

एक बार बैठक हेतु निर्गत सूचना के बाद निर्धारित विशेष बैठक किसी हालत में स्थागित नहीं होगी। अविश्वास  प्रस्ताव पर विचार हेतु आहूत विशेष बैठक के लिये कोरम आवश्यक  नहीं होगा;

  • अविश्वास  प्रस्ताव प्रमुख/उप प्रमुख के विरूध्द उनके पदावधि के प्रथम दो वर्षो तक नहीं लाया जायगा;
  • प्रमुख/उप प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव एक बार नामंजूर होने की स्थिति में नामंजूर होने की तिथि से एक वर्ष तक पुन: अविश्वास  प्रस्ताव पंचायत समिति के समक्ष नहीं लाया जायगा;
  • पंचायत समिति के कार्यावधि के अन्तिम छ: माह के दौरान प्रमुख या उप प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव नहीं लाया जायगा;
  • प्रमुख/ उप-प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  प्रस्ताव हेतु निर्गत सूचना में उन कारणों आरोपों का स्पष्ट रूप से जिक्र रहेगा जिनके आधार पर अविश्वास  लाया गया है;
  • अविश्वास प्रस्ताव हेतु बुलाई गई विशेष बैठक की अध्यक्षता करने वाला सदस्य उपस्थित सदस्यो  के समक्ष उस प्रस्ताव को पढेगा जिसपर विचार करने के लिये विशेष बैठक बुलाई गई हो, और उस पर विचार-विमर्श करने की घोषणा करेगा। कोई भी विचार-विमर्श स्थगित नहीं किया जायगा;
  • प्रमुख/उप प्रमुख को पंचायत समिति के समक्ष विचार-विमर्श  के दौरान उन पर लगाये  गये आरोप के सम्बन्ध में सफाई देने का अवसर दिया जायगा;
  • विचार-विमर्श  के उपरान्त अविश्वास  प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में उसी दिन गुप्त मतदान कराया जायेगा;
  • प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  आने की स्थिति में उप प्रमुख विशेष बैठक की अध्यक्षता करेगा। उप प्रमुख के विरूध्द अविश्वास  आने की स्थिति में प्रमुख विशेष बैठक की अध्यक्षता करेगा। दोनों के विरूध्द अविश्वास आने की स्थिति में बैठक की अध्यक्षता पंचायत समिति के निर्वाचित तथा बैठक में उपस्थित सदस्यों के बीच से निर्वाचित किसी सदस्य द्वारा की जायगी।

बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा-44 की उप धारा-4 के अधीन प्रमुख/उप प्रमुख को हटाया जाना

इस अधिनियम के अन्तर्गत पंचायत समिति का कोई प्रमुख/उप प्रमुख बिना पर्याप्त कारण स्पष्ट किये पंचायत समिति के तीन लगातार बैठकों से अनुपस्थित रहता हो या कर्तव्यो के निर्वहन जान बुझकर नहीं करता हो या अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करता हो या अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कदाचार का दोषी पाया जाता हो तो सरकार आदेश दे कर उन्हें हटा सकती है। निहित शक्तियों के दुरूपयोग या अपने दायित्वों के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाए जाने के आरोप में हटाया गया प्रमुख/उप-प्रमुख हटाये जाने की तिथि से अगले पाँच वर्षों तक पंचायती राज निकाय के किसी पद पर उम्मीदवार नहीं होगा। शारीरिक, मानसिक तौर पर कार्य करने के अयोग्य हो या आपराधिक मामले में छ: माह से अधिक फरार हो, तब सरकार प्रमुख/उप प्रमुख को स्पष्टीकरण का अवसर देगा एवं स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं रहने की स्थिति में उनको पद से हटा सकेगा।

इस प्रकार हटाया गया प्रमुख/उप प्रमुख पंचायत समिति  की शेष अवधि के दौरान पुन: निर्वाचन का पात्र नहीं होगा।

सदस्य का त्याग पत्र

पंचायत समिति का निर्वाचित सदस्य  पंचायत समिति के प्रमुख को संबोधित स्वलिखित आवेदन द्वारा अपनी सदस्यता त्याग सकता है। त्याग पत्र देने के सात दिनों के अन्दर वे चाहे तो अपना त्याग पत्र स्व लिखित आवेदन के द्वारा वापस ले सकता है। त्याग-पत्र वापस नहीं लेने पर उसके बाद वह स्वीकृत हो जायगा और वह पद रिक्त मान लिया जायगा।

पंचायत समिति से संबंधित महत्वपूर्ण बिन्दु

 

प्र0-1   पंचायत समिति की बैठक का आयोजन कब किया जाना है?

