अवैध व्यापार (अवैध व्यापार) का अर्थ वेश्यावृत्ति नहीं है। ये दोनों शब्द पर्यायवाची नहीं हैं। अवैध व्यापार को समझने के लिए इसे वेश्यावृत्ति से अलग कर देखना होगा। मौजूदा कानून, अवैध व्यापार (निरोध) अधिनियम 1956 (आई टी पी ए) के अनुसार वेश्यावृत्ति एक अपराध हो जाता है जब व्यक्ति का व्यावसायिक शोषण किया जाता है। यदि किसी स्त्री या बच्चे का यौन शोषण होता है और इससे किसी व्यक्ति को लाभ पहुँचता है तो यह व्यावसायिक यौन शोषण बन जाता है जो वैधानिक रूप से दंडनीय अपराध है जिसमें सभी शोषकों के खिलाफ सदोषता आरोपित होती है। अवैध व्यापार वह प्रक्रिया है जिसमें व्यावसायिक यौन शोषण हेतु किसी व्यक्ति की नियुक्ति, अनुबंधन, क्रय किया जाता है अथवा उसे भाड़े पर रखा जाता है। इस प्रकार अवैध व्यापार एक प्रक्रिया है और व्यावसायिक यौन शोषण उसका परिणाम। व्यावसायिक यौन शोषण में ‘माँग’ के कारण अवैध व्यापार की उत्पत्ति होती है, उसे बढ़ावा मिलता है और उसे कायम रखा जाता है। यह एक धृणित और अनैतिक चक्र है। अवैध व्यापार दूसरे प्रकार के अनैतिक धंधों जैसे प्रोर्नोग्राफिक सामग्रियों का निर्माण, यौन पर्यटन, बारों एवं मसाज पार्लरों इत्यादि के रूप में यौन शोषण अथवा यौन दुर्व्यवहार युक्त या इससे रहित शोषण आधारित श्रम का जरिया भी बनता है।
आई.टी.पी.ए में केवल व्यावसायिक यौन शोषण हेतु अवैध व्यापार पर विचार किया जाता है। यह आवश्यक नहीं कि व्यावसायिक क्रियाकलाप वेश्यालय में हों, बल्कि यह आवासीय स्थलों, वाहनों इत्यादि में भी हो सकता है। अत: आई.टी.पी.ए के अंतर्गत कार्यरत पुलिस अधिकारी के पास ऐसी सभी परिस्थितियों में, जिसमें अवैध व्यापार के कारण मसाज पार्लरों, बारों, टूरिस्ट सर्किटों, एस्कॉर्ट सेवाओं, दोस्ती क्लबों इत्यादि सहित किसी भी रूप में व्यावसायिक यौन शोषण होता है अथवा होने की संभावना रहती है, कार्रवाई करने का अधिकार होता है।
अवैध व्यापार की परिभाषा आई.टी.पी.ए के अनेक सेक्शनों में पाया जा सकता है। सेक्शन 5 में वेश्यावृत्ति हेतु मनुष्य को खरीदने अथवा उसे ले जाने का उल्लेख है। इस सेक्शन के अनुसार किसी व्यक्ति को खरीदने का प्रयास या उसे ले जाने का प्रयास अथवा किसी व्यक्ति को वेश्यावृत्ति के लिए प्रेरित करना भी अवैध व्यापार के अंतर्गत आता है। इस प्रकार ‘अवैध व्यापार’ को विस्तृत क्षेत्र प्राप्त होता है।
अवैध व्यापार की विस्तृत परिभाषा गोवा बाल अधिनियम 2003 में उपलब्ध है। यद्यपि यह बच्चों के अवैध व्यापार पर केंद्रित हैं किंतु परिभाषा व्यापक है। सेक्शन 2 (z) के अंतर्गत “चाइल्ड अवैध व्यापार” का अर्थ है वैधानिक या अवैधानिक तरीकों से देश की सीमा के अंदर या सीमा पार धमकी, बल प्रयोग अथवा किसी बाध्यकारी उपायों द्वारा, अगवा करके, झांसा देकर, धोखा देकर, शक्ति अथवा प्रभावशाली पद का दुरुपयोग कर अथवा धन के लेन-देन या लाभ द्वारा व्यक्ति के अभिभावक की स्वीकृति प्राप्त कर किसी आर्थिक लाभ अथवा किसी अन्य उद्देश्य से व्यक्ति की खरीद-फरोख्त, उसकी नियुक्ति, उसका परिवहन करना, हस्तांतरण करना, उसे अपने अधीन रखना या हासिल करना।
