अदत ग्राम पंचायत ने ठोस कचरे के निपटान के लिए एक बहु-आयामी परियोजना विकसित किया है, जो 20 सदस्यों वाली स्वयं सहायता समूह के लिए आय भी सृजित करता है | इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप ठोस कचरे की निपटान इकाई की स्थापना हुई | एकत्रण, विलगीकरण और जैव उर्वरक के उत्पादन के लिए यह परियोजना श्रीलक्ष्मी कुडुम्बाश्री इकाई के महिला सदस्यों के समूह द्वारा चलाई जाती है | इकाई 90 सेंट भूमि में फैली हुई है और इसके पास अपशिष्ट को जमा करने और इसके संसाधन हेतु अलग शेड, 6 गाय वाली एक डेयरी इकाई, वर्मिंन कम्पोस्ट के उत्पादन और भंडारण के लिए अगल शेड, प्लास्टिक के संसाधन के लिए कोल्हू (क्रशर) इकाई और कामगारों के लिए विश्राम गृह है | काम 4 बजे सुबह शुरू होता है, जब पाँच सदस्य पंचायत के स्वामित्व वाली टिपर लौरी से काम शुरू कर देते हैं, जो 350/- रु. की दिहाड़ी मजदूरी पर नियुक्त एक व्यक्ति चलाता है | जबकि बाकी 15 सदस्य गायों को दूहना शुरू करते हैं | दूध को 35/- रु. प्रति लीटर की दर से स्थानीय होटलों और परिवारों को बेचा जाता है | प्लास्टिक के पृथक्करण और स्लरी की तैयारी 10 बजे पूर्वाह्न तक होती है | वर्मिंन कम्पोस्ट के उत्पादन को 2500/- रु. प्रति बैग की दर से बेचा जाता है | प्रत्येक घर से 100/- रु. प्रत्येक होटल से 500/- रु. और प्रत्येक प्रेक्षागृह से 2500/- रु. का संकलन शुल्क आय का मूल स्रोत है | योजना निधि से 40,000/- रु. सार्वजनिक स्थानों और पंचायत के 18 वार्डों से अवशिष्ट दानी से अपशिष्ट के एकत्रीकरण के लिए आबंटित किया गया है| अलग की गई प्लास्टिक और बोतलों को क्रशिंग मशीन में पाउडर में बदला जाता है | काली ऊँची सड़कों के निर्माण में प्रयोग हेतु इस उत्पादन की अच्छी मांग है | एसएचजी के प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह 6000/- रु. की औसत मासिक आय होती है और प्रत्येक को अन्य 8000/- रु. वर्मिंन कम्पोस्ट की बिक्री से प्राप्त होती है | पंचायत का पूरा क्षेत्र अब अवशिष्ट मुक्त है और बीपीएल परिवारों से 20 महिलाओं को प्रतिदिन 10 बजे पूर्वाह्न तक काम करने हेतु अच्छी आमदनी मिलती है | दूध का उत्पादन और पंचायत के जैव किसानों के लिए जैव उर्वरक अतिरिक्त लाभ है |
अदत ग्राम पंचायत ने आश्रय परियोजना के तहत चयनित 10 परिवारों के घर के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है | केरल स्थानीय प्रशासनिक संस्थान (केआईएलए) की सहायता से समाज कल्याण विभाग द्वारा आयोजित सर्वेक्षण के अनुसार पंचायत में अनुसूचित जाती की कुल आबादी 3045 रिकार्ड की गई थी | बिना भूमि एवं घर के परिवारों की संख्या 13 पाई गई | पंचायत ने 40,000 लाख रु. के बजट से 10 परिवारों को घर देने के लिए एक दो मंजिला भवन का निर्माण किया है | आश्रय योजना के तहत चयनित 10 अनुसूचित जाति परिवारों को फ़्लैट आबंटित किए गए | पंचायत द्वारा किराया के रूप में 10 रु. प्रतिमाह की नाम मात्र राशि ली जाती है | 90/- रु. प्रतिमाह की दर से जल प्रभार और बिजली का खर्च उपभोक्ताओं द्वारा वहन किया जाता है | प्रदत्त आवास ने आबंटियों का आत्मविश्वास बढ़ाया है | अधिक समय उपलब्ध रहने के कारण प्राय: सभी सदस्य जीविका के कार्यकलाप में लगे हुए हैं और सभी बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिया गया है | ग्राम पंचायत के अभिनव पहल ने 10 परिवारों को मुख्य धारा में ला दिया है |
