सिवनी मोगरा ग्राम पंचायत, महाराष्ट्र में भण्डारा जिले में पड़ती है, जो अपने अनेक जल निकायों के लिए बहुत प्रसिद्ध है | यह ग्राम पंचायत सतत विकास का एक मॉडल है, जिसमें प्रकृति, पारस्थितिकी, सामाजिक ताकतों, महिला सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन, दहेज विरोधी अभियान, स्वास्थ्य और सफाई के मुदों का उचित समाधान किया जाता है |
2004-2005 में एक अखिल महिला ग्राम सभा का गठन किया गया | इसकी अध्यक्ष ने समाज में महिला होने की पहचान, मान्यता तथा उसके महिमामण्डन पर ध्यान दिया | इससे लोगों की सोच में बदलाव आया है और अब निवासों की नाम पट्टियों पर महिलाओं के नाम लिखे जाते है| ग्राम पंचायत भी घर के मुख्या के रूप में महिला का नाम लिखती है | महिला साक्षरता दर में पर्याप्त वृद्धि हुई है और महिलाओं में सशक्तिकरण का बोध हुआ है |
सहयोगकारी ग्राम पंचायत होने से महिलाओं ने दहेज प्रथा, बाल विवाह, भ्रूण हत्या, जुएबाजी, शराबबाजी जैसी सामाजिक बुराईयों और भ्रष्टाचार जैसे घोर अन्यायों के विरुद्ध बीड़ा उठाया | इस ग्राम पंचायत में लिंग समानता का नारा मुखर हुआ है, जिसमें महिलाओं और पुरुषों को समाज की बराबर बहुमूल्य परिसम्पत्तियां माना गया है | इसके अलावा, पर्यावरण हितैषी वातावरण संरक्षण के लिए ग्राम पंचायत के सभी सदस्यों ने बड़ी संख्या में वृक्ष लगाने की निष्ठापूर्वक प्रतिज्ञा की | साथ ही जैव पुंज, सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा जैसे ऊर्जा स्त्रोतों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया गया | ये सब ग्राम पंचायत में महिलाएं होने के कारण हासिल किया जा सका|
वर्ष के दौरान महाराष्ट्र के भण्डारा जिले की ग्राम पंचायत शिवनी मोगरा ने गाँव के पंजीकृत सभी घरों को रोजगार दिया है और निम्नलिखित कार्य किए हैं, जो ग्राम समुदाय के लिए लाभकारी हैं और इनसे पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलती है:
मनरेगा के तहत गाँव के तालाब को गहरा करने का कार्य पूरा कर लिया गया है जिससे जल भण्डारण क्षमता बढ़ गई है | साथ ही मिट्टी के थैलों और चिनाई निर्माण कार्य के साथ नाले के संरक्षण का कार्य पूरा कर लिया गया है | किसान एकत्रित किए गए इस पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए कर रहे हैं |
ग्राम पंचायत ने शिवनी से फिल्ड पण्डन सड़क का कार्य पूरा कर लिया है जिससे किसानों को अपनी सामग्री और उपज को ले जाने में सुविधा होगी और इससे उन्हें अपनी उपज का अच्छा दाम मिलेगा |
राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार ग्राम पंचायत ने गांवों में 4,500 वृक्ष लगाए हैं और “डॉ. बाबा साहिब अम्बेडकर पौधशाला” नामक बहुत उत्तम पौधशाला विकसित की है | आज पौधशाला में आँवला, हिर्दा, बहेडा, इमली, करंज, बांस, आस्ट्रेलियाई बबूल, अमल्तास, बेल आदि जैसे विभिन्न प्रकार के 25,000 पौधे हैं | ग्राम पंचायत ने गाँव के बच्चों को फल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकारी भूमि पर आम, कस्टर्ड ऐपल, आँवला और करोंदे के वृक्षों को लगाने का कार्य भी शुरू किया है |
2010-11 के दौरान ग्राम पंचायत ने 10 सिंचाई कूपों को मंजूरी दी जिनमें से 6 कूपों को लाभार्थियों द्वारा पूरा कर लिया गया है | सिंचाई कूपों से पानी मिलने से किसान पहले की तरह केवल वर्षा जल से धान ही नहीं बो रहे है, बल्कि नई-नई फसलों की बुआई भी कर रहे हैं |
सावरगाँव ग्राम पंचायत ने इसकी समीपवर्ती शमशान भूमि के बुनियादी ढांचे में सुधार करके बहुत प्रशसनीय कार्य किया है | शमशान भूमि के नवीकरण की सम्रग प्रक्रिया उस व्यक्ति की असामयिक मृत्यु की पृष्ठ भूमि में शुरू हुई जिसकी साथी ग्राम पंचायत सदस्य के मृत्यु संस्कार करते समय ‘लू’ लगने से मृत्यु हो गई थी | यह घटना इस ग्राम पंचायत के चुने गए प्रतिनिधियों के लिए सबक लेने वाली घटना थी | इसलिए वर्ष 2011 में पदासीन सरपंच ने ग्राम सभा की बैठक बुलाई और सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि शमशान भूमि को अधिक सुविधाजनक और पर्यावरण हितैषी बनाया जाना चाहिए | शमशान भूमि में मनरेगा के माध्यम से तार की बाड़ लगाई गई, पानी की सुविधा के लिए हैण्डपम्प लगाए गए और 1500 वृक्ष लगाए गए | एक पर्यावर्णीय समिति भी गठित की गई जिसमें “एक व्यक्ति एक वृक्ष” के नारे को प्रोत्साहित किया गया |
शमशान भूमि में पौधशाला का, पौधे बेचकर आय के स्त्रोत के रूप में इस्तेमाल किया जाना शुरू हुआ | आज इस शमशान भूमि में मृत्यु के संस्कार पूरे करने के लिए उत्तम सुविधाएँ उपलब्ध हैं| आम ग्रामवासी पौधशाला की देखभाल करते हैं, जिससे पर्यावरण बेहत्तर बनता है और आय में वृद्धि होती है |
स्रोत: भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 6/7/2019
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