इस ग्राम पंचायत ने 80 दुकानों का एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाया है, जिन्हें ग्राम पंचायत के गाँवों के युवाओं को आबंटित किया गया है और उनसे किराया लिया जाता है | एक ओर इस ग्राम पंचायत ने युवाओं को अपना रोजगार शुरू करने और इन दुकानों से आय अर्जित करने का अवसर दिया है | दूसरी ओर इन दुकानों का किराया (एक दुकान का प्रति माह किराया 400 रूपये) पंचायत को जाता है और इस पूरे किराए का उपयोग अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों की कल्याण स्कीमों के लिए किया जता है | इस प्रकार यह शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सामाजिक न्याय और स्थानीय समुदाय के आर्थिक सशक्तिकरण का मुख्य आधार सिद्ध हुआ है | यह बाजार स्थल बहुत लोकप्रिय हो गया है और इसमें न केवल इस ग्राम पंचायत बल्कि निकटवर्ती ग्राम पंचायत से भी बहुत ग्राहक आते है |
स्कूल में, और विशेष रूप से प्राथमिक खण्ड में बच्चे को डालने और बच्चे को पढ़ाई बीच में छोड़ने से रोकने में एक प्रमुख कारक, घर से स्कूल का नजदीक होना है | होल ग्राम पंचायत ने इस तथ्य को समझा | 4000 व्यक्तियों की पर्याप्त जनसंख्या वाली इस ग्राम पंचायत का वर्ष 2006 तक अपना कोई स्कूल नहीं था और प्राथमिक कक्षा के बच्चों को स्कूल के लिए दूसरे गाँवों में जाना पड़ता था | इसलिए ग्राम सभा ने योगदानों और चंदों से स्कूल भवन का निर्माण करने का निर्णय लिया | इस प्रकार समन्वित प्रयासों से 2006 में, जिला परिषद स्कूल के रूप में कक्षा, फर्नीचर और अन्य अनिवार्य आवश्यकताओं के साथ स्कूल भवन ने कार्य करना शुरू किया | इस स्कूल भवन में 7 कक्षा (कमरे) और एक कार्यालय है | पीने के साफ़ पानी और लड़के तथा लड़कियों के लिए अगल-अलग शौचालय है | इस स्कूल भवन में खेल के मैदान और बागीचे के लिए काफी खुली जगह है | इसमें कंप्यूटर और कक्षा के लिए उत्तम गुणवत्ता वाला फर्नीचर है | स्कूल में उत्तम स्तर की शिक्षा दी जाती है | इसमें उत्तम प्रयोगशाला और कूड़ार्ककट प्रबंधन प्रणाली है |
चूँकि इस स्कूल को अपने ही प्रयासों से बनाया गया है, इसलिए समुदाय को इस स्कूल पर गर्व है और वे इसे अपना मानते हैं | समुदाय इस स्कूल कार्यों में पूरी तरह भाग लेता है | परिणामस्वरूप इस स्कूल ने गत 6 वर्षो में काफी प्रगति की है और इसने साफ़ और स्वस्थ वातावरण बनाकर नाम कमाया है | इसे दो बार (वर्ष 2007 और 2009) राज्य स्तर के ‘साने गुरूजी स्वस्थ और सुंदर’ पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है |
बच्चों को इस स्कूल में आना अच्छा लगता है और उन्हें साफ-सुथरे तरीके से बनाया गया स्वादिष्ट दोपहर का भोजन दिया जाता है | आज स्कूल में 422 बच्चे (लड़के और लड़कियां दोनों) तथा हेडमास्टर सहित 7 अध्यापक और शिक्षण स्टाफ है | यह स्कूल इतना लोकप्रिय है कि आसपास के गांवों के बच्चे भी इस स्कूल में प्रवेश लेने के लिए आते हैं | गत कुछ वर्षों में किसी भी बच्चे का पढ़ाई बीच में छोड़कर जाने का रिकार्ड नहीं है |
महाराष्ट्र सरकार की पर्यावरण हितैषी गाँव स्कीम बहुत ही अनूठी और परिवर्तनकारी स्कीम है | मान ग्राम पंचायत ने यह कार्यक्रम न केवल गंभीरता से लिया है बल्कि इससे भी आगे ग्राम पंचायत को सुन्दर बनाने तथा कार्बन फूटप्रिंट को कम करने के भी प्रयास किए हैं |
इस स्कीम के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत से उसकी जनसंख्या के बराबर वृक्ष लगाने की आशा की जाती है | तीन वर्ष पहले, इस मानदंड के अनुसार 5,000 वृक्ष लगाए जाने की योजना बनाई गई थी | तथापि, ग्राम पंचायत ने सभी ग्रामवासियों की सक्रिय भागीदारी व सहयोग से 16,000 से भी ज्यादा वृक्ष लगाए | वृक्ष गार्डों से इन वृक्षों का बने रहना सुनिश्चित किया गया | इन वृक्ष गार्डों से और स्थानीय लोगों की देखभाल और सहयोग से ग्राम पंचायत ने इन वृक्षों के बने रहने की 90 प्रतिशत की दर प्राप्त की है |
पर्यावरण हितैषी स्कीम का एक अन्य पहलू सौर ऊर्जा का इस्तेमाल था | ग्राम पंचायत ने गरीबी रेखा से नीचे के लोगों /अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवारों को 201 सौर लैम्प वितरित किए और 117 सौर सड़क लाइटे लगाई| इसके अलावा, ग्राम पंचायत ने अपनी सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए सफाई तथा तरल व ठोस कूड़ा कर्कट प्रबंधन का संवर्धन किया है| ग्राम पंचायत ने सूखे और गिले कूड़े के लिए ग्रामवासियों को 5,000 कूड़े के डिब्बे (डस्टबिन) वितरित किए हैं | “घंटा गाड़ी” नामक कूड़ा एकत्र करने वाली वैन प्रत्येक घर से कूड़ा लेती है | तरल कूड़ा प्रबंधन के लिए ग्राम पंचायत ने 15 किमी से अधिक में अंडर ग्राउंड नाले (ड्रेनेज) का निर्माण किया है | ग्राम पंचायत में प्रत्येक घर में सीवर टैंक हैं जिसमें सीवर का पानी इक्टठा होता है और जिसे वह अपने बागीचों के लिए इस्तेमाल करती है | चूँकि कोई खुले बहने वाले नाले नहीं हैं, इसलिए आसपास साफ़-सुथरा रहता है |
ग्राम पंचायत ने ‘वनरानी बनधारा’ नामक 25 जल संरक्षण और संचयन स्थलों का निर्माण करके वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण भी शुरू किया है, इससे ग्राम पंचायत थोड़े समय में पानी की उपलब्धता बढ़ा पाई है |
बड़ी संख्या में वृक्ष लगाने के अपने प्रयास से ग्राम पंचायत ने 2 लाख पौधों की पौधशाला भी विकसित की है | इस पौधशाला से ग्रामवासियों को और अधिक वृक्ष लगाने और ‘पर्यावरण हितैषी गाँव’ का दर्जा बनाए रखने के लिए पौधे मिलते हैं |
स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 11/23/2019
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