छोटानिक्कारा ग्राम पंचायत में बड़ी संख्या में शय्याग्रस्त और मानसिक रोगी हैं, जिनके लिए उपयुक्त चिकित्सा देखभाल एवं ध्यान की कमी है और उनके अधिकांश परिवारों के पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसे की कमी है | अधिकांशत: पंचायत के सुदूर क्षेत्रों में बसे हैं | इस पृष्ठभूमि में पीड़ित व्यक्ति के लिए एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में उपशामक देखभाल कार्यक्रम पर विचार किया गया | यह ऐसा कार्यक्रम है जो प्रभावी और सतत देखभाल प्रदान करता है | पंचायत में शय्याग्रस्त व्यक्ति के उपचार एवं देखभाल के लिए ग्राम पंचायत और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र द्वारा संयुक्त रूप से उपशामक देखभाल कार्यक्रम शुरू किया गया | इस कार्यक्रम के लिए तकनीकी सहायता जिला उपशामक देखभाल इकाई द्वारा प्रदान की जाती है | पंचायत अध्यक्ष की अध्यक्षता और समन्वयक के रूप में चिकित्सा अधिकारी के साथ एक परियोजना प्रबंधन समिति की स्थापना की गई | आवधिक शैय्याग्रस्त रोगियों और उसके परिवारों को पीड़ा से राहत दिलाने के लिए उच्च गुणवत्ता उपशामक देखभाल प्रदान के लिए समर्पित एक दल की स्थापना की गई, जिसमें उपशामक देखभाल नर्स (एनआरएचएम द्वारा नियुक्त), पीएचसी के स्वास्थ्य निरीक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, अन्य स्वयंसेवक और वार्ड सदस्य शामिल हैं | पंचायत से चयनित स्वयंसेवकों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया |
इस कार्यक्रम के भाग के रूप में “गृह देखभाल पहल” की शुरुआत की गई | दल ने मुख्यत: शय्याग्रस्त कैंसर एवं किडनी रोगियों, शय्याग्रस्त दुर्धटना मामले आदि पर फॉक्स किया | प्रारंभिक चरण में लगभग 40 रोगियों का मासिक उपचार किया गया | इसके अलावा रोगियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने में रोगियों के परिवार के सदस्यों को दल ने प्रशिक्षित किया | अत: पूरा दल समग्र आराम और देखभाल के लिए समन्वय करता है और दल के सदस्य अपने साझे मिशन द्वारा उच्च प्रेरित हैं | गृह देखभाल के साथ रोगियों को घुमावदार कुर्सियों, कोमोड कुर्सियों, बैशाखियों, जल बिस्तरों और औषधियों की आपूर्ति सुनिश्चित की गई | इस कार्यक्रम के भाग के रूप में, पंचायत में मानसिक रोगियों के उपचार एवं देखभाल के लिए टाटा अस्पताल, छोटानिक्कारा ग्राम पंचायत, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और महक फाउन्डेशन (एनजीओ) द्वारा संयुक्त रूप से दूसरा चरण शुरू किया गया |
अमृत अस्पताल, एर्नाकुलम से प्रसिद्ध मनोचिकित्सक ने इस पहल की अगुवाई की | इस पहल में आशा कार्यकर्त्ता ऐसे मामलों की पहचान करते हैं | डॉक्टर की सहायता के लिए महक फाउन्डेशन से दो स्वयंसेवक होते है | उपचार हेतु टाटा अस्पताल में एक उपशामक देखभाल इकाई की स्थापना की गई | इस प्रक्रिया में चिकित्सीय और संवेदनात्मक देखभाल शामिल है | अब तक लगभग 84 शय्याग्रस्त रोगियों और लगभग 40 मानसिक रोगियों का प्रभावी उपचार किया गया है | वर्तमान में संबंधित दलों द्वारा 115 शय्याग्रस्त रोगियों और 64 मानसिक रोगियों की देखभाल की जा रही है | ग्राम पंचायत ने इस परियोजना हेतु वित्त वर्ष 2012-13 के लिए 3.5 लाख रु. निर्धारित किया है | निष्कर्ष यह है कि इस वर्धित उपशामक देखभाल कार्यक्रम ने कम लाभ पाने वाले के जीवन को प्रभावित किया है |
केरल में हर दिन बड़ी मात्रा में अपशिष्ट उत्पादित होता है | छोटानिक्कारा ग्राम पंचायत भी इससे भिन्न नहीं है | तीर्थयात्रा के समय में यह समस्या बढ़ जाती है | कुछ ही परिवार उत्पादित ठोस अपशिष्ट को अलग करते हैं, जलाते हैं या उचित तरीके से इसका निपटान करते हैं | इस परिप्रेक्ष्य में ग्राम पंचायत ने “आउटरीच” नामक एक एनजीओ, जो केरल शुचिथ्वा मिशन का प्रमुख सेवा प्रदाता है, से संपर्क किया है | इस समस्या के समाधान के लिए परिवार सुवाह्य जैव गैस फाईवर संयंत्र और रसोई गैस एकईयाँ संस्थापित करने का निर्णय लिया गया | ग्राम पंचायत ने तब एक जागरूकता अभियान का आयोजन किया और आउटरीच ने लोगों के समक्ष प्रदर्शन