गाँव के लगभग 20-25 परिवार सामान्य भूतल स्तर से नीचे बसे हैं इसलिए निवासियों को जल भराव की समस्या का सामना करना पड़ता है | इससे बचने के लिए पंचायत द्वारा एक योजना तैयार की गई जिसमें पंचायत ने 9 छोटे गड्ढे (4 फीट ऊँचे, चौड़े एवं गहरे) खोदे तथा एक अधिक गहरा गड्ढा (4 फीट व्यास तथा 20 फीट गहराई) खोदा गया | 9 छोटे गड्ढों में जमा पानी को एकत्र किया जाता है तथा उसे गहरे गड्ढे से जोड़ा जाता है | जमा पानी गहरे गड्ढे में चला जाता है जहाँ से उसे पंप के जरिए भूतल से 5 फीट की ऊँचाई पर स्थित एक बड़े टैंक में भेज दिया जाता है | पंप के जरिए पानी को ड्रेनेज सिस्टम में पहुंचाया जाता है तथा उसे गाँव की दूसरी तरफ बहाया जाता है |
पंचायत ने गाँव के मुख्य चौराहों पर 17 सोलर लाइट लगाई है | इस परियोजना की कुल लागत तकरीबन 3.4 लाख रुपए है | पंचायत ने 2 लाख रुपए राज्य सरकार से जुटाए हैं तथा शेष 1.4 लाख रुपए पंजाब ऊर्जा विकास एजेंसी (पी ई डी ए) द्वारा सब्सिडी के तौर पर प्रदान किए गए हैं| गाँव के लोगों से प्राप्त फीडबैक सकारात्मक है | पंजाब ने स्ट्रीट लाइटिंग की परंपरागत प्रणाली की बजाय इस प्रणाली का चयन किया है क्योंकि परंपरागत प्रणाली की तुलना में यह निम्नलिखित लाभों की पेशकश करती है:
फतेहपुर ग्राम पंचायत ने दो सड़कों के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभायी है | पहली सड़क बाबेवाला सड़क है जो 1.5 किमी लंबी फतेहपुर से जालंधर –फिरोजपुर रोड है,जिसकी अनुमानित लागत 10 लाख रुपए है | इस रोड के लिए धन की व्यवस्था मनरेगा निधि तथा ग्रामीण विकास निधि से की गई है | इस क्षेत्र में गैर कानूनी अतिक्रमण थे | अतिक्रमण करने वाले लोगों पर सामाजिक दबाव डाल कर पंचायत ने इस समस्या को निपटाया | जब अतिक्रमण हट गए तब सरपंच ने सड़क के लिए निधियों के उपलब्ध होने तक अपने स्वयं के संसाधनों से भूमि को समतल बनवा दिया |
दूसरी सड़क केवा रोड है जिसके लिए पंचायत ने पहल की तथा सरकार से इसके लिए बात की और सफल रही | इस परियोजना के शुरू होने से पूर्व अतिक्रमण हटाया गया तथा 3 लाख रुपए के चंदे से सड़क को समतल कराया गया |
गाँव में एक यूथ क्लब भी है जिसका नाम मीरी पीरी यूथ क्लब है | ग्राम पंचायत इस क्लब की सहायता करती है | यह क्लब खेल के एक मैदान का अनुरक्षण करता है जिस पर वालीबाल एवं कबड्डी के टूर्नामेंट कराए जाते है | पंचायत ने इस मैदान के अनुरक्षण के लिए 1 लाख रुपए का चंदा दिया है | वालीबाल के प्रांगण में फ्लड लाइट की सुविधा है | इन अत्याधिक सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयोजन गाँव के युवाओं को व्यस्त रखना है | पंचायत एवं यूथ क्लब का यह विश्वास है कि गाँव के किशोरों को खेलकूद में शामिल होना चाहिए ताकि उनका स्वास्थ्य ठीक हो तथा वे ड्रग्स के सेवन से दूर रहे | पंचायत एवं यूथ क्लब पिछले 12 साल से हर साल कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें हर साल 60-65 टीमें भाग लेती हैं | इस टूर्नामेंट के आयोजन की लागत 3-4 लाख रुपए आती है जिसकी व्यवस्था पंचायत चंदे के माध्यम से करती है | इस दौरान टूर्नामेंट के साथ ही लंगर भी लगता है ताकि खिलाड़ियों के साथ दर्शकों के लिए भी भोजन की व्यवस्था की जा सके | इस गाँव में 62 किलो के वेट रेंज और 56 वेट रेंज में कबड्डी एवं वालीबाल की टीम है | पंचायत के साथ मिलकर क्लब एक फ़ुटबाल का मैदान तथा गाँव की एक फ़ुटबाल टीम बनाने की योजना बना रहा है | इस क्लब का उद्देश्य खेलों के माध्यम से अपने गाँव को पहचान प्रदान करवाना है |
