राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पादन में सेवा क्षेत्र का 60% से अधिक योगदान है। यह क्षेत्र रोजगार पैदा करने और निर्यात आय में महत्वपूर्ण योगदान करता है। उन सेवा क्षेत्र उद्यमों में निधियन में काफी कमी है, जिनमें व्यवसाय की अत्यधिक क्षमता है।
वित्तवर्ष 2014 की सेवा क्षेत्र सम्बन्धी व्यवसाय नीति का लक्ष्य सेवा क्षेत्र के अधीन वित्तीयन के लिए अत्यंत महत्व वाले क्षेत्रों के पहचान करना, एक लक्ष्य-केन्द्रित व्यवसाय विकास रणनीति तैयार करना, उद्योग-क्षेत्र की आवश्कताओं के अनुकूल उत्पाद नवोन्मेष को बढ़ावा देना, ऋण वितरण बेहतर बनाना और एक ऐसी मूल्यन नीति लागू करना, जो व्यवसाय संवृद्धि का समर्थन करती हो तथा मूल्यन को जोखिम आधारित बनाती हो।
सिडबी एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 की निवेश परिभाषा की सीमा में आने वाले और साथ ही सिडबी अधिनियम, 1989 तथा समय-समय पर निदेशक-मंडल के विभिन्न अनुमोदनों के आधार पर सेवाक्षेत्र के उद्यमों का वित्तपोषण करेगा।
यद्यपि बैंक सेवा क्षेत्र की सभी पात्र गतिविधियों को सहायता देने पर विचार करेगा, तथापि वर्ष के दौरान निम्नलिखित क्षेत्रों पर विशेष बल दिया जायेगा, ताकि आस्तियों में तेजी से संवृद्धि हो सके।
इस नीति के उद्देश्य से, सेवाक्षेत्र को दी जाने वाली सहायता को मुख्यतः पाँच श्रेणियों में बाँटा गया है, अर्थात् (क) आस्ति समर्थित सावधि ऋण सहायता (ख) विरल आस्ति वाले सेवा क्षेत्र उद्यमों को सावधि ऋण सहायता (ग) निर्माण क्षेत्र में एमएसएमई को देय भुगतान सुकर बनाने के लिए सहायता (अर्थात् सीआरई सम्बन्धी ऋणों के लिए) (घ) फ्रेंचाइजियों को संरचित वित्तीय सहायता तथा (च) उत्पाद नवोन्मेष/नूतन उत्पादों/योजनाओं के अधीन सहायता।
(क) सेवाक्षेत्र के उद्यमों को आस्ति समर्थित सावधि ऋण सहायता
(ख) विरल आस्ति वाले सेवा क्षेत्र उद्यमों को सावधि ऋण सहायता
सेवाक्षेत्र की कुछ परियोजनाओं मूर्त स्थिर आस्तियाँ सृजित नहीं करती है और हल्की आस्तियों में निवेश करती है और इसलिए प्रतिभूति सम्बन्धी मानदंड पूरे नहीं करती। किन्तु वर पर्याप्त नकदी प्रवाह उत्पन्न करती है। ऐसी परियोजनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी और अन्य ज्ञान आधारित उद्योग, संगठित खुदरा श्रृंखलाएं नैदारिक/विशिष्टता प्राप्त क्लिनिक, आईटी/बीपीओ सेवाएँ, आदि शामिल हैं। चूँकि ऐसे क्षेत्रों को सहायता दिए जाने की अच्छी संभावनाएं होती है, अतः सुपात्र ग्राहकों के प्रतावों पर गुणावगुण के आधार पर बैंक की सहायता के लिए विचार किया जा सकता है।
(ग) एमएसएमई आपूर्तिकर्त्ताओं/विक्रेताओं को सुविधाजनक भुगतान के लिए वाणिज्यिक स्थावर संपदा/निर्माण क्षेत्र की संस्थाओं को सहायता
एमएसएमई आपूर्तिकर्त्ताओं/विक्रेताओं को सुविधाजनक भुगतान के लिए, बैंक निर्माण क्षेत्र/वाणिज्यिक स्थावर संपदा सम्बन्धी परियोजनाओं को चुनिन्दा आधार पर सहायता देने पर विचार करेगा। प्रदत्त सहायता समय-समय पर भा.रि.बैंक से जारी सीआरई संबधी दिशानिर्देशों के अधीन होगी।
(घ) फ्रेंचाइजियों को संरचित वित्तीय सहायता
सेवाक्षेत्र में व्यवसाय के फ्रेंचाइजी मॉडल की वृद्धि को ध्यान में रखते हुए ऋण प्रदायगी के लिए नये और मौजूदा फ्रेंचाइजियों को सहायता देना एक अन्य अंत्यंत महत्त्व का क्षेत्र होगा। बैंक फ्रेंचाइजियों के मूल्यांकन और ऋण जोखिम शमन के लिए फ्रेंचाइजियों की सेवाएँ सक्रियता से लेगा। बैंक फ्रेंचाइजी मॉडल के अधीन बैंकयोग्य प्रस्तावों की पहचान की प्रकिया में फ्रेंचाइजी उद्योग क्षेत्र के संघों/डोमेन विशेषज्ञों को सक्रियता से शामिल करेगा।
(च) उत्पाद नवोन्मेष/नूतन उत्पादों/योजनाओं के अधीन सहायता
सेवाक्षेत्र की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बैंक नए उत्पाद/योजनाएं आरंभ करने का प्रयास करेगा और उत्पाद नवोन्मेष एवं समीक्षा समिति से अनुमोदित मौजूदा प्रायोगिक उत्पादों के अधीन, जहाँ आवश्यक महसूस होगा, आवश्यकता-आधारित आशोधनों के साथ सहायता की संभावनाएँ तलाश करेगा। इसमें संविदागत नकदी प्रवाह/भावी प्राप्यराशियों, आदि के आधार पर दी जाने वाली सहायता भी शामिल हो सकती है।
स्रोत: भारतीय लघु, उद्योग विकास बैंक (सिडबी)
अंतिम बार संशोधित : 9/25/2023
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