किया | ग्राम सभा के जरिए लगभग 200 लाभार्थियों का चयन किया गया | आउटरीच ने तब लाभार्थियों के घरों का दौरा किया और परिवार सुवाह्य जैव गैस फाईवर संयंत्र और रसोई गैस इकाईयाँ संस्थापित की | प्रति इकाई कुल लागत 10,800 रु. बैठता है, जिसमें प्रत्येक लाभार्थी को 5695 रु. देना होता है और बाकी राशि पंचायत, शुचिथ्वा मिशन और जिला पंचायत शेयर करती है | इस कार्यक्रम की शुरुआत आधिकारिक रूप से 6 अगस्त, 2012 से हुई| अब तक 177 इकाईयाँ सफलतापूर्वक संस्थापित की गई हैं | लोग कहते हैं कि ये संयंत्र काफी सफल हैं और कईयों ने यह सूचना दी है कि इस तरह सृजित बायो गैस ने उनकी रसोई गैस के उपयोग को घटा दिया है |
रोग के प्रारंभिक चरण पर, जब इसे रोका जा सकता है कैंसर की पहचान बहुत ही कठिन है | अत: लालम प्रखंड पंचायत, जिला – कोट्टायम ने क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, तिरुवनंतपुरम, समुदाय स्वास्थ्य केंद्र – लालम और प्रखंड क्षेत्र के प्रत्येक ग्राम पंचायत के छह प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की सहायता से प्रखंड क्षेत्र में कैंसर खोज शिविरों के आयोजन हेतु एक परियोजना तैयार किया | प्रखंड पंचायत ने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की सहायता से इच्छुक भागीदारों की पहचान की | प्रत्यके पीएचसी में छह शिविरों का आयोजन किया गया और इन शिविरों में 669 व्यक्तियों ने भाग लिया | संदेहास्पद मामलों को उपचार हेतु क्षेत्रीय कैंसर केंद्र भेजा गया | प्रखंड पंचायत ने शिविरों के आयोजन हेतु 1.40 लाख रु. खर्च किया | ये शिविर काफी सफल रहे और इसने कैंसर और इसकी जल्दी पहचान के महत्व के बारे में लोगों की बीच जागरूकता सृजन में सहायता की |
पंथानमथिटटा जिला पंचायत ने छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के सुधार के लिए एक आदर्श परियोजना कार्यान्वित की है, जो कि ‘सांत्वानम’ के नाम से जानी जाती है | इस परियोजना के भाग के रूप में, माता-पिता एवं शिक्षकों को निम्नलिखित पर प्रशिक्षण दिया गया था:
प्रथम चरण में, 20 सदस्यीय कोर टीम का चयन किया गया तथा उन लोगों के लिए तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया | 20 सदस्यीय कोर टीम की सहायता से, प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला स्तर के स्रोत समूह के लिए विस्तारित किया गया, जिसने पंचायत स्तर के स्रोत समूह को प्रशिक्षण प्रदान किया | बाद में प्रधानाध्यापकों, प्राध्यापकों शिक्षकों एवं पी टी ए सचिवों के लिए पंचायत-वार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था | इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी 54 ग्राम पंचायतों एवं जिला की तीन नगरपालिकाएं शामिल थीं | स्कूल स्तर के स्रोत समूह की सहायता से छात्रों को प्रशिक्षण दिया गया | प्रशिक्षण के लिए पावर प्वाइंट प्रस्तुति, भूमिका, निर्वहन, मामले अध्ययन एवं नृत्यकला विधि का उपयोग किया गया | इस परियोजना को शिक्षा विभाग, डी आई ई टी, एसएसए, स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के सहयोग से कार्यान्वित किया गया | सम्पूर्ण जिले में 693 स्कूलों एवं लगभग 1.25 लाख छात्रों को सम्मिलित किया गया है |
जिला पंचायत पंथानमथिटटा ने कोझेनचेरी में जिला अस्पताल के विकास के लिए एक परियोजना तैयार की है | वर्ष 2011-2012 की अवधि के दौरान, जिला पंचायत इस परियोजना पर 1.01 करोड़ रु. खर्च कर चुका है | जिला पंचायत के हस्तक्षेप के पहले, इस अस्पताल की स्थिति दयनीय थी | जिला पंचायत ने कार्यालय भवन की मरम्मत की, एक डायलिसिस इकाई की स्थापना की, अस्पताल में नये विद्युत् तार लगवाए, कर्मचारी क्वार्टरों में सुधार किया, पेय जल आपूर्ति में सुधार किया, चार शौचालयों का निर्माण किया और जिला अस्पताल में एक कृत्रिम अंग इकाई और एक उपशामक देखभाल इकाई शुरू किया | अब जिले में लोगों ने इलाज के लिए जिला अस्पताल आना शुरू कर दिया है, जबकि पहले वे अन्यत्र जाते थे |
