1. यह अधिनियम मध्यप्रदेश गन्ना (प्रदाय एवं क्रय नियमन) अधिनियम, 1958 कहलायेगा।
2. इसका विस्तार-क्षेत्र संपूर्ण मध्यप्रदेश होगा।
3. यह ऐसे दिनांक से प्रभावशील होगा, जिसे राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा नियत करे।
इस अधिनियम में, जब तक कि कोई बात विषय या प्रसंग के विपरित न हो-
(अ) ''नियत किया गया क्षेत्र'' से तात्पर्य ऐसे क्षेत्र से है जो धारा 16 के अधीन किसी कारखाने के लिये नियत किया गया हो,
(आ) ''पर्षद्'' से तात्पर्य धारा 3 के अधीन स्थापित गन्ना पर्षद (सुगरकेन बोर्ड) से है,
(इ) ''गन्ना'' से तात्पर्य कारखाने में उपयोग के लिये अभिप्रेत गन्ने से है।
(ई) ''गन्ना आयुक्त'' से तात्पर्य ऐसे पदाधिकारी से है जो धारा 9 के अधीन गन्ना आयुक्त नियुक्त किया गया हो और उसमें धारा 10 के अधीन नियुक्त अतिरिक्त गन्ना आयुक्त सम्मिलित है,
(उ) 'गन्ना उत्पादक'' से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो या तो स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों द्वारा या मजदूरो द्वारा गन्ने की खेती करता हो और जो गन्ना उत्पादक सहकारी समिति का सदस्य न हो,
(ऊ) ''गन्ना उत्पादक सहकारी समिति'' से तात्पर्य मध्यप्रदेश के किसी भाग में प्रभावशील सहकारी समितियों से सबंधित किसी भी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत ऐसी समिति से है, जिसके उद्देश्यों में से एक उद्देश्य उसके सदस्यो द्वारा उपजाये गये गन्ने का विक्रय करना हो और उसमें ऐसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत, ऐसी समितियों का संघ (फेडरेशन) सम्मिलित है,
(ए) ''कलेक्टर'' में कोई भी ऐसा व्यक्ति सम्मिलित है, जिसे राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा, इस अधिनियम के अधीन कलेक्टर की शक्तियों तथा कर्तव्यों का प्रयोग एवं संपादन करने के लिये नियुक्त करे,
(एै) ''परिषद'' से तात्पर्य धारा 5 के अधीन स्थापित गन्ना विकास परिषद् से है,
(ओ) ''गन्ना पेरने के मौसम'' से तात्पर्य किसी भी वर्ष में एक अक्टूबर को प्रारम्भ होने वाले तथा आगामी 30 जून को समाप्त होने वाले काल से है,
(औ) ''कारखाने'' से तात्पर्य उनकी सीमाओं को सम्मिलित करते हुए किन्ही भी उपान्तो से है जिनमे 20 या अधिक मजदूर कार्य कर रहे हों या पूर्ववर्ती बारह मास भीतर किसी भी दिन कार्य कर रहे थे और जिनके किसी भी भाग में शुन्यक कढाहों (वैकुअम पॉन्स) द्वारा शक्कर के उत्पादन से संबंधित कोई भी निर्माण प्रक्रिया यंत्रीकृत (मशीनी) शक्ति की सहायता से की जा रही हो या साधारणत: की जाती हो,
(अं) ''प्रबंध-अभिकर्ता'' से वही तात्पर्य है जो उसे इंडियन कम्पनीज एक्ट,1956 (भारतीय समवाय अधिनियम, 1956) (क्रमांक1, सन् 1956) में दिया गया है ।
(अ:) ''कारखाने का अभिधारक'' से तात्पर्य उस व्यक्ति से है, जिसे कारखाने के कार्य पर चरम नियंत्रण प्राप्त हो, और जहां कि उक्त कार्य प्रबंध-अभिकर्ता को सौपेगये हों वहां ऐसा अभिकर्ता कारखाने का अभिधारक समझा जायगा,
(क) ''क्रय-अभिकर्ता'' से तात्पर्य क्रय-अभिकर्ता के रूप में कार्य करने के लिये इस अधिनियम के अधीन अनुमति-पत्र प्राप्त व्यक्ति से है, और (ख) ''रक्षित क्षेत्र'' से तात्पर्य धारा 15 के अधीन जारी की गई आज्ञा में निर्दिष्ट किये गये क्षेत्र से है ।
राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा मध्यप्रदेश के लिये गन्ना पर्षद स्थापित करेगा।
पर्षद् में निम्नलिखित होगे :-
(अ) कृषि मंत्री :
(आ) उद्योग मंत्री :
(इ) राज्य शासन द्वारा नियुक्त नौ सदस्य, जिनमें से तीन शक्कर कारखानाें के प्रतिनिधि और तीन गन्ना उत्पादकों तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि होगे और शेष ऐसे व्यक्ति होगे, जिन्हे गन्ने के संबंध में प्रोद्योगिक (टेकनिकल) ज्ञान हो या गन्ना तथा उससे निर्मित वस्तुओं के विकास में अन्यथा रूचि रखते हो,
(ई) गन्ना आयुक्त, तथा
(उ) राज्य शासन के कृषि सचिव या ऐसे अन्य पदाधिकारी, जो कि राज्य शासन द्वारा नामांकित किये जायं ।
कृषि मंत्री पर्षद् का अध्यक्ष होगा और उप-धारा (2) के चरण (उ) के अधीन नामाकित पदाधिकारी पर्षद् का सचिव होगा ।
उप-धारा (2) के चरण (इ) के अधीन नियुक्त सदस्य की पदावधि राजपत्र में ऐसे सदस्य के नाम के प्रकाशन के दिनांक से तीन वर्ष होगी।
अध्यक्ष, यदि उपस्थित हो, पर्षद् के समस्त सम्मेलनों की अध्यक्षता करेगा और उसकी अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री अध्यक्षता करेगा । यदि अध्यक्ष और उद्योग मंत्री दोनो ही पर्षद् के किसी सम्मेलन में अनुपस्थित हो तो उपस्थित सदस्य सम्मेलन के लिये अध्यक्ष का निर्वाचन करेंगे ।
पर्षद् राज्य शासन को निम्नलिखित विषयों पर परामर्श देगा, अर्थात्-
(अ) शक्कर कारखानों के लिये गन्ने के प्रदाय तथा क्रय के नियमन से संबंधित विषय,
(आ) गन्ने की किस्में , जो शक्कर कारखानों में उपयोग के लिये उपयुक्त या अनुपयुक्त हो
(इ) कारखानों के अभिधारकों अथवा प्रबन्धकों, गन्ना उत्पादको, गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों, गन्ना विकास परिषद् तथा क्रय-अभिकर्ताओं के बीच स्वस्थ संबंध बनाये रखना , और
(ई) ऐसे अन्य विषय जो नियत किये जाये ।
(1) कारखाने के रक्षित क्षेत्र के लिये, अधिसूचना द्वारा, एक गन्ना विकास परिषद स्थापित की जायगी, जो ऐसे क्षेत्र के नाम से या ऐसे अन्य नाम से जो कि राज्य शासन इस संबंध में अधिसूचित करे, निगम निकाय होगी, जिसका शाश्वत् उत्तराधिकार होगा और जो ऐसे आयंत्रणों अथवा अर्हताओं के अधीन रहते हुए जो कि इस अधिनियम अथवा किसी भी अन्य अधिनियमिति के अधीन आरोपित की जायं, अपने निगमित नाम से वाद प्रस्तुत करने या उसके विरूध्द वाद प्रस्तुत किये जाने की, चल तथा अचल दोनो प्रकार की संपत्तियों को प्राप्त करने, धारण करने, उसका प्रबन्ध करने एवं उसे अन्तरित करने तथा अनुबन्ध करने की सामर्थ्य से वेष्टित होगी ,
किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि जहां गन्ना आयुक्त इस प्रकार निर्देशित करे, परिषद की स्थापना, कारखाने के रक्षित क्षेत्र से भी बडे या छोटे क्षेत्र के लिये की जा सकेगी ।
(2) क्षेत्र, जिसके लिये परिषद् की स्थापना की जायगी, परिक्षेत्र (जोन), कहलाएगा
(3) परिषद् में निम्नलिखित हाेंगे:- (अ) अध्यक्ष, जो कि राज्य शासन की स्वीकृति से गन्ना आयुक्त द्वारा नामांकित किया जायगा ,(आ) शक्कर कारखानों का प्रतिनिधित्व करने वालें दो सदस्य, जो गन्ना आयुक्त द्वारा नामांकित किये जावेगे,(इ) परिक्षेत्र के गन्ना उत्पादकों तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों का प्रतिनिधित्व करने वाले दो सदस्य जो गन्ना आयुक्त द्वारा नामांकित किये जावेंगे,(ई) परिक्षेत्र में समाविष्ट किसी भी क्षेत्र में निवास करने वाला या उसका प्रतिनिधित्व करने वाला विधान सभा का एक सदस्य जो राज्य शासन द्वारा नामांकित किया जायगा, तथा (उ) जिला कृषि पदाधिकारी या गन्ना आयुक्त द्वारा नामांकित एक पदाधिकारी जो सदस्य के साथ-साथ सचिव भी होगा ।
(4) उप-धारा (3) के अधीन नामांकित प्रत्येक व्यक्ति अपना पद उस दिनांक को ग्रहण करेगा जिसको कि उसको नामांकित करने वाली अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाय और ऐसे व्यक्ति की पदावधि ऐसी अधिसूचना के दिनांक से तीन वर्ष होगी।
(5) गन्ना आयुक्त, यदि उनको यह सन्तोष हो जाय कि ऐसा करना आवश्यक है, राज्य शासन के अनुमोदन से परिषद् को उसकी अवधि समाप्त होने के पूर्व भंग कर सकेगा या उसके किसी भी सदस्य को हटा सकेगा, जिसके कि कारण लेखबध्द किये जायेगे :
किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि इस उप-धारा के अधीन कोई भी कार्यवाही तब तक नहीं की जायगी तब तक कि परिषद या सदस्य को, जैसी भी कि दशा हो, उस विषय में सुने जाने का समुचित अवसर प्रदान न कर दिया गया हो ।
(6) जब कि परिषद् भंग कर दी जाय, तो निम्नलिखित परिणाम होगे : (अ) अध्यक्ष सहित समस्त सदस्य आज्ञा में निर्दिष्ट किये जाने वाले दिनांक अपने-अपने पद रिक्त कर देगे परन्तु इससे पुनर्नामांकन के लिये उनकी पात्रता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा,(आ) उप-धारा (3) के उपबन्धों के अनुसार गन्ना आयुक्त द्वारा परिषद् पुनर्रचना की जायगी, और (इ) परिषद् के कर्तव्य, शक्तियां तथा कार्य, उसकी पुनर्रचना होनेतक, गन्ना आयुक्त द्वारा या ऐसे अन्य पदाधिकारी द्वारा जिसे कि वह निदेशित करे, किये जायेंगे, प्रयोग में लाई जायेगी तथा संपादित किये जायेगे ।
(1) परिषद् के कार्य निम्नलिखित होगे :- (अ) परिक्षेत्र के लिये विकास कार्यक्रम पर विचार करना तथा उसे अनुमोदित करना,(आ) विकास योजना के समस्त आवश्यक अंगो जैसे गन्ने की किस्में, गन्ने का बीज, बोआई कार्यक्रम, उर्वरक तथा खाद सहित विकास योजना के निष्पादन के लिये उपाय तथा साधन निकालना(इ) परिक्षेत्र में सिंचाई तथा अन्य कृषि संबंधी सुविधाओं के विकास का कार्य हाथ में लेना,(ई) रोगों तथा विनाशी कीटों की रोक तथा नियंत्रण के लिये आवश्यक उपाय ग्रहण करना और भूमि विस्तार (साइल एक्स्टेंशन) संबंधी कार्य में समस्त संभव सहायता प्रदान करना,(उ) गन्ने के उत्पादन से संबंधित विषयों में खेतीहरों को प्रोद्योगिक (टेकनिकल) प्रशिक्षण देना,(ऊ) ऐसे प्रतिबन्धों के अधीन रहते हुए, जैसे कि नियत किये जाये, विकास योजना के निष्पादन के लिये उसके अधिकार में रखी गई निधियों का प्रबन्ध करना, और(ए) परिक्षेत्र के सामान्य विकास से संबंधित तथा उसके लिये सहायक अन्य नियत कार्यो का संपादन करना ।(2) राज्य शासन किसी भी समय गन्ना आयुक्त को दो या अधिक परिषदों का संयुक्त सम्मेलन बुलाने के लिये निर्देश कर सकेगाा । प्रत्येक ऐसे सम्मेलन की अध्यक्षता ऐसे व्यक्ति द्वारा की जायगी जो कि राज्य शासन द्वारा उस संबंध में नामांकित किया जाय ।
परिषद् में आकस्मिक रिक्त स्थान की पूर्ति धारा 5 की उप-धारा (3) में वर्णित रीति में की जायगी और कोई व्यक्ति जो आकस्मिक रिक्त स्थान की पूर्ति के लिये नामांकित किया गया हो अपने पूर्ववर्ती की असमाप्त अवधि तक पद धारण करेगा ।
(1) इस अधिनियम के अधीन अपने कर्तव्यों के पालन तथा अपने कार्यो के संपादन के सम्बन्ध में व्ययों की पूर्ति करने के लिये परिषद के अधिकार में एक निधि होगी ।
(2) परिषद् की निधि में निम्नलिखित सम्मिलित होगे :- (अ) भारतीय केन्द्रीय गन्ना समिति (इंडियन सेन्ट्रल सुगरकेन कमेटी ) द्वारा दिये गये अनुदान, यदि कोई हो,(आ) राज्य शासन द्वारा दिये गये अनुदान, यदि कोई हाें,(इ) धारा 21 के अधीन कमीशन के रूप में परिषद् द्वारा प्राप्त धनराशियां, और(ई) कोई भी अन्य धनराशियां जो राज्य शासन की व्यापक या विशेष आज्ञाओं के अधीन उसमें जमा की जाय ।
