ग्राम समुदाय के लिए आय के सतत स्रोत सृजित करने हेतु सिंचाई, वृक्षारोपण जिसमें बागवानी तथा पुष्पकृषि शामिल हैं, चरागाह विकास, मत्स्य पालन आदि के प्रयोजनों के लिए तथा पेयजल आपूर्ति के लिए वर्षा जल की प्रत्येक बूँद का संग्रह करना है|
ग्राम पंचायतों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना तथा वर्षा जल के संचयन तथा प्रबंधन के द्वारा पंचायतों के लिए आय के नियमित स्रोत सृजित करना|
भूमि संसाधन विभाग के क्षेत्र विकास कार्यक्रमों नामतः समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम (आई. डब्ल्यू. डी. पी.), सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डी.पी.ए.पी) तथा मरुभूमि विकास कार्यक्रम (डी.डी.पी) के अंतर्गत जल संग्रहण (वाटरशेड) परियोजनाओं कें कार्यान्वयन में ग्रामीण समुदायों को शामिल करने के लिए “जल संग्रहण विकास संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांत” 1.4.1995 से लागू किये गए थे| तत्पश्चात इन्हें अगस्त, 2001 से संशोधित किया गया| प्रक्रियाओं को और सरल बनाने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास संबंधी कार्यकलापों की आयोजन, कार्यान्वयन तथा प्रबंधन में पंचायती राज संस्थाओं को अधिक सार्थक रूप से शामिल करने के उद्देश्य से इन नए मार्गदर्शी सद्धांतों, जिन्हें हरियाली के लिए मार्गदर्शी सिद्धांत कहा गया है, को जारी किया जा रहा है|
उपरोक्त सभी क्षेत्र विकास कार्यक्रमों के अंतर्गत नई परियोजनाओं को 1.4.2003 से हरियाली के लिए मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार कार्यान्वित किया जाएगा| सूखा प्रवण क्षेत्र कार्यक्रम (डी.पी.ए.पी.) तथा मरूभूमि विकास कार्यक्रम (डी.डी.पी.) के अंतर्गत परियोजनाएँ सम्बन्धित कार्यक्रम के अंतर्गत चयनित विकास खण्डों में कार्यान्वित की जाएंगी और समेकित बंजर भूमि विकास कार्यक्रम (आई.डब्ल्यू.डी.पी.) के अंतर्गत परियोजनाएँ सामान्यता: शेष विकास खण्डों में कार्यान्वित की जाएंगी| इस तिथि से पूर्व स्वीकृत की गई परियोजनाएँ वर्ष 2001 के मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार ही कार्यान्वित की जाती रहेंगी|
हरियाली के अंतर्गत परियोजनाओं के उद्देश्य निम्नानुसार होंगे|
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन, गरीबी उपशमन, सामुदायिक अधिकार सम्पन्नता तथा आर्थिक संसाधनों का विकास|
ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए फसलों, मानव और पशुधन पर सूखे और मरूस्थलीयकरण जैसी भीषण जलवायु स्थितियों के प्रतिकूल प्रभावों को कम करना |
भूमि, जल वनस्पतिक आच्छादन विशेषरूप से बागान आदि जैसे प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, संरक्षण और विकास के द्वारा पारिस्थितिकीय संतुलन को पुन: कायम करना|
जल संग्रहण, सरल और सस्ते तकनीकी उपायों तथा संस्थागत व्यवस्थाओं, जिन्हें स्थानीय तौर पर उपलब्ध तकनीकी ज्ञान और उपलब्ध सामग्री के आधार पर उपयोग में लाया आ सके और तैयार किया जा सके और तैयार किया जा सके, के उपयोग को बढ़ावा देना|
भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग द्वारा परियोजनाएँ पहले से चल रही प्रक्रिया के अनुसार स्वीकृति की जाएंगी| विभाग, समय – समय पर इस प्रक्रिया को संशोधित कर सकता है अथवा इसमें ढील दे सकते है| इन मार्गदर्शी सद्धांतों के किसी उपबंध की व्याख्या के मामले में भूमि संसाधन विभाग का निर्णय अंतिम होगा| भूमि संसाधन विभाग, विशेष समस्याग्रस्त क्षेत्रों जैसे अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों, भु-स्खलन वाले क्षेत्रों, 30 डिग्री से अधिक ऊँचाई वाले ढलानों में अथवा अथवा किसी भी अन्य विनिद्रिष्ट तकनीकी कारण से बंजर भूमि के विकास के लिए विशिष्ट परियोजनाएँ स्वीकृत कर सकता है| ऐसी परियोजनाओं के संबंध में यह जरूरी नहीं है कि इन्हें सभागिता आधार पर ही कार्यान्वित किया जाए| इन्हें गहन उपचार विशिष्ट विभागीय पद्धति के जरिए भी कार्यान्वित किया जा सकता है|
जल संग्रहण क्षेत्रों (वाटरशेडों) के चयन में साधारणतया निम्नलिखित मानदंडों को उपयोग में लाया जाएगा :-
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जिनके विकास के लिए तथा सृजित परिसम्पत्तियों के संचालन व अनुरक्षण के लिए श्रम, नकदी, समग्री, आदि के रूप में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जिनके विकास के लिए तथा सृजित परिसम्पत्तियों के संचालन व अनुरक्षण के लिए श्रम, नकदी, सामग्री, आदि के रूप में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जहाँ पर पेयजल की अत्यधिक कमी हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जिनमें अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की बड़ी संख्या उन पर निर्भर हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जिसमें सार्वजनिक भूमि की अधिकता हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जिसमें वनेतर बंजरभूमि/अवक्रमित भूमि की अधिकता हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जहाँ पर वस्तविक मजदूरी की दर न्यूनतम मजदूरी की दर से काफी कम हो|