चेरपू प्रखंड पंचायत ने 10 महिलाओं वाली स्वयं सहायता समूह के स्वामित्व वाली और उनके द्वारा प्रचालित “दोस्ताना लौंड्री सेवा” की शुरुआत की | लौंड्री की दुकान प्रखंड पंचायत की स्वामित्व वाली भवन और भूमि में काम करती है | सभी महिलाओं को केन्द्रीय सरकार की स्वामित्व वाली संस्थान में प्रशिक्षण दिया गया | उन्हें ड्राइविंग का भी प्रशिक्षण दिया गया और उनके लिए एक माल ढ़ोनेवाली ऑटोरिक्शा की भी व्यवस्था की गई | लौंड्री को अब अभिकरणों और घरों से आदेश प्राप्त होते हैं | इस पहल के जरिए एसएचजी सदस्यों के लिए आत्म निर्भरता और नियमित आय सुनिश्चित किया गया | सभी सदस्य अब 2500-३000 रु. की नियमित मासिक आय प्राप्त करते हैं | इस सफलता के साथ उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाने का निर्णय लिया है |
प्रखंड पंचायत समिति ने फरवरी, 2011 में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु खेती के लिए 4 ग्राम पंचायतों की परती भूमियों के उपयोग करने का निर्णय लिया | कार्यक्रम के भाग के रूप में ग्राम पंचायत प्रधानों और किसानों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया | लगभग 162 एकड़ भूमि की पहचान की गई | जल स्रोतों का पुन:सृजन मुख्य बाधा थीं, जिसका समाधान आर के वी वाय, प्रखंड पंचायत निधि और मनरेगा निधियों से अभिसरण के जरिए सृजित राशि का प्रयोग करके किया गया | प्रखंड पंचायत निधि का उपयोग उपलब्ध तालाबों का नवीकरण और संरक्षण के लिए किया गया | मनरेगा स्कीम का उपयोग सिंचाई नहरों और अन्य अपवहन प्रणालियों के नवीकरण के लिए किया गया | आर के वी वाय निधियों का उपयोग बीजों, उर्वरकों और कीटनाशियों के लिए किया गया | प्रखंड पंचायत ने पूरी कार्यवाही निदेश दिया और किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण और तकनीकी निदेश प्रदान किया | इस परियोजना के जरिए 82 एकड़ भूमि में चावल की खेती संभव हुई | इस स्कीम ने 4250 कार्य दिवस के सृजन में भी सहायता की | इस परियोजना ने क्षेत्र के जल स्तर में सुधार और किसानों की आय में पर्याप्त वृद्धि करने में सहायता की है |
इडुक्की प्रखंड पंचायत ने जैविक कृषि परियोजना की योजना बनाई | इस दिशा में पहला आंगनबाड़ी स्तर पर जैविक कृषि को बढ़ावा देना था | 164 आंगनबाड़ियों में सब्जी की खेती करने का निर्णय लिया गया | परियोजना का नाम था: “अंकन थाई थोटटम” | आंगनबाड़ी शिक्षकों के साथ बच्चों ने अपने परिसरों में सब्जियाँ लगाई | जिन आंगनबाड़ियों के पास पर्याप्त स्थान नहीं था, उन्होंने इसे बोरियों में लगाया | कृषि विभाग द्वारा गाय का गोबर और अन्य जैविक खाद की आपूर्ति की गई | विभाग ने खेती के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया | उपजी हुई सब्जी का उपयोग आंगनबाड़ी द्वारा किया गया और अतिरेक को बेच दिया गया | बच्चों को बगीचे की हरी सब्जियों के साथ नियमित रूप से पोषक भोजन दिया जता है | सब्जी तैयार करने के अलावा आगे की खेती के लिए बीजों के संरक्षित किया गया | रसोई से अपशिष्ट पानी को पुन:चक्रित किया गया | इस पहल ने माता-पिता के बीच अभिरुचि को जागृत किया और वे भी रसोई बागान और पिछवाड़े में खेती शुरू करने के लिए प्रेरित हुए | प्रखंड पंचायत समिति द्वारा नियुक्त एक समिति पूरी प्रक्रिया का मॉनिटर करती है | माननीय सांसद ने उत्कृष्ट आंगनबाड़ी प्रदर्शन के लिए पुरस्कार वितरित किया |
स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
इस भाग में भारत में चलाए जा रहे भारत सरकार द्वारा ...