अंग शरीर का एक हिस्सा है जो एक विशिष्ट प्रकार का कार्य करता है: जैसे आपका हृदय, फेफड़े, गुर्दे, यकृत आदि।
इन अंगों का दान किया जा सकता हैं : यकृत, गुर्दे, अग्न्याशय, हृदय, फेफड़े, आंत।
ऊतक एक कोशिका समूह है जो मानव शरीर में एक विशेष कार्य करता है। इसके उदाहरण हड्डी, त्वचा, आंख की कॉर्निया, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कण्डरा आदि हैं।
इन ऊतकों का दान किया जा सकता हैं : कॉर्निया, हड्डी, त्वचा, हृदय वाल्व, रक्त वाहिकाएं, नस और कण्डरा आदि।
अंग दान एक व्यक्ति को बीमारी के अंतिम चरण में और अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होने पर एक अंग का उपहार देना है।
अंग दान के दो प्रकार के होते हैं: -
i) जीवित दाता द्वारा अंग दान : अपने जीवन के दौरान एक व्यक्ति एक गुर्दा दान कर सकता है (उसका दूसरा गुर्दा दाता के लिए पर्याप्त रूप से शरीर के कार्यों को बनाए रखने में सक्षम होना चाहिए), अग्न्याशय का हिस्साक (अग्न्याशय का आधा हिस्सा अग्नाशय के कार्यों को बनाए रखने के लिए पर्याप्त है) यकृत का हिस्सा(यकृत के हिस्से प्राप्तकर्ता और दाता दोनों में समय की अवधि के बाद पुन: बन जाएंगे)।
ii) मृतक दाता अंग दान: एक व्यक्ति (मस्तिष्क / हृदय) की मौत के बाद कई अंगों और ऊतकों का दान कर सकते हैं। उसके अंग किसी अन्यम व्यक्ति के शरीर में जीवित बन रहते हैं।
अंग दान के लिए आयु सीमा अलग अलग है, जो इस पर निर्भर करती है कि क्या जीवित व्यक्ति द्वारा दान किया जा रहा है या मृत व्यक्ति द्वारा, उदाहरण के लिए जीवित व्यक्ति द्वारा दान हेतु व्यक्ति की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और अधिकांश अंगों के लिए निर्णय लेने वाला कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति है, उसकी उम्र नहीं। विशेषज्ञ स्वांस्य्णत देखभाल व्यवसायिक व्यक्ति तय करते हैं कि हर मामले के अनुसार कौन सा अंग उपयुक्त् है। लोगों में उनके 70 और 80 वर्ष के दौरान अंगों और ऊतकों को दुनिया भर में सफलता पूर्वक प्रत्यारोपित किया गयाहै। ऊतकों और आंखों के मामले में आम तौर पर उम्र महत्व नहीं रखती। एक मृत दाता आम तौर पर निम्नयलिखित आयु सीमा के अंदर अंगों और ऊतकों का दान कर सकता है :
जीवित दाता : एक व्यक्ति जिसकी उम्र 18 साल से कम नहीं है, जो स्वेच्छा से अपने अंग और / या ऊतक निकालने का अधिकार अपने जीवन काल के दौरान चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए प्रचलित चिकित्सात प्रथाओं के अनुसार देता है।
मृतक दाता : कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, नस्लं लिंग कोई भी हो वह अपनी मृत्यु (मस्तिष्क / हृदय) के बाद अंग और ऊतक दाता बन सकता है। मृत शरीर से इसके लिए उसके निकट संबंधियों या कानूनी तौर पर उसके साथ उस संबंध रखने वाले व्यक्ति की सहमति आवश्यंक होती है। यदि मृत दाता की उम्र 18 साल से कम है तो माता पिता में से किसी एक या माता पिता द्वारा अधिकृत नजदीकी रिश्तेदार की सहमति अनिवार्य है। दान देने की चिकित्सा उपयुक्तताता का निर्धारण मृत्यु के समय किया जाता है।