ऊ0     पंचायत समिति की बैठक का आयोजन दो माह में कम-से-कम एक बार निश्चित रूप से की जानी है।

प्र0-2   पंचायत समिति के बैठक के आयोजन की क्या प्रक्रिया है?

ऊ0     पंचायत समिति के गठन के बाद पंचायत समिति की पहली बैठक अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा तय की गई तिथि पर आयोजित की जाएगी जिसकी अध्यक्षता अनुमंडल पदाधिकारी करेगा तथा प्रत्येक पश्चातवर्ती साधारण बैठक की तारीख पंचायत समिति की पूर्व की बैठक में तय की जाएगी परन्तु प्रमुख, पर्याप्त कारणों से बैठक की तारीख को बदलकर बाद की तारीख को रख सकेगा। प्रमुख, जब कभी वह उचित समझे और सदस्यों की कुल संख्या की एक तिहाई से अन्यून सदस्यों के लिखित निवेदन पर और ऐसे निवेदन की प्राप्ति से 15दिनों के भीतर पड़नेवाली तारीख को विशेष बैठक बुला सकेगा। ऐसे निवेदन में विषय सूची उल्लिखित रहेगा जिसके लिए बैठक बुलाने का प्रस्ताव है।

यदि प्रमुख विशेष बैठक नहीं बुलाता है तब उपप्रमुख या कुल सदस्यों के एक तिहाई सदस्य ऐसे निवेदन के उपस्थापन के 15 दिनों की अनधिक अवधि के भीतर किसी दिन विशेष बैठक बुला सकते हैं तथा कार्यपालक पदाधिकारी से तत्संबंधी सूचना निर्गत करने एवं आवश्यक प्रबंधन की अपेक्षा कर सकेगा।

पंचायत समिति की बैठक में कार्य- संव्यवहार के लिए साधारण बैठकोंके लिए दस दिनों की नोटिस तथा विशेष बैठक के लिए सात दिनों की नोटिस दी जाएगी उसमें विचारणीय प्रस्ताव/ उपप्रस्ताव का उल्लेख होगा तथा एक प्रति पंचायत समिति के कार्यालय में चिपका दी जाएगी।

पंचायत समिति की बैठकों में सरकारी पदाधिकारियों की उपस्थिति अपेक्षित है। अपनी अनुपस्थिति की स्थिति में सरकारी पदाधिकारी अपने सक्षम कनीय पदाधिकारी को प्रतिनियोजित कर सकते हैं।

प्र0-3   पंचायत समिति की बैठक हेतु कितनी गणपूर्ति (कोरम) आवश्यक है?

ऊ0     पंचायत समिति की बैठक के लिए गणपूर्ति सदस्यों की कुल संख्या की आधी होगी।

प्र0-4   पंचायत समिति की बैठक हेतु यदि गणपूर्ति (कोरम) नहीं होती हो तब क्या किया जायेगा?

ऊ0     किसी बैठक के लिए नियत समय पर यदि गणपूर्ति नहीं होती हो, तो ऐसी स्थिति में सभापतित्व करने वाला व्यक्ति एक घंटे तक प्रतीक्षा करेगा और यदि ऐसी अवधि के भीतर गणपूर्ति पूरा हो जाए तो बैठक चलेगी, किन्तु यदि ऐसी अवधि के भीतर कोरम पूरा नहीं होता हो तो सभापतित्व करने वाला व्यक्ति अगले दिन के किसी ऐसे समय के लिए बैठक स्थगित कर देगा, जैसा वह नियत करे। वह इस प्रकार बैठक प्रारंभ होने के बाद किसी भी समय बैठक स्थगित कर सकेगा, यदि उसका ध्यान कोरम के अभाव की ओर आकृष्ट किया जाय। ऐसी स्थगित बैठकों में कुल सदस्य संख्या के पांचवें भाग से बना कोरम अपेक्षित होगा तथा उस कार्य का संव्यवहार किया जाएगा जो मूल बैठक में सम्पादनार्थ लाया जाता।

प्र0-5   पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा?