ऐसे जल संग्रहण क्षेत्र जो पहले विकसित/उपचार किए गए अन्य जल संग्रहण क्षेत्र से सटे हों|
जल संग्रहण क्षेत्र का औसतन आकार 500 हैक्टेयर का होना चाहिए और उसमें अधिकमन्यता: सम्पूर्ण गांव की भूमि शामिल होनी चाहिए| परन्तु यदि वस्तविक तौर पर सर्वेक्षण करने पर जल संग्रहण के लिए उक्त क्षेत्र में कमी या अधिकता पायी जाती है, तो पूरे क्षेत्र को ही परियोजना के रूप में विकसित करने हेतु हाथ में लिया जाए|
यदि किसी जल संग्रहण क्षेत्र (वाटरशेड) में दो या अधिक गांवों की भूमि शामिल हो तो इसे उन गांवों तक परिसीमित गाँव-वार उप जल संग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया जाना चाहिए| इस बात ध्यान रखा जाना चाहिए कि सभी जल संग्रहण को एक साथ विकसित किया जाए|
कुछ जल संग्रहण क्षेत्रों में निजी स्वामित्व वाली कृषि योग्य भूमि के अलावा राज्य वन विभाग के स्वमित्व वाली वनभूमि भी शामिल हो सकती है| चूंकि प्राकृतिक रूप से किसी भी जल संग्रहण क्षेत्र के विकास के लिए वन भूमि तथा वनेतर भूमि बीच कृत्रिम सीमा- रेखा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, अत: सम्पूर्ण जल संग्रहण क्षेत्र को समेकित आधार पर विकसित किया जाना होता है| यद्यपि, जल संग्रहण क्षेत्र के चयन के लिए मानदंड में मुख्यतया वनेतर बंजरभूमि को ही प्राथमिकता दी गई है, तथापि जल संग्रहण क्षेत्रों में शामिल वन भूमि को नीचे दिए गए मन दण्डों के अनुसार विकसित किया जाएगा|
संबंधित वन मंडल अधिकारी द्वारा विकासात्मक योजनाओं की तकनीकी स्वीकृति दी जानी चाहिए|
जहाँ तक संभव जो विकासात्मक योजनाओं का कार्यान्वयन ग्राम पंचायत के घनिष्ठ समन्वय के साथ ग्राम वन समितिओं द्वारा किया जाना चाहिए|
वन क्षेत्रों के लिए (लघु (माइक्रो) जल संग्रहण विकास योजना वन संरक्षण अधिनियम तथा क्षेत्र के लिए अनुमोदित कार्य योजना के अनुरूप होनी चाहिए|
जहाँ पर जल संग्रहण क्षेत्र का बड़ा भाग वनभूमि के रूप में हो वहाँ पर जिला स्तर पर वं विभाग को परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में विकास कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए|
जहाँ कहीं भी जल संग्रहण क्षेत्र के अंतर्गत वनभूमि शामिल हो वहाँ वन विभाग के एक अधिकारी को जल संग्रहण विकास दल के सदस्य के रूप में अवश्य ही शामिल किया जाना चाहिए|
परियोजना की स्वीकृति की तारीख सभी प्रयोजनों के लिए परियोजना आरंभ करने की तारीख सभी परियोजना इसकी स्वीकृति की तारीख से पांच वर्षो की अवधि में कार्यान्वित की जाएगी|
इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के अंतर्गत परियोजनाएं भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार के अनुमोदन से राज्य सरकार या राज्य साकार के किसी विभाग अथवा केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या राज्य सरकार के किसी स्वायतशासी अभिकरण के जरिए कार्यान्वित की जा सकती हैं|
जिला स्तर पर जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण राज्य सरकार तथा भारत सरकार के पर्यवेक्षण तथा मार्गदर्शन के अंतर्गत सभी क्षेत्र विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए केन्द्रक (नॉडल) प्राधिकरण होगा| यह केन्द्रक प्राधिकरण जल संग्रहण क्षेत्रों के चयन, परियोजना कार्यान्वयन अभिकरणों की नियुक्ति को अनुमोदित करेगा तथा परियोजनाओं की कार्य योजना/विकास योजना आदि को भी अनुमोदित करेगा| जिला परिषद का मुख्य कार्यपालक अधिकारी/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण का परियोजना निदेशक जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लेखों का हिसाब रखेगा और उपयोग प्रमाण – पत्रों, लेखों के लेखा परीक्षित विवरणों, प्रगति रिपोर्टों, बंध पत्रों आदि जैसे सभी सांविधिक कागजात पर हस्ताक्षर करेगा|
यदि परियोजना का कार्यान्वयन उचित रूप से नहीं किया जाता है या निधियों का दुरूपयोग किया जाता है या निधियों का दुरूपयोग किया जाता है अथवा निधियों को इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार खर्च नहीं किया जाता है तो जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को किसी भी संस्था/संगठन/व्यक्ति से निधियां वसूल करने तथा कानून के तहत उपयुक्त कार्रवाई का अधिकार प्राप्त होगा|
ग्राम पंचायतें परियोजना कार्यान्वयन अभिकरणों (पी.आई.ए.) के समग्र पर्यवेक्षण तथा मार्गदर्शन के अंतर्गत परियोजनाएँ कार्यान्वित करेंगी| किसी एक ब्लॉक/तालुक के लिए स्वीकृत की गई सभी परियोजनाओं के लिए विकास खंड पंचायत परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण हो सकती है| यदि ये पंचायतें इस स्थिति में नहीं हों तो जिला परिषद स्वयं परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में कार्य कर सकती है या किसी उपयुक्त समनुरूप विभाग जैसे कृषि, वानिकी/सामजिक वानिकी, अभिकरण/विश्वविद्यालय/ संस्थान को परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में नियुक्त कर सकती है| इन विकल्पों के उपलब्ध नहीं होने पर जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जल संग्रहण परियोजनाओं के कार्यान्वयन में अथवा संबंधित क्षेत्र विकास कार्यों को करने में पर्याप्त अनुभव और विशेषज्ञता रखने वाले जिले