अधिनियम के अंतर्गत प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति एक कर अवधि के लिये स्वयं अपने देय कर का आंकलन करने के लिये जिम्मेदार होगा और इस तरह मूल्यांकन के बाद उसे धारा 39 के अंतर्गत रिटर्न दाखिल करना आवश्यक होगा।
चूंकि एक करदाता को अपने स्वयं मूल्यांकन आधार पर कर का भुगतान करना पड़ता है, अस्थायी आधार पर कर के भुगतान का अनुरोध करदाता से प्राप्त होना चाहिये जिसे सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमति दी जाएगी। दूसरे शब्दों में कोई भी कर अधिकारी स्वप्रेरणा से अस्थायी आधार पर कर भुगतान के आदेश नहीं दे सकता। यह सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 60 द्वारा संचालित है। अस्थायी आधार पर कर का भुगतान तभी किया ज सकता है जब सक्षम अधिकारी उसे एक आदेश के माध्यम से इसकी अनुमति दे देता है। इस उद्देश्य के लिए, कराधीन व्यक्ति को सक्षम अधिकारी को लिखित अनुरोध देना होगा, जिसमें वह अस्थायी आधार पर कर भुगतान करने का कारण बताएगा। कराधीन व्यक्ति द्वारा इस तरह के अनुरोध केवल ऐसे मामलों में किये जा सकते हैं जहां जहां वह निम्न निर्धारित करने में असमर्थ है:
क) उसके द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं के मूल्य, या
ख) उसके द्वारा आपूर्ति किये जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं के कर की दर।
ऐसे मामलों में कराधीन व्यक्ति को एक निर्धारित प्रपत्र में एक प्रतिज्ञापत्र निष्पादित करना होगा, और इस तरह की जमानत या सुरक्षा सहित जैसा उचित अधिकारी उचित समझता है।
अंतिम आकलन का आदेश सक्षम अधिकारी द्वारा अस्थायी आंकलन आदेश के सूचना की तारीख से छह महीने के भीतर पारित किया जाएगा। हालांकि, पर्याप्त कारण दिखाये जाने पर और उनके कारणों को लिखित रूप में दर्ज किया जाएगा, उपरोक्त छह महीने क अवधि को आगे भी बढ़ाया जा सकता है क) संयुक्त/अपर आयुक्त द्वारा, आगे छह महीने आगे की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता, और
ख) आयुक्त द्वारा, उस अवधि के लिये जैसी वह उचित समझता है, चार माह से अधिक नहीं।
अत: अस्थायी आकलन अधिकतम पांच वर्ष तक अस्थायी रह सकता है।
हाँ, वह मूल देय कर की तारीख से लेकर वास्तविक भुगतान की तिथि तक ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।
यदि कराधीन व्यक्ति सूचित किए जाने के 30 दिनों के भीतर (संबंधित अधिकारी द्वारा बढ़ाई जाने योग्य) संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रदान नहीं करता या विसंगतियों को स्वीकार करने के बाद भी उचित अवधि के भीतर सुधारात्मक कार्रवाई नही करता, तब सक्षम अधिकारी निम्नलिखित में से किसी एक का आश्रय ले सकता है,
(क) अधिनियम की धारा 65 के अंतर्गत लेखा-परीक्षण/ ऑडिट आयोजित करने की कार्यवाही करेगा,
(ख) धारा 66 के अंतर्गत एक विशेष लेखा-परीक्षा के आयोजन का निर्देश देगा जो कि इस उद्देश्य हेतु आयुक्त द्व । ारा मनोनित चार्टर्ड एकाउंटेड या लागत लेखाकार द्वारा किया जाएगा, या
(ग) अधिनियम की धारा 67 के अंतर्गत निरीक्षण, तलाशी और जब्ती की प्रकिया शुरू करेगा, या
(घ) अधिनियम की धारा 73 या 74 के अंतर्गत कर एवं अन्य बकाये की पुष्टि के लिए कार्यवाही को आगे बढ़ायेगा।
