• प्रत्येक घर को वर्ष भर पाईप द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना है।
• शुद्ध पीने का पानी आपके घर तक नल से पहुँचाया जायेगा।
• यह योजना पूरी तरह से आपके द्वारा बनायी जायेगी, इसके मालिक आप होंगे और इसके रख-रखाव की जिम्मेवारी भी आपकी होगी।
• यह पीने का पानी हर घर तक उपलब्ध कराने का सबसे अच्छा तरीका है।
• इससे पानी साल भर आपके घर के अन्दर नल से लगातार मिलेगा।
• खाना बनाने, नहाने के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध जल आपको मिल जायेगा।
• नल का जल आपके घर तक पहुँचने से घर के बाहर से पानी ढोकर नहीं लाना पड़ेगा और बाहर से पानी लाने के क्रम में जो पानी के गंदा होने का खतरा रहता है वह भी नहीं होगा। गंदे पानी से होने वाली बीमारियों से भी आप बच सकेंगे।
• हर घर नल का जल उपलब्ध होने से विशेषकर महिलाओं की काफी सहायता हो जायेगी। उन्हें बाहर या घर से दूर जाकर पानी ढोकर नहीं लाना पड़ेगा। इस बचे हुये समय का सदुपयोग घर एवं बच्चों की देखभाल या अन्य किसी कार्य में कर सकेंगी। उन्हें अपने लिये भी ज्यादा समय मिलेगा जिससे वे खुद को आर्थिक रूप से भी अधिक सशक्त कर पायेंगी।
• पानी दूर से लाने के क्रम में गर्दन, पीठ, एवं कमर की हड्डी एवं मासपेशियों पर दबाब पड़ता है तथा दर्द की शिकायत होती है। जिससे उम्र बढ़ने पर सामान्य काम करने पर भी तकलीफ होती है।
• यह योजना समुदाय के लिए एवं समुदाय द्वारा ही संचालित होना है। इसका रख-रखाव पेयजल उपयोग करने वाले समुदाय को ही करना है। योजना संचालन के लिए एक मोटर ऑपरेटर एवं बिजली मिस्त्री को मानदेय पर रखना होगा जिसके लिए राशि की आवश्यकता होगी। साथ ही रख-रखाव के लिए सामान भी खरीदना होगा जिसपर हुये खर्चे को उपभोक्ता शुल्क से पूरा किया जायेगा। अतः उपभोक्ता शुल्क देना आवश्यक है। अन्यथा रख-रखाव के अभाव में योजना मृतप्राय हो जायेगी।
• अभी जो पानी हम पी रहे हैं वह कम गहराई वाले नलकूप या अन्य स्रोतों से प्राप्त करते हैं तथा घर तक पानी लाने के क्रम में पानी के प्रदूषित होने का खतरा रहता है जिससे कई प्रकार की जल-जनित बीमारियाँ होती हैं। लगभग 80 प्रतिशत बीमारियाँ भारत में दूषित पानी पीने के कारण होती हैं। (अभी तक लगभग 70,000 जल प्रदूषक खोजे जा चुके हैं जो हमें बीमार करते हैं। )
भारत में हर साल लगभग 1000 बच्चे प्रतिदिन डायरिया के कारण मरते हैं, जो एक जलजनित बीमारी है। अन्य जलजनित बीमारियाँ हैं कालरा, पेचीस (दस्त), टाईफाईड, पोलियों, हिपेटाईटिस, पेट में कृमि आदि।
• यह पाया गया है कि घरेलू आमदनी का लगभग 10 प्रतिशत प्रति व्यक्ति प्रति परिवार का खर्च इन जलजनित बीमारियाँ के इलाज पर खर्च हो जाता है। अर्थात अगर आपकी आमदनी 1000 रूपये है तो एक व्यक्ति के बीमारी के इलाज पर हर महीने लगभग 100 रूपये खर्च हो जाते है, जिसे केवल शुद्ध जल पीने से बचाया जा सकता है।
