कृषि उत्पादन वृद्धि में सिंचाई अत्यंत महत्वपूर्ण कारक है। मध्यप्रदेश में सिंचाई का रकबा, कुल बोवाई के रकबे का लगभग एक तिहाई है। वर्तमान में अधिकाधिक फसल उत्पादन की आवश्यकताओं को देखते हुए सिंचाई का क्षेत्र बढ़ाया जाना आवश्यक है। हाल ही के 4-5 वर्षों में शासन द्वारा सिंचाई प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयासों के कारण सिंचित क्षेत्रफल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विभाग द्वारा भी स्प्रिंकलर व ड्रिप सिंचाई पद्धति को प्रोत्साहित किया जाना सिंचाई जल की उपयोगिता में तथा बलराम ताल योजना, एवं जल संरक्षण के कार्य भू-जल संवर्धन में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। सिंचाई से संबंधित योजनाओं की जानकारी निम्नलिखित है।
कौन लाभान्वित होगा -
अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषक इस योजना के वास्तविक हितग्राही हैं। यद्यपि सामान्य वर्ग के किसानों को पृथक योजना के अंतर्गत अनुदान दिया जाता है। यह योजना सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में केवल शाजापुर, इन्दौर को छोड़कर प्रभावी है।
क्या लाभ मिलेगा-
सफल/असफल नलकूप खनन पर लागत का 75 प्रतिशत अधिकतम रू. 25,000-/ जो भी कम हो अनुदान दिया जाता है। सफल नलकूप पर पंप स्थापना हेतु लागत का 75 प्रतिशत अधिकतम रू. 15000/- जो भी कम हो अनुदान दिया जाता है।
योजना है
उपलब्ध सिंचाई जल का अधिकतम उपयोग कर कृषि उत्पादन में वृद्धि करना इस योजना का उद्देश्य है।
योजना का लाभ किसे मिलेगा-
समस्त वर्गों के कृषक जिनके पास स्वयं की भूमि हो इस योजना के हितग्राही है ।
क्या लाभ मिलता है-
स्प्रिंरकलर :- लागत का 80 प्रतिशत या अधिकतम राशि रू.12000/- प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो, अनुदान
ड्रिप सिंचाई :- लागत का 80 प्रतिशत या अधिकतम राशि रू.40000/- प्रति हेक्टेयर, जो भी कम हो,अनुदान ।
मोबाईल रेनगन :- लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम राशि रू.15000/- प्रति रेनगन, जो भी कम हो, अनुदान
योजना यह है -
सतही तथा भूमिगत जल की उपलब्धता को समृद्ध करना है।ये तालाब किसानों द्वारा स्वयं के खेतों पर बनाये जाते हैं, इनसे फसलों में जीवन रक्षक सिंचाई तो की ही जा सकती है किन्तु भू जल संवर्धन तथा समीप के कुओं और नलकूपों को चार्ज करने के लिये भी ये अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
किसे लाभ मिलेगा -
योजना सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में संचालित है जिसमें सभी वर्ग के पात्र किसानों को ताल निर्माण के लिये अनुदान दिया जाता है। योजना का लाभ चयनित कृषक केवल एक बार ही ले सकते हैं।
कैसे लाभ ले सकते हैं-
इच्छुक कृषकों द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को ताल बनाने हेतु दिये गये आवेदन के आधार पर उनका पंजीयन किया जाता है। ताल की तकनीकी स्वीकृति जिले के उप संचालक कृषि तथा प्रशासनिक स्वीकृति जिला पंचायत/जनपद पंचायत द्वारा प्रदाय की जाती है। अनुदान हेतु ताल निर्माण होने पर 'प्रथम आये-प्रथम पाये' के आधार पर वरीयता दी जाती है।
क्या लाभ मिलेगा-
बलराम ताल के निर्माण कार्य की प्रगति एवं मूल्यांकन के आधार पर पात्रतानुसार निम्न वित्तीय सहायता का प्रावधान है :-
अनुदान-
तकनीकी प्रसार के लिये उन्नतशील किसानों को परस्पर देख कर सीखने की प्रवृत्ति अधिक प्रभावी पाई गई है। अपने अनुभव और ज्ञान से उत्पादन बढ़ाने के लिये किसानों को अन्य उन्नतशील किसानों के प्रक्षेत्र पर, अनुसंधान केन्द्रों तथा राज्य के अंदर तथा राज्य के बाहर भी अध्ययन भ्रमण के अवसर दिये जाते हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी नीचे दी जा रही है।
मुख्यमंत्री विदेश अध्ययन यात्रा
योजना है-
किसानों को विकसित देशों में प्रचलित कृषि तकनीकों का प्रत्यक्ष अवलोकन कराने तथा प्रायोगिक जानकारी दिलवाने के लिये तकनीकी रूप से अग्रणी देशों में भेजा जाता है।
लाभ किसे और कितना-
सम्पूर्ण मध्यप्रदेश के सभी वर्ग के लघु एवं सीमांत कृषकों को विदेद्गा अध्ययन यात्रा में चयनित किये जाने पर कुल व्यय का 90 प्रतिशत, अ.ज.जा. एवं अ.जा. वर्ग के कृषकों को 75 प्रतिशत तथा अन्य कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान विभाग द्वारा दिया जाता है। विगत वर्ष में, इस यात्रा के विभिन्न दल उन्नत कृषि, उद्यानिकी, कृषि अभियांत्रिकी, पद्गाुपालन, मत्स्यपालन आदि के लिये प्रतिष्ठित तकनीकी का अध्ययन करने के लिये भेजे गये।
योजना क्या है ?
प्रगतिशील किसान नवीन कृषि शोध का प्रत्यक्ष अनुभव स्वयं लेकर, अन्य सम्पर्कित कृषकों तक उन्नत तकनीकों, को पहुँचाये, इस उद्देश्य से राज्य के अंदर अथवा अन्तर्राज्यीय शासकीय कृषि प्रक्षेत्र, कृषि विज्ञान केन्द्र, अनुसंधान केन्द्र एवं कृषि विश्वविद्यालय तथा जिले के किसानों के चयनित खेत तीर्थो पर भीं भ्रमण करवाया जाता है। इसके अलावा शासकीय एवं अर्धद्गाासकीय प्रक्षेत्रों को भी रबी, खरीफ तथा जायद फसलों के आदर्द्गा मॉडल प्रक्षेत्र विकसित करने के लिये सहायता दी जाती है।
योजना का लाभ किसे
योजनान्तर्गत किसानों को राज्य के बाहर तथा अपने प्रदेश में ही चयनित उन्नत कृषि केन्द्रों, प्रक्षेत्रों और कृषि विज्ञान केन्द्रों का भ्रमण करवाया जाता है तथा प्रगतिद्गाील किसानों के साथ विशेषज्ञों से मार्गदर्शन दिलवाया जाता है।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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