ऊ0     पंचायत समिति की बैठक की अध्यक्षता प्रमुख करेगा।

प्र0-6   पंचायत समिति की स्थायी समिति क्या है?

ऊ0     पंचायत समिति अपने कृत्यों के प्रभावी निर्वहन हेतु सात स्थायी समिति यथा :-

1. सामान्य स्थायी समिति

2. वित्त , अंकेक्षण तथा योजना समिति

3. उत्पादन समिति

4. सामाजिक न्याय समिति

5. शिक्षा समिति

6. लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति एवं

7. लोक निर्माण समिति का गठन कर सकेगी।

प्र0-7   पंचायत समिति की स्थायी समिति के क्या कार्य है?

ऊ0     पंचायत समिति की स्थायी समिति के निम्न कार्य हैं :-

(क) सामान्य स्थायी समिति

अन्य समितियों के कार्यों के समन्वय एवं सभी अवशिष्ट कार्य जो अन्य समिति के प्रभार में नहीं है, सहित पंचायत समिति से संबंधित सामान्य कार्यों का निष्पादन करेगी।

(ख) वित्त , अंकेक्षण तथा योजना समिति

वित्त, अंकेक्षण तथा योजना समिति वित्त ,अंकेक्षण, बजट एवं योजना से संबंधित कृत्यों का निष्पादन करेगी।

(ख) उत्पादन समिति

कृषि, भूमि विकास, लघु सिंचाई एवं जल प्रबन्धन, पशुपालन, दुग्धशाला, कुक्कुट एवं मत्स्यपालन, वानकी प्रक्षेत्र, ख़ादी ग्रामीण एवं कुटीर उद्योगों तथा गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से संबंधित कार्यों का निष्पादन करेगी।

(ग) सामाजिक न्याय समिति

अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य हितों का प्रोत्साहन संबंधित कार्य एवं ऐसी जातियों और वर्गों को सामाजिक अन्याय एवं अन्य सभी प्रकार के शोषणों से सुरक्षा प्रदान करने संबंधी कार्य तथा महिलाओं एवं बच्चों का कल्याण।

(घ) शिक्षा समिति

प्राथमिक, माध्यमिक, जनशिक्षा सहित शिक्षा, पुस्तकालयों एवं सांस्कृतिक कार्यकलापों से संबंधित कार्य करेगी।

(ड.) लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता समिति

लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं ग्रामीण स्वच्छता संबंधी कार्यों को करने के लिए।

(च)  लोक निर्माण समिति

ग्रामीण आवास, जलापूर्ति स्रोतों , सड़क एवं आवागमन के अन्य माध्यमों, ग्रामीण विद्युतीकरण एंव संबंधित कार्यों के निर्माण एवं अनुरक्षण सहित सभी संबंधी कार्यों को करने के लिए।

प्र0-8   पंचायत समिति की स्थायी समिति का गठन किस प्रकार किया जाना है?

ऊ0     पंचायत समिति की स्थायी समिति का गठन निम्न प्रकार से किया जा सकता है :-

(क)  प्रत्येक पंचायत समिति अपने कृत्यों के प्रभावी निर्वहन हेतु निर्वाचित सदस्यों में से चुनाव द्वारा समितियों का गठन करेगी।

(ख) प्रत्येक समिति में निर्वाचित सदस्यों में से अध्यक्ष सहित कम-से-कम तीन और अधिक-से-अधिक पांच सदस्य होंगे। प्रत्येक समिति अपने दायित्वों के प्रभावी निर्वहन हेतु विशेषज्ञों एवं जनहित से प्रेरित व्यक्तियों में से अधिक-से-अधिक दो सदस्यों को सहयोजित (कोऑप्ट) कर सकेगी।