• भारत में हर साल 112 करोड़ रूपये इन बिमारियों पर खर्च होता है। इससे लगभग 20 करोड़ लोग हर साल काम पर नहीं जा पाते हैं।
• हाँ, इस योजना की बड़ी बात यही है। इसमें आपके तथा वार्ड के अन्य सभी घरों में आपकी आवश्यकता के अनुसार सुरक्षित पानी मिलेगा।
• 14वें वित्त आयोग, पंचम राज्य वित्त आयोग एवं राज्य योजना मद से प्राप्त राशि से यह कार्य पूरा किया जायेगा।
• प्रति वार्ड घरों की संख्या औसतन 155 है। आबादी लगभग 1000 है।
• इस योजना के अन्तर्गत चार वर्षों में आपके पंचायत के सभी वार्डों में नल का जल पहुँचा दिया जायेगा। इसके लिए पहले और चौथे साल में 20-20 प्रतिशत वार्ड तथा दूसरे और तीसरे साल में 30-30 प्रतिशत वार्ड में योजना निर्माण के लिए राशि दी जायेगी। (उदाहरण के लिए अगर आपके पंचायत में चौदह वार्ड हैं तो पहले और चौथे साल में तीन-तीन वार्ड तथा दूसरे और तीसरे साल में चार-चार वार्ड में योजना निर्माण के लिए राशि दी जायेगी ।)
• योजना में वार्ड की प्राथमिकता सूची बनाने के लिए वार्ड में रह रहे अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या और कुल जनसंख्या आधार होगा।
• सबसे पहले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या पंचायत के जिस वार्ड में सबसे ज्यादा होगी उसका चुनाव किया जायेगा। उसके बाद उससे कम अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाले वार्ड का चयन किया जायेगा और इसी तरह अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जनसंख्या के घटते क्रम में बचे हुये वार्डों को चुना जायगा।
• एक बार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वाले सभी वार्डों का चयन योजना के लिए हो जायेगा तब बचे हुये वार्डों को उनके कुल जनसंख्या, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या भी शामिल होगी के आधार पर चुना जायेगा। इसमें भी पहले सबसे अधिक जनसंख्या वाले वार्ड को चुना जायेगा और इसी तरह उससे कम, फिर उससे कम जनसंख्या वाले वार्ड को चुनते हुए सभी वार्डों में योजना को चालू किया जायेगा।
• शुद्ध पानी की लगातार व्यवस्था के लिए वार्ड में ही भूमिगत जलस्रोत का चयन किया जायेगा। यह बेतहर होगा कि यह जल स्रोत सरकारी भूमि अथवा गाँव/वार्ड की सार्वजनिक भूमि पर हो। ऐसा स्थल उपलब्ध नहीं होने पर आपसी सहमति से किसी व्यक्ति के जमीन पर भी जल-स्रोत का चयन किया जा सकता है।
• भूमिगत जलस्रोत से पानी निकालने के लिए नलकूप/बोरिंग का उपयोग किया जायेगा जिसमें बिजली से चलने वाला पम्पसेट लगा होगा।
• भूमिगत जल को नलकूप/बोरिंग एवं पम्पसेट के द्वारा पहले पानी टंकी में जमा किया जायेगा, जो कि औसतन 150 घरों के लिए 5 हजार लीटर क्षमता (सिनटेक्स या किसी अन्य प्रमाणित कम्पनी) वाला होगा।
• पानी की टंकी ऐसे ऊँचे स्थान पर रखी जायेगी जहाँ से हर घर में पानी आसानी से पहुँचाया जा सके।
• पानी की जरूरत और वार्ड की जनसंख्या को देखते हुए टंकी की संख्या 1 या 2 हो सकती है।
14 नल का जल हर घर तक कैसे पहुँचाया जायेगा?
