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स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़े सामान्य प्रश्न

स्मार्ट सिटी मिशन से जुड़े सामान्य प्रश्न

स्मार्ट सिटी मिशन

स्मार्ट सिटी मिशन स्थानीय विकास को सक्षम करने और प्रौद्योगिकी की मदद से नागरिकों के लिए बेहतर परिणामों के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा आर्थिक विकास को गति देने हेतु भारत सरकार द्वारा एक अभिनव और नई पहल है।

स्मार्ट सिटी उनकी सबसे अहम जरूरतों एवं जीवन में सुधार करने के लिए सबसे बड़े अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है। बदलाव के लिए दृष्टिकोण की श्रृंखला अपनाई जाती है - डिजिटल और सूचना प्रौद्योगिकी, शहरी योजनाओं की सर्वोत्तम प्रथाओं, सार्वजनिक-निजी साझेदारी, और नीति में बदलाव। हमेशा लोगों को प्राथमकिता दी जाती है।

स्मार्ट सिटी मिशन के दृष्टिकोण में, उद्देश्य ऐसे शहरों को बढ़ावा देने का है जो मूल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएँ और अपने नागरिकों को एक सभ्य गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान करे, एक स्वच्छ और टिकाऊ पर्यावरण एवं 'स्मार्ट' समाधानों के प्रयोग का मौका दें। विशेष ध्यान टिकाऊ और समावेशी विकास पर है और एक रेप्लिकेबल मॉडल बनाने के लिए है जो ऐसे अन्य इच्छुक शहरों के लिए प्रकाश पुंज का काम करेगा। स्मार्ट सिटी मिशन ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए है जिसे स्मार्ट सिटी के भीतर और बाहर दोहराया जा सके, विभिन्न क्षेत्रों और देश के हिस्सों में भी इसी तरह के स्मार्ट सिटी के सृजन को उत्प्रेरित किया जा सके।

सामान्य प्रश्न

  • क्षेत्रों के लिए विशिष्ट रूप से जल और सीवर परियोजना का कार्यान्वयन करना कठिन है क्योंकि  आवश्यक  बृहत अवसंरचना का निर्माण आमतौर पर संपूर्ण शहर के लिए किया जाता है। इसका समाधान कैसे करना है?

उत्तर – साधारणतया, जल और सीवर प्रणाली को अपेक्षाकृत छोटे भौगोलिक क्षेत्रों (उदाहरणार्थ मण्डरलों) में उप-विभाजित किया जाता है। क्षेत्रों का चयन करते समय, यह विवेकपूर्ण होगा कि अपेक्षाकृत छोटी भौगोलिक इकाइयों को ध्यान में रखा जाए।

  • क्या केंद्र एएंडओई प्रभारों के रूप में स्वीकृत 2 करोड़ रुपए के अतिरिक्त , स्मार्ट शहर प्रस्ताव तैयार करने के लिए पृथक निधियन उपलब्ध‍ कराएगा?

उत्तर – संक्षिप्त सूची में रखे गए प्रत्ये क शहर को जारी किए गए दो करोड़ रुपए एएंडओई व्यकयों की पूर्ति करने के लिए हैं जिसमें स्मार्ट शहर प्रस्ताव (एससीपी) को तैयार करना भी शामिल है। तथापि, सलाहकार फर्मों को भुगतान के लिए लागत को पाटने के लिए विश्व बैंक सहायता प्राप्त  सीबीयूडी परियोजना से पृथक निधियन उपलब्ध कराया जाएगा।

  • चूंकि इस मिशन का ध्यान केंद्र विभिन्न समरूप कार्यक्रमों की अभिमुखता पर है, अत: भारत सरकार के स्तर  पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच नीतिगत स्तर पर अभिमुखता सुनिश्चित करने के लिए शहरी विकास मंत्रालय द्वारा क्यां प्रयास किए जा रहे हैं?

उत्तर – शहरी विकास मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी अभिमुखता समन्वित करेगा।

  • हमारे शहरों को स्मांर्ट बनाने की योजना बनाते समय, समुत्थाअन पहलूओं का समाधान भी करना चाहिए। क्या  मिशन मार्गनिर्देश पर्याप्त रूप से समुत्थामन पहलूओं को कवर करते हैं?

उत्तर –  एससीपी की तैयारी में समुत्थान एक महत्व पूर्ण पहलू है और मिशन मार्गनिर्देशों में इसे महत्व  दिया गया है तथा एससीपी का मूल्यांकन करने के लिए यह एक मापदंड है (अनुबंध 4, मापदंड 5. ग, दिशा निर्देश के पृष्ठ  35)।

  • स्मार्ट शहर मिशन के कार्यान्वयन के लिए स्था पित की जाने वाली संस्थागत संरचनाएं (पीएमयू) क्यास हैं?

