समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय का सरोकार मुख्यत: 0-6 वर्ष आयु समूह के बच्चों, किशोरियों और साथ ही गर्भवती और धात्री महिलाओं से संबंधित योजनाओं का कार्यान्वयन है। इन पहलकदमियों के अलावा निदेशालय का सरोकार आरंभिक बालपन देखरेख और पोषण कार्यक्रमों से संबंधित नीतियों, विधानों, बजट, प्रशिक्षण ज़रूरतों, अनुश्रवण, मूल्यांकन और पर्यवेक्षण से है।
जहां निदेशालय का मुख्य दायित्व समेकित बाल विकास सेवा योजना के अग्रणी कार्यक्रम का कार्यान्वयन है, वहीं यह राजीव गांधी किशोरी सशक्तीकरण योजना - सबला और इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना के कार्यान्वयन के लिए भी उत्तारदायी है।
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) निदेशालय का नेतृत्व एक निदेशक द्वारा किया जाता है, जिनकी सहायता के लिए एक बहुस्तरीय कर्मचारी संरचना होती है। जिसमें राज्य स्तर पर संयुक्त निदेशक, उप-निदेशक और सहायक निदेशक शामिल होते हैं। ज़िला स्तर पर ज़िला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) प्रखंड स्तर पर आईसीडीएस परियोजनाओं के प्रभारी, बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओज) के सहयोग से कार्यक्रमों का निष्पादन करता है। ग्राम स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उन महिला पर्यवेक्षकों के मार्गदर्शन में कार्य करती हैं जो आंगनवाड़ी केंद्रों के संकुलों का अनुश्रवण करती हैं और सीडीपीओज को रिपोर्ट करती हैं।
आईसीडीएस योजनाएं और कार्यक्रम इस प्रकार है|
समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) की शुरूआत बच्चों की समग्र जरूरतों की पूर्ति की चुनौती के प्रत्युत्तर में अक्टूबर 2, 1975 को 33 प्रखंडों में की गई थी। आज समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) कार्यक्रम विश्व में बच्चों के लिए संचालित सबसे बड़े और सबसे अनूठे कार्यक्रमों में से एक है। यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि छोटे बच्चे ही कुपोषण, रुग्णता आदि से सर्वाधिक असुरक्षित होते हैं। बच्चे के जीवन के आरंभिक वर्ष बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं। इसका कारण यह है कि इसी दौरान संज्ञानात्मक (काग्निटिव), सामाजिक, भावनात्मक, भाषागत, शारीरिक विकास और आजीवन अधिगम की नींव पड़ी है।
इस संदर्भ में, यह स्वीकार करते हुए कि प्रारंभिक बाल विकास मानव विकास की बुनियाद है, आईसीडीएस कार्यक्रम को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए तैयार किया गया था। इसके लिए देखरेख कर्ताओं और समुदायों की क्षमता को मजबूत बनाना और समुदाय के स्तर पर बुनियादी सेवाओं की सुलभता में सुधार लाना आवश्यक है।
लाभ और पात्रता
इस कार्यक्रम का उद्देश्य छह वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और धात्री महिलाओं और प्रजनन आयु की महिलाओं (15-45 वर्ष) को लाभ प्रदान करना है। कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदान की जाने वाली सेवाएं इस प्रकार हैं:
i. पूरक पोषण
ii. टीकाकरण/रोग-प्रतिरक्षा
iii. स्वास्थ्य जांच सेवाएं
iv. रेफरल सेवाएं
v. स्कूल-पूर्व अनौपचारिक शिक्षा, और
vi. पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा
पूरक पोषण छह वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती और धात्री महिलाओं को प्रदान किया जाता है ताकि राष्ट्रीय पोषण मार्गनिर्देशों और वास्तविक रूप में ग्रहण किये गये पोषण के बीच के अंतर को दूर किया जा सके।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण या रोग प्रतिरक्षण इसलिए किया जाता है कि मातृ और नवजात मृत्युओं में कमी आये। बच्चों के मामले में इन छह रोगों का रोग-प्रतिरक्षण किया जाता है - पोलियो, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टिटनेस, टीबी और खसरा।
स्वास्थ्य जांच के अंतर्गत छह वर्ष से कम आयु के बच्चों की स्वास्थ्य देखरेख, प्रसव-पूर्व देखरेख और धात्री या स्तनपान कराने वाली माताओं की प्रसव-पश्चात देखरेख शामिल है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के कर्मचारियों द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न स्वास्थ्य सेवाएं इस प्रकार हैं: नियमित स्वास्थ्य जांच, वजन का रिकार्ड रखना, टीकाकरण, कुपोषण का प्रबंधन, दवा देना और सामान्य दवाओं का वितरण।