राज्य शासन, इस अधिनियम के आशयों के लिये, गन्ना आयुक्त नियुक्त कर सकेगा, जो ऐसे कर्तव्यों का संपादन करेगा तथा ऐसी शक्तियों को प्रयोग में लावेगा जो कि इस अधिनियम के द्वारा या उसके अधीन उस पर आरोपित किये जायं, या उसको प्रदान की जायं ।
(1) राज्य शासन, ऐसे शासकीय पदाधिकारी को, जिसे वह उचित समझे, अतिरिक्त गन्ना आयुक्त नियुक्त या पदांकित कर सकेगा ।
(2) अतिरिक्त गन्ना आयुक्त, गन्ना आयुक्त की ऐसी शक्तियों को प्रयोग में लावेगा तथा उसके ऐसे कर्तव्यों का निष्पादन करेगा, जो कि राज्य शासन निर्देशित करे ।
(1) राज्य शासन इस अधिनियम के आशयों के लिये, ऐसे स्थानीय सीमाओं के भीतर, जो कि उसके लिये नियत की जायं, किसी भी व्यक्ति को निरीक्षक नियुक्त कर सकेगा या शासन ऐसे पदाधिकारी को जिसे वह उचित समझे निरीक्षक होने के लिये पदांकित कर सकेगा ।
(2) निरीक्षक ऐसे कर्तव्यों का संपादन करेगा तथा ऐसी शक्तियों को प्रयोग में लावेगा, जो कि इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उसे प्रदान की जायं या उस आरोपित किये जायं ।
(1) गन्ना आयुक्त धारा 15, 16 या 17 के आशयों के लिये, आज्ञा द्वारा, अभिधारक को यह आदेशित कर सकेगा कि वह आज्ञा में निर्दिष्ट रीति में तथा दिनांक तक गन्ना आयुक्त को, गन्ने के उस परिमाण का अनुमान-पत्र प्रस्तुत करें, जिसकी कि गन्ना पेरने के ऐसे मौसम में, जो कि आज्ञा में निर्दिष्ट किया जाय, कारखाने के लिये आवश्यकता होगी ।
(2) गन्ना आयुक्त, ऐसे प्रत्येक अनुमान-पत्र का परीक्षण करेगा और उसे ऐसे परिवर्तनों सहित यदि कोई हों, प्रकाशित करेगा, जिन्हे कि वह करे।
(3) उप-धारा (2) के अधीन अनुमान-पत्र ऐसे प्राधिकारी द्वारा पुनरीक्षित किया जा सकेगा, जो कि नियत किया जाय ।
(1) कारखाने का अभिधारक ऐसे समय गन्ना उत्पादकों तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों का, जो उस कारखाने को गन्ने का विक्रय करेगे, एक रजिस्टर नियत रूप में रखेगा ।
(2) राज्य शासन, ऐसे रजिस्टर के निरीक्षण के लिये तथा उसमें की गई किसी भी प्रविष्टि को शुध्द करने की प्रक्रिया के लिये एवं ऐसे रजिस्टर से किसी भी प्रविष्टि की प्रतिलिपि प्राप्त करने के लिये नियम बना सकेगा ओर ऐसे नियम बनाते समय राज्य शासन शुद्धियों तथा प्रतिलिपियों के प्रदाय के लिये शुल्क के भुगतान हेतु उपबन्ध भी कर सकेगा ।
(1) राज्य शासन, धारा 15, 16 या 17 के आशयों के लिये आज्ञा द्वारा निम्नलिखित के लिये उपबन्ध कर सकेगा:- (अ) किसी कारखाने को गन्ने के प्रदाय के लिये रक्षित किये जाने या नियत किये जाने के लिये प्रस्तावित क्षेत्र का किया जाने वाला सर्वेक्षण तथा ऐसे सर्वेक्षण के परिव्यय की कारखाने के अभिधारक से वसूली,(आ) ऐसे सर्वेक्षण के आशयों के लिये पदाधिकारी की नियुक्ति उसके कर्तव्य तथा शक्तियां,(इ) प्रक्रिया, जिसके अनुसार सर्वेक्षण किया जायगा,(ई) उस क्षेत्र में भूमि का स्वामित्व या अधिवास रखने वाले व्यक्तियों द्वारा चरण (आ) के अनुसरण में नियुक्त पदाधिकारी को दी जाने वाली सहायता तथा सुविधाएं, और(उ) ऐसे आनुषंगिक तथा परिणामानुवर्ती विषय, जो इस आशय के लिये आवश्यक या वांछनीय प्रतीत हो । (2) उप धारा (1) के चरण (अ) के अनुसरण में कारखाने के अभिधारक से प्राप्त कोई भी धनराशि, ऐसे अभिधारक से भूमि-राजस्व के अवशेष के रूप में वसूली योग्य होगी ।
धारा 19 की उप-धारा (2) के चरण (ई) के अधीन किसी आज्ञा पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, गन्ना आयुक्त, कारखाने के लिये रक्षित किये जाने वाले किसी क्षेत्र के, कारखाने के अभिधारक तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समिति से, यदि कोई हों, नियत रीति में परामर्श करने के पश्चात्, ऐसे कारखाने के लिये ऐसा क्षेत्र रक्षित कर सकेगा और तदुपरान्त उस कारखाने का अभिधारक धारा 22 के उपबन्धो के विरूध्द न जाते हुऐ ऐसे क्षेत्र में उपजाये गये समस्त गन्ने का क्रय करने के लिये दायी होगा जो कारखाने को बेचने के लिये प्रस्तुत किया जाय ।
धारा 19 की उप-धारा (2) के चरण (ई) के अधीन किसी आज्ञा पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, गन्ना आयुक्त, नियत किये जाने वाले किसी क्षेत्र के कारखाने के अभिधारक तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समिति से, यदि कोई हो, नियत रीति में परामर्श करने के पश्चात्, गन्ना पेरने के किसी भी मौसम में धारा 19 के उपबन्धो के अनुसार कारखाने को गन्ने के प्रदाय के आशय के लिये ऐसा क्षेत्र नियत कर सकेगा, और तदुपरान्त कारखाने का अभिधारक धारा 22 के उपबन्धों के विरूध्द न जाते हुए, उस क्षेत्र में उपजाये गये और उस कारखाने को विक्रयार्थ प्रस्तुत किये गये गन्ने का ऐसे परिणाम में क्रय करने के लिये दायी होगा जो कि गन्ना आयुक्त द्वारा निरूपित किया जाय ।
गन्ना आयुक्त, किसी भी समय, यदि वह ऐसा करना उचित समझे तो किसी क्षेत्र को रक्षित करने या नियत करने की कोई भी आज्ञा निरस्त कर सकेगा या इस प्रकार रक्षित या नियत किये गये क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगा ।
धारा 15, 16 या 17 के अधीन दी गई गन्ना आयुक्त की आज्ञा के विरूध्द अपील, आज्ञा के दिनांक से तीस दिन व्यतीत होने के पूर्व, राज्य शासन को की जा सकेगी, किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि राज्य शासन, पर्याप्त कारणवश, ऐसे काल की समाप्ति के पश्चात् भी कोई अपील ग्रहण कर सकेगा ।
(1) राज्य शासन प्रदाय को बनाये रखने के लिये, आज्ञा द्वारा- (अ) किसी रक्षित या नियत किये गये क्षेत्र में गन्ने के वितरण, विक्रय या क्रय का, तथा(आ) किसी रक्षित या नियत किये गये क्षेत्र के अतिरिक्त किसी भी अन्य क्षेत्र में गन्ने के क्रय का, नियमन कर सकेगा ।
(2) पूर्वगामी शक्तियों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसी आज्ञा में निम्नलिखित के लिये उपबन्ध हो सकेगा :- (अ) गन्ने का परिमाण, जो ऐसे क्षेत्र के प्रत्येक गन्ना उत्पादक या गन्ना उत्पादक सहकारी समिति द्वारा उस कारखाने को प्रदाय किया जाना हो जिसके लिये क्षेत्र इस प्रकार रक्षित या नियत किया गया हो,(आ) वह रीति जिसमें रक्षित क्षेत्र या नियत क्षेत्र में उपजाया गया गन्ना उस कारखाने द्वारा, जिसके लिये क्षेत्र इस प्रकार रक्षित या नियत किया गया हो, क्रय किया जायगा और वह परिस्थिति जिसमें गन्ना उत्पादक द्वारा उपजाया गया गन्ना, गन्ना उत्पादक सहकारी समिति के द्वारा ही क्रय किया जायगा, अन्यथा नहीं,(इ) विक्रयार्थ प्रस्तुत किये गये गन्ने के क्रय के हेतु उस कारखाने के, जिसके लिये क्षेत्र रक्षित या नियत किया गया हो, अभिधारक द्वारा निष्पादित किये जाने वाले करार का रूप एवं निर्बन्ध तथा प्रतिबन्ध, (ई) वे परिस्थितियां, जिनके अधीन- (एक) किसी क्रय-अभर्िकत्ता द्वारा या उस कारखाने के अतिरिक्त जिसके लिये क्षेत्र रक्षित या नियत किया गया हो, अन्य किसी व्यक्ति द्वारा उस गन्ने के क्रय के लिये जो कि रक्षित या नियत किये गये क्षेत्र में उपजाया गया हो,(दो) किसी अन्य व्यक्ति को या उस कारखाने के अतिरिक्त, जिसके लिये क्षेत्र रक्षित या नियत किया गया हो, अन्य किसी कारखाने को रक्षित या नियत किये गये क्षेत्र में उपजाये गये गन्ने के विक्रय के लिये,अनुज्ञा दी जा सकेगी,(उ) ऐसे आनुषंगिक तथा परिणामानुवर्ती विषय, जो कि इस आशय के लिये आवश्यक अथवा वांछनीय प्रतीत हों ।
(1) अभिधारक गन्ने के मूल्य के भुगतान के लिये कलेक्टर के संतोष योग्य उपयुक्त व्यवस्था करेगा ।
(2) गन्ने की हवालगी पर अभिधारक, इस प्रकार प्रदाय किये गये गन्ने के मूल्य का, उससे संबंधित समस्त अन्य धनराशियों सहित, तत्काल भुगतान करने का दायी होगा और जहां कि प्रदाय क्रय-अभिकर्ता द्वारा किया गया हो, अभिधारक के अतिरिक्त क्रय-अभिकर्ता भी उसी प्रकार दायी होगा ।
(3) जब कि उप-धारा (2) के अधीन दायी व्यक्ति, ऐसे काल तक, जो हवालगी दिनांक से 14 दिन से अधिक हो, मूल्य का भुगतान न करे तो वह हवालगी के उक्त दिनांक से, भुगतान के दिनांक तक 7) प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज का भी भुगतान करेगा किन्तु गन्ना आयुक्त किसी प्रकरण में, राज्य शासन के अनुमोदन से, यह निर्देशित कर सकेगा कि किसी ब्याज का भुगतान नहीं किया जाये या ऐसी कम दर से भुगतान किया जाय, जैसा कि वह निश्चित करे ।
(4) गन्ना आयुक्त, अभिधारक से प्राप्य गन्ने के मूल्य के हिसाब से अवशेषों की धनराशि तथा ब्याज, यदि कोई हो, निर्दिष्ट करते हुए अपने हस्ताक्षरों के अधीन एक प्रमाण-पत्र कलेक्टर को प्रेषित करेगा और कलेक्टर, ऐसे प्रमाण-पत्र के प्राप्त होने पर, ऐसे अभिधारक से उसमें निर्दिष्ट धनराशि, वसूली के दिनांक तक और ब्याज सहित, इस प्रकार वसूल करने की कार्यवाही करेगा मानो कि वह भूमि-राजस्व का अवशेष हो।
(1) अभिधारक कारखाने द्वारा क्रय किये गये गन्ने प्रति एक मन के लिये निम्नलिखित कमीशन देगा :- (अ) जहां क्रय गन्ना उत्पादक सहकारी समिति के द्वारा किया जाय, कमीशन गन्ना उत्पादक सहकारी समिति तथा परिषद् को ऐसे अनुपात में देय होगा जैसा कि राज्य शासन घोषित करे, तथा(आ) जहां क्रय सीधे गन्ना उत्पादक से किया जाय, कमीशन परिषद् को देय होगा|
(2) उप-धारा (1) के चरण (अ) तथा (आ) के अधीन देय कमीशन ऐसी दरों होगा जोकि नियत की जायं, तथापि प्रतिबन्ध यह है कि चरण (आ) के अधीन निश्चित दर उस दर से अधिक नहीं होगी, जिसके अनुसार कमीशन चरण (अ) के अधीन परिषद को देय हो ।
(3) भुगतान, ब्याज तथा वसूली जिसमें भूमि-राजस्व के अवशेषों के रूप में वसूली सम्मिलित है, से संबंधित उपबन्ध जोकि गन्ने के मूल्य से लागू होते हों, आवश्यक परिवर्तनो सहित उप-धारा (1) के अधीन कमीशन के भुगतान तथा वसूली से लागू होगे ।
(1) राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा यह घोषित कर सकेगा कि- (अ) ऐसी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी भी क्षेत्र में उपजाया गया किसी भी किस्म का गन्ना, उक्त क्षेत्र में स्थित कारखाने में उपयोग के लिये अनुपयुक्त है,(आ) ऐसी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी भी क्षेत्र में उपजाया गया किसी भी किस्म का मूलांकुरित (राटून) गन्ना उक्त क्षेत्र में स्थित कारखाने उपयोग के लिये अनुपयुक्त है, और(इ) किसी भी किस्म का बीज का गन्ना ऐसी अधिसूचना में निर्दिष्ट क्षेत्र खेतीहरों को वितरित किये जाने के लिए अनुपयुक्त है।
(2) उप-धारा (1) के अधीन अधिसूचना ऐसे दिनांक को जारी की जायगी,जो गन्ना पेरने के ऐसे मौसम से, जिसके कि संबंध में ऐसी अधिसूचना प्रभावशील होनी हो, ठीक पूर्ववर्ती वर्ष के 30 नवम्बर के पश्चात् का न हो ।