के किसी प्रतिष्ठित गैर सकरी संगठन को, इसकी विश्वनीयता कि पूरी तरह जाँच करने के पश्चात परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में नियुक्त करने पर विचार सकता है| तथापि, राज्य सरकारों को पंचायती राज संस्थाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने तथा उन्हें सक्षम बनाने का प्रयास करना चाहिए ताकि के उत्तरदायित्व का निर्वाह करने की स्थिति में हो सकें| किसी गैर – सरकारी संगठन-परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को सामान्यत: 5000-6000 हैक्टेयर क्षेत्रफल की 10-12 जल संग्रहण विकास परियोजनाएँ सौंपी जाएंगी| तथापि, अपवादात्मक तथा उचित मामलों में किसी एक गैर –सरकारी संगठन-परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को एक जिले में एक जैसे स्वरूप के सभी कार्यक्रमों में चालू परियोजनाओं सहित एक समय पर अधिकतम 12000 हैक्टेयर क्षेत्र तथा राज्य में अधिकतम 25000 हैक्टेयर क्षेत्र को विकसित करने का कार्य सौंपा जा सकता है|
कोई भी गैर सरकारी संगठन परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में चयन किए जाने के लिए तभी पात्र होगा यदि वह जल संग्रहण के विकास के क्षेत्र में अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में किन्हीं समनुरूप क्षेत्र विकास कार्यकलापों में कुछ वर्षों से सक्रिय रूप से कार्यरत हो| जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा परयोजना कार्यान्वयन अभिअक्र्ण के रूप में किसी संस्था द्वारा उपयोग में लाई गई निधियों की मात्रा को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए| कपार्ट अथवा राज्य सरकार एवं भारत सरकार के आय विभागों द्वारा काली सूची में रखे गए गैर- सरकारी संगठनों को परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण के रूप में नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए|
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण (पी.आई.ए.) ग्राम पंचायत को ग्रामीण सभागिता मूल्यांकन प्रक्रिया के जरिए जल संग्रहण हेतु विकास योजनाएँ तैयार करने के लिए आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन उपलब्ध कराएगा| ग्राम समुदायों को संगठित करने और उन्हें प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करने, जल संग्रहण विकास कार्यकलापों का पर्यवेक्षण करने, कम लागत वाली तथा स्वदेशी तकनीकी जानकारी के आधार पर तैयार प्रौद्योगिकियों को अपनाने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करने का दायित्व भी परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण का ही होगा| इसके अलावा, परियोजना के समग्र कार्यान्वयन की निगरानी और समीक्षा करने तथा परियोजना अवधि के दौरान सृजित परिसम्पत्तियों के परियोजना पूरी होने के पश्चात् संचालन तथा रख-रखाव एवं इनका आगे और विकास के लिए संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने का उत्तरदायित्व भी परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण का ही होगा|
जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण सामान्यत: जल संग्रहण विकास कार्यक्रमों के तहत परियोजनाएँ आरंभ करने के लिए परियोजना आरंभ करने के लिए परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण की उपयुक्तता या उसकी अनुपयुक्त्ता के संबंध में निर्णय लेने के लिए सक्षम प्राधिकरण होगा| तथापि, राज्य सरकार किसी भी परियोजना में परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को विशिष्ट कारणों के आधार पर भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार की पूर्व सहमति से बदलने पर विचार कर सकती है|
प्रत्येक परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण, अपने कर्त्तव्यों को “जल संग्रहण विकास दल (डब्ल्यू. डी.टी.) नामक एक बहूआयामी दल के जरिए पूरा करेगा| प्रत्येक जल संग्रहण विकास दल में म से कम चार सदस्य होने चाहिए जिनमें वानिकी/पादप विज्ञान, पशु विज्ञान, सिविल/कृषि इंजीनियरी एवं सामाजिक विज्ञान के विषयों से एक – एक सदस्य होगा| जल संग्रहण विकास दल में कम से कम एक सदस्य के लिए अधिमान्य योग्यता एक व्यवसायिक डिग्री होनी चाहिए| तथापि, अभ्यर्थी के संबंधित विषय में व्यवहारिक तौर पर क्षेत्र अनुभव को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त मामलों में जिला परिषद/जिला ग्रामीण अभिकरण द्वारा अहर्ता में छूट दी जा सकती है जल संग्रहण विकास कल के एक सदस्य को परियोजना प्रमुख के रूप में पदनामित किया जाएगा| परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को इस बात की स्वत्रंता होगी कि यदि वह चाहे तो इस कार्य की लिए पूर्णतया अपने कर्मचारियों को लगा सकता है अथवा सेवा निवृत कार्मिकों सहित ने अभ्यर्थियों को भर्ती कर सकता है अथवा सरकार या अन्य संगठनों से कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति आधार पर ले सकते है| जल संग्रहण विकास दल का कार्यालय सामान्यता परियोजना कार्यान्वयन अभिकरणों के परिसर/ब्लॉक मुख्यालयों के स्थान पर/ चयनित गांवों के समूह के निकट स्थित किसी अन्य नगर में स्थित होगा| जल संग्रहण विकास दल के सदस्यों को मानदेय अनुबंध- I में दिए अनुसार प्रशासनिक लागत में से अदा किया जाएगा|
