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महाराष्ट्र राज्य के पंचायतों की सफल कहानियाँ भाग – 3

महाराष्ट्र राज्य के पंचायतों की सफल कहानियाँ भाग – 3

नशीरपुर ग्राम पंचायत, जिला अमरावती, महाराष्ट्र: वर्षा जल संचयन

वर्षा जल संचयन: इस ग्राम पंचायत का व्यापक रूप से अपनाया गया सामाजिक मानदंड बन गया है | नशीरपुर ग्राम पंचायत के सरपंच और अन्य चुने गए प्रतिनिधियों को एक टीवी चैनल पर प्रसारित वर्षा जल संचयन पर पैनल चर्चा के माध्यम से इस अवधारणा का पता चला | इसके बाद एक ग्राम सभा आयोजित की गई जिसमें सभी ग्राम सदस्यों ने वर्षा जल संचयन प्रौद्योगिकी अपनाने के पक्ष में सर्वसम्मति से मत किया | अब इस ग्राम पंचायत के हर घर की छत्त ऐसे भूमिगत पाइपों से एक साझे कूपों से जुड़ी हैं जिनसे इस साझे कूप में पानी जाता है | इस कूप में इक्टठा हुआ पानी रिचार्ज हो जाता है | इस कूप के पानी का सिंचाई, कपड़ों और पशुओं को धोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |

नशीरपुर ग्राम पंचायत, जिला अमरावती, महाराष्ट्र: महिला सशक्तिकरण

अमरावती जिले में ग्राम नशीरपुर ने 2005 में ग्राम पंचायत के लिए केवल महिलाओं को चुनने का निर्णय किया | इस ग्राम पंचायत की प्रगतिशील सोच के कारण एक महिला सरपंच और महिला उप-सरपंच तथा सभी महिला सदस्य चुनी गई और उन्होंने फिर महिला ग्राम सेविकाएँ नियुक्त की | यह उल्लेखनीय है कि ग्राम पंचायत के पूर्व कार्यकाल के दौरान सभी अध्यापक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, उप केंद्र के एएनएम सभी महिलाएं थीं | इस अवधि में ग्राम पंचायत को ‘निर्मल ग्राम पुरस्कार’, ‘संत गड़गे बाबा पुरस्कार’, ‘संत तुकदोजी पुरस्कार’, ‘यशवंत पंचायत पुरस्कार’ और ‘तंत मुक्ति पुरस्कार’ मिला | इन पुरस्कारों से ‘महिला पंचायत’ चुनने के निर्णय का औचित्य सिद्ध हुआ |

इस महिला पंचायत ने प्रशासनिक कुशाग्रता दिखाई जो केन्द्रीय और राज्य कार्यक्रमों के सुचारू कार्यान्वयन में परिलक्षित होती है | ग्राम पंचायत के कार्यों में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है| प्रत्येक निर्णय सक्रिय वाद विवादों, चर्चाओं और विचार-विमर्शों अर्थात लोकतांत्रिक क्रियाकलाप के अनेक दौरों से लिया गया है | इस महिला पंचायत ने स्वास्थ्य और सफाई बनाए रखने, शिक्षा का स्तर उठाने, भ्रष्ट तरीकों से लड़ने, बड़ी संख्या में वृक्ष लगाने और गरीबी दूर करने की दिशा में पहले की | ग्राम पंचायत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ करने में इस महिला पंचायत के प्रयास अत्यन्त सराहनीय हैं |

गड़ हिंगलज पंचायत समिति, जिला कोल्हापुर, महाराष्ट्र: महिला सशक्तिकरण

स्वर्णजयंती ग्राम स्व-रोजगार योजना (एसजीएसवाई) तथा राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन (एनआरएलएम), के तहत गड़ हिंगलज पंचायत समिति ने 89 ग्राम पंचायतों में 951 एसएचजी बनाए हैं | इस प्रकार प्रति ग्राम पंचायत लगभग 11 एसएचजी तैयार हुए हैं | इन 951 एसएचजी में से 435 एसएचजी गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के सदस्य है और शेष 516 एसएचजी में गरीबी रेखा से ऊपर के परिवारों के भी सदस्य हैं | ये सभी अन्य रूप से महिला समूह हैं |

यह श्रेय पंचायत समितियों को जाता है कि अभी तक बनाए गए किसी भी एसएचजी को भंग नहीं किया गया है और इन सभी ने आर्थिक क्रियाकलाप शुरू किए हैं | यह पंचायत समिति से उचित प्रोत्साहन और सहायता से संभव हुआ है |