(3) जब कि किसी भी किस्म का बीज का गन्ना उस क्षेत्र में खेतीहरों को वितरित किये जाने के लिये उप-धारा (1) के अधीन अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया हो, तो अभिधारक या उसकी ओर से कार्य करने वाला कोई भी अन्य व्यक्ति अथवा गन्ना उत्पादक सहकारी समिति ऐसी किस्म या किस्मों का बीज का गन्ना किसी भी क्षेत्र में गन्ना उत्पादकों या गन्ना उत्पादक सहकारी समिति के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाये जाने के हेतु किसी भी व्यक्ति को वितरित नहीं करेगी ।
(4) जब कि किसी भी किस्म का गन्ना या मूलांकुरित (राटून) गन्ना किसी कारखाने में उपयोग के लिये उप-धारा (1) के अधीन अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया हो तो अभिधारक या उसकी ओर से कार्य करने वाला कोई भी अन्य व्यक्ति या गन्ना उत्पादक या गन्ना उत्पादक सहकारी समिति किसी भी किस्म का गन्ना नही रोपेगी अथवा किसी भी ऐसी किस्म का मूलांकुरित (राटून) नही रखेगी ।
(1) राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा, ऐसी अधिसूचना निर्दिष्ट क्षेत्र में गन्ने के उसमें उपभोग, उपयोग या विक्रय के लिये प्रवेश पर ऐसा उप-कर (सैस) रोपित कर सकेगा जो 25 पैसे प्रति मन से अधिक न हो,किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि इस उप-धारा के अधीन कोई उप-कर कारखाने में उपभोग या उपयोग के लिये या उसको विक्रय के हेतु किसी गन्ने के किसी क्षेत्र में प्रवेश पर तब तक वसूली योग्य नही होगा, जब तक कि ऐसे गन्ने का परिमाण गन्ना पेरने के किसी मौसम में दस लाख मन से अधिक न हो,यह प्रतिबन्ध और है कि राज्य शासन, अधिसूचना द्वारा, ऐसी अधिसूचना में निर्दिष्ट किसी भी आशय के लिये कारखाने में उपयोग में लाये गये या लाये जाने के हेतु अभिप्रेत गन्ने के सम्बन्ध में ऐसे उप-कर की पूर्णत: या अंशत: छूट दे सकेगा ।
(2) राज्य शासन, उप-कर निर्धारित तथा संग्रह करने के लिये सशक्त प्राधिकारी को तथा उस रीति को, जिसमें उप-कर संग्रहित किया जायगा, निर्दिष्ट करते हुए नियम बनायेगा ।
(3) गन्ने के विक्रय के लिये किसी भी अनुबन्ध या करार के निर्बन्धों के होते हुये भी, चाहे वह इस धारा के अधीन उप-कर के आरोपण के पूर्व किया गया हो या पश्चात् गन्ने का क्रेता ऐसे गन्ने के अनुबंधित मूल्य के अतिरिक्त तथा उसके भाग के रूप में उप-कर की धनराशि का भुगतान करने के लिये दायी होगा ।
(4) जब कि कोई व्यक्ति उप-कर का भुगतान करने में चूक करे तो उप-कर संग्रह करने के सशक्त प्राधिकारी यह निर्देशित कर सकेगा कि अवशेषों की धनराशि के अतिरिक्त ऐसी धनराशि, जो उसके 10 प्रतिशत से अधिक न हो, उप-कर का भुगतान करने के लिये दायी व्यक्ति से शास्ति के रूप में वसूल की जायगी ।
(5) उप-कर संग्रह करने के लिये सशक्त प्राधिकारी अपने हस्ताक्षर के अधीन एक प्रमाण-पत्र कलेक्टर को प्रेषित करेगा, जिसमें संबंधित व्यक्ति से प्राप्य अवशेषों की धनराशि निर्दिष्ट होगी, और कलेक्टर ऐसे प्रमाण-पत्र के प्राप्त होने पर, ऐसे व्यक्ति से उसमें निर्दिष्ट धनराशि इस प्रकार वसूल करने की कार्यवाही करेगा मानो कि वह भूमि-राजस्व का अवशेष हो ।
(6) उप-धारा (4) के अधीन शास्ति के रूप में आरोपित कोई भी धनराशि उप-कर अवशेष की वसूली के लिये उप-धारा (5) में उपबन्धित रीति में वसूली योग्य होगी ।
24. गन्ना आयुक्त को विवादों का व्यवस्थार्थ प्रेषण-यदि-
(अ) गन्ना उत्पादक सहकारी समिति तथा कारखाने के बीच, या गन्ना उत्पादक तथा कारखाने के बीच, या गन्ना उत्पादक सहकारी समिति तथा गन्ना उत्पादक के बीच, या
(आ) परिषद् तथा गन्ना उत्पादक सहकारी समिति के बीच, या परिषद् तथा कारखाने के बीच या परिषद् और गन्ना उत्पादक के बीच समिति या कारखाने द्वारा परिषद् को अंशदान के भुगतान के सम्बन्ध में, या
(इ) परिषद् के काम-काज के सम्बन्ध में कोई विवाद उत्पन्न हो,तो वह निर्णयार्थ गन्ना आयुक्त को अथवा यदि वह इस प्रकार निर्देशित करे तो उसके द्वारा नामांकित पंच को प्रेषित किया जायगा और गन्ना आयुक्त या पंच का निर्णय, जैसी भी दशा हो, अंतिम होगा ।
(1) जब कि अभिधारक पेढ़ी (फर्म) या अन्य व्यक्ति संघ हो तो उसके किसी एक या अधिक साझेदारों या सदस्यों को, किसी भी ऐसे अपराध के लिये जिसके लिये अभिधारक दंडनीय हो इस अधिनियम के अधीन अभियोजित तथा दंडित किया जा सकेगा ,किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि पेढ़ी (फर्म) या संघ (एसोसियेशन) कलेक्टर को यह सूचना दे सकेगा कि उसने इस अधिनियम के आशय के लिये अपने एक सदस्य को अभिधारक नामांकित कर दिया है और ऐसा व्यक्ति इस अधिनियम के आशय के लिये तब तक अभिधारक समझा जायगा जब तक कि उसका नामांकन रद्द करने वाली और सूचना कलेक्टर को प्राप्त न हो जाय या जब तक कि पेढ़ी (फर्म) या संध की उसकी साझेदारी या सदस्यता समाप्त न हो जाय ।
(2) जब कि अभिधारक कम्पनी हो तो उसके किसी एक या अधिक संचालकों को, या प्रायवेट कम्पनी की दशा में उसके किसी एक या अधिक अंशधारियों को किसी भी ऐसे अपराध के लिये, जिसके लिये अभिधारक दंडनीय हो, इस अधिनियम के अधीन अभियोजित तथा दंडित किया जा सकेगा,किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि कम्पनी कलेक्टर को यह सूचना दे सकेगी कि उसने किसी एक संचालक को, या प्रायवेट कम्पनी की दशा में किसी अंशधारी को इस अधिनियम के आशय के लिये अभिधारक नामांकित कर दिया है और ऐसा संचालक या अंशधारी इस अधिनियम के आशय के लिये तब तक अभिधारक समझा जायगा जब तक कि उसका नामांकन रद्द करने वाली और सूचना कलेक्टर को प्राप्त न हो जाय या जब तक कि उसका संचालक या अंशधारी रहना समाप्त न हो जाय ।
यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के किन्ही भी उपबन्धों का या उसके अधीन बनाये गये किसी नियम या दी गई आज्ञा का उल्लंधन करेगा तो वह छ: मास तक के कारावास का या ऐसे अर्थ दंड का, जो पांच हजार रूपयों से अधिक न हो, या दोनो का, भागी होगा, और निरन्तर उल्लंघन की दशा में ऐसे और अर्थ-दंड का भागी होगा जो प्रत्येक ऐसे दिन के लिये, जिसमें उल्लंघन चालू रहे, एक हजार रूपये से अधिक नहीं होगा ।
(1) इस अधिनियम के अधीन कोई भी अभियोजन, गन्ना आयुक्त या जिले के कलेक्टर द्वारा या उससे प्राप्त प्राधिकार के अधीन की गई शिकायत पर ही चलाया जायगा अन्यथा नही ।
(2) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के अभियुक्त व्यक्ति के आवेदन पर गन्ना आयुक्त या गन्ना आयुक्त की पूर्व सहमति से जिले का कलेक्टर किसी भी स्थिति पर ऐसे अपराध के सम्बन्ध में ऐसा समझौता शुल्क वसूल करके समझौता कर सकेगा जो उस अर्थ दंड से अधिक न हो, जो ऐसे अपराध के लिये आरोपित किया जा सकता हो ।
(3) द्वितीय श्रेणी के मजिस्ट्रेट के न्यायालय से निम्न श्रेणी का कोई भी न्यायालय इस अधिनियम या इसके अधीन दी गई किसी आज्ञा या बनाये गये नियम के विरूध्द किसी भी अपराध पर विचार नहीं करेगा ।
कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1898 (दंड प्रक्रिया की धारा 32 में चाहे कोई भी बात निहित क्यों न हो, राज्य शासन द्वारा इस संबंध में विशेष रूप से सशक्त तथा इस अधिनियम या उसके अधीन दी गई किसी आज्ञा या बनाये गये किसी नियम के अधीन किसी भी प्रकरण पर विचार करने वाले प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के लिये के वह वैध होगा कि वे इस अधिनियम के अधीन किसी भी अपराध के दोष-सिध्द किसी भी व्यक्ति को ऐसा अर्थदण्ड देगा जो पांच हजार रूपये से अधिक न हो।
(1) किसी भी ऐसी बात के लिये जो इस अधिनियम के अधीन दी गई किसी आज्ञा या बनाये गये किसी भी नियम के अनुसरण सद्भावनापूर्वक की गई हो या जिसका सद्भावनापूर्वक किया जाना अभिप्रेत रहा हो, किसी भी व्यक्ति के विरूध्द कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य वैधिक कार्यवाही प्रस्तुत नही होगी ।
(2) किसी भी ऐसी बात के कारण, जो इस अधिनियम के अधीन दी गई किसी भी आज्ञा या बनाये गये किसी भी नियम के अनुसरण में सद्भावनापूर्वक की गई हो या जिसका सद्भावनापूर्वक किया जाना अभिप्रेत रहा हो, हुई या संभाव्य किसी भी क्षति के लिये राज्य शासन के विरूध्द कोई भी वाद, अभियोजन, या अन्य वैधिक कार्यवाही प्रस्तुत नहीं होगी ।
(1) राज्य शासन इस अधिनियम के उपबंधो को कार्यान्वित करने के आशय के लिये नियम बना सकेगा|
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियमों में निम्नलिखित विषयों के लिये उपबंध हो सकेगे :- (अ) पर्षद् तथा परिषद् द्वारा काम-काज का संचालन,(आ)धारा 6 की उप-धारा (2) के अघीन बुलाये गये सम्मेलनों में किया जाने वाला काम-काज,(इ) वह रीति तथा रूप जिसमें धारा 8 के अधीन परिषद के अधिकार में रखी गई निधि कायम रखी जायगी तथा ऐसी निधि में से होने वाला उपयोग तथा भुगतान,(ई) गन्ना आयुक्त के कर्तव्य, शक्तियां तथा कार्य,(उ) धारा 11 के अधीन नियुक्त किये जाने वाले निरीक्षकों की नियुक्ति तथा सेवा के अन्य प्रतिबन्धों से सम्बंधित विषय और उनके कर्तव्य, शक्तियां तथा कार्य,(ऊ) इस अधिनियम के अधीन आवेदन-पत्रों तथा अपीलों के सम्बन्ध में दिये जाने वाले शुल्क,(ए) क्रय-अभिकर्ताओं की तथा ऐसे अन्य व्यक्तियों की, जो गन्ने के क्रय के लिये क्रय-अभिकर्ताओं तथा शक्कर कारखानों द्वारा नौकर रखे जायं, नियुक्ति तथा उन्हे अनुमति-पत्र प्रदान किया जाना, उनके कार्य एवं कर्तव्य तथा उनके द्वारा जमा की जाने वाली प्रतिभूति और वे प्रतिबंध जिनके अधीन ये प्रतिभूतिया जप्त की जा सकेगी,(एै) इस अधिनियमों के उपबंधो द्वारा या उनके अधीन किये जाने वाले करार का रूप और करार के प्रतिबंधो के भंग के लिये भुगतान की जाने वाली शास्ति,(ओ) गन्ना उत्पादक सहकारी समितियों तथा संघ की रचना, क्रियाकरण, प्रबंध, पर्यवेक्षण तथा अंकेक्षण और इस अधिनियम एवं नियमों के आशयों के लिये ऐसी समितियों या संघ की मान्यता से सम्बधित प्रतिबंध और उनके कर्मचारीवृन्द तथा वित्त का नियंत्रण,(औ) वह दर जिससे एवं रीति जिसमें गन्ना उत्पादक सहकारी समिति को किये गये उसके द्वारा गन्ने के प्रदाय पर, कमीशन दिया जायगा ।(अं) गन्ने की ठीक तौल, तौल तथा तौल की जांच के लिये सुविधाओं की एवं तौल के समयों की व्यवस्था,(अ:) कारखानों को गन्ना लाने वाली गाड़ियों के लिये प्रवेश मार्गों ठहरने के स्थान की, बैलों तथा गाड़ीवानों के लिये सायबानो की, बैलों के लिये पानी की, नांदो की तथा अन्य सम्बंधित बातों की व्यवस्था,(क) धारा 23 के अधीन उप-कर (सैस) के निर्धारण एवं संग्रह के हेतु सशक्त प्राधिकारी तथा वह रीति जिसमें उप-कर संग्रहीत किया जायगा,(ख) धारा 24 के अधीन आने वाले विषयों के लिये प्रक्रिया,(ग) उन वृत्तान्त-पत्रों, विवरण-पत्रों, रजिस्टर तथा अन्य फार्मो का रूप जिनका इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन रखा जाना आवश्यक हो और ऐसे विवरण-पत्रों, वृत्तान्त-पत्रों तथा रूपों का भरा जाना,(घ) वह रूप तथा रीति, जिसमें इस अधिनियम के अधीन विभिन्न आशयों के लिये आवेदन-पत्र दिये जायेंगे,(ड) इस अधिनियम के अधीन क्षेत्राधिकार रखने वाले किसी भी पदाधिकारी या प्राधिकारी के कर्तव्य तथा ऐसे पदाधिकारी या प्राधिकारी द्वारा अनुसरणीय प्रक्रिया, और(च) वे विषय, जो नियत किये जाने हो, या नियत किये जा सकें ।