आप अधिकृत अंग और ऊतक दान प्रपत्र (फॉर्म -7 टीएचओए के अनुसार) में अपनी दाता बनने की इच्छा व्यक्त कर सकते हैं। आप हमारी वेबसाइट www.notto.nic.in पर लॉग इन कर अपने अंगों के दान की शपथ ले सकते हैं और पंजीकरण करा सकते हैं या स्वेयं हमारी वेबसाइट से प्रपत्र 7 डाउनलोड करते हुए अपना ऑफ लाइन पंजीकरण करा सकते हैं। आपसे अनुरोध है कि प्रपत्र 7 भरें और एनओटीटीओ के नीचे दिए गए पते पर हस्ताआक्षरित प्रति भेजें :
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन,
चौथा तल, एनआईओपी बिल्डिंग, सफदरजंग अस्पताल परिसर,
नई दिल्ली-110029
हां, यह स्वास्थ्य पेशेवरों और आपके परिवार के लिए मददगार होगा।
नहीं, यदि आपने पहले से ही एक संगठन के साथ प्रतिज्ञा की है और एक दाता कार्ड प्राप्त किया है, तो आपको किसी भी अन्य संगठन के साथ दर्ज करने की जरूरत नहीं है।
हां , आप प्रतिज्ञा कर सकते हैं किंतु आपको अपने जीवन के किसी बहुत नजदीकी व्यक्ति को, लंबे समय रहे दोस्त् या घनिष्ठ सहकर्मी को सूचित करना चाहिए कि आपने यह प्रतिज्ञा लेने का निर्णय लिया है। अपनी दान देने की इच्छा पूरी करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल कर्मी किसी ऐसे व्यक्ति से बात करेंगे जो आपकी मृत्यु के समय सहमति के लिए आपके पास होंगे।
अंग या ऊतक को दान करने से आपको किसी व्यक्ति के जीवन को दोबारा जीने का ऐसा अवसर देने का लाभ मिलता है जिसकी कोई तुलना नहीं है। आपका दान न केवल एक व्यक्ति या उसके परिवार के जीवन पर प्रभाव डालेगा, बल्कि कुल मिलाकर समाज को भी इससे सहायता मिलेगी।
हां, आप NOTTO कार्यालय में कॉल द्वारा या लिखित रूप से या NOTTO की वेबसाइट www.notto.nic.in के जरिए अपनी प्रतिज्ञा बदल सकते हैं और आपके एकाउंट में लॉग इन द्वारा प्रतिज्ञा का विकल्प बंद कर सकते हैं। आपके परिवार को भी बताएं कि आपने अंग दान करने की प्रतिज्ञा के बारे में अपना मन बदल दिया है।
नहीं, हमारे बड़े धर्मों में किसी में भी अंग और ऊतकों के दान पर कोई आपत्ति नहीं लगाई गई है, बल्कि ये इस पवित्र कार्य को प्रोत्सा हन और समर्थन देते हैं। यदि आपको कोई शंका है तो आप अपने आध्यात्मिक गुरू, धार्मिक नेता या सलाहकार से चर्चा कर सकते हैं।
भारत में अंगों के विफल हो जाने की बड़ी संख्या के कारण ऊतक और अंग प्रत्यारोपण की जरूरत बहुत अधिक है। आवश्यक अंगों के लिए कोई संगठित आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, और यह संख्या केवल अनुमान पर आधारित है। हर वर्ष, व्य़क्तियों की निम्नंलिखित संख्या को बताए गए अंग के अनुसार अंग / ऊतक प्रत्यारोपण की जरूरत होती है :
गुर्दे |
2,50,000 |
यकृत |
50,000 |
हृदय |
50,000 |
कॉर्निया |
1,00,000 |
नहीं, कुछ ही लोग उन परिस्थितियों में मरते हैं जहां वे अपने अंगों का दान करने में सक्षम हो सकें। यही कारण है कि हमें अंग दान करने और संभावित दाता के रूप में अपना पंजीकरण कराने की प्रतिज्ञा लेने वाले लोगों की जरूरत है।
