অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

गन्ना खेती की लागत को कम करने वाले उपकरण

परिचय

पिछले 52 वर्ष में भारत में औसतन खेती हेतु शक्ति की उपलब्धता में वर्ष 1960 – 61 में 0.30 किलोवाट प्रति हे. तथा वर्ष 2013 – 2014 में 2.02 किलोवाट प्रति हे. की दर से बढ़ोतरी हुई है। साथ ही साथ खाद्यान्नों की पैदावार भी 0.71 टन/हे. से 2.11 टन/हे. बढ़ी है। वर्षों बाद खेती में अब यांत्रिक व विद्युत शक्ति चालित स्रोतों का प्रचलन काफी बढ़ा है और इनकी हिस्सेदारी 1960 – 61 में 7.70 प्रतिशत से 2013 – 14 में 88.20 प्रतिशत बढ़ी है। हस्त व पशुचालित शक्ति स्रोतों की हिस्सेदारी बढ़ी है। 1960 – 61 के 92.30 प्रतिशत से 2013 – 14  में 11.80 प्रतिशत घटी है। कई प्रदेशों में आज भी यांत्रिकीकरण नहीं के बराबर है और प्रति हे. शक्ति की उपलब्धता लगभग 0.6 – 0.7 किलोवाट है। ऐसे क्षेत्रों में खेती के लगभग सभी कार्य हस्त व पशु शक्ति द्वारा किये गये जाते हैं जबकि पंजाब व हरियाणा में ज्यादातर कार्य यांत्रिक शक्ति द्वारा किये जाते हैं। वहां प्रति हे. शक्ति की उपलब्धता लगभग 2.6 – 2.8 किलोवाट है।

देश में गन्ना एक नकदी फसल के तौर पर लगभग 50.9 लाख हे. से अधिक क्षेत्रफल में लगाया जाता है, जिसमें से लगभग 30.54 लाख हे. की बुआई उपोष्ण एवं 20.36 लाख हे. ऊष्ण जलवायु वाले क्षेत्रों में होती है। गन्ने की खेती हेतु विभिन्न सस्य क्रियाओं जैसे खेत की तैयारी, गन्ने की बुआई, निराई – गुड़ाई एवं कटाई आदि का समय पर निष्पादन  करना होता, जिसमें लगभग 350 – 400 श्रमिक – दिवस की आवश्यकता प्रति हे. होती है (सारणी – 1) यह अन्य फसलों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। गन्ने में निराई गुड़ाई, कटाई एवं बोने के लिए अधिकतम श्रमिकों उपलब्धता की कमी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और समय पर कार्य नहीं हो पा रहा है, जिससे गन्ने की पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। वर्तमान कृषि कार्यों में पशुओं की संख्या कम होती जा रही है, इसके कारण ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्रों का प्रचलन बढ़ रहा है यंत्रीकरण के माध्यम से गन्ने की सभी सस्य क्रियाएँ जैसे खेत की तैयारी, गन्ने की बुआई, निराई – गुड़ाई एवं पेड़ी प्रबंधन समय से एवं कम लागत में की जा सकती है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के लखनऊ स्थित भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान ने गन्ने की विभिन्न सस्य क्रियाओं हेतु यंत्रों का विकास किया है।

खेत की तैयारी

खेत की तैयारी हेतु मिटटी पलटने वाला हल, कल्टीवेटर, डिस्क हैरी एवं पटेल तथा लेवलर का उपयोग वांछनीय है। खेत की तैयारी हेतु रोटावेटर का प्रचलन तीव्र गति से बढ़ रहा है। संस्थान द्वारा खेत की तैयारी व पाटा लगाने हेतु कल्टी हैरो का विकास किया है। इसके  द्वारा कल्टीवेटर व हैरो का कार्य एक साथ होता है। इसकी कार्यक्षमता 0.3 हे./घंटा है तथा पारंपारिक विधि की तुलना में इसके प्रयोग से प्रति हे. 4 – 8 लीटर डीजल एवं 1.5 – 2.0 घंटे समय की बचत होती है।