(3) इस धारा के अधीन बनाये गये नियम ऐसे दिनांक से प्रभावशील होंगे, जो राज्य शासन द्वारा नियत किया जाय ।
(4) इस धारा के अधीन बनाये गये समस्त नियम, उनके बनाये जाने के पश्चात् , यथाशीघ्र विधान सभा के समक्ष रखे जायेंगे और वे ऐसे परिवर्तनों के अधीन हाेंगे, जैसे कि विधान सभा करे ।
मध्यप्रदेश गन्ना (पूर्ति और खरीद विनियमन) अधिनियम 1958 (1959 का क्रमांक 1) की धारा 30 द्वारा प्रदत्ता शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्य शासन इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाता है :-
इस नियम को मध्यप्रदेश गन्ना (पूर्ति और खरीद विनियमन) नियम 1959 कहा जाए
ये मध्यप्रदेश राजपत्र में प्रकाशित होने की तारीख से लागू होंगे ।
इन नियमों में जब तक संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो तब तक
(क) ''अधिनियम'' से आशय है, मध्यप्रदेश गन्ना (पूर्ति और खरीद विनियमन) अधिनियम 1958 (1959 का क्रमांक 1)
(ख) ''कलेक्टर से आशय है, जिले का कलेक्टर जिसके अधिकार क्षेत्र में यथास्थिति कारखाना या खरीद केन्द्र या रक्षित क्षेत्र (एरिया) का नियत क्षेत्र या किसी परिषद् या किसी क्षेत्र (जोन) या किसी समिति का मुख्यालय स्थित है
(ग) ''कमिश्नर'' से आशय है, किसी राजस्व संभाग का कमिश्नर
(घ) ''फार्म'' से आशय है इन नियमों के परिशिष्ट तीन में उल्लिखित फार्म
(ड) ''अधिसूचित'' से आशय है ''मध्यप्रदेश राजपत्र'' में प्रकाशित अधिसूचना द्वारा अधिसूचित
(च) ''खरीद केन्द्र से आशय है को भी ऐसा स्थान जहां गन्ना खरीदा, दिया या तौला जाता है या गन्ने की कीमत का चुकान किया जाता है और इसमे किसी करखाने के आहते का ऐसा भाग शामिल है जो कि इन प्रयोजनों में से किसी भी प्रयोजन के लिये काम में लाया जाता है
(छ) ''धारा'' से आशय है, अधिनियम की धारा
(ज) ''तोल मशीन (वेब्रिज)'' से आशय है गन्ना तौलने के उपयोग मे लाई जाने वाली कोई भी यंत्र रचना या कांटा (जिसमें डंडी वाला कांटा (बीम स्केल) शामिल है)
(झ) ''वर्ष'' से आशय है, अप्रेैल के पहले दिन से प्रारंभ होने वाला वर्ष
मंडल, राज्य शासन को, अधिनियम में उल्लिखित विषयों के साथ ही ऐसे विषयों पर भी सलाह देगा जो कि उसे राज्य शासन द्वारा समय-समय पर भेजे जाये
मंडल की बैठकें, जब तक मंडल के सभापति द्वारा अन्यथा निर्देश न दिया जाय, भोपाल में ही होंगी और वे सभापति द्वारा निश्चित तारीखों पर होंगी ।
मंडल की किसी बैठक की लिखित सूचना, आपाती मामलों को छोड़कर, जब कि सूचना और तार दोनों द्वारा, बैठक से कम से कम तीन दिन पहले भेजी जा सकती है, मंडल के सचिव द्वारा सभी सदस्यों को, बैठक के लिये निश्चित की गई तारीख से कम से कम 14 दिन पहले भेजी जाएगी ।
जब धारा 3 की उपधारा (2) के खंड (ग) के अंतर्गत नियुक्त मंडल के किसी भी सदस्य का स्थान त्यागपत्र या मृत्यु या किसी भी अन्य कारण से रिक्त हो जाए, तो राज्य शासन रिक्त स्थान की पूर्ति करने के लिये दूसरा व्यक्ति नियुक्त करेगा ।
मंडल की बैठकों में इन नियमों के परिशिष्ट-1 में दी गई कार्य-प्रणाली अपनाई जाएगी ।
अधिनियम में उल्लिखित कार्यो के अतिरिक्त परिषद् अपने क्षेत्र के सामान्य विकास से संबंधित (कन्डयूसिव्ह) ऐसे अन्य कार्यो को पूरा करेगी जो कि उसे गन्ना आयुक्त द्वारा समय-समय पर सौंपे जाये ।
(1) प्रत्येक परिषद् द्वारा एक वार्षिक बजट तैयार किया जाएगा और उसे बजट वर्ष प्रारंभ होने के कम से कम एक माह पहले मंजूरी के लिये गन्ना आयुक्त को भेजा जाएगा. गन्ना आयुक्त ऐसे परिवर्तनों सहित बजट को मंजूर कर सकता है जिन्हें करना आवश्यक समझे ।
(2) कोई भी व्यय तब तक नहीं किया जायेगा जब तक कि मंजूर किये गये बजट में उसकी व्यवस्था न की गई हो, परन्तु गन्ना आयुक्त के लिखित रूप मे दिए गए पूर्व अनुमोदन से मंजूर किए गए मद के अंतर्गत व्यय उस मद के लिये कोई भी व्यवस्था से अधिक हो सकता है ।
(3) गन्ना आयुक्त बजट के चालू रहते किसी भी समय, इस अधिनियम के प्रयोजन के लिये उसके ( गन्ना आयुक्त ) द्वारा उल्लिखित किसी भी मद पर व्यय करने के आदेश दें सकता है और उसका चुकान परिषद् की निधि से करवा सकता है ऐसा तब होगा जब कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण या परिषद् की भूल के कारण किसी आकस्मिक, आपाती या अनपेक्षित आकस्मिकता पूरी करने के लिये ऐसा उपाय करना आवश्यक समझा जाए ।
(4) परिषद् के लेखाओं की वार्षिक लेखा परीक्षा राज्य स्थानीय निधि लेखा- परीक्षा विभाग द्वारा की जायेगी ।परन्तु यदि किसी वर्ष राज्य स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग परिषद् के लेखाओं की लेखा परीक्षा कर सकने में असमर्थ रहे तो गन्ना आयुक्त लेखाओं की लेखा परीक्षा के लिए आदेश द्वारा अन्य लेखा परीक्षक नियुक्त कर सकता है ।
(5) इस नियम के अंतर्गत लेखा-परीक्षा का व्यय परिषद् की निधि से पूरा किया जाएगा ।
परिषद् की निधि गन्ना आयुक्त द्वारा अनुमोदित किसी अनुसूचित बैंक या सहकारी बैंक में रखी जाएगी और गन्ना आयुक्त द्वारा जारी किए गए निर्देश के अधीन, यदि कोई हो तो परिषद के सभापति के नियंत्रण के अंतर्गत सचिव द्वारा प्रयोग में लाई जाएगी. परिषद् का सचिव सभी आय और व्यय के ठीक-ठीक लेखे पंजियों तथा प्रमाण (व्हाउचर) रखेगा जिनकी प्रति वर्ष लेखा-परीक्षा की जायेगी और परिषद् लेखा परीक्षा की सभी आपत्तिायाें का इस प्रकार निराकरण करेगी ताकि गन्ना आयुक्त का समाधान हो जाए|
स्पष्टीकरण- इस धारा में पद ''अनुसूचित बैंक'' का वही अर्थ होगा जो कि रिजर्व बैंक आफ इंडिया अधिनियम 1934 (1934 का दूसरा) में उसके लिए दिया गया है ।
गन्ना आयुक्त, लेखबध्द किए जाने वाले कारणों से परिषद् के किसी भी संकल्प या निर्णय का निषेध (विटो) या उसमें परिवर्तन कर सकता है ।
परिषद् का सचिव परिषद् के सभापति के नियंत्रण के अधीन जब-जब आवश्यकता हों, परिषद् की बैठकें बुला सकता है और परिषद के किन्हीं भी दो सदस्यों द्वारा मांग की जाने पर बैठक अवश्य ही बुलाएगा, यह कार्यावली (एजेन्डा) घुमवाएगा, बैठकों के कार्यवत्ता रखेगा, परिषद् की ओर से पत्र व्यवहार करेगा तथा ऐसे अन्य कार्य करेगा जो आवश्यक हों, वह प्रत्येक बैठक के कार्यवृत्ता की एक प्रति, बैठक होने के एक सप्ताह के भीतर गन्ना आयुक्त को भेज देगा ।
परिषद् की बैठकों में इन नियमों के परिशिष्ट दो में निर्धारित कार्य प्रणाली अपनाई जाएगी ।
गन्ना आयुक्त, अपर गन्ना आयुक्त, उप- गन्ना आयुक्त, कृषि संचालक, उद्योग संचालक, पंजीयक, सहकारी संस्थायें, राज्य हाट व्यवस्था अधिकारी और गन्ना विकास अधिकारी संपूर्ण राज्य के लिये पदेन निरीक्षक होंगे ।
कलेक्टर, उप संचालक कृषि, जिला कृषि अधिकारी, क्षेत्र (झोनल) गन्ना अधिकारी और खंड विकास अधिकारी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में पदेन निरीक्षक होंगे।
प्रत्येक निरीक्षक अपने क्षेत्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में और ऐसी सहायता से, जैसी कि आवश्यक हो - (क) किसी भी ऐसे कारखाने या अन्य स्थान में प्रवेश कर सकेगा, जो कि खरीद केन्द्र के रूप में उपयोग में आता है या जिसके संबंध में उसे विश्वास करने का कारण है कि वह स्थान खरीद केन्द्र के रूप में काम में लाया जाता है अथवा उससे संबंधित किन्ही भी पंजीयों, लेखाओं या अन्य दस्तावेजों को रखने के उपयोग में आता है (ख) गन्ना तौलने या खरीदने के लिये उपयोग में लाई गई या रखी गई या कब्जे में रखी गई तौल मशीन और बांट की जांच कर सकेगा (ग) गन्ना या गन्ने से संबंधित अन्य माल ले जाने वाले किसी भी वाहन का, अपनी उपस्थिति में वजन करवा सकेगा या फिर से वजन करवा सकेगा(घ) वजनों, खरीदों और किए गए चुकानों की जांच कर सकेगा(ड) कारखानों, सड़कों, पशुशालाओं, पशु-नांदों और गन्ना तोलने के लिये की गई प्रकाश व्यवस्था का निरीक्षण कर सकेगा (च) खरीदे गए तथा पेरे गए (क्रेश्ड) गन्नों की मात्रा दर्शाने वाले अभिलेख जाचं करेगा (छ) किसी कारखाने के कब्जेदार से गन्ने की खरीद, पूर्ति और पैमाने से संबंधित कोई भी जानकारी मांग सकेगा । (ज) समय-समय पर ऐसी हिदायतें जारी कर सकेगा जो गन्ने की साम्यिक (इक्वीटेबल) खरीद सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है (झ) गन्ना उत्पादक सहकारी संस्थाओं के किसी भी अभिलेख, पंजीयों, लेखाओं का दस्तावेजों की जांच कर सकेगा (ञ) गन्ने के उपकर, कमीशन और मूल्य के चुकान से संबंधित किसी भी अभिलेख, पंजी या दस्तावेज की जांच कर सकेगा, या उससे संबंधित कोई भी सूचना मंगा सकेगा (ट) किसी कारखाने या खरीद केन्द्र के अहाते से कारखाने के कब्जेदार या खरीद एजेन्ट द्वारा रखे गये या रखवाए गए ऐसे अभिलेख, पंजियां, दस्तावेज, विवरण और प्रविवरण हटवा सकेगा और अपने अपनी कब्जे में कर सकेगा, जिनकी कि किसी भी पूछताछ या जांच के प्रयोजन के लिये उसे आवश्यकता है और (ठ) ऐसी अन्य शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा जो कि इस अधिनियम और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रयोजनों को कार्यन्वित करने के लिये आवश्यक हों
(1) कारखाने का कब्जेदार, पेराई काल के शुरू होने के पहले, आगामी पेराई काल में कारखाने को गन्ने की पूर्ति के लिये किसी क्षेत्र के रक्षण तथा नियत किए जाने के लिये गन्ना आयुक्त को, ''फार्म एक'' में आवेदन करेगा ।
(2) गन्ना आयुक्त किसी विशेष कारण से किसी क्षेत्र के रक्षण या नियत किये जाने के लिये पेराई काल शुरू होने के बाद दिए गए किसी आवेदन पत्र पर विचार कर सकेगा ।
(3) ऐसे प्रत्येक आवेदन पत्र के साथ यह दिखाने के लिये कि स्थानीय कोषागार में दो रूपयों की फीस जमा कर दी गई है, एक कोषागार रसीद रहेगी|
कारखाने के लिये क्षेत्र रक्षित करते समय या उसके लिए क्षेत्र नियत करते समय, या धारा 15 के अंतर्गत किसी कारखाने द्वारा किसी क्षेत्र के से खरीदे जाने वाले गन्ने की मात्रा निश्चित करते समय, गन्ना आयुक्त निम्नालिखित बातों पर विचार कर सकेगा -
(क) कारखाने से क्षेत्र की दूरी
(ख) क्षेत्र से गन्ना ढोने की सुविधाएं
(ग) पूर्व वर्षो में क्षेत्र से कारखाने को की गई गन्ने की पूर्ति की मात्रा
(घ) रक्षण और नियत करने संबंधी पहले के आदेश
(ड़) कारखाने में पेरे जाने वाले गन्ने की मात्रा
(च) पूर्व वर्षो में उपकर, गन्ने का मूल्य और कमीशन चुकाने के लिये कारखाने द्वारा किया गया प्रबंध और
(छ) क्षेत्र की गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था का दृष्टिकोण