चयन किए गए परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण, विशेषरूप से समनुरूप विभागों जैसे कृषि, भूमि संरक्षण, वानिकी आदि के मामले में, विशेषज्ञता से संबंधित कुछेक कार्यकलापों पर अत्याधिक जोर देने की प्रवृति से बचने की दृष्टि से जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिला और ब्लॉक स्तरों पर विभिन्न समनुरूप विभागों से उस विषय के विशेषज्ञों को योजनाएँ तैयार करने में शामिल किया जाए|
ग्राम पंचायतें परियोजनाओं के सभी कार्यों को ग्राम सभा के मार्गदर्शन तथा नियंत्रण के तहत कार्यान्वित करेंगी| जिन राज्यों में वार्ड सभाएं (पल्ली सभाएं आदि) हैं और विकसित किया जाने वाला क्षेत्र उस वार्ड के अंतर्गत आता है, वहाँ पर वार्ड सभा (पल्ली सभा) भी ग्राम सभा के कर्त्तव्यों का निर्वाह कर सकती है|
छठी अनुसूची में शामिल क्षेत्रों, जहाँ ग्राम पंचायतों के स्थान पर पारम्परिक ग्राम परिषदें कार्य करती हैं, वहाँ पर इन परिषदें को ग्राम पंचायतें/ग्राम सभाओं के उत्तरदायित्व सौंपे जा सकते हैं| उन मामलों में जहाँ पर न तो ग्राम पंचायत है और न ही पारम्परिक ग्राम परिषद है, वहाँ पर जल संग्रहण मार्गदर्शी सिद्धांतों (2001) के मौजूदा उपबन्ध लागू होंगे|
ग्राम पंचायत परियोजना के निर्विध्न कार्यान्वयन के लिए जल संग्रहण विकास डाल तथा जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के साथ समन्यव तथा संपर्क बनाए रखने के लिए उत्तरदायी होगी| यह जल संग्रहण विकास कार्यो को करने तथा इसके लिए भुगतान करने हेतु स्वयं उत्तरदायी होगी|
ग्राम पंचायत जल संग्रहण परियोजना के लिए एक अलग खाता रखेगी| जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण से परियोजना के लिए प्राप्त सभी धन राशि को इस खाते में जमा किया जाएगा| इस खाते का संचालन ग्राम पंचायत सचिव तथा ग्राम पंचायत अध्यक्ष द्वारा ग्राम सभा की बैठकें आयोजित करने के लिए उत्तरदायी होगा| वह परियोजना संबंधी कार्यकलापों के सभी अभिलेखों तथा लेखाओं को रखेगा| यदि आवश्यक हो तो ग्राम पंचायत जल संग्रहण परियोजना की कार्य योजना/विकास योजना के अनुसार कार्यकलापों को कार्यान्वित करने में सचिव, ग्राम पंचायत को सहायता देने के लिए दो या तीन स्वयंसेवकों को नियुक्त कर कसित है| स्वयं सेवकों को मानदेय अनुबंध – I में दिए गए के अनुसार दिया जाएगा|
ग्राम सभा जल संग्रहण विकास की आयोजन को अनुमोदित करने/इसमें सूचार करने, इसकी प्रगति की निगरानी तथा समीक्षा करने, लेखों के विवरण को अनुमोदित करने, प्रयोक्ता समूहों/स्व-सहायता समूहों को गठित करने, के सदस्यों के बीच के मतभेदों/विवादों का का निपटान करने, सार्वजनिक/स्वैच्छिक दान लेने तथा समुदाय तथा निजी सदस्यों से अंशदान को एकत्रित करने की व्यवस्था को अनुमोदित करने, सृजित की गई परिसम्पतियों के संचालन तथा अनुरक्षण के लिए प्रक्रिया निर्धारित करने तथा उन कार्यों को अनुमोदित कने के लिए जिन्हें जल संग्रहण विकास कोष में उपलब्ध धन से कार्यान्वित किया जा सकता है, वर्ष में कम से दो बैठकें आयोजित करेगी|
ग्राम पंचायत जल संग्रहण क्षेत्र में जल संग्रहण विकास दल की सहायता से भूमिहीन/सम्पत्तिहीन गरीबों, कृषि श्रमिकों, महिलाओं चरवाहों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों तथा इस प्रकार के अन्य लोगों में से स्व-सहायता समूह गठित करेगी| ये समूह एक सामान पहचान और हित रखने वाले होंगे जो अपनी आजीविका के लिए जल संग्रहण क्षेत्र पर निर्भर हैं| महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों आदि के लिए अलग से स्व- सहायता समूह गठित किए जाने चाहिए|
ग्राम पंचायत जल संग्रहण क्षेत्र में जल संग्रहण विकास दल की सहायता से प्रयोक्ता समूह भी गठित करेगी| ये समूह एक समान समूह होंगे और इनमें वे लोग शामिल होंगे जो जल संग्रहण संबंधी प्रत्येक कार्य/गतिविधि से प्रभावित होते हैं तथा इनमें वे लोग भी शामिल होंगे जो जल संग्रहण क्षेत्रों में भूमि रखते हैं| प्रत्येक प्रयोक्ता समूह में ऐसे भूमिधारी शामिल होंगे जिन्हें विशेष जल संग्रहण कार्य या गतिविधि से प्रत्येक्ष लाभ होने की संभवना हो| प्रयोक्ता समूह परियोजना के तहत सृजित सभी परिसम्पत्तियों के संचालन तथा अनुरक्षण के लिए उत्तरदायी होंगे, जिनसे वे प्रत्येक्ष या अप्रत्येक्ष रूप से व्यक्तिगत तौर पर लाभ प्राप्त करते हैं|
वन रक्षक
सार्वजनिक/सामुदायिक/ पंचायत की भूमि पर किए गए वृक्षारोपण की देखभाल करने के लिए ग्राम पंचायतें गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे परिवारों से स्थानीय बेरोजगार युवकों को मानदेय के आधार पर “वन रक्षक” के रूप में कार्य पर लगा सकती हैं, जिन्हें मानदेय का भुगतान अनुबंध – I निर्धारित किए गए अनुसार प्रशासनिक लागत में से किया जाएगा| वन रक्षकों तथा स्वंय सेवकों को ग्राम पंचायत/परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण/ जिला परिषद/राज्य सरकार/भारत सरकार का कर्मचारी नहीं माना जाएगा| पौधों की उत्तरजीविता दर को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायत वन रक्षकों के मानदेय को बढ़ा या कम कर सकती है| ग्राम पंचायतें इन वन रक्षकों के लिए भोगाधिकारों को भी सुनिश्चित करेंगी|
सामुदायिक संघटन तथा प्रशिक्षण
जल संग्रहण परियोजनाओं में विकास कार्य आरंभ करने हेतु सामुदायिक संघटन तथा प्रशिक्षण पूर्व अपेक्षाएं हैं| जिला, ब्लॉक तथा गाँव स्तर पर सभी संबंधित कार्यकर्त्ताओं तथा चुने गए प्रतिनिधियों को, उनके डरा अपने उत्तरदायित्वों को ग्रहण किए जाए जाने से पूर्व जल संग्रहण परियोजना प्रबंधन के संबंध में उन्हें पहले से ही सुग्रह्या बनाने तथा पूर्णतया जानकारी देने हेतु प्रशिक्षण किउअ जाना चाहिए| यदि जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण/समनुरूप विभाग/ परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण है तो वह सामुदायिक संघटन तथा प्रशिक्षण के कार्य में गैर-सरकारी संगठनों को शामिल कर सकता है| इसके लिए जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जू स्वीकृति ली जानी चाहिए|
जल संग्रहण विकास संबंधी कार्यकलाप
जल संग्रहण क्षेत्रों के बुनियादी स्तर पर (बेंच मार्क) सर्वेक्षण से और विस्तृत ग्रामणी सह्भागिकता मूल्यांकन से प्राप्त हुए सूचना के आधार पर, कार्य योजना/जल संग्रहण विकास योजना तैयार करने के लिए ग्राम सभा/वार्ड सभा की बैठक आयोजित की जाएगी| सामान्य विचार-विमर्श के पश्चात्, ग्राम पंचायत जल संग्रहण विकास दल के मार्गदर्शन के तहत जल संग्रहण क्षेत्र के समेकित विकास के लिए एक विस्तृत कार्य योजना/विकास योजना तैयार करेगी और इसे परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को प्रस्तुत करेगी| जल संग्रहण विकास डाल द्वारा कार्य योजना/जल संग्रहण विकास योजना तैयार करने तथा उसे अंतिम रूप देने के लिए भूमि और जल संसाधन विकास से संबंधित विभीन विषयमूलक मानचित्रों को उपयोग में लाया जाना चाहिए| इस कार्य योजना में सर्वेक्षणों की संख्या से संबंधित विशिष्ट जानकारी, स्वामित्व संबंधित विशिष्ट जानकारी, स्वामित्व संबंधित ब्यौरा और प्रस्तावित कार्य/ गतिविधियों की स्थान को दर्शाने वाले एक मानचित्र सहित जल संग्रहण क्षेत्र का स्पष्टत: परिसीमन किया जाना चाहिए| परयोजना कार्यान्वयन अभिकरण (पी.आई.ए.) ध्यानपूर्वक संवीक्षा करने के पश्चात जल संग्रहण विकास के लिए कार्य योजना को स्वीकृति हेतु जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, को प्रस्तुत करेगा| यह स्वीकृत योजना, जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, राज्य सरकार और केंद्र, सरकार द्वारा निधियां जारी करने, निगरानी रखने, समीक्षा करने मूल्यांकन करने आदि के लिए आधार होगी| कार्य योजना/जल संग्रहण विकास योजना अवक्रमित वन भूमि, सरकारी और समुदायिक भूमि तथा भूमि सहित सभी कृषि योग्य और कृषि के लिए योग्य भूमि के लिए तैयार की जानी चाहिए| वे मदें जिन्हें अन्य बातें के साथ – साथ कार्य योजना/ जल संग्रहण विकास योजना में शामिल किउअ जा सकता है, निम्नानुसार हैं :-
(1) कृषि उत्पादन हेतु कम लागत वाले तालाब, नालों पर बांध, रोड बांध और रिसने वाले टैंक आदि जैसी लघु जल संचयी संरचनाओं का विकास और भू - जल की पुन: भराई हेतु अन्य उपाय करना|
(2) पीने के लिए/सिंचाई/मत्स्य विकास के लिए पानी उपलब्ध कराने हेतु जल स्रोतों का नवीकरण और उनका विस्तार तथा गाँव के तालाबों की सफाई करना|
(3) गाँव के तालाबों/टैंकों, फार्म तालाबों आदि में मत्स्य पालन|
(4) ब्लॉक पौध रोपण, कृषि वानिकी तथा बागवानी विकास आड़ पट्टियों (शेल्टर बैल्ट) में वृक्षारोपण, रेत के टीलों के स्थिरीकरण आदि सहित वनीकरण|
(5) चरागाहों का विकास या तो अलग से या वृक्षारोपण के संयोजन से|
(6) पहाड़ी क्षेत्र में समोच्च और समस्तरीय बांध, जिन्हें पौधों को लगाकर और भूमि को सीढ़ीदार बनाकर मजबूत किया जा सकता है, चारे इमारती लकड़ी, जलाऊ लकड़ी, बगवानी और गैर इमारती लकड़ी, वनीय प्रजातियों के लिए पौध संवर्धन के लिए उद्यान क्षेत्र विकसित करने जैसे यथा स्थान मृदा और नमी संरक्षण उपायों सहित भूमि विकास|
(7) वनस्पतिक और इंजीनियरी संरचनाओं के संयोजन से जल निकास पद्धति के आधार पर विकास|
(8) जल संरक्षण क्षेत्र में मौहूद सार्वजनिक परिसम्पत्तियों और संरचनाओं की मरम्मत, पुनर्निर्माण तथा सुधार करना ताकि पहले किए गए सार्वजनिक निवेश से अधिकतम और सतत रूप से लाभ प्राप्त किया जा सके|
(9) नई फसलों/किस्मों अथवा नवीन प्रबंध प्रक्रियाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए फसल प्रदर्शन|
(10) अपारम्परिक ऊर्जा बचत उपायों और ऊर्जा संरक्षण उपायों, बॉयो-ईंधन वृक्षारोपण आदि को बढ़ावा देना और प्रचार करना|
जल संग्रहण विकास डाल को कार्य योजना/जल संग्रहण विकास योजना तैयार करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परियोजना कार्यों में केवल कम लागत वाली, स्थानीय तौर पर उपलब्ध ऐसी प्रौद्योगिकियों और सामग्री का उपयोग किया जाए, जो सरल हों और जिनका प्रचालन और अनुरक्षण आसानी से किया जा सके| वानस्पतिक उपायों पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए| अधिक लागत वाली निर्माण सामग्री/सीमेंट के कार्यों, मशनरी के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए|