गन्ने की बुआई

गन्ने की बुआई में विभिन्न क्रियाएँ हैं जैसे कि गन्ने के बीज के टुकड़े काटना, कूंड बनाना, गन्ने के टुकड़ों को कूंड में डालना, खाद व दवा डालना तथा बीज को मिट्टी से ढकना। इन सभी कार्यों को एक साथ सम्पादित करने हेतु भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ द्वारा विभिन्न प्रकार की ट्रैक्टरचालित गन्ना बुआई मशीनें जैसे कि दो व तीन पंक्तियों वाली, जोड़ी पंक्तियों वाली, गहरी नाली में बुआई करने वाला प्लांटर व ट्रेंच प्लांटर विकसित की गई हैं। इन मशीनों द्वारा 4 – 5 व्यक्तियों की सहायता से 4 – 6 घंटे में एक हे. खेत की बुआई की जा सकती है, जबकि परंपरागत विधि से बुआई की तुलना में मशीन द्वारा लगभग श्रमिकों की जरूरत व समय में 90 प्रतिशत तथा कार्य की लागत में 50 – 60 प्रतिशत बचत होती है। इसके साथ – साथ 10 से 12 प्रतिशत फसल की उपज में भी बढ़ोतरी होती है। मशीन के इन सब फायदों को देखते हुए आजकल किसानों के बीच गन्ने की बुआई मशीनों (कटर प्लांटर) का प्रचलन बढ़ रहा है।

गन्ने की खेती को अधिक लाभकारी बनाने हेतु गन्ने के साथ दो पंक्तियों की मध्य दूरी में अल्पकालिक फसलों जैसे आलू, गेहूं, दलहनी व तिलहनी फसलों की बुआई के लिए भी संस्थान द्वारा मशीन विकसित की गई है। इनमें गन्ना – आलू सहफसली बुआई मशीन, ट्रेंच प्लांटर कम बहुफसलीय सीडर, प्लांटर कम रेज्ड बैड बहुफसलीय सीडर प्रमुख हिंम जिनके प्रयोग से किसान गन्ने के साथ अन्य अल्पकालिक फसल लेकर लाभ अर्जित कर सकते हैं।

निराई – गुड़ाई

गन्ने में निराई – गुड़ाई करने के लिए ट्रैक्टर चालित टाईन टाइप वाले कल्टीवेटर का प्रयोग किया जाता है। स्वीप शावेल वाले कल्टीवेटर का प्रयोग किया जाता है। स्वीप शावेल वावाले कल्टीवेटर गुड़ाई कार्य गुणवत्ता को बढ़ा देते हैं।

आजकल डीजल व पेट्रोल इंजन चालित पावर वीडर व पावर टिलर का गन्ने में निराई – गुड़ाई करने में प्रयोग लाभदायक है तथा ये बाजार में उपलब्ध हैं। इन यंत्रों की क्षमता  लगभग 0.06 – 0.08 हे. प्रति घंटा है तथा इनके प्रयोग से 50 – 60 प्रतिशत श्रम व लागत की बचत होती है।

सारणी – 1 गन्ने की खेती में विभिन्न क्रियाएं तथा श्रमिकों की जरूरत

क्रियाएं

औसतन श्रमिकों की जरूरत, श्रमिक – दिवस/हे.

खेत की तैयारी

30

बुआई

35

निराई – गुड़ाई

100

सिंचाई

20

खाद व दवा

10

कटाई, ट्रैश निकालने

150

परिवहन व ढुलाई आदि

30

 

पेड़ी प्रबंधन यंत्र

गन्ने की अच्छी पेड़ी लेने के लिए आवश्यक है कि गन्ने के ठूंठ को जमीन की सतह से काटा जाये। संस्थान द्वारा ट्रैक्टर चालित तवेदार पेड़ी  प्रबंधन यंत्र (एक पंक्ति) विकसित गया है। इसकी मदद से ट्रेंच प्लांटर द्वारा बुआई की गई फसल की ठूंठ कटाई, साइड की जड़ों की कटाई एवं उचित मात्रा में खाद गिराने का कार्य एक साथ सम्पादित किया जा सकता है। इस यंत्र की कार्य क्षमता 0.30 – 0.35 हे. प्रति घंटा है। इसके प्रयोग से कार्य लागत में पारंपरिक तरीके की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत की बचत होती है। इसके साथ – साथ 12 से 15 प्रतिशत फसल की उपज में भी बढ़ोतरी होती है। तवेदार पेड़ी प्रबंधन यंत्र (दो पंक्ति) वाली मशीन भी विकसित की गई, जो कि 75 व 90 सें. मी. की डोरदूरी पर लगाईं गई फसल के लिए उपयोगी है।

 

इन सभी यंत्रों की उपलब्धता एवं अन्य जानकारियों हेतु निदेशक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ से सम्पर्क किया जा सकता है।

मशीनीकरण का लाभ

  • बीज की मात्रा में बचत – 15 – 20 प्रतिशत
  • खाद की मात्रा में बचत - 15 – 20  प्रतिशत
  • सस्य सघनता में वृद्धि – 5 – 20 प्रतिशत
  • उत्पादकता में वृद्धि – 10 – 15 प्रतिशत
  • समय की बचत – 20 – 30 प्रतिशत
  • श्रम की बचत – 20 – 80 प्रतिशत

 

लेखन: सुखबीर सिंह और अखिलेश कुमार सिंह

स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate