ग्राम सभा एक कॉरपोरेट निकाय है जिसमें ऐसे सभी लोग सम्मिलित हैं जिनके नाम पंचायत की निर्वाचन सूची में ग्राम स्तर पर शामिल रहते हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(b) में इसे परिभाषित किया गया है। ग्राम सभा पंचायती राज व्यवस्था का प्राथमिक निकाय है और सबसे बड़ा निकाय भी। यह एक स्थाई निकाय है। पंचायती राज की अन्य सभी संस्थाएं जैसे कि ग्राम पंचायत, ब्लॉक पंचायत और जिला परिषद का निर्माण निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा होता है जबकि ग्राम सभा मतदाताओं से बनती है। ग्राम सभा द्वारा लिए गए निर्णय किसी अन्य निकाय द्वारा रद्द नहीं किए जा सकते। ग्राम सभा के निर्णयों को निरस्त करने का अधिकार केवल ग्राम सभा में ही निहित होता है।
18 साल से कम उम्र के लोग ग्राम सभा के सदस्य नहीं हो सकते। ऐसे लोग जिनकी उम्र 18 साल हो और वे गांव में रहते हों लेकिन ग्राम पंचायत (ग्रा.पं.) के मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं है, वे भी ग्राम सभा के सदस्य नहीं हो सकते।
राज्य पंचायती राज अधिनियम के अनुसार ग्राम सभा की बैठकें साल में कम से कम दो बार अवश्य होनी चाहिए। लोगों की सुविधा के लिए, ज्यादातर राज्यों में चार राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय दिवसों को इन बैठकों के लिए संदर्भ तारीखों के रूप में माना गया है। ग्राम पंचायत को अपनी सुविधानुसार अन्य तारीखों में भी ग्राम सभा की बैठकें आयोजित करने का अधिकार है। ग्राम सभा की बैठकों के लिए संदर्भ तारीखें हैं: गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), मजदूर दिवस (1 मई), स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त), गांधी जयंति (2 अक्टूबर) आदि।
ग्राम सभा का संचालन ग्राम पंचायत क्षेत्र में ऐसे स्थान पर किया जाना चाहिए जहां सभी सदस्यों के लिए बैठना सुविधाजनक हो। ग्राम पंचायत में अनेक गांव होने की स्थिति में ग्राम सभा का संचालन एक के बाद एक सभी गांवों में रोटेशन के आधार पर किया जाना चाहिए। ग्राम सभा का आयोजन दिन के समय किसी भी समय, यानी सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले किया जा सकता है।
सरपंच का अनुमोदन मिलने के बाद पंचायत सचिव को ग्राम सभा का गठन करना चाहिए। ग्राम सभा के 10% सदस्यों द्वारा अथवा ग्राम सभा के 50 व्यक्तियों द्वारा (दोनों में से जो भी अधिक हो) ग्राम सभा के आयोजन हेतु अनुरोध किए जाने पर ग्राम पंचायत का सरपंच ग्राम सभा की बैठक बुलाता है। यद्यपि, उन सदस्यों को बैठक के उद्देश्य की जानकारी देनी होती है। बैठक के लिए, बैठक की तारीख से 5 दिन पहले कार्य अवधि के दौरान सरपंच के पास एक लिखित अनुरोध सौंपना पड़ता है। जिस तरीख के लिए अनुरोध किया गया है यदि उस तारीख को सरपंच बैठक आयोजित कराने में विफल रहता है तो बैठक के लिए अनुरोध करने वाले सदस्य खुद ही ग्राम सभा की बैठक आयोजित कर सकते हैं।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020