स्वास्थ्य जांच और शारीरिक विकास की मॉनीटरिंग के दौरान बीमार और कुपोषित बच्चों को रेफरल सेवाएं प्रदान की जाती हैं। जिन बच्चों पर तत्काल चिकित्सीय ध्यान देने की जरूरत होती है उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों या उपकेंद्रों में रेफर किया जाता है।
आंगनवाड़ियों में 3-6 वर्ष के बच्चों को स्कूल-पूर्व और अनौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य उपयुक्त विकास के लिए आवश्यक निवेशों पर बल देते हुए एक स्वाभाविक आनंदपूर्ण और प्रेरक वातावरण प्रदान करना है।
पोषण स्वास्थ्य और शिक्षा घटक के अंतर्गत विशेषकर 15-45 वर्ष आयु समूह की महिलाओं की क्षमता निर्मित करने के लिए व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति का उपयोग करना है, जिससे वे स्वयं अपनी और अपने बच्चों व परिवारों की स्वास्थ्य पोषण और विकास संबंधी जरूरतों का ध्यान रख सके।
कैसे प्राप्त करें
योजना के लाभार्थियों की पहचान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा और सेवा वितरण आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से किया जाता है।
11-18 वर्ष की किशोरियों की पोषण और स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करने और उन्हें जीवन कौशल, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी शिक्षा के माध्यम से उनका सशक्तीकरण करने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत सरकार ने नवम्बर 2010 में किशोरियों के सशक्तीकरण के लिए राजीव गांधी योजना आरंभ की। इस योजना का उद्देश्य किशोरियों को परिवार कल्याण, स्वास्थ्य और स्वच्छता, वर्तमान सार्वजनिक सेवाओं के बारे में जानकारी से अवगत करना, और विद्यालय न जाने वाली किशोरियों को औपचारिक या अनौपचारिक शिक्षा प्रणाली के अंतर्गत लाना है।
योजना का मुख्य लक्ष्य विद्यालय न जाने वाली लड़कियां हैं। उन्हें पोषण ओर गैर-पोषण घटकों के साथ समेकित सेवाएं प्रदान की जाती हैं। पोषण घटक का लक्ष्य 11-14 वर्ष की विद्यालय न जाने वाली किशोरियां और 14-18 वर्ष की सभी लड़कियां हैं।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएं प्रदान की जा रही हैं:
पोषण का प्रावधान (600 कैलरीज, 18-20 ग्राम प्रोटीन और सूक्ष्म पोषक तत्व 300 दिनों के लिए);
आईएफए की गोलियां
स्वास्थ्य जांच और रेफरल सेवाएं;
पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा;
परिवार कल्याण, किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य, बाल देखरेख के तरीके, घर का प्रबंधन पर परामर्श और मार्गदर्शन;
जीवन कौशलों और सार्वजनिक सेवाएं प्राप्त करने संबंधी शिक्षा; तथा
राष्ट्रीय कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 16 वर्ष और उससे अधिक आयु की लड़कियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना के अंतर्गत सेवाएं आंगनवाड़ी केंद्र द्वारा/के माध्यम से उपलब्ध की जाती हैं।
इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (आईजीएमएसवाई) की शुरूआत महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गर्भवती और धात्री महिलाओं के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य बच्चे के जन्म और बाल देखरेख के दौरान वेतन-क्षति से उनकी प्रतिपूर्ति करना और साथ ही सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने एवं शिशुओं और छोटे बच्चों के पोषण और आहार देने के उत्तम तौर तरीकों को प्रोन्नत करने हेतु अनुकूल स्थितियां प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत ये लक्ष्य निम्न प्रकार से हासिल किये जायेंगे|
गर्भावस्था, प्रसव और स्तनपान की अवधि के दौरान उपयुक्त तौर-तरीकों, देखरेख और संस्थागत सेवा को प्रोन्नत करना।
शिशुओं और छोटे बच्चों के लिए पोषण और आहार देने के तौर-तरीकों का पालन करने के लिए महिलाओं को प्रोत्साहित करना।
गर्भवती और छात्री माताओं को स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार लाने के लिए नकद प्रोत्साहन प्रदान करके उक्त तौर-तरीकों को अपनाने हेतु एक अनुकूल वातावरण बनाने में योगदान करना।
यह योजना केंद्रीय रूप से प्रायोजित योजना है जिसके लिए राज्य सरकार को अनुदान सहायता के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
लाभ और पात्रता
इस योजना के अंतर्गत पहले दो जीवित जन्मों के लिए 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की सभी गर्भवती महिलाएं लाभ प्राप्त करने की पात्र हैं। पर जिन महिलाओं को मातृत्व अवकाश मिलता है वे इस योजना के लाभों की पात्र नहीं हैं।