जल संग्रहण विकास योजना तैयार करते समय, ग्राम पंचायतों द्वारा वर्षाजल का संचयन करने सम्बंधी कार्यकलापों पर जोर दिया जाना चाहिए तथा सामुदायिक और निजी भूमि पर व्यापक तौर पर पौधारोपण के कार्यों को किया जाना चाहिए| निजी भूमि मुख्य रूप से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों की तथा छोटे/सीमांत किसानों की होनी चाहिए| मुख्य रूप से रोजगार और आय सृजित करने संबंधी ऐसे कार्यकलापों पर जोर दिया जाना चाहिए जिनसे जल संग्रहण परियोजना क्षेत्र में ग्रामीण गरीब लाभान्वित हो सकें| एकत्रित किए गए वर्षा जल को मत्स्य पालन जैसे आय सृजित करने सम्बंधी कार्यकलापों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है|
विस्तृत कार्य योजना तैयार करते समय, सम्पूर्ण जल संग्रहण क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक एवं सतत रूप से उपयोगी अंत:कार्य (इंटरवेंशस) के लिए जल संग्रहण विकास दल द्वारा समुचित जैव- भौतिकीय (बयोफिजिकल) उपायों की तकनीकी अपेक्षाओं और व्यवहारिकता का भी ध्यानपूर्वक पता लगाना होता है| कार्य योजना में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातें भी विनिर्दिष्ट होनी चाहिए:-
(1) परियोजना के अंतर्गत (वर्ष-वार) प्राप्त किए जाने वाले वास्तविक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यकलाप संबंधी रूपरेखा;
(2) प्रत्येक कार्यकलाप के लिए निश्चित समय-अवधि;
(3) प्रस्तावित कार्यकलापों के लिए प्रौद्योगिकी क्रियाएँ (इंटरवेंशनस);
(4) प्रत्येक कार्यकलापों की लिए विशिष्ट सफलता मानदंड; और
(5) एक स्पष्ट बहिर्गमन व्यवस्था (एग्जिट प्रोटोकोल)
जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा विस्तृत कार्य योजना अनुमोदित किए जाने के पश्चात् इसे जिला संग्रहण विकास दल के सदस्यों के सक्रिय सहयोग और देख-रखके अंतर्गत ग्राम पंचायत के जरिए कार्यान्वित करवाना परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण का उत्तरदायित्व होगा|
विस्तृत कार्य योजना/विकास योजना तैयार करते समय ग्राम सभा/ ग्राम पंचायत, जल संग्रहण विकास दल (डब्ल्यू.डी.ट.) के तक तकनीकी मार्गदर्शन के अंतर्गत जल संग्रहण विकास परियोजना के लिए उचित बहिर्गमन व्यवस्था (एग्जिट प्रोटोकोल) तैयार करेगी| बहिर्गमन व्यवस्था में प्रयोक्ता प्रभारों के उदहारण और वसूली, जल संग्रहण विकास निधि के उपयोग आदि सहित सृजित की गई परिसम्पत्तियों के रख-रखाव और संवर्धन के लिए एक क्रियाविधि विनिर्दिष्ट की जाएगी| बहिर्गमन व्यवस्था में जल संग्रहण विकास परियोजना के अंतर्गत प्राप्त किए गए लाभों के समान वितरण और सतत बनाए रखने हेतु क्रियाविधि का भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए| जल संग्रहण क्षेत्र के लिए कार्य योजना को अनुमोदित करते समय जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसी बहिर्गमन व्यवस्था के संबंध में विस्तृत क्रियाविधि कार्य योजना/विकास योजना के एक भाग के रूप में शामिल है|
विभिन्न अभिकरणों द्वारा कार्यक्रम के अंतर्गत पारदर्शिता को निम्नानुसार बढ़ावा दिया जाएगा:-
ग्राम पंचायत द्वारा जल संग्रहण के लिए कार्य योजना को जल संग्रहण विकास दल के सदस्यों के सहयोग से तथा स्व- सहायता समूहों/प्रयोक्ता समूहों के साथ परामर्श करके तैयार करना|
कार्य योजना को ग्राम सभा की खुली बैठकों में स्वीकृति देना|
अनुमोदित कार्य योजना को ग्राम पंचायत कार्यालय, गाँव समुदायिक भवन और ऐसे अन्य समुदायिक भवनों और ऐसे अन्य समुदायिक भवनों के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना|
ग्राम सभा की आवधिक बैठकों में कार्यान्वयन संबंधित कार्य की वास्तविक और वित्तीय प्रगति की समीक्षा करना|
श्रमिकों को सीधे और जहाँ कहीं भी संभव हो, चैक द्वारा भुगतान करना|
वर्तमान लागत मानदंड 6000/- रूपयेप्रति हैक्टेयर है| इस राशि को निम्नलिखित परियोजना संघटकों के बीच प्रत्येक के सामने उल्लेख की गई प्रतिशतता के अनुसार विभाजित किया जाएगा:-
(1) जल संग्रहण उपचार/विकास कार्य/गतिविधियाँ 85%
(2) समुदायिक संघटन और प्रशिक्षण 5%
(3) प्रशासनिक व्यय 10%
योग 100%
प्रशासिनक लागतों में यदि कोई बचत हो तो उसे अन्य दो शीर्षों अर्थात् प्रशिक्षण और जल संग्रहण कार्यों के अंर्तगत कार्यकलाप करने हेतु उपयोग में लाया जा सकता है, परंतु अन्य दोनों शीर्षों के अंर्तगत बचत की राशि को इस शीर्ष के अंतर्गत उपयोग में नहीं लाया जाएगा| प्रशासनिक लागतों के तहत वाहनों, कार्यालय उपस्करों, फर्नीचर आदि को क्रय करने, भवनों का निर्माण करने और सरकारी कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करने हेतु व्यव किए जाने की अनुमति नहीं होगी|
जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए समान्य लागत मानदंडों अनुबंध – I में दिए गए अनुसार होंगे| कार्य की प्रत्येक मद और परियोजना संबंधित कार्य क्षेत्रों में राज्य सरकारों द्वारा यथा अनुमोदित मानक दर सूची (एस.एस.आर.) के अनुसार लगाये जाएगें|
निधियों के केन्द्रीय भाग को जिला परिषदों/जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों को पांच वर्षो की अवधि में पांच किस्तों में जारी किया जाएगा| राज्यों द्वारा भी अपना सदृश भाग जिला परिषदों/जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों को तदनुसार जारी किया जाएगा| इन किस्तों का ब्यौरा अनुबंध- II में दिया गया है|