(ग) प्रमुख, सामान्य स्थायी समिति तथा वित्त, अंकेक्षण एवं योजना समिति का पदेन सदस्य एंव अध्यक्ष होगा तथा प्रत्येक अन्य समिति के लिए एक अध्यक्ष नामित करेगा। उप-प्रमुख सामाजिक न्याय समिति का अध्यक्ष होगा। प्रमुख उपर्युक्त दो समितियों सहित तीन से अधिक समितियों के अध्यक्ष का प्रभार नहीं रखेगा।

परन्तु यह कि प्रत्येक समिति में कम-से-कम एक महिला सदस्य होगी तथा सामाजिक न्याय समिति का एक सदस्य अनुसूचित जाति या अनूसूचित जनजाति का होगा।

(घ) पंचायत समिति का कोई निर्वाचित सदस्य यथाशक्य तीन से अधिक समितियों का सदस्य नहीं होगा।

(ड.) कार्यपालक पदाधिकारी सामान्य स्थायी समिति तथा वित्त, अंकेक्षण एवं योजना समिति का पदेन सचिव होगा। प्रत्येक अन्य स्थायी समिति के सचिव के रूप में जिला पदाधिकारी या उनके द्वारा इस संबंध में प्राधिकृत पदाधिकारी एक पदाधिकारी का नाम निर्दिष्ट करेगा जो साधारणतया: प्रखंड स्तरीय संबंध विभाग का प्रभारी होगा।

(च) पंचायत समिति के सामान्य मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण, एवं नियंत्रण के अधीन स्थायी समितियां कृत्यों का निर्वहन करेगी।

प्र0-9   पंचायत समिति के क्या कार्य है?

ऊ0     पंचायत समिति निम्नलिखित मुख्य कार्य का निष्पादन करेगी :-

(i) अधिनियम के द्वारा सौंपी गई तथा सरकार या जिला पर्षद द्वारा सौंपी गई स्कीमों की वार्षिक योजनाएँ बनाना तथा जिला योजना में सम्मिलित करने हेतु विहित समय के अन्दर में जिला परिषद में प्रस्तुत करना

(ii) ग्राम पंचायतों की वार्षिक योजनाओं पर समिति पर विचार विमर्श एवं समेकन करना तथा समेकित योजना को जिला परिषद में प्रस्तुत करना

(iii) पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनाना तथा समेकित योजना को जिला परिषद में प्रस्तुत करना।

(iv) ऐसे कार्यकलापों का सम्पादन एवं ऐसे कार्यों का निष्पादन जो इसे सरकार या जिला परिषद द्वारा सौंपे जाए

(v)  कृषि (कृषि विस्तार सहित)

(vi) भूमि सुधार एवं भू-संरक्षण

(vii) लघु सिंचाई

(viii) गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम

(ix) पशुपालन, गब्य एवं कुक्कुट

(x)मत्स्य उद्योग

(xi) खादी, ग्राम्य एवं कुटीर उद्योग

(xii) ग्रामीण आवास

(xiii) पेयजल

(xiv)सामाजिक एवं फार्म वानिकी, लघु वन- उत्पादन, ईंधन एवं चारा

(xv) सड़क, भवन, पुल,फेरी, जलमार्ग तथा संचार के अन्य साधन

(xvi) गैर-परम्परागत ऊर्जा स्त्रोत

(xvii) शिक्षा, जिसमें प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय भी शामिल हैं

(xviii) तकनीकि प्रशिक्षण एवं व्यवसायिक शिक्षा

(xix) व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा

(xx) सांस्कृतिक कार्यकलाप

(xxi) बाजार एवं मेला

(xxii) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण

(xxiii) महिलाओं एवं बच्चों का विकास

(xxiv) समाज कल्याण (शारीरिक तथा मानसिक रूप से नि:शक्त लोगों का कल्याण) (xxv) कमजोर वर्गों (अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों) का कल्याण (xxvi) सामुदायिक आस्तियों का अनुरक्षण

(xxvii) जन वितरण प्रणाली

(xxviii) ग्रामीण विद्युतीकरण

(xxix) सहकारिता

(xxx) पुस्तकालय

(xxxi) सौंपे गए ऐसे अन्य कार्य।

प्र0-10  प्रमुख की शक्तियाँ, कृत्य और  कर्तव्य  क्या हैं?