अधिनियम की धार 18 के अंतर्गत की जाने वाली अपील की तीन प्रतियां राज्य शासन को भेजी जाएंगी|
कारखाने का कब्जेदार रक्षित क्षेत्र के संबंध में फार्म 2 में एक पंजी तैयार करेगाजिसे उत्पादक पंजी कहा जाएगा और यह प्रत्येक गन्ना उत्पादक द्वारा निरीक्षण के लिये खुली रहेगी ।
कोई भी गन्ना उत्पादक, जिसने रक्षित क्षेत्र में गन्ना उगाया है या उगाने का दावा करता है, वह कारखाने के कब्जेदार को गन्ना उत्पादक पंजी में ऐसी प्रविष्टि को सुधार के लिये या उसमें नई प्रविष्टि करने के लिये आवेदन कर सकेगा, कारखाने का कब्जेदार इन आवेदन पत्रों का एक अभिलेख रखेगा
कारखाने का कब्जेदार ऐसी जांच करने के बाद जिसे वह आवश्यक समझे, आवेदन-पत्र पर, उसकी प्राप्ति के 14 दिनों के भीतर आदेश देगा और इस आदेश की एक प्रति आवेदक को नि:शुल्क देगा ।
कारखाने के कब्जेदार के आदेश पर अपील क्षेत्राधिकार रखने वाले कलेक्टर के पास आदेश की प्राप्ति 30 दिनों के भीतर की जा सकेगी ।
कारखाने का कब्जेदार, उसे लिखित रूप से आवेदन किये जाने पर और प्रति गन्ना उत्पादक पच्चीस नए पैसे की दर से फीस चुकाई जाने पर किसी भी व्यक्ति को किसी भी गन्ना उत्पादक के संबंध में गन्ना उत्पादक पूंजी की प्रविष्टियां की एक प्रति देगा ।
गन्ना उत्पादक पूंजी कारखाने के कब्जेदार द्वारा, जिस गन्ना पेराई काल से उसका संबंध है उससे दो वर्षो बाद तक, रखी जाएगी
गन्ने की खरीद और पूर्ति संबंधी सभी लेन-देन औन्स (आव्-अर्-डू-पॉएज्) या हंड्रेडवेट (क्विंटल) पध्दति से एक मन 82 2 7 पौड के अनुसार किए जाएंगे|
कोई गन्ना वास्तविक तौल के बिना नहीं खरीदा जाएगा|
गन्ने का शुध्द वजन मन के समीपस्थ आठवें या हंड्रेडवेट में उसके समान तक ठीक-ठीक लिखा जाएगा|
कारखाने का कब्जेदार खरीद एजेन्ट, गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था के प्रतिनिधियों को या इसके लिये गन्ना आयुक्त द्वारा यथाविधि प्राधिकृत किसी भी अन्य व्यक्ति को वजन, तौल मशीनों और बांटो को देखने या जांच करने के ओर उन पर्चो को जांचने की अनुमति देगा, जिसमें गन्ने का वजन और कीमत लिखी जाती है|
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेन्ट गन्ना तौलने के लिये निम्नलिखित का न तो उपयोग करेगा या रखेगाया न ही ये उसके कब्जे में ही रहेंगे :-
(क) तराजू या बांट, जो ठीक न हो, किन्तु यदि कोई तौल मशीन एक प्रतिशत तक गलत है तो तौल न रोकी जाए किन्तु जितनी गलती पाई जाए उस हिसाब से बजन और कीमत की अतिरिक्त मात्रा का लाभ गन्ने की पूर्ति करने वाले को दिया जाएगा, तराजू या बांट के सही न होने के कारण किसी भी कटौती की अनुमति न दी जाएगी
(ख) वह कांटा जिसके डंडे दोनों ओर से देवनागरी अक्षरों में सुवाच्य रूप से चिहृांकित न हों तथा जो बेचने वाले और उनके प्राधिकृत एजेन्ट की पहुंच के परे हो और जो उन व्यक्तियों के लिए स्पष्ट नहीं हो, जो तौली जाने वाली गाडियों के पास खड़े हो, या
(ग) वे कांटे या बांट जो किसी निरीक्षक द्वारा नामंजूर कर दिए गए है ।
गन्ना खरीदने के लिये उपयोग में लाए गए, रखे गए या कब्जे में रखे गए सभी बांट लोहे, पीतल या अन्य उपयुक्त धातु के होंगे और उन पर उनका वजन साफ-साफ मुद्रांकित या चिन्हाकित होगा ।
किसी तौल मशीन की यंत्र रचना के उस भाग पर जिससे समतोलन (एडजस्टमेंट) नियंत्रित किया जाता है, उपयुक्त प्रकार से मुहर लगा दी जाएगी और ताले में बंद रखा जाएगा ।
गन्ने की खरीद के लिये उपयोग में लाए गए, रखे गए या कब्जे में रखे सभी कांटें और बांट सभी समय बिना सूचना के निरीक्षक या ऐसे अन्य व्यक्ति द्वारा निरीक्षण और जांच के लिये सुलभ किए जाऐंगे जो कि गन्ना आयुक्त द्वारा प्राधिकृत किया जाए।
कुल 10 मन या 3.73 हंड्रेडवेट के प्रमाणित बांट, यथास्थिति कारखाने के कब्जेदार या संबंधित खरीद एजेंट द्वारा किसी भी ऐसे खरीद केन्द्र पर रखे जायेंगे जहां तौल मशीन है ।
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट गन्ना खरीदने के लिये उसके द्वारा उपयोग में लाये गये रखे गये या कब्जे में रखे गए सभी कांटों की प्रतिदिन जांच करवायेगा और वह ऐसी जांच का अभिलेख रखेगा, जिसे कि मांग की जाने पर निरीक्षक को दिखाया जाएगा ।
तोलने के समय भीड़-भाड़ तथा अनावश्यक विलम्ब से बचने के लिये कारखाने का कब्जेदार गन्ना आयुक्त के समाधान पर्यत खरीद केन्द्र पर तोलने के लिये पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करेगा । गन्ने की गाड़ियों और ट्रकों (ठेलों) को पर्याप्त कारणों के बिना दस घंटे से अधिक न रोक रखा जाएगा ।
स्पष्टीकरण-- किसी भी गाड़ी को अनावश्यक रूप से रोक रखा गया न समझा जाएगा यदि गन्ने की पूर्ति करनेवाला किसी विशिष्ट दिन पर गन्ना देने के लिये लिखित हिदायत प्राप्त होने पर ऐसी हिदायतों की अवहेलना करता है या जहां लिखित हिदायत देने की प्रथा लागू है वहां ऐसी हिदायतों की प्राप्ति के बिना ही गन्ना लाता है।
कारखाने का कब्जेदार-
(क) आम सड़कों से कारखाने के अहातों में गाड़ी के ठहरने के स्थान तक तथा गांड़ी ठहरने के स्थान से कारखाने के गन्ना ले लाने के स्थान तक पक्के मार्गो की व्यवस्था करेगा और गन्ने ले लाने के स्थान से आम सड़कों तक बाहर निकलने के पक्के मार्ग की ऐसी दूरी तक व्यवस्था करेगा जैसा कि गन्ना आयुक्त द्वारा निर्देश किया जाए, और उनकी मरम्मत करवाकर उन्हें ठीक दशा में रखेगा
(ख) तोले जाने के लिये ठहरी गाड़ियों को खड़ा करने के लिये गन्ना आयुक्त के समाधान पर्यन्त ऐसे पर्याप्त पक्के स्थान की व्यवस्था करेगा जो जंगलों या दीवारों द्वारा अलग किए गए हो और जिसमें उचित प्रकाश आदि की व्यवस्था हो और वह इसमें समुचित सफाई रखेगा
(ग) कारखाने के फाटक पर गाड़ीवानों तथा बैलों, दोनो के लिये ठहरने तथा पीने के पानी की और सभी खरीदी केन्द्रों पर पीने के पानी की ऐसी सुविधिाओं की व्यवस्था करेगा जैसा कि गन्ना आयुक्त द्वारा निर्देशित किया जाए । और
(घ) अन्य ऐसी सुविधाओं की व्यवस्था करेगा जो गन्ना आयुक्त द्वारा समय-समय पर निर्देशित की जाएं ।
गन्ने के तोलाई सूर्यास्त के बाद आधे घंटे से अधिक समय तक तब तक नहीं की जाएगी जब तक कि कांटे के डंडे के चिन्हों को सरलता से पढ़ने के लिये किसी निरीक्षक द्वारा अनुमोदित पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था न कर दी गई हो और उसे कायम न रखा गया हो ।
केन्द्रीय शासन के किसी भी आदेश या निर्देश के अंतर्गत, जहां तक इसकी अनुमति है, वहां इस स्थिति के अतिरिक्त गन्ना ठीक प्रकार से कटा हुआ नहीं है या किसी अन्य आधार पर गन्ने के वजन में कोई कटौती नहीं की जाएगी ।
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट प्रत्येक खरीद केन्द्र पर गन्ना भरवाने तथा उतरवाने के लिये पर्याप्त मजदूरों की व्यवस्था करेगा ।
गन्ने की कीमत का चुकान खरीद केन्द्र पर लिखे गए गन्ने के वजन पर किया जाएगा, कीमत निकटतम नये पैसे तक लगाई जाएगी ।
गन्ने की कीमत का चुकान, केवल गन्ना उत्पादक को या चुकान प्राप्त करने के लिये लिखित रूप से उसके द्वारा यथाविधि प्राधिकृत प्रतिनिधि को या गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था को किया जाएगा ।
जब पूर्ति किए गए गन्ने की कीमत के या कीमत प्राप्त करने वाले दावेदारों के या उन पर्चो के संबंध में कोई विवाद खड़ा होता है, जिनके कि अंतर्गत चुकानों का दावा किया जाता है, तो जांच होने तक दावेदारों का चुकान रोका जा सकेगा । ऐसे सभी मामले एक पंजी में दर्ज किए जाएंगे और उन्हे आदेश के लिए तुरन्त ही कलेक्टर के पास भेज दिया जाएगा, कलेक्टर के आदेशों के विरूध्द कोई अपील, आदेशों की सूचना मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर गन्ना आयुक्त को की जाएगी । परन्तु जब भी इस नियम के अंतर्गत दावेदार का चुकान रोका जाए तब, यथास्थिति, कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट विवादास्पद रकम कलेक्टर के न्यायालय में तुरन्त ही जमा कर देगा ।
कारखाने का कब्जेदार या एजेंट किसी गन्ना उत्पादक या गन्ना सहकारी उत्पादक संस्था द्वारा उसे बचे गये गन्ने की देय रकम में से कोई कटौती नहीं करेगा।
परन्तु गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था द्वारा देय रकमों की वसूली गन्ने के लिये देय कीमत में से काटी जा सकेगी ।
यदि किसी क्षेत्र के संबंध में गन्ना आयुक्त द्वारा दी गई पूर्व अनुमति से कारखाने के कब्जेदार द्वारा कृषि के व्ययों की पूर्ति के लिए कोई ऋण उस व्यक्ति को अग्रिम रूप से दिया गया हो, जिससे कि गन्ना खरीदा गया था तो ऐसे ऋण की रकम, जिसमें ऋण बकाया रहने तक प्रतिवर्ष अधिक से अधिक छ: प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज शामिल है, गन्ने की कीमत में से काटी जा सकेगी । परन्तु ऋण की रकम बोए जाने वाले क्षेत्र से या उसे बोने के लिये आवश्यक सहायता से या दिए जाने वाले गन्ने के मूल्य से अनुपातहीन (डिसप्रपोर्शनेट) नहीं होगी और ऐसे ऋण के संबंध में कोई कटौती नहीं जाएगी, जो कि गन्ने की खरीद की तारीख से तीन वर्ष पहले दिया गया था ।
स्पष्टीकरण-- इस नियम के प्रयोजन के लिये ''ऋण'' से आशय होगा, गन्ने के एक विशिष्ट क्षेत्र को बोने के लिये या गन्ने के ऐसे क्षेत्र को बोने के योग्य बनाने या गन्ने की एक निश्चित मात्रा देने के लिए किए गए करार के अनुसरण में दिया गया अग्रिम, गन्ना आयुक्त, कारखाने के कब्जेदार द्वारा आवेदन करने पर यह निश्चिय करेगा कि क्या ऋण बोए, जाने वाले क्षेत्र के या बोने के लिये आवश्यक सहायता के या दिए जानेवाले गन्ने के मूल्य के अनुपात में हैं ।
कारखाने का कब्जेदार खरीदे गये गन्ना पर निम्नलिखित दरों से कमीशन देगा, अर्थात :-
(एक) जहां खरीद गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था को मार्फत की गई है वहां 5 नये पैसे प्रति मन की दर से, जिसमें से दो नये पैसे संस्था को और तीन नये पैसे परिषद् को देय होंगे ।
(दो) जहां खरीद सीधे गन्ना उत्पादक से की गई है, वहां 3 नए पैसे प्रति मन की दर से, जो परिषद् को देय है ।
परिषद् और किसी क्षेत्र की गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था को, कमीशन में दिये जाने वाले चुकानों का अनुपात निश्चित करते समय राज्य शासन परिषद् और गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था के वित्ताीय साधनों और कार्य संबंधी आवश्यकताओं पर विचार कर सकेगा ।
पेराई काल के संबंध में परिषद या गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था को कमीशन चुकाने संबंधी आवश्यक समायोजन उस काल के समाप्त होने के पहले किए जाएंगे ।
(1) यह अध्याय इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये मान्य की गई गन्ना उत्पादक सहकारी संस्थाओं पर लागू होगा ।
