बैंक ने भारत में एमएसएमई की प्रतिस्पर्द्धात्मक को सुदृढ़ करने के लिए एमएसएमई के दीर्घकालिक विकास को उच्च संभावना वाले क्षेत्र के रूप में चिहिन्त किया है। अत्यंत लघु, लघु एवं मध्यम उद्यमों में उर्जा दक्षता एवं स्वच्छतर पर्यावरण सम्बन्धी निवेशों के वित्तपोषण के लिए, बैंक विगत में विभिन्न बहुपक्षीय/द्विपक्षीय एजेंसियों जैसे क्रेडिटैन्सटैल्ट फर वीडराफबाउ (केफडब्ल्यू), जर्मनी जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जाइका), जापान, एजेंसे फ्रैन्काइस’ डि डेवलपमेंट (एएफडी), फ्रांस से प्राप्त ऋण-व्यवस्थाएँ परिचालित करता रहा है।
एमएसएमई क्षेत्र के उन उद्योग-क्षेत्रों की सांकेतिक सूची नीचे दी गई है, जिनमें उर्जा दक्षता एवं स्वच्छतर उत्पादन की अधिक संभावनाएं हैं और जिन पर अधिक महत्व वाले व्यवसाय क्षेत्र के रूप में बल दिया जाना है:
ऊर्जा बचत/स्वच्छतर उत्पादन/आधुनिकीकरण अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते समय बेहतर जोखिम शमन-युक्त सावधानीपूर्ण/उच्चतर चयनशील दृष्टिकोण कायम रखा जाये, जैसाकि अनुच्छेद 2.2.2 में कहा गया है।
संपोषणीय वित्तपोषण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय/बहुपक्षीय ऋण-व्यवस्थाएं
जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने और जीवाश्म ईंधनों से ऊर्जा की मांग में कमी लाने की दृष्टि से ऊर्जा दक्षता एवं स्वच्छतर उत्पादन के महत्व को देखते हुए सिडबी विभिन्न बहुपक्षीय/द्विपक्षीय एजेंसियों जैसे क्रेडिटैन्सटैल्ट फर वीडराफबाउ (केफडब्ल्यू), जर्मनी जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जाइका), जापान, एजेंसे फ्रैन्काइस’ डि डेवलपमेंट (एएफडी), फ्रांस के साथ ऋण-व्यवस्थाएँ परिचालित करता रहा है, ताकि एमएसएमई में ऊर्जा दक्ष एवं स्वच्छतर उत्पादन निवेश का वित्तीयन किया जा सके। इन ऊर्जा दक्ष/स्वच्छतर उत्पादन निवेशों से ऊर्जा की बचत और वैश्विक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आएगी। साथ ही, इसने भारत और वैश्विक बाजारों में एमएसएमई की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को भी सुदृढ़ बनाया है।
4ई (आद्यांत ऊर्जा दक्षता समाधान)
सिडबी ने 05 जून, 2014 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आद्यांत ऊर्जा दक्षता समाधान (4ई समाधान) उत्पाद आरंभ किया है। सिडबी के इस 4ई समाधान के अंतर्गत एमएसएमई ग्राहकों को तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जायेगा, ताकि वे सेवा की गुणवत्ता के आश्वासन के साथ उचित लागत पर तकनीकी परामर्शदाता/ऊर्जा सेवा कंपनियों की सेवाएं प्राप्त कर सकें और अपनी ऊर्जा बचत में सुधार कर सकें। इस प्रयोजन के लिए विश्व बैंक- वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना से प्राप्त निधि से एक परिक्रामी निधि बनाई गई है, जिससे एमएसएमई को ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए रियायती ब्याजदरों तथा सुगम शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। 4ई समाधान का कार्यान्वयन विशेषज्ञ ऊर्जा व्यवसायिकों की सेवाओं का उपयोग करते हुए सिडबी की सहयोगी संस्था भारत एसएमई प्रौद्योगिकी सेवा लि.(आईएसटीएसएल) के सहयोग से सिडबी की शाखाएं करेंगी।
ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए आंशिक जोखिम साझेदारी सुविधा
सिडबी ने “ऊर्जा परियोजनाओं के लिए आंशिक जोखिम साझेदारी सुविधा” के लिए विश्व बैंक से करार किया है।
इस परियोजना का उद्देश्य देकर भारत में ऊर्जा दक्षता बाजार को रूपांतरित करने में भारत सरकार को सहयोग देना है और इसके लिए विशेष रूप से ऊर्जा सेवा कंपनियों की ऊर्जा सेवा कार्यनिष्पादन संविदा के माध्यम से उर्जा दक्षता सम्बन्धी निवेश में अधिकाधिक वृद्धि को प्रोत्साहित किया जायेगा। परियोजना के अधीन, सिडबी बैंको/वित्तीय संस्थाओं/गैर-बैकिंग वित्त कंपनियों के उन ऋणों (सिडबी के ऋणों सहित) के लिए गारंटी प्रदान करेगा, जो ऊर्जा सेवा कंपनियों तथा ऊर्जा सेवा सके अरु साथ भारत में ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए ऊर्जा सेवा कार्यनिष्पादन संविदाओं पर आधारित उर्जा सेवा कंपनियों का बाजार तैयार हो सके।
संपोषणीय वित्त योजना (एसएफएस)
कुछ ऐसी परियोजनाएं होती है, जो अन्तर्राष्ट्रीय दानदाता एजेंसियों के निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं कर सकती है, किन्तु तथ्य पर विचार करते हुए कि ऐसी परियोजनाओं के फलस्वरूप भी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों की ऊर्जा दक्षता में सुधार होता है और पर्यावरण को हानि पहुँचाने वाली ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी होती है, ऐसी परियोजनाओं की प्रत्यक्ष सहायता के लिए मौजूदा प्रयत्क्ष योजना में से “संपोषणीय वित्त योजना” नामक एक अलग योजना बनाई गई है।
प्रौद्योगिकी नवोन्मेष परियोजनाओं हेतु सहायता
प्रौद्योगिकी के उभरते हुए क्षेत्रों में नवोन्मेष करने और व्यवसाय के अवसर पैदा करने की राष्ट्रीय क्षमताएँ विकसित करने की क्षमता बड़ी शिद्दत से अनुभव की गई है क्योंकि जिन प्रौद्योगिकियों को आजमाया नहीं गया है, उनमें निवेश का जोखिम अधिक होने के कारण एमएसएमई द्वारा नवोन्मेषन के वाणिज्यीकरण हेतु शुरूआती चरण के निधीयन की कमी बनी हुई है। इस प्रकार उपलब्ध निधीयन का ज्यादातर हिस्सा अपेक्षाकृत निम्न जोखिम/आजमाई हुई प्रौद्योगिकियों में निवेश हो जाता है, जिसके कारण नवोन्मेषन का बाजार तक पहुँचाना सिमित हो जाता है। इन बाधाओं के समाधान के लिए बैंक ने प्रौद्योगिकी नवोन्मेष कार्यक्रम (सृजन योजना) के कार्यान्वयन हेतु टेक्नोलॉजी इंफोर्मेशन फोरकास्टिंग एंड काउन्सिल (टिफाक०, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार और केएफडब्ल्यू नवोन्मेष वित्त कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए क्रेडिटांस्टाल्ट फर वीडरफबाउ (केएफडब्ल्यू) जर्मनी का सहयोग लिया है। सुलभ शर्तों व प्रणाली पर वित्तीय उत्पाद विकसित किये गए हैं और क्रियान्वित किये जा रहे हैं।
स्रोत: भारतीय लघु, उद्योग विकास बैंक (सिडबी)
अंतिम बार संशोधित : 3/14/2023
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