उत्तर –  व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रम (सीसीबीपी) का अमृत और स्मार्ट शहर मिशन के साथ पुनर्संयोजन किया गया है, जिसके अंतर्गत राज्यों/यूएलबी को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए मानव संसाधन उपलब्धा कराने हेतु कार्यस्थल पर पर्याप्तं मानव संसाधनों की व्यवस्था की जाएगी (राज्य और शहर एमएमयू)।

  • नवीकरणीय और स्थायी ऊर्जा क्षम मॉडलों के क्षेत्रों में क्या‍ सर्वोत्तम परिपाटियां उपलब्ध‍ हैं?

उत्तर – सलाहकार फर्मों को एससीपी की तैयारी के दौरान सभी ऐसी सर्वोत्तम परिपाटियों की सूची तैयार करने के लिए कार्य करना चाहिए।

  • क्या स्मार्ट शहर परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न शहरों की निधियन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्रीय स्तर पर किसी वित्तीय मध्यवर्ती संस्था  की स्थापना की जा रही है?

उत्तर –  राज्य स्तंर पर केवल एक वित्तीय मध्य‍वर्ती संस्था का प्रस्ताव है।

  • मिशन के अंतर्गत सहायता प्रदान करने वाली एजेंसियों की क्या भूमिकाएं हैं?

उत्तर – सहायता प्रदान करने वाली एजेंसियां (बहुपक्षीय और द्विपक्षीय) स्मा‍र्ट शहर प्रस्तावों को तैयार करने में शहरों/राज्यों  को तकनीकी सहायता प्रदान करेंगी। वे जानकारी भागीदारों के रूप में भी कार्य करेंगी।

  • स्मार्ट शहर की सीमा क्या होगी?

उत्तर –  पुनर्संयोजन और पुनर्विकास विकल्पों के लिए, यूएलबी की सांविधिक सीमाएं इसकी सीमा होगी और ग्रीनफील्डो विकास के लिए, यह शहरी सीमाओं से परे हो सकती है, परंतु शहर के अधिसूचित योजना क्षेत्र के भीतर होगी।

  • पुनर्विकास मॉडल के लिए 50 एकड़ की न्यूीनतम क्षेत्र अपेक्षा, पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों  में स्थित शहरों के मामले में व्यवहार्य प्रतीत नहीं होती है। क्या न्यूनतम क्षेत्र की अपेक्षा लोचनीय है और क्या यह ऐसे क्षेत्रों के लिए कम हो सकती है?

उत्तर – एससीएम मार्गनिर्देशों के पैरा 5.3 के अनुसार, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए, विकसित किए जाने वाला क्षेत्र किसी भी वैकल्पिक मॉडल के लिए विहित क्षेत्र का आधा होगा।

  • प्रत्येक शहर के लिए, भारत सरकार 500 करोड़ रुपए उपलब्ध कराएगी और राज्यो भी इसके समान 500 करोड़ रुपए का अंशदान करेंगे। एससीएम के तहत स्मा्र्ट शहर के रूप में शहर के विकास के लिए यह 1000 करोड़ रुपए निश्चित रूप से पर्याप्तत नहीं होंगे। स्मार्ट शहर मिशन की अन्य योजनाओं के साथ अभिमुखता कैसे सुनिश्चित की गई है?

उत्तर – एससीपी तैयार करते समय, शहरों को एससीएम की अन्य सरकारी योजनाओं के साथ अभिमुखता बनानी चाहिए। उदाहरणार्थ, संपूर्ण शहर के लिए महत्व‍पूर्ण अवसंरचना परियोजनाओं को अमृत, एसबीएम और हृदय के अंतर्गत शामिल किया जा सकता है और तत्पश्चात स्मार्ट शहर के रूप में विकास के लिए चयनित क्षेत्र को लिया जा सकता है और एससीएम के तहत स्मार्ट समाधानों को लागू किया जा सकता है। अन्ये योजनाओं के साथ अभिमुखता के अलावा, एससीएम वित्तोपोषण के लिए अनेक अन्य स्रोतों की पहचान की गई है जो एससीएम मार्गनिर्देशों के पैरा 11.3 में देखे जा सकते हैं।

  • शहरी विकास मंत्रालय राज्यों को स्मार्ट शहर प्रस्ताव का अंतिम रूपविधान कब भेजेगा? शहरी विकास मंत्रालय को स्मार्ट शहर प्रस्ताव प्रस्तुत करने की अंतिम तरीख क्या  है?

उत्तर –  अंतिम एससीपी रूपविधान तारीख 14-09-2015 के कार्यालय ज्ञापन संख्यां के-15016/61/2015-एससी-I में दिया गया है। शहरी विकास मंत्रालय को एससीपी प्रस्तुत करने की समय सीमा 15 दिसंबर, 2015 है। अन्य कार्यकलापों/उप-कार्यकलापों की समयसीमा के लिए कृपया तारीख 23-09-2015 का कार्यालय ज्ञापन संख्यां के-14012/101(28)/2015-एससी-III ए देखें।

  • वे विभिन्नप संस्था)गत व्यएवस्थाIएं क्या हैं, जिनकी स्मा1र्ट शहर मिशन के अंतर्गत शहरों को योजना बनानी चाहिए, जैसे एसपीवी, आदि?