एसएचजी की प्राथमिकताएँ

अधिकांश एसएचजी प्राथमिक और गौण क्षेत्रों (कृषि और पशु पालन) में लगे हुए है | इनमें से अनेक समूहों ने बहुविध आर्थिक क्रियाकलाप किए है | कुछ समय तक सफलतापूर्वक कार्य करने के बाद कुछेक एसएचजी ने अनुभव और विश्वास प्राप्त किया है तथा इनकी संचयी बचत हो रही है, इन्होंने अधिक पूंजी की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने का भी साहस किया है और इन्हें और ज्यादा लाभ होने की संभावना है |

पंचायत द्वारा नए क्षेत्र खोलने की पहल

गड़ हिंगलज ग्राम पंचायत ने हाल ही में क्रियाकलापों के नए क्षेत्र खोलने की पहल की है और मौजूदा एसएचजी को उनमें लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है | ऐसे क्रियाकलाप का एक उदाहरण रेशम कीट पालन है जिसे महाकाली महिला बचत घाट नामक मौजूदा एक एसएचजी ने करने का निर्णय किया है | पंचायत समिति ने इस संबंध में पहले ही एक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की है |

इस पंचायत समिति के लिए नए एसएचजी बनाना हमेशा कठिन रहा है | नए एसएचजी बनाने में आने वाली मुख्य कठिनाईयां इस प्रकार है:

  • पारम्परिक रूप से इस क्षेत्र में महिलाओं से पैसे के लिए काम करने की आशा नहीं की जाती है | इसलिए एसएचजी बनाने के लिए महिलाओं का विश्वास जीतना और प्रेरित करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनके पतियों औए परिवार के अन्य सदस्यों का भी विश्वास जीतना होता है |
  • जिला कोल्हापुर और विशेष रूप से गड़ हिंगलज ब्लॉक राज्य में अपेक्षाकृत खुशहाल क्षेत्र है, जिसमें बीपीएल जनसंख्या का अनुपात राज्य और राष्ट्रीय औसत से कम है | इस प्रकार अतिरिक्त कमाई के लिए प्रेरणा कम मिलती है |

पंचायत में एसएचजी समस्या

इन समस्याओं के बावजूद गड़ हिंगलज पंचायत समिति 1999-2000 से लगातार नए एसएचजी बनाने में सफल हुई है जिसमें एक भी वर्ष का अंतराल नहीं रहा है | इस ब्लॉक में विस्तार अधिकारी ने यह रिपोर्ट दी है कि एसएचजी बनाने की प्रारंभिक अवधि में महिलाएं ज्यादा आगे नहीं अ रही थी | ब्लॉक के कार्यकर्ताओं को उनके पास जाकर उनकी समस्याओं को समझना पड़ता था और उनका समाधान करना पड़ता था| लेकिन हाल में वे ज्यादा सक्रिय और सहयोगकारी हो गई हैं और अब हर रोज पाँच से छह महिलाओं को, उनके एसएचजी के कार्यों के बारे में चर्चा करने के लिए बीडीओ से मिलते हुए देखा जा सकता है | सरस्वती महिला बचत घाट एसएचजी की अध्यक्ष ने यह सूचित किया है कि उसके एसएचजी का गठन वर्ष 2002 में किया गया था और उसने चार वर्ष बाद सिलाई मशीन और पशु खरीदने के बाद सिलाई और पशु पालन के आर्थिक क्रियाकलाप शुरू किए | ये बिक्री के लिए नियमित रूप से स्कूल की वर्दियां सिलते है | इनके कुछ अन्य क्रियाकलाप पापड़ और चिडवा बनाना है | इन्होंने गाँवों में एक नाले का निर्माण कार्य भी शुरू किया था | इसी ग्राम पंचायत के एक अन्य एसएचजी की अध्यक्ष ने यह सूचित किया है कि कुछ बचत संचित करने के बाद उन्होंने कृषि के क्षेत्र में प्रवेश करने का निर्णय किया है | वह कहती है कि अन्य सदस्य उत्साहपूर्वक इस बात से सहमत है कि इस समूह कि सबसे बड़ी उपलब्धि एक दूसरे के साथ घनिष्ठता से काम करके उनके बीच दस से अधिक वर्षो में बने गहरे संबंध रही है | ये दोनों समूह, भले ही अब अपनी ही सहायता से चल रहे है, अपने उत्पादों को बेचने के लिए उन्हें सूचना और अन्य अवसर उपलब्ध कराने के लिए पंचायत समिति के सहयोग को आभार मानते है |

स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 6/16/2019



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