• शुद्ध पानी को पानी टंकी से तीन फीट भूमिगत PVC पाईप से वार्ड के हर गली तक पहुँचाया जायेगा और गली से ½ इन्च PVC पाईप द्वारा वार्ड के हर घर तक पहुँचाया जायेगा।
• योजना के अन्तर्गत हर घर को अधिक्तम तीन कनेक्शन (रसोई घर, स्नान घर एवं शौचालय में) दिया जायेगा। परिवार की सुविधा के अनुसार रसोई घर का नल रसोई घर के बाहर या किसी अन्य सुविधाजनक स्थान पर भी लगाया जा सकता है।
योजना के अन्तर्गत तीनों नल वितरण पाईप सहित लगाया जायेगा तथा वितरण पाईप की अधिकतम लम्बाई 25 फीट के अंदर तक योजना में सन्निहित होगी। 25 फीट से ज्यादा पाईप की आवश्यकता होने पर इसके व्यय का वहन घर वालों द्वारा करना होगा।
• इन तीन स्थानों का चयन आपकी सुविधा के लिए किया गया है। रोज के काम के लिए पानी की जरूरत खाना बनाने और पीने, नहाने और शौचालय में इस्तेमाल के लिए होती है। यह भी ध्यान देने की बात है कि आपके घर में शौचालय बनाने के लिए भी सरकार एक अलग योजना (लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान) से राशि उपलब्ध करा रही है। शौचालय को साफ रखने में भी आप नल के पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं जो आपको घर में ही मिल जायेगा।
• उपभोक्ता शुल्क का उपयोग योजना संचालन के लिए मोटर ऑपरेटर का मानदेय और बिजली बिल का भुगतान करने में होगा। इस शुल्क का उपयोग रख-रखाव तथा मरम्मत के लिए एक मिस्त्री को रखने और उसके मानदेय के भुगतान हेतु भी किया जाएगा। साथ-ही-साथ मरम्मती के लिए सामान भी खरीदना होगा जिस पर हुये खर्च को आपके द्वारा दिये गये उपभोक्ता शुल्क से ही पूरा किया जायेगा। इस खर्चे का हिसाब हर माह वार्ड सभा में दिखाया जायेगा।
• संग्रहित उपभोक्ता शुल्क को वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के बैंक खाते में जमा कराया जायेगा।
• एक बार जब योजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन हो जाता है तथा घर में पानी मिलना प्रारंभ हो जाता है, उसके बाद उसके रख-रखाव एवं मरम्मती की जिम्मेवारी उस परिवार की होगी जहाँ इसे लगाया गया है। लेकिन इसके लिए मिस्त्री आपके वार्ड में ही उपलब्ध हो जायेगा, जिसे आपके द्वारा दिये गये उपभोक्ता शुल्क से ही वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा रखा जायेगा। आपको मिस्त्री को ढूढने के लिए गांव से बाहर नही जाना पड़ेगा और मामूली शुल्क देकर आप उससे काम करवा सकेंगे। सामान का मूल्य आपको चुकाना होगा।
• घर में नल से पानी लेने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा, परन्तु इस नल जल योजना के रख-रखाव एवं मरम्मती के लिए वार्ड में गठित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति आम सहमति से कुछ न्यूनतम उपभोक्ता शुल्क मासिक तौर पर जमा करायेगी।
• पानी की उपलब्धता जितनी जरूरत होगी उतनी करायी जायेगी। वैसे यह अनुमान लगाया गया है कि पीने के लिए एवं अन्य घरेलू उपयोग के लिए (अर्थात खाना बनाने, नहाने एवं शौच और पशुओं के पीने के लिए) औसतन 70 लीटर प्रति व्यक्ति प्रति दिन की जरूरत होती है।
यह ध्यान देने की बात है कि धरती पर हमारे इस्तेमाल के लायक पानी बहुत कम है और लगातार अधिक मात्रा में बिना जरूरत के पानी बर्बाद करने से आगे चल कर भूमिगत पानी भी उपलब्ध नहीं हो पायेगा। आपको विगत वर्षों में गर्मी के मौसम में चापाकल और बोरिंग के फेल होने का अनुभव भी है। इसलिए आपकी कोशिश होनी चाहिए कि नल के जल का सही इस्तेमाल करें और इसे बर्बाद न करें।