अवैध व्यापार के अपराध में निम्नलिखित घटक आवश्यक रूप से शामिल रहते हैं:
मानव अवैध व्यापार, अपराधों का अपराध है। इसे अपराधों का समूह कहा जा सकता है। इस समूह में भगा ले जाने का कार्य, अपहरण, अवैध निरोधन, अवैध बंदीकरण, आपराधिक संत्रास, चोट, गंभीर चोट, यौन प्रहार, लज्जा हरण, बलात्कार, अप्राकृतिक दुर्व्यवहार, मनुष्यों की खरीद बिक्री, दासता, आपराधिक षडयंत्र, अपराध के लिए अवप्रेरण इत्यादि अपराध पाये जाते हैं। इस प्रकार, विभिन्न समयों तथा स्थानों पर रहने वाले अनेक प्रकार के अपराध और अपराधी मिलकर अवैध व्यापार के संगठित अपराध की रचना करते हैं। कई प्रकार के मानवाधिकार हनन के मामले जैसे निजता का उल्लंघन, न्याय नहीं मिलना, न्याय तक पहुँच नहीं होना, मौलिक अधिकारों तथा गरिमा का हनन इत्यादि शोषण के अन्य पहलू हैं। अत: इसमें कोई संदेह नहीं कि अवैध व्यापार एक संगठित अपराध है।
आई.टी.पी.ए (विशेषकर S.5 ITPA) तथा संबंधित कानूनों के संदर्भ में एक अवैध व्यापार का शिकार हुआ व्यक्ति किसी भी आयु का पुरुष अथवा स्त्री हो सकता है, जिसका अवैध व्यापार किसी वेश्यालय में अथवा किसी भी स्थल पर व्यावसायिक यौन शोषण हेतु किया गया है। आई.टी.पी.ए किसी व्यक्ति को अवैध व्यापार करने के प्रयास के लिए भी सजा का प्रावधान करता है। अत: व्यक्ति के संभावित अवैध व्यापार होने से पहले ही यह कानून क्रियाशील हो जाता है।
बच्चा उसे माना जाता है जिसने 18 वर्ष की उम्र प्राप्त नहीं की है। अवैध व्यापार के शिकार बच्चे को जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) अधिनियम 2000 (जेजे एक्ट) के अंतर्गत देखभाल और सुरक्षा पाने का अधिकारी माना जाता है। कानून लागू करने वाली एजेंसियों का यह कर्तव्य है कि वे ऐसे बच्चों को बचाएँ, उन्हें बाल कल्याण समिति के सम्मुख उपस्थित करें तथा उनकी संपूर्ण देखभाल करें।
वयस्कों के संदर्भ में केवल उनकी सहमति ही अवैध व्यापार के प्रावधानों से बच निकलने के लिए पर्याप्त नहीं है। यदि सहमति बल प्रयोग, अवपीड़न, भय अथवा किसी दबाब के कारण ली गई हो तो ऐसी सहमति का कोई अर्थ नहीं होता और इसलिए ऐसे सभी उदाहरण अवैध व्यापार के अंतर्गत आ जाते हैं। इस प्रकार, वेश्यालय में वेश्यावृत्ति के आरोप के तहत पाये जाने पर भी एक वयस्क स्त्री को वेश्यावृत्ति का दोषी नहीं माना जा सकता जबतक कि अभिप्राय और कारणों का अनुसंधान न कर लिया जाए। व्यावसायिक यौन शोषण हेतु अवैध व्यापार की शिकार हुई महिला को व्यावसायिक यौन शोषण का शिकार माना जाता है न कि दोषी।
स्त्रोत : पोर्टल विषय सामग्री टीम
अंतिम बार संशोधित : 3/2/2020
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