हां, सभी संभावित दाताओं से रक्त लिया जाता है और इसमें किसी संचारी रोग और हिपेटाइटिस जैसे वायरस की छानबीन के लिए इनकी जांच की जाती है। संभावित दाता के परिवार को बताया जाता है कि यह प्रक्रिया आवश्याक है।
हां, अधिकांश मामलों में आप दाता हो सकते हैं। एक ऐसी चिकित्साक परिस्थिति व्यक्ति को अनिवार्य तौर पर अंग या ऊतक दाता बनने से नहीं रोकती है। यह निर्णय कि क्या कुछ अंग या सभी अंग या ऊतक प्रत्यारोपण के लिए उचित हैं, इसका निर्णय आपके पिछले चिकित्सा विवरण को विचार में लेकर स्वास्थ्य देखभाल व्यावसायिक कार्मिक द्वारा लिया जाता है।बहुत कम मामलों में हिपेटाइटिस – सी वाले दाताओं के अंगों को समान परिस्थितियों वाले लोगों की सहायता में इस्तेमाल किया गया है। इसका इस्तेसमाल केवल तभी किया जाता है जब दोनों व्यक्तियों में यह स्थिति होती है। सभी दाताओं को संक्रमण से रोकथाम के लिए बचाव के सघन उपाय करने चाहिए।
हां, इसके बारे में निर्णय कि कुछ या सभी अंग या ऊतक प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त हैं, इसका निर्णय आपके पिछले चिकित्सीय विवरण को विचार में लेकर हमेशा किसी विशेषज्ञ द्वारा ही किया जाएगा। इसके विशिष्टि कारण हो सकते हैं कि रक्त दान करना संभव क्यों नहीं है, जैसे खून की कमी होना या रक्त आधान या पिछले दिनों में हिपेटाइटिस का प्रभाव या ऐसे कोई अन्य कारण जिनसे आप अपने स्वास्थ्य के कारण उस वक्त रक्तदान नहीं कर सके – कभी कभार एक सरल स्थिति जैसे जुकाम या आप द्वारा ली जाने वाली दवा के कारण आप रक्त दान नहीं कर सकते।
चिकित्सकीय प्रयोजनों के लिए अंग दान मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओए 1994) के तहत कवर किया जाता है। पूरे शरीर के दान को शारीरिक रचना अधिनियम 1984 द्वारा कवर किया जाता है।
अंग और ऊतक प्रत्याररोपण को अन्य लोगों के लिए जीवन देने के कार्य के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अंतिम चरण पर अंग के विफल रहने से पीड़ित जरूरत मंद लोगों को उसके अंग मृत्यु के बाद लगाए जाते हैं।
शरीर का दान चिकित्सा अनुसंधान और शिक्षा के लिए मौत के बाद व्यक्ति के शरीर को देने का कार्य है। जो लोग मृत शरीर का दान करते हैं, वे शरीर रचना वैज्ञानिकों और चिकित्सा शिक्षकों द्वारा पूरी शारीरिक संरचना सिखाने का एक प्रधान साधन बने रहते हैं।
नहीं, यदि अंगों का दान किया गया है या पोस्टमार्टम जांच कराई गई है तो शरीर को अध्यापन के प्रयोजन हेतु स्वीकार नहीं किया जाता है। जबकि, यदि केवल कोर्निया को दान किया जाता है, तो शरीर को अनुसंधान के लिए छोड़ा जा सकता है।
आप ऐसे मदद कर सकते हैं:
• एक दाता बनने और दूसरों की जान बचाने के लिए आप अपने निर्णय के बारे में अपने परिवार से बात कर सकते हैं।
• लोगों को कार्य स्थल पर, अपने समुदाय, अपने पूजा के स्थल पर और अपने नागरिक संगठनों में प्रेरणा देकर दान का प्रोत्साहन दे सकते हैं।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस लेख में उन अंगों और ऊतकों के प्रकार बताये गए है...