• इस्तेमाल किये हुये बचे पानी को यहाँ-वहाँ नहीं फेंक कर एक नाली में सोखता गड्ढा में गिरायें । गली नाली योजना में सोखता गड्ढ़ा निर्माण के लिए भी राशि उपलब्ध करायी गयी है। सोखता गड्ढ़ा द्वारा आप भूमिगत जल को फिर से रिचार्ज कर सकते हैं।
• वार्ड में योजना कार्यान्वयन के लिए एक 7 सदस्यीय वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन किया गया है। इसकी अध्यक्षता संबंधित वार्ड के वार्ड सदस्य करेंगे।
• वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का गठन वार्ड में रह रहे सदस्यों में से वार्ड सभा द्वारा चयन कर किया जायेगा। यह 7 सदस्यीय समिति होगी। इसके अध्यक्ष वार्ड के वार्ड सदस्य होंगे। वार्ड से निर्वाचित ग्राम कचहरी के पंच एवं वार्ड सभा सचिव समिति के पदेन सदस्य होगें।
• अन्य चार सदस्यों का चयन वार्ड सभा द्वारा किया जायेगा।
• वार्ड में जीविका के स्वंय सहायता समुह (एस0एच0जी0) यदि हो तो उसके प्रतिनिधि को भी सदस्य के रूप में निर्वाचित किया जा सकेगा।
• समिति में कम-से-कम तीन महिला सदस्य होगीं।
• अनुसूचित जनजाति / अनुसूचित जाति के सदस्य यदि वार्ड में हों तो उन्हें भी सदस्य के रूप में अनिवार्य रूप से चयनित किया जायेगा।
• यह समिति दो वर्षों के लिए चयनित की जायेगी।
• वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की पहली बैठक इसके गठन के तुरंत बाद की जायेगी। अगली बैठक की तारीख और समय प्रत्येक चल रहे बैठक में ही तय कर दी जायेगी।
• वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की बैठक सामान्यतः साप्ताहिक होगी।
• किसी भी परिस्थिति में एक माह में कम-से-कम दो बैठकें करना अनिवार्य होगा।
• बैठक की गणपूर्ति (कोरम) कम-से-कम चार सदस्यों की उपस्थिति से होगी।
• वार्ड स्तर पर गठित वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का कार्य होगा-योजना के संबंध में लोगों को जागरूक करना, योजना का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन कराना एवं कार्य संपन्न होने के बाद उसका उचित रख-रखाव सुनिश्चित करना।
• योजना क्रियान्वयन के लिए सबसे पहले वार्ड की वास्तविक स्थिति जानने के लिए जिला द्वारा दिये गये प्रपत्र में आधारभूत संरचना एवं बेसलाईन सर्वेक्षण में सहायता करना है ताकि पेयजल की वास्तविक आवश्यकता एवं जल-स्रोत की स्थिति को जाना जा सके।
• सर्वेक्षण के आधार पर प्राप्त वास्तविक पेयजल की आवश्यकता के अनुरूप वार्ड में जलापूर्ति के लिए चयनित तकनीकी सहायक की मदद एवं सामुदायिक सहभागिता से कार्य योजना का निर्माण करना / कराना।
• योजना निर्माण / क्रियान्वयन में लगने वाले सामान का बाजार में दाम पता कर कम-से-कम दर पर गुणवत्ता युक्त मानक सामग्री की खरीद करना।
• योजना के लिए वार्ड को प्राप्त राशि के उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान करना एवं लेखा रखना। वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति की बैठकों का कार्यवृत्त रखना।
• स्वीकृत कार्ययोजना के अनुसार काम कराना।
• प्रबंधन एवं योजना रख-रखाव के लिए उपभोक्ता शुल्क का निर्धारण ।
• योजना के सफलतापूर्वक पूरा होने के पश्चात् योजना का सुचारू रूप से संचालन एवं रख-रखाव का जिम्मा आम लोगों की सहमति से वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति का होगा।
• सुचारू रूप से संचालन एवं रख-रखाव के लिए पानी की गुणवत्ता का समय-समय पर टेस्ट करवाना, पानी की टंकी में पानी खाली न हो यह निश्चित करवाना, समय-समय पर पानी टंकी की साफ-सफाई करवाना ताकि उसमें गन्दगी न बैठ जाये तथा वितरण पाईप का उचित रख-रखाव करना होगा। इसके लिए मानदेय पर एक मिस्त्री को रखना भी शामिल है।
• वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति योजना कार्यान्वयन एवं रख-रखाव के अलावा मुख्यतः निम्नलिखित कार्यों का निर्वहन करेगी –
• योजना की राशि वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा खोले गये खाते में पंचायत द्वारा योजना की प्रशासनिक स्वीकृति के साथ ही भेज दी जायेगी।
• योजना की स्वीकृत राशि एकमुश्त (पूर्ण रूप से एक बार) में ही वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के खाते में भेज दी जायेगी।
• योजना का दस्तावेजीकरण करने के लिए काम के हर स्तर (जैसे-बोरिंग करवाना, पानी की टंकी का चबूतरा बनाना, वितरण पाईप बिछाना, कनेक्शन पाईप बिछाना आदि) पर हर काम का कम-से-कम तीन फोटो (जियोटैग के साथ) लिया जायेगा।
• हर काम शुरू होने से पहले काम के दौरान तथा काम समाप्ति पर फोटो लिया जायेगा।
• अगर पाईप बिछाने का काम 50 मीटर से ज्यादा है तो हर 50 मी0 पर ऊपर बताये गये तीनों प्रकार के जियोटैग फोटो अवश्य लिये जायेंगे ।
• काम की प्रगति को दिखाने के लिए मोबाईल आधारित रिपोर्टिंग एप्प का इस्तेमाल किया जायेगा।
• यह मोबाईल एप्प पंचायती राज विभाग द्वारा विकसित कराया जा रहा है और इसके द्वारा रिपोर्टिंग के लिए अलग से ट्रेनिंग दी जायेगी।
• वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा रूप-रेखा तैयार किये गये और ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित योजना का प्राक्कलन विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये तकनीकी स्वीकृति प्राप्त (जो कई अलग-अगल प्रकार के होगे) मानक प्राक्कलनों के आधार पर वार्ड द्वारा स्थानीय लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग अथवा मनरेगा के अभियंताओं के सहयोग से तैयार कराया जायेगा। इसके लिए तकनीकी सहयोग प्रखंड द्वारा उपलब्ध कराया जायेगा।
• योजना के गुणवत्ता की निगरानी ग्राम सभा द्वारा गठित निगरानी समिति के द्वारा की जायेगी।
• योजना अनुश्रवण के लिए प्रखंड, जिला एवं राज्य स्तर पर समितियाँ तथा व्यक्ति (State Quality Monitors) नियुक्त किये गए है, जो अनुश्रवण एवं गुणवत्ता जाँच के अलावा योजना से संबंधित शिकायतों की भी जाँच करेंगे।
• हाँ, योजना का सामाजिक अंकेक्षण किया जायेगा।
• योजना जब पूर्ण रूप से चालू हो जायेगी, उसके 30 दिनों के अन्दर ग्राम पंचायत को सूचित करते हुए वार्ड सदस्य वार्ड सभा बुलायेंगे।
उस वार्ड सभा में सामाजिक अंकेक्षण पद्धति द्वारा सभी कार्य का पूरा ब्योरा उपस्थित सदस्यों व लाभुकगण को दिया जायेगा।
शुद्ध पानी
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अशुद्ध पानी
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पानी का रंग बिल्कुल साफ हो। पानी से कोई गंध नहीं आ रही हो । पानी का कोई स्वाद नहीं हो । पानी पीने के बाद पेट भारी न लगे। प्रयोगशाला में पानी जाँचे करने पर कोई हानिकारक पदार्थ न पाया गया हो। |
पानी का रंग हल्का धुंधला या बालू का रंग लिए हो । पानी से गंध आ रही हो । पानी का स्वाद खारा हो । पानी पीने के पश्चात् पेट भारी लगने लगे या डकार आने लगे । प्रयोगशाला में पानी जाँच करने पर उसमें कोई हानिकारक पदार्थ पाया जाये। |
अशुद्धि |
पेयजल में अतिरिक्त मात्रा रहने से बिमारी |
आर्सेनिक
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त्वचा पर सादे/काले धब्बे, फिर हथेली व पैर के तलवे पर दर्दनाक घाव, त्वचा कैंसर, पेफड़ा कैंसर । |