(2) कोई भी गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था, मान्यता के लिये कलेक्टर को आवेदन कर सकेगी, आवेदन पत्र के साथ एक घोषणा रहेगी कि संस्था अधिनियम के उपबंधों और उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों से लाभ उठाने के लिये स्वीकृति चाहती है और यह कि संस्था अधिनियम के उपबंधों तथा उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों और समय-समय पर गन्ना आयुक्त द्वारा जारी की गई हिदायतों का पालन करेगी आवेदन पत्र प्राप्त होने पर कलेक्टर, ऐसे जांच के बाद, संस्था को मान्य कर सकेगा जिसे वह उचित समझे ।
गन्ना उत्पादक सहकारी संस्थाओं के स्थायी कर्मचारियों के साथ-साथ अस्थायी कर्मचारियों की भी अर्हताओं, पदक्रम और वेतनमान सहित सेवा के निबंधन और शर्ते गन्ना आयुक्त के अनुमोदन के अधीन कलेक्टर द्वारा निश्चित की जाएगी ।
गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था द्वारा रखे जाने वाले कर्मचारियों की संख्या गन्ना आयुक्त द्वारा या इस संबंध में उसके द्वारा प्राधिकृत प्राधिकारी द्वारा संस्था की कार्य संबंधी आवश्यकताओं और उसके वित्ताीय साधनों का समुचित ध्यान रखकर नियत की जाएंगी ।
गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था के सचिवों, सहायक सचिवों और लेखापालों को चाहे वे स्थायी हों या अस्थायी, नियुक्त करने, अनुपस्थिति छुटटी देने, दंड देने, पदच्युत करने, स्थानान्तरित करने तथा उन पर नियंत्रण रखने की शक्ति कलेक्टर द्वारा गन्ना आयुक्त के सामान्य नियंत्रण के अधीन प्रयोग में लाई जाएगी। गन्ना आयुक्त, कलेक्टर के किसी भी आदेश को रदद कर सकेगा या उसमें संशोधन कर सकेगा ।
परन्तु आपत्तिा स्थिति में, गन्ना आयुक्त ऐसे शक्तियों में से किसी का भी स्वयं भी प्रयोग कर सकेगा|
नियम 51 में निर्दिष्ट शक्तिया संस्था द्वारा अन्य कर्मचारियों के संबंध में, गन्ना आयुक्त के सामान्य नियंत्रण के अधीन, प्रयोग में लाई जा सकेगी ।
गन्ना आयुक्त, गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था से स्पष्टीकरण मांगने के बाद और लेखबध्द किए जाने वाले कारणों से, संस्था द्वारा लिए गए किसी निर्णय या पारित प्रस्ताव को, अप्रवृत्ता घोषित कर सकेगा या ऐसा अन्य आदेश, जो वह उचित समझें, दे सकेगा ।
गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था द्वारा गन्ने की बोआई, बिक्री की पूर्ति से संबंधित सभी प्रबंध ऐसी सामान्य और विशेष हिदायतों के अनुसार होंगे जो गन्ना आयुक्त द्वारा समय समय पर दी जाएं ।
प्रत्येक गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था प्रतिवर्ष एक बजट तैयार करेगी और उसको, वर्ष के प्रारंभ होने के कम से कम तीस दिन पहले गन्ना आयुक्त के समक्ष मंजूरी के लिये प्रस्तुत करेगी ।
(1) कोई भी खर्च तब तक नहीं किया जायेगा जब तक कि मंजूर किए गए बजट में, उसके लिए व्यवस्था न की गई हो ।
(2) गन्ना आयुक्त, आपात की स्थिति में या अनपेक्षित आकस्मिकता में गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था की निधियों में से, किसी निर्दिष्ट मद पर खर्च करने का आदेश दे सकेगा ।
परन्तु ऐसा खर्च संस्था के उददेश्यों को आगे बढ़ाने के लिये हो ।
यदि गन्ना आयुक्त को यह प्रतीत हो कि संस्था के प्रबंधकर्त्ता या उसका कोई सदस्य संस्था के साधनों का दुरूपयोग कर रहा है या उसकी निधियों का उपयोग, सहकारी संस्थाओं से संबंधित, उस समय लागू विधि के उपबंधों, संस्था के नियमों या उप-विधियों या गन्ना आयुक्त की किन्ही भी हिदायतों के विरूध्द, कर रहाहै तो वह आदेश द्वारा संस्था या संबंधित सदस्य पर, खर्च करने या दायित्व लेने पर रोक लगा सकेगा, और यथास्थिति, संस्था या संबंधित सदस्य ऐसे आदेश से बाध्य होगा ।
जहां गन्ना आयुक्त का इस बात से समाधान हो जाए कि गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था की प्रबंध समिति या शासी निकाय ने, संस्था या उसके सदस्यों के हितों के प्रतिकुल तरीके से उसका कार्य चलाया है, या उसकी उप-विधियों के उपबंधों, अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाए गये नियमों, या गन्ना आयुक्त की हिन्हीं भी हिदायतों को अतिक्रमण किया है, तो वह प्रबंध समिति या शासी निकास से स्पष्टीकरण मांगने के बाद या तो उसकी मान्यता वापस ले सकेगा या संपूर्ण या अंशत: समिति या शासी निकाय को अस्थायी उपाय के तौर पर निलंबित कर सकेगा और संस्था का प्रबंध एक प्रशासक याप्रशासन समिति को, ऐसी अवधि के लिये और ऐसी शक्तियों के साथ, जैसा कि वह आवश्यक समझे, सौंप सकेगा ।
इस अध्याय के उपबंधों के अंतर्गत, गन्ना आयुक्त द्वारा किए गए आदेश के विरूध्द अपील संस्था या संबंधित सदस्य को आदेश मिलने की तारीख से 30 दिनों के भीतर, राज्य शासन को की जा सकेगी|
कारखाने का कब्जेदार धारा 23 के अंतर्गत जारी की गई अधिसूचना में निदिष्ट क्षेत्र में आने वाले गन्ने का फार्म 3 में दिन प्रति दिन का सही हिसाब रखेगा ।
(एक) कारखाने का कब्जेदार प्रत्येक माह की समाप्ति के पहले फार्म 4 में, ठीक पिछले माह के दौरान निदिष्ट क्षेत्र में आए गन्ने की मात्रादर्शाने वाला एक प्रविवरण कलेक्टर को भेजेगा ।
(दो) पेराई-काल को समाप्ति के 15 दिन के भीतर, कारखाने का कब्जेदार, पेराई-काल में निर्दिष्ट क्षेत्र में आये गन्ने की कुल मात्रा पर उगाहा जा सकेने वाला उपकरण जमा कर देगा और जमा किए गए उपकर की रकम दर्शानेवाला कोषागार रसीद कलेक्टर को भेज देगा ।
कलेक्टर कारखाने के कब्जेदार द्वारा जमा की गई रकम की नियम 62 के अंतर्गत प्रस्तुत किए गए विवरणों से जांच करेगा और देखेगा कि कब्जेदार द्वारा देय उपकर की कुल रकम कोषागार में जमा कर दी गई है। यदि कलेक्टर को ऐसा दिखाई दे कि कारखाने के कब्जेदार द्वारा देय उपकर की कुल रकम जमा नहीं की गई है, तो वह लिखित सूचना द्वारा कब्जेदार से उसके द्वारा देय रकम ऐसी सूचना में दर्शाई गई अवधि के अंदर जमा कर देने को कहेगा और कब्जेदार, उल्लिखित अवधि के अंदर रकम जमा कर देगा ।
धारा 25 के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति के ''कारखाने का कब्जेदार'' के रूप में मनोनीत किए जाने की सूचना फार्म 5 में गन्ना आयुक्त और कलेक्टर को दी जाएगी।
धारा 25 के अंतर्गत ''कारखाने का कब्जेदार'' के रूप में मनोनीत व्यक्ति प्रतिभूति के रूप में एक हजार रूपये की नगद रकम या एक हजार रूपये के बाजार मूल्य वाली शासकीय प्रतिभूतियां या एक हजार रूपये के वर्तमान भुनाई मूल्य वाले डाकघर रोक, प्रमाण पत्र जमा करेगा, ऐसी प्रतिभूतियां कलेक्टर के पास जमा की जाएगी और तब तक जमा रहेंगी जब तक कि वह व्यक्ति कारखाने के कब्जेदार के रूप में कार्य करता रहे ।
परन्तु ऐसे कारणों से, जो कि लेखबध्द किए जाएंगे, कलेक्टर प्रतिभूति जमा करने से विमुक्त कर सकेगा या प्रतिभूति के रूप में ऐसी कम रकम जो वह उचित सकझे, जमा करने की अनुमति दे सकेगा|
ऐसी रकम पर, राज्य शासन का, अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत कारखाने द्वारा देय किसी भी जुर्माने की या शास्ति की वसूली के लिए पहला प्रभार (अधिकार) रहेगा ।
(क) स्थानीय कोषागार में पांच रूपये लायसेन्स फीस जमा कर दी गई है, यह दर्शाने वाली एक कोषागार रसीद,
(ख) संबंधित कारखाने के कब्जेदार द्वारा फार्म 7 में एक मनोनयन पत्र और
(ग) इस आशय का एक घोषणापत्र कि आवेदक के पास अन्य जिले के लिए लायसेन्स नहीं है ।
खरीद-एजेन्ट के रूप के कार्य करने के लिये लायसेन्स पाने का आवेदन-पत्र, उस जिले के कलेक्टर को भेजा जाएगा जहां कि आवेदक गन्ना खरीदना चाहता है।
परन्तु यदि आवेदक एक से अधिक जिलो में गन्ना खरीदना चाहे, तो वह ऐसे जिलों में से किसी भी याएक जिले के कलेक्टर के पास लायसेन्स के लिये और दूसरे जिलों के कलेक्टरों के पास उस पर नियम 74 के अनुसार पृष्ठांकन के लिए आवेदन पत्र भेजेगा ।
ऐसे आवेदन पत्र पर मुद्रांक लगा होगा और उसके साथ निम्नांकित कागज़ पत्र रहेगे :-
(क) स्थानीय कोषागार में पांच रूपये लायसेन्स फीस जमा कर दी गई है, यह दर्शाने वाली एक कोषागार रसीद,
(ख) संबंधित कारखाने के कब्जेदार द्वारा फार्म 7 में एक मनोनयन पत्र और
(ग) इस आशय का एक घोषणापत्र कि आवेदक के पास अन्य जिले के लिए लायसेन्स नहीं है ।
(1) आवेदक प्रतिभूति के रूप में दो हजार रूपये की नगद रकम या दो हजार रूपये के बाजार मूल्य वाली शासकीय प्रतिभूतियां, या दो हजार रूपये वर्तमान भुनाई मूल्य वाले डाकघर रोक प्रमाणपत्र, जमा करेगा. ऐसी प्रतिभूति उस कलेक्टर के पास जमा की जाएगी जिसको कि लायसेन्स के लिये आवेदन किया गया है, ऐसी प्रतिभूति आवेदक के खरीद-एजेन्ट के रूप में कार्य करते रहने तक और उसके बाद भी छ: माह तक जमा रखी जाएगी ।
(2) ऐसी रकम या संपत्तिा पर, राज्य शासन का, अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों के अंतर्गत खरीद एजेन्ट या उसके कर्मचारियों द्वारा देय किसी भी जुर्माने या मुआवजे की वसूली के लिये पहला प्रभार (अधिकारी) रहेगा ।
परन्तु ऐसे कारणों से जो कि लेखबध्द किए जाएगें, कलेक्टर, प्रतिभूति जमा करने से पूर्णत: या आंशिक रूप से, जैसा भी वह ठीक समझे, विमुक्त कर सकेगा ।
खरीद एजेन्ट के लायसेन्स के लिये आवेदन पत्र पंजीयित डाक द्वारा भेजा जा सकेगा या स्वयं जाकर अथवा प्राधिकृत प्रतिनिधि के मार्फत प्रस्तुत किया जा सकेगा।
ऐसा आवेदन पत्र प्राप्त होने पर, कलेक्टर फार्म 8 में लायसेन्स देगा, बशर्ते कि निम्नलिखित बातों से उसका समाधान हो जाए:-
(एक) कि आवेदक नाबालिंग या परदानशीन महिला अथवा बेबाक न हुआ दिवालियाया विकृत मस्तिष्क का व्यक्ति नहीं है ।
(दो) कि वह पिछले दो वर्षो में, अधिनियम या उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के अंतर्गत किसी अपराध का, उस अपराध को छोड़कर जो कि कलेक्टर की राय में प्राविधिक (टेक्निकल) स्वरूप का हो और ऐसा न हो कि उसके आधार पर लायसेन्स देने से इन्कार करना न्याय संगत कहा जा सकें, दोषी नहीं ठहराया गया ।
(तीन) कि वह नैतिक पतन से संबंधित किसी अपराध का दोषी सिध्द नहीं हुआ है, और
(चार) कि वह कोई कंपनी, फर्म या व्यक्तियों की कोई अन्य संस्था नहीं है
लायसेंस आगामी वर्ष के 31 मार्च तक लागू रहेगा और उसके नवीकरण के लिये खरीद एजेंट द्वारा, लायसेंस देने वाले कलेक्टर को लिखित रूप से आवेदन किये जाने पर समय-समय पर उसका उसी तरीके से और उन्ही शर्तो पर नवीकरण किया जायगा, मानों कि वह नये लायसेंस का आवेदन हो, लायसेंस की समाप्ति पर यदि वह, नवीनीकृत न किया गया हो, तो उसे जारी करने वाले कलेक्टर को लौटा दिया जायगा।
लायसेंस के सामान्यत: उसमें उल्लिखित एक ही खरीद केन्द्र में खरीद करने का प्राधिकार प्राप्त होगा, किन्तु कलेक्टर, स्वविवेक से जिले के अधिक से अधिक तीन खरीद केन्द्रों में खरीद का प्राधिकार दे सकेगा और इसके लिये कोई अलग प्रतिभूति नहीं देनी पड़ेगी ।