योजना के अंतर्गत नकद हस्तांतरण निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
1,500 रुपए का पहला नकद हस्तांतरण (गर्भावस्था के 6 माह में) निम्नलिखित शर्तों के अधीन किया जायेगा:
गर्भधारण के चार महीनों के भीतर आंगनवाड़ी केंद्र में गर्भावस्था का पंजीकरण।
कम से कम एक प्रसव-पूर्व देखरेख सत्र में भाग लेना ओर आईएफए की गोलियां लेना व टिटनस का टीका लगाना, और।
आंगनवाड़ी केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र में कम से कम एक परामर्श सत्र में भाग लेना।
1,500 रुपए का दूसरा हस्तांतरण (प्रसव के 3 माह बाद) तभी किया जायेगा जब:-
बच्चे के जन्म का पंजीकरण किया गया हो।
बच्चे के जन्म के समय, छह सप्ताह पर और फिर 10 सप्ताह का होने पर ओपीवी दी गई हो या बीसीजी का टीका लगाया गया हो, और
मां ने प्रसव के तीन महीनों के भीतर कम से कम दो शारीरिक विकास मॉनीटरिंग सत्रों में भाग लिया हो।
1,000 रुपए का तीसरा हस्तांतरण (प्रसव के 6 माह बाद) निम्नलिखित शर्तों के अधीन है:
छह महीने तक केवल स्तन पान और फिर पूरक आहार आरम्भ करना।
बच्चे के ओपीवी की खुराक दी गई हो और डीपीटी का तीसरा टीका लगाया गया हो।
मां ने प्रसव के तीसरे और छठे महीने के बीच शारीरिक विकास मॉनीटरिंग और शिशु व बच्चे के पोषण पर दो परामर्श सत्रों में भाग लिया हो।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना के अंतर्गत पहले दो जीवित जन्मों पर 19 वर्ष या उससे अधिक आयु की गर्भवती और धात्री महिलाओं के 4,000 रु. का नकद प्रोत्साहन दिया जाता है। इसे निम्न प्रकार से गर्भावस्था की दूसरी तिमाही से लेकर बच्चे के छह महीने का होने के बीच तीन किश्तों में दिया जाता है।
शर्त |
सत्यापन का माध्यम |
पहली किश्त |
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1. आंगनवाड़ी केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र (उपकेंद्र/पीएचसी/सीएचसी/जिला अस्पताल/जेएसवाई के अंतर्गत पैनल का प्राइवेट डाक्टर) में चार महीने के भीतर गर्भधारण का पंजीकरण |
जच्चा बच्चा सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड |
2. कम से कम एक प्रसव-पूर्व जांच कराई हो |
एमसीपी कार्ड |
3. आईएफए की गोलियां प्राप्त की हों |
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4. कम से कम टिटनेस का एक टीका लगवाया हो |
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5. आंगनवाड़ी केंद्र/ग्राम स्वास्थ्य और पोषण दिवस (वीएचएनडी) में/घर के दौरे के समय कम से कम एक प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया हो |
आईजीएमएसवाई पंजिका |
दूसरी किश्त |
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6. बच्चे के जन्म का पंजीकरण |
एमसीपी कार्ड |
7. बच्चे को पोलियो और बीसीजी की वैक्सीन दी गई हो |
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8. बच्चों को पोलियो और डीपीटी-1 की वैक्सीन दी गई हो |
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9. बच्चों को पोलियो और डीपीटी-2 की वैक्सीन दी गई हो |
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10. बच्चे का जन्म के बाद कम से कम दो बार वजन लिया गया (जन्म के समय वजन कराने सहित अधिकतम 4 बार) हो |
एमसीपी कार्ड |
11. मां ने आंगनवाड़ी केंद्र/वीएचएनडी/घर के दौरों के समय शिशुओं और छोटे बच्चों को आहार देने के तरीके (आईवाईसीएफ) परामर्श सत्रों में भाग लिया (अधिकतम 3 बार) हो |
आईजीएमएसवाई पंजिका |
तीसरी किश्त |
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12. जीवन के पहले छह महीने केवल स्तनपान |
स्वयं सूचित किया |
13. छह महीने की आयु होने पर पूरक आहार की शुरूआत की हो |
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14. बच्चे ने पोलियो और डीपीटी-3 की वैक्सीन ली हो |
एमसीपी कार्ड |
15. 3-6 महीने के बीच बच्चे का दो बार वजन लिया गया हो |
एमसीपी कार्ड |
16. स्तनपान के 3-6 महीने के बीच माता ने आंगनवाड़ी केंद्र में/वीएचएनडी/घर के दौरे के समय कम से कम दो आईवाईसीएफ परामर्श सत्रों में भाग लिया हो |
आईजीएमएसवाई पंजिका |
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की पहचान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आंगनवाड़ी बच्चों के लिए पोषक योजना/मुख्य मंत्री पोषक योजना का उद्देश्य 3-6 वर्ष की आयु के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में आने हेतु प्रोत्साहन के रूप में यूनिफार्म दे कर आईसीडीएस के ''आरंभिक बालपन शिक्षा' घटक को मज़बूत बनाना है। इस योजना के अंतर्गत इन यूनिफार्म्स के माध्यम से बच्चों के बीच घनिष्ठता, मित्रता और एकता की भावनाओं का संचार करना है।