ऊ0     प्रमुख की शक्तियाँ, कृत्य और  कर्तव्य  निम्न हैं :-

(क) पंचायत समिति की बैठक का आयोजन, अध्यक्षता तथा उसका संचालन करेगा।

(ख) पंचायत समिति या स्थायी समितियों के वैसे संकल्पों या निर्णयों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्यपालक पदाधिकारी पर पर्यवेक्षण और नियंत्रण रखेगा जो इस अधिनियम के उपबंध अथवा इस अधिनियम के अधीन निर्गत सामान्य या विशेष निर्देशों से असंगत न हों।

(ग) पंचायत समिति का वित्तीय और कार्यपालिका प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण रखेगा और उससे संबंधित ऐसे सभी प्रश्नों को पंचायत समिति के समक्ष रखेगा जिसके संबंध में इसे ऐसा लगे कि उस पर पंचायत समिति का आदेश आवश्यक है ओर इस प्रयोजनार्थ पंचायत समिति के अभिलेखों की मांग कर सकेगा, और

(घ) पंचायत समिति क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित जन-जीवन को तत्काल राहत देने के प्रयोजनार्थ उसे एक वर्ष में कुल पच्चीस हजार रूपये तक की राशि स्वीकृत करने की शक्ति होगी।

परन्तु पंचायत समिति की अगली बैठक में प्रमुख ऐसी स्वीकृति का ब्यौरा पंचायत समिति की स्वीकृति हेतु रखेगा।

प्र0-11  उप प्रमुख की शक्तियाँ, कृत्य और  कर्तव्य  क्या हैं?

ऊ0     उप प्रमुख की शक्तियाँ, कृत्य और  कर्तव्य  निम्न हैं :-

(क)  प्रमुख की अनुपस्थिति में पंचायत समिति की बैठकों की अध्यक्षता करेगा।

(ख)  वह एतदर्थ सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली के अध्यधीन पंचायत समिति के प्रमुख के रूप में ऐसी शक्तियों का प्रयोग और  कर्तव्यों  का निष्पादन करेगा जो प्रमुख के लिखित आदेश के द्वारा उसे प्रत्यायोजित की जायें, और

(ग)   प्रमुख का निर्वाचन लंबित रहने या पंचायत क्षेत्र से प्रमुख की अनुपस्थिति के दौरान अथवा पन्द्रह दिनों से अधिक की अवधि के लिए प्रमुख के अवकाश पर रहने की स्थिति में, प्रमुख की शक्तियों का प्रयोग और  कर्तव्यों  का निर्वहन करेगा।

प्र0-12  प्रमुख, उप-प्रमुख के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव किस प्रकार लाया जा सकता है?

ऊ0  पंचायत समिति का प्रमुख/ उप-प्रमुख अपने पद से तत्काल ही मुक्त समझा जायेगा, यदि उक्त प्रयोजन के लिए विशेष रूप से आहूत की गई किसी बैठक में पंचायत समिति के कुल निर्वाचित सदस्यों की संख्या के बहुमत द्वारा उनके प्रति विश्वास की कमी का प्रस्ताव पारित किया जाये।

ऐसी विशेष बैठक पंचायत समिति के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित कुल सदस्यों में से कम से कम एक तिहाई निर्वाचित सदस्यों द्वारा प्रमुख को संबोधित लिखित अधियाचना पर बुलायी जायेगी जिसकी प्रति पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी को भी दी जाएगी। कार्यपालक पदाधिकारी अविलंब उक्त अधियाचना से प्रमुख को अवगत करायेगा। प्रमुख ऐसी अधियाचना की प्राप्ति की तिथि से पन्द्रह दिनों के अन्दर उक्त बैठक आयोजित करेगा। यदि प्रमुख निर्धारित तिथि पर विशेष बैठक बुलाने में असफल रहता है तो उप-प्रमुख या सीधे निर्वाचित कुल सदस्यों में से एक तिहाई सदस्य उक्त बैठक हेतु किसी तिथि का निर्धारण कर सकेंगे एवं बैठक हेतु सदस्यों को सूचना निर्गत करने एवं कार्रवाई करने हेतु कार्यपालक पदाधिकारी से अपेक्षा कर सकेंगे। कार्यपालक पदाधिकारी निश्चित रूप से वैसी सूचना ससमय निर्गत करेंगे एवं बैठक आहूत करेंगे। एक बार बैठक हेतु निर्गत नोटिस के बाद निर्धारित बैठक स्थगित नहीं की जा सकेगी। अविश्वास प्रस्ताव पर विचार हेतु आहूत विशेष बैठक के लिए गणपूर्ति आवश्यक नहीं होगी।