उत्तर – प्रतिस्पर्धा के चरण 2 में 20 शहरों के चयन के बाद एसपीवी तैयार की जा सकेंगी।

  • शहरी विकास मंत्रालय स्मार्ट शहर प्रस्ताव को तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान राज्यों/शहरों को उनकी समस्याओं का समाधान करने में कैसे सहायता करेगा?

उत्तर – शहरी विकास मंत्रालय सभी समस्याओं और स्पष्टीकरणों के लिए एक टोल-फ्री नंबर की स्थापना करने जा रहा है। तथापि, राज्य/शहर किसी भी समय, किसी स्पष्टीकरण के लिए राष्ट्रीय मिशन निदेशालय से संपर्क स्थापित कर सकते है।

  • अमृत और एससीएम के बीच अतिच्छादन है। अमृत के तहत वित्तपोषण के लिए पात्र कार्यकलाप एससीएम में भी हैं जिससे भ्रांति होरही है। इसका स्प‍ष्टीकरण आवश्यक है?

उत्तर – अमृत और एससीएम एक-दूसरे के संपूरक हैं। शहर महत्वपूर्ण अवसंरचना को अमृत के अंतर्गत संपूर्ण शहर के लिए शामिल कर सकते हैं और स्मार्ट शहर मिशन के अंतर्गत विकास के लिए क्षेत्रों का चयन कर सकते हैं। यथा समय, शहर क्षेत्र आधारित विकास की पुनरावृत्ति  शहर के अन्य क्षेत्रों में कर सकते हैं।

  • सर्वोत्तम परिपाटियों/स्मापर्ट समाधानों की जानकारी प्राप्तन करने के लिए शहरों के पास उपलब्ध  क्या स्रोत संग्रह हैं?

उत्तर – सलाहकार फर्म को व्यापक सूची तैयार करनी चाहिए।

  • क्या  MyGov द्वारा विकसित आईसीटी, नागरिक प्रतिबद्धता साधन में क्षेत्रीय भाषा का विकल्प मौजूद है?

उत्तर –  MyGov एक यूनिकोड समर्थित साइट है। इस पर लोग अपने अभिमत/दस्तावेजों को किसी भी भाषा में प्रस्तु्त कर सकते हैं। परन्तु, वर्तमान व्यवस्था के तहत, प्राप्ती आंकड़ों का विश्लेषण केवल अंग्रेजी और हिंदी में किया जा सकता है। यथा समय अन्य भाषाओं के लिए भी टीम बनाने के लिए MyGov द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में शहर और राज्य स्थानीय सहायता भी उपलब्ध करा सकते हैं।

  • एससीएम मार्गनिर्देशों के अनुसार, न्यूनतम 10 प्रतिशत ऊर्जा अपेक्षा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पूरी की जानी चाहिए। इसके लिए राज्य स्तरों पर विनियमन की आवश्यकता है। क्या केंद्रीय सरकार इन विनियमों को लाने में राज्यों को सुविधा प्रदान करेगी?

उत्तर – एचपीएससी से ऐसे समन्वियन मुद्दों का निपटान करने की आशा है।

  • क्या मार्गनिर्देशों में की गई परिकल्पकना के अनुसार, पुनर्संयोजन/ पुनर्विकास/ग्रीनफील्डष विकास किन्ही निकटस्थ क्षेत्रों में करना चाहिए?

उत्तर – हाँ

  • क्या‍ नागरिक प्रतिबद्धता के लिए कोई विशिष्ट‍ मापदंड (जैसेकि परामर्श किए गए   व्यक्तियों की संख्या) विहित किया गया है?

उत्तर – कृपया दिनांक 23-09-2015 की का.ज्ञा.सं. के-14012/101(28)/2015-एससी-III ए, को देखें।

  • निजी भागीदार का चयन करने और एसपीवी के कार्यान्वयन के लिए प्रक्रियाएं क्या हैं?

उत्तर –  शेष भाग के लिए निजी भागीदारों का चयन राज्य/यूएलबी को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से विनिश्चित करना होगा।

  • क्या हम एससीपी के भाग के रूप में जलापूर्ति और सीवरेज के लिए टेरिफ संरचना का प्रस्ताव कर सकते हैं?

उत्तर –  एससीएम और अमृत संपूरक हैं। टेरिफ संरचना के संबंध में, अमृत मार्गनिर्देशों के अनुबंध-1 में दिए गए अमृत सुधारों का प्रयोग मार्गनिर्देश के लिए किया जा सकता है।

 

स्मार्ट सिटी दिशानिर्देश-  स्मार्ट सिटी दिशानिर्देश को जानने के लिए इस लिंक पर देखें

 

स्रोत: स्मार्ट सिटी, भारत सरकार का आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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