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बैंकर – ग्राहक संबंध

बैंकर – ग्राहक संबंध

बैंकर - ग्राहक सम्बन्ध

  • ग्राहक शब्दावली किसी भी ACT में परिभाषित की गयी है।
  • जब कोई बैंकर किसी ग्राहक को ओवरड्राफ्ट  की अनुमति देती है, तो उसके ग्राहक और उसमें सम्बन्ध।
  • ऋणदाता तथा कर्ज़दार का होता है।
  • जब कोई ग्राहक बैंक में लोकर लेता है तो बैंक और ग्राहक के बीच सम्बन्ध पट्टाकार व पट्टेदार का होता है।
  • बैंकर-ग्राहक के बीच सम्बन्ध कब समाप्त होता है - खाता बंद होने पर।
  • जमा खातों में, बैंक व ग्राहक के बीच मुख्य सम्बन्ध ऋणदाता-बैंक, कर्ज़दार-ग्राहक का होता है।
  • बैंक की सुरक्षा में सामन रखने पर ज़मानतदार-अमानतदार सम्बन्ध लागू होता है।
  • जब बैंक कोई चेक क्लिअरिंग के लिए लेती है तो कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं होता है।
  • जब किसी बैंक के ग्राहक द्वारा FDR खो दी जाती है तो क्षतिपूर्ति बॉण्ड बनाया जाता है।

अंतिम बार संशोधित : 3/3/2020



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