श्री ईलम दीन, गाँव अलोह जिला उना, हिमाचल प्रदेश ने कर्नल स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
प्रशिक्षण उपरान्त सीखी गई पशुपालन सम्बन्धित वैज्ञानिक तकनीकियों को अपनने के उपरान्त श्री ईलम दीन में अपने दुधारू पशुओं की सेहत में सुधार और दूध में बढ़ोतरी पाई। उनके अनुसार जो भैंस उनके घर में प्रशिक्षण से पहले रखी गई पारंपरिक विधि में 6 लीटर दूध प्रतिदिन देती थी वह अब 9 लीटर तक दूध दे रही है।
श्री ईलम दीन पहले गाय नहीं पालते थे। प्रशिक्षण उपरांत उसने एक देशी तथा संकर नस्ल की गया भी रखी है। इन सबके चलते उन्होंने बताया कि उनके यहाँ दूध की बढ़ोतरी के कारण आय में वृद्धि हुई है। जहाँ श्री ईलम दीन के पास पहले 2 दुधारू पशु तह अब उसके पास 6 पशु हैं।
श्री ईलम दीन को प्रशिक्षण में जैविक खाद बनाने की सलाह दी गई थी और उनके पास अब केंचुए से जैविक खाद बनाने का यूनिट भी हैं जिससे खाद बेचकर वह लाभ ले रहा है।
श्री ईलम दीन ने अलोह गांग में जनवरी, 2006 में एक गुज्जर मिल्क युसर ग्रुप की स्थापना भी की है जिससे दुग्ध उत्पादक समूह के संगठन में सदस्यों के साथ उन्होंने प्रशिक्षण में सीखे ज्ञान एवं कौशलता को साँझा किया है और उनके अनुसार यह सदस्य भी पशुपालन का अच्छा काम कर रहे हैं। ऊनां के विभिन्न गाँवों के अन्य पशुपालकों को इस वर्ष 27-29 मार्च,2006 को वैज्ञानिक पद्धति से पशुपालन में प्रशिक्षण दिया गया जिसमें श्री ईलम दीन ने और नवीनतम डेरी तकनीकियों को सीखने के लिए फिर भाग लिया।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखण्ड सरकार
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