सक्षम अधिकारी को पहले सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 46 को अंतर्गत डिफॉल्टर कराधीन व्यक्ति को नोटिस जारी करना होगा, जिसमें उसे 15 दिनों की अवधि के भीतर रिटर्न प्रस्तत हरने की आवश्यकता होगी । अगर कराधीन व्यक्ति निर्दिष्ट समय के भीतर रिटर्न फाइल करने में विफल रहता है, तो सक्षम अधिकारी रिटर्न डिफॉल्टर के कर दायित्व का मूल्यांकन उसके सर्वोत्तम निर्णय के साथ करने लिए आगे बढ़ेगे, जो उसके साथ उपलब्ध सभी संबंधित दस्तावेज को ध्यान में रखते है। (धारा 62)
सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 62 के अंतर्गत सक्षम अधिकारी द्वारा पारित किए जाने वाले सर्वश्रेष्ठ निर्णय आदेश, स्वतः वापस माना जाएगा यदि कराधीन व्यक्ति डिफॉल्ट अवधि कि लिए सर्वश्रेष्ठ निर्णय जारी प्राप्त होने के तीस दिन के भीतर वैध रिटर्न दायर करता है(यानि रिटर्न फाइल करता है और उसके उसके द्वारा आकलित कर जमा करता है)।
धारा 62 या धारा 63 के अंतर्गत एक आंकलन आदेश पारित करने की समय सीमा वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करने की नियम तारीख से पांच वर्ष है ।
सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 63 में यह प्रावधान है कि ऐसे मामले में सक्षम अधिकारी कर दायित्व का आंकलन कर सकते है और संबंधित कर अवधि के लिए आपने सर्वश्रेष्ठ निर्णय के लिए आदेश दे सकते है। हालांकि, वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय वर्ष के लिए वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत करने की नियत तारीख से पांच वर्ष की अवधि के भीतर इस तरह का आदेश पारित किया जाना चाहिए, जिसमें कर का भुगतान न करें।
सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 64 के अनुसार, सारांश आंकलन राजस्व हितों की सुरक्षा के लिए तब शुरू किया जा सकता है जब:
क) सक्षम अधिकारी के पास पर्याप्त साक्ष्य हैं कि एक कराधीन व्यक्ति ने अधिनियम के अंतर्गत कर का भुगतान करने के लिए दायित्व वहन किया है, और
ख) सक्षम अधिकारी ऐसा मानता है कि आंकलन आदेश पारित करने में देरी करने से राजस्व हित पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा ।
इस तरह के आदेश अपर/संयुक्त आयुक्त से अनुमति प्राप्त करने के बाद पारित किया जा सकता है।
एक कराधीन व्यक्ति जिसके विरुद्ध सरांस आकलन आदेश पारित किया गया है, आदेश प्राप्त होने की तारीख से तीस दिनों के भीतर अधिकार क्षेत्र के अपर/संयुक्त आयुक्त से उसकी वापसी का आवेदन कर सकता है। यदि उक्त अधिकरी को आदेश गलत लगता है, तो वह इससे वापस ले सकता है और सक्षम अधिकारी को सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 73 या 74 के अंतर्गत कर दायित्व के निर्धारण के लिए निर्देशित कर सकता है। यदि अपर/संयुक्त आयुक्त त्रुटिपूर्ण मूल्यांकन सरांस आदेश ( सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 64) पाता है, तो अपने अनुसार सामान प्रकार की कार्रवाई कर सकते है।
नही, कुछ मामलों में, जब माल परिवहन के अंतर्गत होते है या गोदाम में जमा होते है, और ऐसे सामानों के संबंध में कराध् व्यक्ति का पता नही लगाया जा सकता है, ऐसे सामानों के प्रभारी व्यक्ति को कराधीन व्यक्ति माना जाएगा और इसका आंकलन(सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 64 के लिए प्रावधान) किया जाएगा।
जीएसटी अधिनियम में निम्नलिखित तीन प्रकार से लेखा-परीक्षण किया जा सकता है।
(क) चाटर्ड एकाउंटेट या लागत एकाउंटेंट: द्वारा लेखा-परीक्षण प्रत्येक पंजीकृत व्यक्ति जिसका कारोबार निर्धारित सीमा से अधिक है, उसके खातों को चाटर्ड एकाउंटेंट या लागत लेखाकार द्वारा लेखा परीक्षण में प्राप्त किया जा सकता जाएगा। (सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 35(5)
(ख) विभाग द्वारा लेखा परीक्षण: आयुक्त या सामान्य या विशिष्ट आदेश द्वारा उनके द्वारा प्राधिकृत सीजीएसटी या एसजीएसटी/यूटीजीएसटी का कोई अधिकारी के किसी भी पंजीकृत व्यक्ति के लेखा परीक्षण क आयोजन कर सकते है। लेखा परीक्षा की आवृति और तरीके नियत अवधि में निर्धारित की जायेगी । (सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 65)
(ग) विशेष लेखा परीक्षा: यदि, संवीक्षा, जांच, अन्वेषण या अन्य कार्यवाही के किसी भी स्तर पर, यदि विभाग क मानना है कि मूल्य सही ढ़ग से घोषित नहीं किया गया है या लाभ उठाया गया केडिट सामान्य सीमा में नहीं है तो विभाग विशेष लेखा परीक्षण का आदेश दे सकता हे जो कि चार्टर्ड लेखाकार या लागत लेखाकार जिनको विभाग द्वारा नामांकित किया गया है, द्वारा की जाऐगी (सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 66)
हाँ, पूर्वं सूचना आवश्यक है और कराधीन व्यक्ति को लेखा-परीक्षण के संचालन करने से कम से कम 15 दिन पहले सूचित किया जाना चाहिए ।
लेखा-परीक्षण प्रारंभ होने की तारीख से 3 महीने या आयुक्त के अनुमोदन के अधीन अधिकतम 6 महीने की अवधि के भीतर पूरा किया जाना आवश्यक है।
शब्द 'लेखा-परीक्षण का प्रारंभ महत्वपूर्ण है क्योंकि लेखा-परीक्षण प्रारंभ होने की तारीख के संदर्भ में एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है। लेखा-परीक्षण के प्रारंभ का अर्थ आगे निम्न में से एक है:
क) जिस तारीख को लेखा-परीक्षण अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड/खातों के लेखा-परीक्षण के लिये मांग करने पर उन्हें उपलब्ध कराया जाता है, या
ख) करदाता के व्यापारिक स्थान लेखा-परीक्षण की वास्तविक शरूआत/स्थापना ।
कराधीन व्यक्ति के लिए निम्न आवश्यक हैं:
क) उपलब्ध खातों/रिकाडों या अधिकारी द्वारा मांगे गए खाते/रिकाडों के सत्यापन की सुविधा प्रदान करना।
ख) लेखा-परीक्षण के संचालन के लिए आवश्यक ऐसी जानकारी उपलब्ध कराने, और
ग) समय पर लेखा-परीक्षण पूरा करने के लिए सहायता प्रदान ।
सक्षम अधिकारी अधिकतम तीस दिनों के भीतर लेखा-परीक्षा के निष्कर्षों के सम्बन्ध में अपने निष्कर्षों, निष्कर्षों के कारणों और कराधीन व्यक्ति के अधिकारों और दायित्वों के बारे में सूचित करेंगे।
कुछ सीमित परिस्थितियों में ही विशेष लेखा-परीक्षण स्थापित किया जा सकता है जहां छानबीन, जांच, आदि के दौरान, यह पता लगता है कि मामला जटिल है या राजस्व का जोखिम/हिस्सा बहुत अधिक है। यह शक्ति सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 66 में दी गई है।
विशेष लेखा-परीक्षण के लिए सहायक/उपायुक्त केवल आयुक्त के पूर्व अनुमोदन के बाद नोटिस दे सकता है।
आयुक्त द्वारा नामित चार्टर्ड एकाउंटेंट या लागत लेखाकार लेखा-परीक्षण शुरू कर सकते हैं।
लेखा परीक्षक को 90 दिनों के भीतर या 90 दिनों के लिये आगे विस्तारित अवधि के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा।
लेखा परीक्षक को देय पारिश्रमिक सहित परीक्षण और लेखा-परीक्षण के खर्च को आयुक्त द्वारा निर्धारित और वहन किया जाएगा।
निष्कर्षों/विशेष लेखा-परीक्षण की टिप्पणियों के आधार पर, सीजीएसटी/एसजीएसटी अधिनियम की धारा 73 या 74 के अंतर्गत कार्यवाही शुरू की जा सकती है।
स्रोत: भारत सरकार का केंद्रीय उत्पाद व सीमा शुल्क बोर्ड, राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय
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