लाभ और पात्रता
आंगनवाड़ी केंद्रों में पंजीकृत 3-6 वर्ष के सभी बच्चों को यूनिफार्म का एक सेट दिया जाता है या वैकल्पिक रूप से यूनिफार्म (लड़कों के लिए हल्के नीले रंग की कमीज और नेवी ब्लू पैंट्स तथा लड़कियों के लिए हल्के नीले रंग की कमीज और नेवी ब्लू स्कर्ट) के लिए प्रति वर्ष प्रति बच्चा 250 रुपए की राशि आवंटित की जाती है।
कैसे प्राप्त करें
इस योजना के लाभ आंगनवाड़ी केंद्रों द्वारा प्रदान किये जाते हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से बाल विकास परियोजना अधिकारी बच्चों के अभिभावकों के लिए आवंटित निधियों का संवितरण सुनिश्चित करती है। इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि अभिभावक यूनिफार्म खरीदें।
पूरक पोषाहार योजना के अंतर्गत छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती और धात्री माताओं तथा किशोरियों को उनकी पोषण संबंधी स्थिति में सुधार के लिए पूरक पोषण प्रदान किया जाता है। यह योजना 50:50 के अनुपात केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा वित्तपोषित है।
लाभ और पात्रता
हर आंगनवाड़ी केंद्र औसतन 6 माह से 6 वर्ष तक के 80 बच्चों को अपनी परिधि में लेता है। साथ ही हर केंद्र औसतन 16 गर्भवती या धात्री महिलाओं तथा तीन किशोरियों को लाभ प्रदान करता है। हर केंद्र प्रति दिन प्रति बच्चा दो रुपए, प्रति दिन प्रति महिला ओर लड़की पांच रुपए और गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे के मामले में प्रति दिन प्रति बच्चा 6 रुपए की दर से पूरक पोषण प्रदान करता है। केंद्र माह में 25 दिन ये सेवाएं प्रदान करता है।
कैसे प्राप्त करें
योजना के लाभार्थियों की पहचान आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा और पूरक पोषण का वितरण आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से किया जाता है।
राज्य समेकित बाल विकास सेवा (आईसीडीएस) कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए समुदाय को लामबंद करने और इसके प्रावधानों और लाभों को उपयुक्ततम बनाने के मुख्य लक्ष्य के साथ अपने सभी 38 जिलों में दुलार रणनीति का कार्यान्वयन कर रहा है। आईसीडीएस कार्यक्रम को मजबूत बनाने और इसके अंतर्गत प्रदान की जाने वाली देखरेख सेवाओं के बीच बेहतर समन्वय हासिल करने के लिए कार्यक्रम के कार्यान्वयन कार्यतंत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किये गये हैं और 'दुलार से मुस्कान तक' नामक एक नई रणनीति सूत्रित की गई है। इस रणनीति के अंतर्गत कार्यक्रम की समुदाय-आधारित अनुश्रवण प्रणाली को विकसित करने के साथ महिलाओं और बच्चों के बहुमुखी विकास को प्रोन्नत करने के लिए परिवार और समुदाय के सशक्तीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस अभियान के अंग के रूप में मां और बच्चे की पोषण संबंधी स्थिति में सुधार के लिए राज्य के 14 जिलों में कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। पहले संचालित की जा रही 'दुलार' रणनीति को संशोधित कर मुस्कान रणनीति तैयार की गई है जिसके दो लक्ष्य हैं - आंगनवाड़ियों के माध्यम से सार्वजनीन टीकाकरण और 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव।
मुस्कान रणनीति के दो मुख्य भाग इस प्रकार हैं:
एएनएम, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं को कार्यक्रम के सभी घटकों और कार्यकलापों का प्रशिक्षण देना।
ग्राम संपर्क अभियान
इस अभियान के माध्यम से महिलाओं को महिला मंडल की बैठकों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा और पूरे समुदाय को मुस्कान अभियान के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यकलापों के बारे में सूचित किया जायेगा। महिला मंडलों का गठन स्वास्थ्य और पोषण संबंधी पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया है।
आईसीडीएस कार्यक्रम को बल प्रदान करने और उसकी पहुंच का विस्तार करने के लिए राज्य के सभी जिलों में मुस्कान रणनीति के विस्तार पर विचार किया गया है।
स्रोत: समेकित बाल विकास सेवा निदेशालय, समाज कल्याण विभाग, बिहार, समाज कल्याण मंत्रालय व सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 9/30/2022
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