लायसेंस केवल उसी जिले की स्थानीय सीमाओं के लिये वैध होगा, जिस जिले के लिये वह दिया गया हो, यदि कोई खरीद एजेंट लायसेंस के अंतर्गत आने वाले जिले के बजाय किसी अन्य जिले में खरीद करना चाहे, तो वह इस आशय का एक आवेदन पत्र उस दूसरे जिले के कलेक्टर के पास, उस लायसेंस पर पृष्ठांकन करके उस जिले में भी उस लायसेंस को वैध बनाने के लिये भेजेगा. यदि विरोध में कोई वैध कारण न हो, तो ऐसा पृष्ठांकन किया जायगा और उसके लिये अलग से कोई अतिरिक्त फीस (चार्ज) नहीं ली जायगी ।
लायसेंस केवल एक कारखाने की ओर से खरीद के लिये ही वैध होगा. यदि कोई खरीद एजेंट एक कारखाने से अधिक कारखानों की ओर से गन्ना खरीदना चाहे, तो उसे ऐसे प्रत्येक कारखाने के लिये अलग-अलग लायसेंस प्राप्त करना होगा, उक्त लायसेंस तब ही दिया जा सकेगा जबकि--
(क) इस बात से कलेक्टर का समाधान हो जाये कि दूसरा लायसेंस जारी करने से, आवेदक के, उसके द्वारा पहले से ही धारण किये गये लायसेंस के अंतर्गत खरीद एजेंट के रूप में कार्य करने पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा, और
(ख) उन सभी कारखानों के कब्जेदारों की, जिनकी और से वह पहले से ही लायसेंस धारण किये हुए हों, लिखित सम्मति कलेक्टर के सामने प्रस्तुत की जाये।
जिसके लिये कोई आवेदन किया गया है, ऐसा लायसेंस मिलने तक या उस पर पृष्ठांकन किये जाने तक आवेदक, संबंधित कारखाने की पूर्ति के लिये, ऐसे कारखाने के कब्जेदार द्वारा हस्ताक्षर किये गये प्रमाण पत्र के प्राधिकार पर गन्ना खरीद सकेगा. तत्पश्चात् आवेदक, उसे द्वारा की गई गन्ने की खरीद के लिये उसी रीति से दायी होगा, मानो कि वह किसी यथारीति लायसेंस प्राप्त खरीद-एजेंट द्वारा की गई हो ऐसे प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला कारखाने का कब्जेदार ---
(एक) उस प्रमाणपत्र में लिखेगा कि आवेदक ने संबंधित कलेक्टर के पास, यथास्थिति लायसेंस या पृष्ठांकन के लिये आवेदन पत्र भेजा है तथा कारखाने के कब्जेदार ने इस बात से अपना समाधान कर लिया है कि आवेदन नियम 71 में बताये अनुसार किसी भी प्रकार से निर्योग्य नहीं है,
(दो) प्रमाणपत्र देने के 24 घंटे के भीतर उसकी एक प्रति कलेक्टर और उस निरीक्षक को जिसके कि अधिकार क्षेत्र के भीतर आवेदक गन्ना खरीदना चाहता है, भेजेगा तथा
(तीन) ऐसे प्रमाणपत्र के प्राधिकार पर की गई गन्ने की खरीद के लिये इन नियमों के अधीन उसी रीति से और उसी हद तक उत्तारदायी होगा, मानों कि वे किसी यथारीति लायसेंस प्राप्त खरीद एजेंट द्वारा की गई हो|
यदि, जिसके लिये कोई आवेदन किया गया है ऐसा कोई लायसेंस देने या उस पर कोई पृष्ठांकन करने से कलेक्टर इंकार कर दें, तो वह प्रमाणपत्र, यदि कोई हो, तो जिसके कि प्राधिकार पर कोई लायसेंस प्रदान करने या उस पर कोई पृष्ठांकन किया जाने तक, आवेदक कार्य कर रहा हो, कारखाने को कब्जेदार को उस नामंजूरी की सूचना मिलने के समय से बहत्तर घंटे के भीतर अवैध हो जायगा ।
खरीद एजेंट का लायसेंस उसे जारी करने वाले कलेक्टर द्वारा रदद् कर दिया जायगा, यदि--
(एक) उस कलेक्टर को संबंधित कारखाने के कब्जेदार से उस आशय का आवेदन पत्र प्राप्त हो अथवा
(दो) खरीद एजेंट दिवालिया करार दिया गया हो या उसका मस्तिष्क विकृत हो गया हो ।
लायसेंस जारी करने वाला कलेक्टर खरीद एजेंट को दिया गया लायसेंस इस अधिनियम के किसी उपबन्ध या उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों या गन्ना आयुक्त द्वारा समय-समय पर जारी की गई किन्ही हिदायतों का उल्लंघन करने पर, रदद् कर सकेगा या उस पर चेतावनी दर्ज कर सकेगा. लायसेंस का पृष्ठांकन करने वाला कलेक्टर इसी प्रकार के कारणों से खरीद एजेंट के लायसेंस के पृष्ठांकन को या तो रदद् कर सकेगा या उस परचेतावनी दर्ज कर सकेगा, ऐसे मामले में कलेक्टर, अपने द्वारा दिये गये आदेशों की सूचना, लायसेंस देने वाले कलेक्टर को ऐसी कार्यवाही के लिये भेजेगा, जिसे व उचित समझे|
खरीद एजेंट को स्पष्टीकरण देने का मौका और संबंधित कारखाने के कब्जेदार को यथोचित सूचना दिये बिना, लायसेंस को अथवा उस पर किये गये पृष्ठांकन को रदद् करने का आदेश नहीं दिया जायगा. इस नियम के अंतर्गत जांच होने तक, कलेक्टर लायसेंस को या उस पर किये गये पृष्ठांकन को निलंबित कर सकेगा, लेकिन ऐसा निलंबन कारखाने के कब्जेदार को उसकी सूचना देने के बहत्तर घंटे के बाद से लागू होगा ।
कलेक्टर द्वारा लायसेंस रदद् करने, निलंबित करने या अस्वीकार करने विषयक आदेश की अपील गन्ना आयुक्त के पास होगी, ऐसी अपील कलेक्टर के आदेश देने की तारीख से तीस दिन के भीतर की जायेगी. अपील पर गन्ना आयुक्त का आदेश अन्तिम होगा ।
अध्याय पन्द्रह-- दूसरे कर्मचारियों को लायसेन्स देना
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट ऐसे किसी भी व्यक्ति को गन्ने के खरीद कार्य जिसमें सर्वेक्षण करना और गन्ना उत्पादकों को सूचियां तैयार करना या गन्ना के लिये मांग पर्चियों को बंटन और वितरण (एलाटमेंट ऐंड डिस्ट्रीव्यूशन) भी शामिल- पर नियुक्त नहीं करेगा जब तक कि उस जिले के कलेक्टर द्वारा जहां कि ऐसा कार्य किया जाना है,उसे लायसेंस न दे दिया जाय. ऐसे प्रत्येक लायसेंस की फीस एक रूपया होगी ।
नियम 82 के अधीन लायसेंस पाने के लिये आवेदन पत्र फार्म 9 में उस जिले के कलेक्टर को दिया जायगा, जिसमें आवेदक गन्ने की खरीदी के संबंध में किसी प्रकार का कार्य करना चाहता है. ऐसे आवेदन पत्र के साथ निम्नलिखित कागजात रहेगें :-
(क) एक कोषागार रसीद, जिसमें यह दर्शाया रहेगा कि नियम 82 के अधीन निर्धारित लायसेंस फीसचुका दी गई है
(ख) कारखाने के कब्जेदार या संबंधित खरीद एजेंट से फार्म 10 में प्राप्त किया गया एक मनोनयन फार्म
एक से अधिक लेकिन प्रत्येक कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से एक आवेदन पत्र दिया जा सकेगा, लेकिन प्रत्येक कर्मचारी को एक रूपया लायसेंस फीस देनी होगी ।परन्तु कारखाने को गन्ने की पूर्ति करने वाली गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था की नौकरी से पदच्युत किये गये किसी भी व्यक्ति को, उसकी पदच्युति के तीन वर्षो के भीतर, कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट मनोनीत नहीं करेगा ।
नियम 83 के अधीन लायसेंस के लिये आवेदन पत्र प्राप्त होने पर कलेक्टर फार्म 11 में लायसेंस जारी कर सकेगा. इस नियम के अधीन लायसेंस देने के पहले कलेक्टर लायसेंस की शर्तो के समुचित पालन के लिये अधिक से अधिक 100 रूपये की प्रतिभूति मांग सकेगा, जो या तो नकदी अथवा शासकीय प्रतिभूतियों के रूप में दी जा सकेगी ।
नियम 84 में निर्धारित प्रतिभूति, लायसेंस की पूरी अवधि तक और उसके बाद छ: माह तक कलेक्टर के पास जमा रहेगी. अधिनियम या इन नियमों के अधीन लायसेंसदार पर लगाये गये किसी जुर्माने की वसूली के लिये ऐसी प्रतिभूति पर राज्य शासन का पहला प्रभार (अधिकार) होगा ।
यदि लायसेंसदार अधिनियम के किसी उपबन्ध या इन नियमों या लायसेंस की किसी शर्त का उल्लंघन करें, तो अधिनियम या उसके अंतर्गत बने नियमों के अधीन लगाई जाने वाली किसी अन्य शास्ति (पेनाल्टी) के अलावा और उस पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कलेक्टर नियम 84 के अंतर्गत जारी किया गया लायसेंस भी रदद् कर सकेगा. लायसेंस रदद् करने संबंधी कोई भी आदेश तब तक जारी नहीं किया जायेगा, जब तक कि संबंधित कर्मचारी और उसको मनोनीत करने वाले, कारखाने के कब्जेदार को स्पष्टीकरण का मौका न दे दिया जाय. इस नियम के अधीन जांच होने तक, कलेक्टर लायसेंस को निलम्बित कर सकेगा लेकिन ऐसा निलंबन, संबंधित कारखाने के कब्जेदार को उसकी सूचना देने के बहत्तर घंटे के बाद लागू होगा ।
नियम 84 के अधीन जारी किया गया लायसेंस, लायसेंसदार के नियोजक के आवेदन करने पर रदद् कर दिया जायेगा ।
लायसेंस अस्वीकार करने, निलम्बित करने और रदद् करने विषयक कलेक्टर के आदेश की अपील गन्ना आयुक्त के पास, आदेश की तारीख से 30 दिन के भीतर होगी. गन्ना आयुक्त का निर्णय अन्तिम रहेगा ।
यथास्थिति, कारखाने का कब्जेदार या खरीद-एजेंट निम्नलिखित कागजात, प्रत्येक खरीद केन्द्र में हिन्दी में लिखाकर रखवायेगा-
(क) इन नियमों के संक्षेप की प्रति, और
(ख) बड़े अक्षरों में लिखी हुई उचित आकार की एक सूचना जिसमें शासन द्वारा नियत किया गया गन्ने का कम से कम दाम और वह भाव लिखा रहेगा जिस पर केन्द्र में गन्ना खरीदा जा रहा है ।
ऐसी सूचनायें निम्न स्थानों पर लगाई जायेंगी --
(क) कारखाने के प्रत्येक प्रवेश द्वार पर,
(ख) उस स्थान पर, जहां कारखाने के लिये गन्ने की तौल हो रही हो, और
(ग) खंड (क) और (ख) में उल्लिखित स्थानों के पास, ऐसे दूसरे ध्यानाकर्षी स्थानों पर जिन्हें कलेक्टर या निरीक्षक निर्देशित करें ।
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेंट प्रत्येक खरीद केन्द्र पर, तीन प्रतियों में निम्नलिखित बातें सही-सही दर्शानेवाला ''परचा'' बनायेगा या बनवायेगा:-
(क) ''परचे'' का क्रमांक
(ख) खरीद की तारीख
(ग) जिस व्यक्ति से गन्ना खरीदा गया हो उसका और उसके पिता का नाम तथा पूरा पता साथ ही यदि विक्रेता ने अपनी ओर से गन्ना प्रदान करने के लिये किसी व्यक्ति को प्राधिकृत किया हो, तो उसके संबंध में भी इसी प्रकार का ब्यौरा
(घ) विक्रेता को दी गई मांग पर्ची या पुर्जी का क्रमांक
(ड) जिस गाड़ी (विहिकल) में गन्ना लाया गया हो, उसके वजन सहित गन्ने का कुल वजन
(च) जिस गाड़ी (विहिकल) में गन्ना लाया गया हो, उसके वजन (टैयर)
(छ) बांधने की सामग्री का वजन, जो कि घटाया जाना है
(ज) खरीदे गये गन्ने का शुद्ध वजन
(झ) वह भाव जिस पर गन्ना खरीदा गया है, और
(ञ) उस भाव पर गन्ने के लिये चुकाई जाने वाली कीमत उपनियम (1) के पद (ड) और (च) में की जाने वाली प्रविष्टियां, गाड़ी के तौल मशीन (वेब्रिज) पर खड़े रहते समय और जो व्यक्ति वास्तविक रूप से गन्ना दे रहा हो उसके सामने दर्ज की जायेगी और घोषित की जायेगी और जब तौल कांटे (बीम स्केल्स) पर करना हो, तो तोल के पूरे होने के तत्काल बाद की जायेंगी । पद (क) से (घ) तक को प्रविष्टियां, तोल समाप्त होते ही की जायेंगी और पद (छ) से (ञ) तक की प्रविष्टियां, जैसे ही खाली गाड़ी का वजन लिया जाय, की जावेगी।
नियम 91 में निर्दिष्ट ''परचे'' की दो प्रतियां उस व्यक्ति को जिससे गन्ना खरीदा गया है यदि उसे प्राधिकृत एजेन्ट को, उनके तौल मशीन (वेब्रिज) के पास से हटने के पहिले दी जायेंगी, तीसरी प्रति प्रतिपर्ण के बतौर खरीद केन्द्र में रखी जायेगी।
जब खरीदे गये गन्ने के लिये चुकान किया जाये, तो प्राप्तिकर्ता की रसीद, नियम 92 के उपबन्ध के अनुसार उसको दिये गये परचे के प्रतिपर्ण पर ली जायेगी । परन्तु यदि चुकान के लिये एक साथ कई परचे प्रस्तुत किये जाये तो देय पूर्ण राशि के लिये प्राप्तिकर्ता की रसीद अन्तिम परचे पर ली जा सकती है ।ऐसी दशा में, रसीद से संबंधित अन्य परचों के क्र. या अन्य संदर्भ, रसीद में दिये जायेंगे और दूसरे परचे रदद् किये जायेंगे