गाँव में सुरक्षित पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए फतेहपुर ग्राम पंचायत द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:
धार कलां ब्लाक को पानी की अपर्याप्त आपूर्ति तथा खराब गुणवत्ता का सामना करना पड़ता था| पंचायत समिति ने पहल की तथा सुरक्षित पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ब्लाक में तीन परियोजना लाई | पंचायत समिति ने 3 भिन्न-भिन्न स्थानों पर 3 जल भंडारण एवं फिल्टर संयंत्र की स्थापना की | पानी रंजीत सागर जलाशय से लिए जाता है तथा उसे एक वाटर टैंक में जमा करके उसमें क्लोरिन मिलाई जाती है | इसके बाद इस भंडारित पानी को फिल्टर यूनिट में पहुंचाया जाता है जहाँ इसे आक्सीडेशन के जरिए फिल्टर किया जाता है | इसके बाद पानी को एक टैंक में पहुंचाया जाता है तथा भंडारित किया जाता है, जहाँ से इसे मोटर से उठाया जाता है और क्षेत्र के सबसे ऊँचे बिंदु पर स्थित टैंक में भंडारित किया जाता है| यहाँ से पानी को गुरुत्वाकर्षण बल के माध्यम से निचले स्तर पर स्थित सभी गाँवों में पहुंचाया जाता है | पहाड़ की ऊँचाई पर स्थित टैंक में दो आउटलेट हैं | ऊपरी आउटलेट कुछ ऐसे गाँवों को पानी की आपूर्ति करने के लिए मोटर से कनेक्ट है जो जल भंडारण स्तर या उससे ऊपर स्थित हैं | लोअर आउटलेट के माध्यम से गुरुत्वाकर्षण के जरिए भंडारण स्तर से नीचे स्थित गाँवों को पानी की आपूर्ति की जाती है | यह परियोजना 45 गाँवों को पानी प्रदान करती है | इन तीन परियोजनाओं का ब्यौरा नीचे गया है |
स्थान |
लाभान्वित परिवारों की संख्या |
लाभान्वित लोगों की संख्या |
परियोजना की लागत (लाख रुपए में) |
सरकार से निधियन (लाख रुपए में) |
लोगों से चंदा (लाख रुपए में) |
सरती (छिब्बड) |
1268 |
10146 |
402.45 |
399 |
3.45 |
हरदोसरण |
1240 |
9925 |
490.86 |
487 |
3.86 |
कोट मट्टी |
1136 |
8734 |
541.80 |
513. 50 |
28.30 |
कुल |
3644 |
28805 |
1435.11 |
1399.50 |
35.61 |
पानी का कनेक्शन लेने के लिए प्रभार 75 रुपए प्रतिमाह है जो ग्रामीण जल आपूर्ति तथा स्वच्छता विभाग को जाता है | नाबार्ड ने इस परियोजना के लिए इस शर्त पर ऋण दिया था कि ऋण की राशि 90 प्रतिशत होगी तथा शेष 10 प्रतिशत की व्यवस्था लाभग्राही खुद करेंगे | समिति ने बैंक को इस बात के लिए राजी किया कि वे चंदे की राशि कम कर दें क्योंकि गाँव के लोग गरीब हैं | इसलिए 10 प्रतिशत को घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया | समिति द्वारा तय किया गया कि चंदे की राशि सामान्य श्रेणी के परिवारों के लिए 400 रुपए तथा अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति या बी पी एल परिवारों के लिए 200 रुपए होगी |