(2)     प्रमुख/ उप-प्रमुख के विरूध्द उनकी पदावधि के प्रथम दो वर्ष की कालावधि के भीतर अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा।

(3)     पंचायत समिति की कार्यावधि के अंतिम छ: माह के दौरान, यथा स्थिति, प्रमुख या उप-प्रमुख या दोनों के विरूध्द अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा।

प्र0-13  यदि प्रमुख या उप-प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया हो और पारित न हुआ हो तो कितने समय बाद पुन: अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है?

ऊ0     यदि प्रमुख या उप- प्रमुख या दोनों के विरूध्द लाया गया अविश्वास प्रस्ताव एक बार नामंजूर हो जाए तो ऐसे प्रस्ताव के नामंजूर किये जाने की तिथि के एक वर्ष की कालावधि के भीतर, यथा स्थिति प्रमुख, उप-प्रमुख या दोनों के विरूध्द कोई नया अविश्वास प्रस्ताव पंचायत समिति के समक्ष नहीं लाया जाएगा।

प्र0-14  प्रमुख/ उप- प्रमुख को किस प्रकार पदच्युत किया जा सकता है?

ऊ0     कोई प्रमुख अथव उप-प्रमुख बिना समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहें या जान बुझकर इस अधिनियम के अधीन अपने कृत्यों एवं अपनेर् कर्तव्यों  को करने से इन्कार या उपेक्षा करें या उसमें निहित शक्तियों के दुरूपयोग या अपने कर्तव्यों  के निर्वहन में दुराचार का दोषी पाये जाए या अपनेर् कर्तव्यों  का निर्वहन करने में शरीरिक या मानसिक तौर परर् कर्तव्य  निर्वहन के अयोग्य हो या आपराधिक कांड में छ: माह से अधिक तक फरार हो, तब सरकार ऐसे प्रमुख या उप-प्रमुख को स्पष्टीकरण हेतु समुचित अवसर प्रदान करने के उपरांत आदेश पारित कर उसके पद से पदच्युत कर सकती है।

प्र0-15  पंचायत समिति के सदस्यों के त्याग-पत्र की क्या प्रक्रिया है?

ऊ0     पंचायत समिति का निर्वाचित सदस्य पंचायत समिति के प्रमुख को संबोधित स्वलिखित आवेदन द्वारा अपनी सदस्यता त्याग सकता है और उसका पद उनके त्याग पत्र देने के पूरे सात दिनों के बाद रिक्त माना जाएगा, बशर्तें की वह अपना त्याग-पत्र निर्धारित सात दिनों की अवधि के भीतर प्रमुख को संबोधित स्वलिखित आवेदन द्वारा वापस न ले ले।

 

प्र0-16  यदि प्रमुख या उप-प्रमुख अपने पद का त्याग करना चाहे तब उसे क्या करना होगा?

ऊ0   प्रमुख किसी भी समय अपने पद से अनुमंडल दंडाधिकारी और उप-प्रमुख किसी भी समय प्रमुख या उसकी अनुपस्थिति में अनुमंडल दंडाधिकारी को संबोधित कर स्वलिखित त्याग-पत्र दे सकेगा और त्याग पत्र दिये जाने की तिथि के सातवें दिन से उक्त पद रिक्त माना जायेगा जबतक कि उल्लिखित सात दिनों की अवधि के भीतर वह त्याग पत्र यथास्थिति अनुमंडल दंडाधिकारी या प्रमुख को संबोधित, स्वलिखित आवेदन द्वारा वापस न ले लिया जाये।

यदि प्रमुख या उप-प्रमुख पंचायत समिति का सदस्य नहीं रह जाता हो, तो वह पद छोड़ देगा।

 

स्रोत: पंचायती राज विभाग, भारत व बिहार सरकार|

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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