कारखाने के कब्जेदार और खरीद-एजेन्ट प्रत्येक खरीद-केन्द्र पर एक पंजी या अभिलेख रखेगा या रखवायेंगा, जिसमें नियम 91 के उपनियम (1) के पद (क) से (च) तक के ब्योरे सही-सही दर्शाये जायेंगे, इसके अतिरिक्त उसमें निम्नलिखित बातें और रहेगी :-
(एक) यदि कोई प्राधिकृत कटौती हो, तो उसकी रकम
(दो) वास्तव में नगद चुकाई गई रकम
(तीन) नगदी के अलावा अन्य प्रकार से चुकान करना प्राधिकृत हो, तो इस प्रकार चुकाई गई रकम
(चार) चुकाने की तारीख
(1) कारखाने का कब्जेदार गन्ना उत्पादक सहकारी संस्था के जरिये गन्ना खरीदने के मामले को छोड़कर, प्रत्येक गन्ना उत्पादक अलग-अलग हिसाब रखेगा या रखवायेगा जिसमें निम्नलिखित विवरण रहेगा :-
(एक) गन्ने की पूर्ति करने वाले का नाम (उसकी पहिचान पक्की करने के लिये, पिता कानाम, पता आदि आवश्यक ब्यौरे भी रहेंगे)
(दो) खरीद की तारीख
(तीन) गन्ने के लिये चुकाया गया प्रति मन का भाव
(चार) संबंधित परचे परचों का के क्रमांक
(पांच) खरीदे गये गन्नों का शुध्द वजन
(छ:) खरीदे गये गन्नों का प्रगामी (प्रोग्रेसिव) कुल वजन
(सात) खरीदे गये गन्ने के लिये देय रकम
(आठ) खरीदे गये गन्ने के लिये देय प्रगामी (प्रोग्रेसिव) कुल रकम
(नौ) खरीद के लिये चुकाई गई रकम
(दस) खरीदे गये गन्ने के लिये चुकाई गई प्रगामी (प्रोग्रेसिव) कुल रकम
(2) जब गन्ने की पूर्ति गन्ना-उत्पादक सहकारी संस्था के जरिये की गई हो, तो संस्था अपने प्रत्येक सदस्य के संबंध में उपनियम (ं1) में निर्दिष्ट हिसाब रखेगी, इसके अतिरिक्त किसी सदस्य की देय गन्ने के मूल्य में से यदि कोई कटौतियां की गई हों तो वे भी इस हिसाब में दर्शाई जायेंगी, ऐसे प्रत्येक कारखाने के लिये जिसे गन्ने की पूर्ति की जायें, अलग-अलग पंजियां अभिलेख रखा जायेंगा ।
कारखाने का कब्जेदार या खरीद एजेन्ट प्रत्येक खरीद-केन्द्र में एक निरीक्षण- पुस्तिका रखेगा या रखवायेगा| इस पुस्तिका में निरीक्षक या गन्ना आयुक्त द्वारा प्राधिकृत अन्य व्यक्ति अपनी अभ्युक्तियां या हिदायतें लिख सकेंगे ।
रबी गई पंजीया और अभिलेख जारी किये गये परचों और प्रतिपर्णो की प्रतियां साथ ही प्राप्तिकर्ताओं की रसीद वाले परचों की प्रतियां या प्रतिपर्ण, खरीद-केन्द्र में तब तक रखे जायेंगे, जब तक कि उनका सालाना हिसाब अंतिम रूप से बंद नहीं कर दिया जाता. वे निरीक्षक या उसके द्वारा इस पंजीयन के लिये नियुक्त किये जाने वाले दूसरे सरकारी कर्मचारी द्वारा निरीक्षण और जांच के लिये खुले रहेंगे परन्तु, प्रत्येक अंग्रेजी माह में, एक बार, पंजियां और अभिलेख, जांच के लिये कारखाने में ले जाये जा सकेंगे और वहां पर, उस समय, जबकि खरीद-केन्द्र में गन्ने की खरीद न हो रही हो, एक बार में चौबीस घंटे तक रखेजा सकेगे ।
अध्याय में निर्दिष्ट पंजिया, अभिलेख, परचे आदि कारखाने के कब्जेदार या संबंधी उत्पादक सहकारी संस्था द्वारा उनमें दर्ज किये गये आखिरी लेनदेन की तारीख से दो वर्ष तक सुरक्षित रखे जायेंगे|
कारखाने का कब्जेदार, शक्कर के उत्पादन और बिक्री तथा गन्ने की खरीद संबंधी सही-सही प्रविवरण, ऐसे फार्म में, उस तारीख तक और ऐसे प्राधिकारी के समझ प्रस्तुत करेगा, जैसा भी गन्ना आयुक्त निर्देश दें|
कारखाने के कब्जेदार, प्रत्येक खरीद-केन्द्र के लिये, गन्ने की खरीद और गन्ने की कीमत तथा कमीशन के चुकान संबंधी संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित फार्म में रखेगा या रखवायेगा और प्रत्येक माह के संबंध में उसकी एक प्रति गन्ना आयुक्त को या किसी ऐसे प्राधिकारी को, जिसे गन्ना आयुक्त ने निर्दिष्ट किया हों, उस माह के बाद आने वाले दूसरे माह की 14 तारीख तक भेजेगा :-
(एक) --------- से------- तक की अवधि
(दो) खरीदे हुये गन्ने की मात्रा
(तीन) भाव
(चार) गन्ने की देय कीमत
(पांच) चुकाई गई कीमत
(छ:) आज तारीख तक देय बकाया कीमत
(सात) संस्थाओं को देय कमीशन
(आठ) परिषदों को देय कमीशन
(नौ) संस्थाओं को चुकाया गया कमीशन
(दस) परिषदों को चुकायागया कमीशन
(ग्यारह)आज तारीख तक का बकाया कमीशन
(बारह) देय गन्ना उपकर
(तेरह) चुकाया गया गन्ना उपकर
(चौदह) आज तारीख तक का चुकाया उपकर
गन्ना आयुक्त, आदेश द्वारा कारखाने के कब्जेदार, को उसे या किसी अन्य प्राधिकारी को, जो ऐसे आदेश द्वारा निर्दिष्ट किया गया हो, गन्ने के उत्पादन, पूर्ति और पेराई, शक्कर बनाने और उसकी लागत, बनाई गई, संग्रहीत तथा बाहर भेजी गई (इश्यूड) शक्कर की मात्रा तथा श्रेणी, और जिस मात्रा में ऐसी शक्कर बेची जाती है, के संबंध में जानकारी प्रस्तुत करने के लिये कह सकेगा ।
निम्न बातों की जांच गन्ना आयुक्त स्वयं कर सकेगा अथवा इस संबंध में उसके द्वारा यथाविधि प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा करवा सकेगा --
(क) शक्कर उत्पादन के लिये उपयोग में लाई गई, रखी गई अथवा धारण की गई (पजेस्ड) कोई भी मशीनरी
(ख) ऐसी पंजी, प्रविवरण, लेखे तथा दस्तावेज जो उसकी राय में शक्कर की वसूली की जाचं पड़ताल या किसी मशीनरी या उसके किसी भाग की क्षमता का अनुमान लगाने के लिये संगत हो|
गन्ना आयुक्त को या उसके द्वारा धारा 24 के अंतर्गत मनोनीत पंच (आर्बिट्रेटर) को शपथ दिलाने और समन्स भेजकर संबंधित पक्षों तथा साक्षियों को उपस्थित होने और विवादास्पद विषय संबंधी सभी पुस्तिकों तथा दस्तावेजों को पेश करने के लिये कहने की शक्ति होगी ।
(1) इन कार्यवाहियों में, गन्ना आयुक्त या उसके द्वारा धारा 24 के अंतर्गत मनोनीत पंच विवाद की सुनवाई की तारीख, समय और स्थान निश्चित करेगा तथा मामले को निपटाने के संबंध में आवश्यक पत्र व्यवहार आदि करेगा ।
(2) इन कार्यवाहियों में, समन्स तथा सूचनाओं को पंजीयित डाक द्वारा या किसी व्यक्ति द्वारा या संबंधित व्यक्ति के अन्तिम ज्ञात निवास-स्थान या उसे व्यापार के स्थान पर प्रतियों को चिपका कर तामील किया जायेगा ।
धारा 24 के अंतर्गत गन्ना आयुक्त द्वारा मनोनीत पंच मूलत: नियत समय के भीतर या गन्ना आयुक्त द्वारा बढ़ाये गये समय पर पंचाट देगा. यदि वह ऐसा न करें तो गन्ना आयुक्त स्वयं विवाद का निर्णय करेगा या इस उद्देश्य के लिये किसी दूसरे पंच को नियुक्त करेगा ।
परन्तु कोई भी पंचाट केवल इस आधार पर अवैध नहीं होगा कि वह गन्ना आयुक्त द्वारा नियत समय के निकल जाने के बाद दिया गया है ।
गन्ना आयुक्त लिखित आदेश द्वारा इन नियमों के अंतर्गत कारखाने के कब्जेदार या लायसेन्सदार को उसके विरूध्द लगाये गये दोषों का स्पष्टीकरण देने और अपने बचाव में साक्ष्य देने का अवसर प्रदान कर उसके पास जमा किसी भी प्रतिभूति को पूर्णत: या अंशत: जब्त कर सकेगा ।
जिस व्यक्ति की प्रतिभूति जब्त कर ली गई हो, वह आदेश प्राप्त होने की तारीख से 30 दिन के भीतर, नियम 106 के अंतर्गत उस आदेश के विरूध्द गन्ना आयुक्त को अपील कर सकेगा. उस अपील में दिया गया गन्ना आयुक्त का आदेश अन्तिम होगा ।
अपीली कलेक्टर या गन्ना आयुक्त, कारखाने के कब्जेदार अथवा लायसेन्सदार के दुराचरण से जिस व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचा हो, उसे जब्त प्रतिभूति में से मुआवजा देने का आदेश दे सकेगा ।
कलेक्टर अपने पास जमा प्रतिभूति को जब्त करके इस अधिनियम के अंतर्गत दिये गये पंच-निर्णय के अनुसार देय किसी भी रकम के चुकान का आदेश दे सकेगा।
100. राज्य, शासन, आदेश द्वारा किसी भी व्यक्ति को इन नियमों में सभी या किसी भी नियम के उस पर लागू होने से छूट दे सकेगा ।
(नियम 7)
मंडल की सभी बैठकों में सभापति सहित चार सदस्यों से गणपूर्ति (कोरम) होगी|
मंडल की पहली बैठक को छोड़, अन्य किसी भी बैठक में लाये जाने वाले संकल्प या प्रस्ताव की सूचना, मंडल के सचिव को उस बैठक की नियत तारीख से कम से कम आठ दिन पहले भेजी जायेगी ।
मण्डल का सचिव, बैठक की नियम तारीख के कम से कम चार दिन पूर्व, आपाती बैठक छोड़कर उस बैठक में की जाने वाली कार्यवाही की सूचना प्रत्येक सदस्य को भेजेगा ।
सभापति को सहमति के बिना, सदस्यों को भेजी गई कार्यसूची में दिये गये कार्यो को छोड़, अन्य कोई कार्य बैठक में नहीं किये जायेंगे ।
किसी भी प्रस्ताव या संशोधन पर बैठक में तब तक बहस नहीं होगी, जब तक कि उसे अनुमोदन प्राप्त न हो जाये ।
प्रत्येक प्रश्न का निर्णय, उपस्थिति सदस्यों के बहुमत द्वारा किया जायेगा. समान मत विभाजन की स्थिति में सभापति को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा ।
सभापति किसी भी औचित्य प्रश्न का एकमात्र निर्णायक होगा और आवश्यकतानुसार बैठक को भंग कर सकेगा अथवा उसे किसी दूसरे दिन के लिये स्थगित कर सकेगा ।
यदि किस बैठक में गणपूर्ति (कोरम) न हो, तो सभापति बैठक को किसी आगामी तारीख के लिये स्थगित कर देगा और उस स्थगित बैठक में गणपूर्ति की कोई आवश्यकता न होगी ।
इन नियमों में न दिये गये मामले में सभापति की व्यवस्थानुसार कार्यवाही की जायेगी ।
(नियम 14)
परिषद् की सभी बैठकें सभापति के अनुमोदन से परिषद सचिव द्वारा अधिसूचित स्थान में होंगी ।
परिषद् की बैठक की सूचना और उसकी कार्य-सूची उसके होने के कम से कम एक सप्ताह पूर्व परिषद् के सभी सदस्यों को दी जायेगी. परिषद् की बैठक में लाये जाने वाले संकल्प या प्रस्ताव की सूचना परिषद के सभापति को बैठक की तारीख से कम से कम दस दिन पूर्व दी जायेगी ।
परिषद् की सभी बैठकों की अध्यक्षता उसका सभापति करेगा. सभापति की अनुपस्थिति में उपस्थित सदस्य अपने में से किसी को सभापति चुनेंगे ।
परिषद् की बैठक में सभापति सहित एक तिहाई सदस्यों से गणपूर्ति (कोरम) होगी।
सभापति के अनुमोदन के बिना, कार्यसूची में दिए गए कार्यो को छोड़, अन्य कोई कार्य बैठक में नहीं किये जायेंगे ।
ऐसा प्रस्ताव या संशोधन जिसकी सूचना किसी सदस्य ने दे दी हो, सभापति की अनुमति से वापिस लिया जा सकेगा ।
प्रत्येक प्रश्न का निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत द्वारा किया जायेगा. समान मत विभाजन की स्थिति में सभापति की दूसरा या निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।
सभापति किसी भी औचित्य प्रश्न का एकमात्र निर्णायक होगा और किसी भी सदस्य से व्यवस्था बनाये रखने को कह सकेगा और आवश्यकतानुसार बैठक को भंग कर सकेगा अथवा उसे किसी दूसरे दिन के लिये स्थगित कर सकेगा ।
इन नियमों में न दिये गये मामले में सभापति की व्यवस्थानुसार कार्यवाही की जायेगी।
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स्रोत: कृषि विभाग भारत सरकार व मध्यप्रदेश सरकार।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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