समिति ने अपने नोटिस बोर्ड पर चुने हुए उम्मीदवारों के नामों को प्रदर्शित करके तथा घोषणा करके एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तथा सहायकों की भर्ती की | अधिकारी चुने हुए उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र जारी करने वाले थे | पहले जिन उम्मीदवारों का चयन किया गया था उनके नामों को प्रदर्शित नहीं किया गया था तथा कथित रूप में उम्मीदवारों से रिश्वत ली गई थी तथा यह आरोप लगाया था कि इस रिश्वत के कारण नियुक्ति पत्र जारी किया गया | उम्मीदवार भी रिश्वत दिया करते थे क्योंकि उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि वे पहले से ही योग्यता सूची में हैं | समिति की इस पहल से इस प्रथा पर रोक लग गयी | एक ऐसा मामला है जिसमें एक अधिकारी ने उम्मीदवार से धन की मांग की किन्तु उम्मीदवार सक्रिय था तथा उसे योग्यता सूची की जानकारी थी | उन्होंने पुलिस में शिकायत कर दी और उस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया गया | समिति ब्लाक पंचायत के मुख्यालय में बी पी एल परिवारों की ग्रामवार सूची भी प्रदर्शित करती है |
नौसेरा ग्राम पंचायत ने निम्नलिखित तरीकों से सुधार किया है:
शुरू में गाँव को जल भराव की समस्या का सामना करना पड़ता था क्योंकि नालों का ठीक ढंग से निर्माण नहीं किया गया था | पानी घरों के पास तथा सड़कों पर जमा हो जाया करता था | पंचायत ने इस समस्या से निपटने के लिए एक योजना तैयार की | सबसे पहले ग्राम पंचायत ने नाले का जिर्वोद्वार कराया और सड़क के दोनों तरफ पक्की नालियां बनवाई | ये नाले दो बड़े नालों में मिलते थे जहाँ से पानी बहकर गाँव के पास में स्थित तालाब में चला जाता था | चूँकि इस तालाब की क्षमता भी सीमित थी इसलिए पंचायत ने तालाब की सफाई तथा चारदीवारी का निर्माण करने के लिए मनरेगा की निधि का उपयोग किया | तालाब से ओवर फ्लो पर रोक लगाने के लिए पंचायत नि तालाब के किनारे एक मोटर लगवाया जो तालाब से पानी खींचता है तथा उसे ऊँचाई पर स्थित एक टैंक में पहुँचाता है, इस टैंक से पाइप लाइन के जरिए पानी को खेतों में पहुंचाया जाता है | पंचायत ने सरकार से इसके लिए धन प्राप्त किया है | यह अपशिष्ट जल के पुन:चक्रण एवं जल भराव पर रोक लगाने के लिए पंचायत द्वारा प्रयुक्त एक नवाचारी तकनीक है |
छोटी जोत वाले गरीब किसान मशीनरी एवं ट्रैक्टर खरीदने में असमर्थ थे | उन्हें मशीनरी के लिए जमीदारों से अनुरोध करना पड़ता था जो इस सुविधा के लिए बहुत पैसा ऐंठते थे | पंचायत ने एक कोऑपरेटिव सोसाइटी का सृजन करने में सहायता की जिसने 10.55 लाख रुपए के ऋण पर दो ट्रैक्टर खरीदे | सरकार ने 3.3 लाख रुपए की सब्सिडी प्रदान की क्योंकि इन्हें समाज कल्याण के लिए कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा खरीदा गया था | ये ट्रैक्टर छोटे किसानों को किराए पर दिए गए तथा किसी अग्रिम भुगतान की मांग नहीं की गई | जब इन किसानों को लाभ हुआ तब उन्होंने सोसाइटी को पैसा लौटाया | इसके बाद सोसाइटी ने खेती के लिए दूसरी मशीनरी खरीदी तथा उसे तर्कसंगत किराए पर देना शुरू किया | कोऑपरेटिव सोसाइटी ने किराए के रूप में होनी वाली आय से ट्रैक्टर के लिए दिये गए बैंक ऋण को लौटा दिया है | सोसाइटी ने एक सचिव, एक सेल्समैन, एक चौकीदार एवं दो ट्रैक्टर ड्राईवर नियुक्त किया है, जिनके वेतन का भुगतान किराए से प्राप्त धन से किया जाता है | सोसाइटी किसानों को खाद, उर्वरकों एवं कीटनाशकों की भी आपूर्ति कर रही है |
स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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