फ्लोराईड
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दातों पर क्षैतिज भूरे धब्बे और दाँतों का टूटना, हाथ/पैर की हड्डियों का कमजोर व टेढ़ा हो जाना । |
लौह
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बरतनों पर लाल परत, सफेद कपड़ों का लाल होना, पाईप के अंदर लौह स्तर जमा होना, पानी का स्वाद बदल जाना। |
नाईट्रेट
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बच्चों के रक्त में हिमोग्लोबीन कम हो जाने के कारण बच्चे की मृत्यु (ब्लू बेबी डिजिज) |
जीवाणु
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पेट संबंधी रोग, डायरिया, जॉनडीस, पोलियो, डीसेन्ट्री, क्रिमी संक्रमण ।
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अशुद्धि
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उपाय
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धुंधलापन
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साफ सूती कपड़े से छानकर घड़े में जमा कर के प्रयोग करें अथवा सटीक मात्रा में फिटकरी के प्रयोग से |
लौह
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पानी को 6-8 बार एक साफ-सुथरे बर्तन से दूसरे साफ-सुथरे बर्तन में डालकर प्रयोग करें।
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6-10 घंटे पानी को जमा करने के बाद प्रयोग करें चारकोल फ़िल्टर का प्रयोग करें |
जीवाणु
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15 मिनट उबाल कर पीयें uv ray के माध्यम से पानी जीवाणु मुफ्त होता है सटिक मात्रा में ब्लीचिंग पाउडर ( क्लोरिन ) का प्रयोग करें 6-10 घंटे धूप में पानी को साफ बोतल में रखने के बाद प्रयोग करें । |
46. जल स्रोत अशुद्ध न हो इसके लिए हम क्या उपाय कर सकते है ?
47. समुदाय / घर के स्तर पर जल का अशुधिकरण
48.जल गुणवत्ता के संबंध में शंकायें -
• पानी का नमकीन लगना।
- क्लोराईड की अधिकता से पानी नमकीन हो जाता है।
• पानी के ज्यादा देर तक रखने पर गंदा एवं पीला होना ।
-कुछ भू-जल में आयरन की मात्रा अधिक पायी जाती है। पानी के हवा के सम्पर्क में आने पर पानी पीला बन जाता है।
• साबुन का झाग न देना।
-यह पानी में हार्डनेस ज्यादा होने के कारण होता है, यह कैलशियम एवं मैगनिशियम जैसे तत्व की उपस्थिति के कारण होता है।
• बर्तन में उजला परत जमना।
-यह पानी में कैलशियम के कारण होता है। जब पानी में अस्थायी हार्डनेस होता है तो Precipitation से स्केलिंग ज्यादा होती है।
• बर्तन में लाल परत जमना।
-यह पानी में लौह के अधिक मात्रा में उपलब्ध होने के कारण होता है।
• यह पानी में कैलशियम कार्बोनेट के Precipitation के कारण होता है।
• बच्चों के दांत में क्षैतिज भूरा / काला धब्बा होना। -यह पानी में फ्लोराईड की अधिक मात्रा के कारण होता है।
• वार्ड साफ हो।
• जहाँ-तहाँ कूड़े का जमाव न हो।
• वार्ड में जल का जमाव नहीं होता हो। ।
• पक्की गली-नाली हो जिससे हर घर के गन्दे पानी की निकासी हो।
• वार्ड में सुरक्षित पेयजल स्रोत उपलब्ध हो तथा समय-समय पर पानी की जाँच हो।
• शौचालय उपलब्ध हो।
• अगर हर घर में शौचालय न हो तो वार्ड में कम-से-कम 2 सामुदायिक शौचालय हो।
• बच्चों की साफ-सफाई पर ध्यान देते हो।
• बिजली/सौर उर्जा की व्यवस्था हो।
• विद्यालय की स्थिति अच्छी हो एवं वहाँ पठन-पाठन की व्यवस्था अच्छी हो।
अंतिम बार संशोधित : 2/7/2020
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