केन्द्रीय निधियों की पहली किस्त परियोजना की स्वीकृति के साथ-साथ ही जारी की जाएगी, परन्तु आगे की किस्तें तभी जारी की जाएगी जब उपयोग न की गई शेष राशि जारी की गई पिछली किस्त की राशि के 50% से अधिक न हो| जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा किस्तों से संबंधित प्रस्ताव तिमाही प्रगति रिपोर्टों और पिछले वर्ष के लेखाओं के लेखा- परीक्षित विवरण सहित भूमि संसाधन विभाग को राज्य सरकार के माध्यम से प्रस्तुत किया जाएगा| इसके अलावा, दूसरी किस्त जारी करने हेतु प्रस्ताव के साथ, विकास हेतु लिए गए क्षेत्र का संबंधित गाँव - वार ब्यौरा, परियोजना की रूपरेखा, जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा अनुमोदित कार्य योजना और यथावश्यकतानुसार मांगे गए अन्य दस्तावेज संलग्न किए जाएंगे| जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा परियोजना कार्यान्यवन अभिकरणों और ग्राम पंचायतों को निधियां केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से इनके प्राप्त होने पर 15 दिनों पर भीतर जारी की जाएंगी|
परियोजना निधियों का 45%भाग दो किस्तों मर प्राप्त करने के बाद राज्य सरकार, भूमि संसाधन विभाग की अपेक्षित स्वीकृति के साथ इसके द्वार बनाए गए मूल्यांकनकर्त्ताओं के पैनल में से किसी एक स्वतंत्र मूल्यांकनकर्त्ता द्वारा जल संग्रहण विकास परियोजना का मध्यावधिक मूल्यांकन करवाएगी| केन्द्रीय निधियों की तीसरी किस्त को ऊपर विनिर्दिष्ट की गई अन्य सभी अपेक्षाओं को पूरा करने के अलावा संतोषजनक मध्यावधिक मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के उपरांत ही जारी किया जाएगा| राज्य सरकार परियोजना के पूरा होने पर एक अंतिम मूल्यांकन भी कराएगी और इस संबंध में रिपोर्ट परियोजना पूरी होने संबंधी रिपोर्ट के साथ भूमि संसाधन विभाग को प्रस्तुत करेगी|
जल संग्रहण विकास कार्यक्रमों में गांवों के चयन के लिएएक अनिवार्य शर्त जल संग्रहण विकास निधि (डब्ल्यू.डी.एफ.) में लोगों द्वारा अंशदान करना है| जल संग्रहण विकास निधि में अंशदान लोगों की निजी भूमि पर किए गए कार्य की लागत के कम से कम 10% की दर से किया जाएगा| अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्तियों के मामले में न्यूनतम अंशदान उनकी भूमि पर किए गए कार्य की लागत के 5% की दर से किया जाएगा| सामुदायिक सम्पति के संबंध में निधि के लिए अंशदान सभी लाभार्थियों से पारपत किउअ जा सकता है, जो व्यय की गई विकास लागत का न्यूनतम 5% की दर से होगा| यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अंशदान नकद रूप में/स्वैच्छिक श्रम के रूप में अथवा सामग्री के रूप में स्वीकार्य होगा| स्वैच्छिक श्रम और सामग्री के मूल्य के बराबर राशि जल संग्रहण परियोजना खाते से ली जाएगी और इस निधि का खाता अलग से रखेगी| ग्राम पंचायत जल संग्रहण विकास निधि का खाता अलग से रखेगी| ग्राम पंचायत के अध्यक्ष और सचिव जल संग्रहण विकास निधि के खाते को संयुक्त रूप से संचालित करेंगे| अलग –अलग व्यक्तियों और धमार्थ संस्थाओं को इस निधि में भरपूर अंशदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जाना चाहिए| इस निधि में प्राप्तियों को परियोजना अवधि समाप्त होने के बाद सामुदायिक भूमि पर अथवा सार्वजनिक उपयोग के लिए सृजित की गई परिसंपत्तियों को बनाए रखने के लिए उपयोग में लाया जाएगा| व्यक्तिगत लाभ हेतु किए गए कार्यों में मरम्मत/रख-रखाव के कार्य पर व्यय इस निधि से नहीं किया जाएगा|
ग्राम पंचायत द्वारा गाँव के टैंकों/तालाबों से सिंचाई हेतु पानी लेने, सामुदायिक चरागाहों में पशुओं को चराने आदि जैसी समान्य सुविधाओं के उपयोग के लिए प्रयोक्ता समूहों पर प्रयोक्ता प्रभार लगाया जाएगा| इस प्रकार एकत्रित किए गए प्रयोक्ता प्रभारों का आधा भाग परियोजनाओं की परिसम्पतियों के रख-रखाव के लिए जल संग्रहण विकास निधि में जमा कराया जाएगा और शेष आधा भाग पंचायत द्वारा किसी भी अन्य प्रयोजना के लिए जैसा कि उचित समझा जाए, में लाया जा सकता है|
जल संग्रहण विकास कार्यक्रम का लक्ष्य जल संग्रहण क्षेत्रों का समग्र रूप से विकास करना है| भारत सरकार के सभी कार्यक्रमों, विशेष रूप से ग्रामीण विकास मंत्रालय के कार्यक्रमों का समेकन किए जाने से अंतिम अभीष्ट लक्ष्य प्राप्ति में वृद्धि होगी तथा| इससे ग्रामीण समोदय का सतत रूप से आर्थिक विकास सुनिश्चित होगा| अत: जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए चोने गए गांवों में ग्रामीण रोजगार योजना (एस.जी.आर.वाई.), स्वर्णजयंती ग्राम स्व-रोजगार योजना (एस.जी.एस.वाई.), इंदिरा आवास योजना (आई.ए.वाई), सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान (टी.एस.सी.) तथा ग्रामीण पेयजल की आपूर्ति कायक्रम का समेकन सुनिश्चित करने के लिए सभी संभव उपाय करेगा| इन गांवों में अन्य मंत्रालयों अर्थात स्वास्थय और परिवार कल्याण, शिक्षा, समाजिक न्याय तथा अधिकारित और कृषि मंत्रालय और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे सामान स्वरूप के कार्यक्रमों का समेकन करना भी उपयोगी रहेगा|
जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए सामान्य लागत मानदंड अनुबंध – I दिए गए अनुसार रहेंगे| तथापि, जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण जल संग्रहण क्षेत्रों में आगे और विकासत्मक कार्य करने के लिए बैंकों द्वारा अथवा अन्य वित्तीय संस्थाओं द्वारा मुहैया कराई जाने वाली ऋण सुविधाओं का स्व-सहायता समूहों, प्रयोक्ता समूहों, पंचायतों और व्यक्तियों द्वारा लाभ उठाने के बारे में पता लगाएगा और उन्हें प्रोत्साहित करेगा|
ग्राम पंचायत जल संग्रहण विकास दल द्वारा संवीक्षित और अनुमोदित तिमाही प्रगति रिपोर्ट परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण को प्रस्तुत करेगी| परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण तिमाही प्रगति रिपोर्टों को राज्य सरकार के माध्यम से भूमि संसाधन विभाग को आगे भेजने हेतु जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण को प्रस्तुत करेगी| जिला स्तर पर जिला परिषद्/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण परियोजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा| राज्य स्तर पर संबंधित विभाग के सचिव इन परियोजनाओं की नियमित निगरानी करने तथा परियोजनाओं के मध्यावधिक और अंतिम मूल्यांकन हेतु उत्तरदायी होंगे| भूमि संसाधन विभाग भी संबंधी अध्ययन करवाने के लिए स्वतंत्र संस्थाओं/व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है| जिला और राज्य स्तरीय सतर्कता और निगरानी समितियाँ भी जल संग्रहण परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा कर सकती हैं|
जिला स्तर पर – मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जिला परिषद/परियोजना निदेशक, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण|
राज्य स्तर पर सचिव/आयुक्त/निदेशक, ग्रामीण विकास|
राष्ट्रिय स्तर पर भूमि संसाधन विभाग/ग्रामीण विकास मंत्रालय, एन.बी.ओ.बिल्डिंग, जी विंग, निर्माण भवन, नई दिल्ली- 110011.
(1) जल संग्रहण विकास परियोजनाएँ केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित कर पर स्वीकृत की जायेंगी| वर्तमान दर 6000 रूपये प्रति हैक्टेयर है|
(2) प्रशासनिक व्यय के संबंध में अधिकतम सीमा:
1. |
जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के स्तर पर
जल संग्रहण विकास सल के सदस्यों को प्रशिक्षण (10 जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए)
1. एक जल संग्रहण विकास परियोजना के लिए अनुपातिक व्यय 2. विविध व्यय/जल संग्रहण विकास परियोजना
(क) एक जल संग्रहण परियोजना के लिए योग
|
30,000/- रूपये
3,000/- रूपये 3,000/- रूपये
6000/- रूपये |
2. |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण/जल संग्रहण विकास दल के स्तर पर (10 जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए)
(1) जल संग्रहण विकास दल के सदस्यों को मानदेय (2) यात्रा भत्ता/दैनिक भत्ता (3) कार्यालय कर्मचारी/आकस्मिकताएं
10 जल संग्रहण विकास परियोजनाओं के लिए योग
(ख) एक जल संग्रहण परियोजनाके लिए व्यय |
7,50,000/- रूपये 4,50,000/- रूपये 2,70,000/- रूपये
14,70,000/- रूपये
1,47,000/- रूपये |
3. |
ग्राम स्तर पर (1) स्वयं सेवकों/वन रक्षकों को मानदेय (2) यात्रा भत्ता/ दैनिक भत्ता (3) कार्यालय आकस्मिक व्यय
(ग) प्रत्येक जल संग्रहण परियोजना के लिए योग
500 हैक्टेयर क्षेत्र के प्रति जल संग्रहण के लिए प्रशासनिक कूल व्यय (क+ख+ग) के संबंध में लागत सीमा का कुल योग |
1,20,000/- रूपये 15,000/- रूपये 12,000/- रूपये
1,47,000/- रूपये
3,00,000/- रूपये |
जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास अभिकरण द्वारा परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण (पी.आई.ए.) तथा ग्राम पंचायत को जारी की जाने वाली परियोजना निधियां
वर्ष |
किस्त |
% |
अभिकरण |
% |
संघटनों का ब्यौरा |
% ब्यौरा |
प्रथम |
पहली |
15% |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण
ग्राम पंचायत
|
4%
11% |
प्रशासनिक लागत सामुदायिक विकास एवं प्रशिक्षण
प्रशासनिक लागत कार्यगत लागत |
1%
3%
1% 10% |
दूसरा |
दूसरी |
30% |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण
ग्राम पंचायत
|
2%
28% |
प्रशासनिक लागत सामुदायिक विकास एवं प्रशिक्षण
प्रशासनिक लागत कार्यगत लागत |
1%
1%
1% 27%
|
तीसरा |
तीसरी |
30% |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण
ग्राम पंचायत
|
2%
28% |
प्रशासनिक लागत सामुदायिक विकास एवं प्रशिक्षण
प्रशासनिक लागत कार्यगत लागत |
1%
1%
1%
27% |
चौथा |
चौथी |
15% |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण
ग्राम पंचायत
|
1%
14% |
प्रशासनिक लागत
प्रशासनिक लागत कार्यगत लागत |
1%
1%
13% |
पांचवां |
पांचवीं |
10% |
परियोजना कार्यान्वयन अभिकरण
ग्राम पंचायत
|
1%
9% |
प्रशासनिक लागत
प्रशासनिक लागत कार्यगत लागत |
1%
1%
8% |
स्रोत: झारखण्ड सरकार का कृषि विभाग व भारत सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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