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स्वच्छ जीवन शैली: जीओ और जीने दो

स्वच्छ जीवन शौली: जीओ और जीने दो

स्वच्छता के साथ ही अच्छी साफ़-सफाई भी अनेक बीमारियों का एक महत्वपूर्ण अवरोधक है। जलापूर्ति, स्वच्छता, पोषण में बेहतर समन्वय तथा आजीविका में सुधार के माध्यम से स्वास्थ्य एवं सामुदायिक विकास में बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते है ।

यदि लोग स्वच्छ आचरण नहीं करेंगे, तो ग्राम पंचायत के स्वच्छता कार्यक्रम का पूरा परिणाम प्राप्त नहीं कर पाएंगे । निजी, घरेलू एवं सामुदायिक साफ़-सफाई के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना ग्राम पंचायत की जिम्मेदारियों में से एक है ताकि साफ़-सफाई रखने के लिए लोगों को प्रेरित किया जा सके।

साफ़-सफाई क्या है तथा इसकी जरूरत क्यों है?

साफ़-सफाई का अर्थ स्वयं को तथा पड़ोस में रहने वाले लोगों को भी साफ़ रखने की प्रथा से है ताकि न खुद बीमार हों ना दूसरे लोग बीमार पड़ें । साफ़-सफाई के दो आयाम हैं, अर्थात:

  1. व्यक्तिगत साफ़-सफाई
  2. सामुदायिक साफ़-सफाई

व्यक्तिगत साफ़-सफाई

साफ़-सफाई के आचरण के तहत रोजमर्रा की अनेक निजी आदतें शामिल होती हैं, जिनका वर्णन नीचे किया गया है:

(क) विशेष रूप से महत्वपूर्ण अवसरों पर हाथ धोना (बॉक्स देखें)।

(ख) नियमित स्नान करना तथा कपड़े धोना ।

(ग) नियमित रूप से नाख़ून काटना – मैल जमा होने की संभावना को खत्म करने के लिए ।

(घ) पेय जल एवं भोजन का सुरक्षित भंडारण एवं रखरखाव – पीने के पानी को किसी साफ़ बर्तन में रखना चाहिए जो साफ़ ढक्कन से ढका हो । किसी कलछी के माध्यम से इस बर्तन से पानी निकालना चाहिए । गंदे पदार्थों या रोगाणुओं से पानी को दूषित होने से बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है ।

(ङ) सुनिश्चित करना कि पेय जल स्वास्थ्यवर्धक हो – हर समय विशेष रूप से महामारी एवं बाढ़ के समय पेय जल पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है । जब पेय जल की गुणवत्ता संदिग्ध हो, तो परिवार को इसे उबालना चाहिए क्योंकि उबालना शुद्धिकरण का सबसे अच्छा तरीका है । यदि पानी साफ़ न हो, तो किसी साफ कपड़े से पानी को फिल्टर करने की भी सिफारिश की जाती है ।

(च) सामान्य तौर पर प्रयोग में लाए जाने वाले सतहों की सफाई-जहाँ तक संभव हो, घर या किसी संस्था के अंदर सतह की सफाई समय-समय पर की जानी चाहिए ताकि रोगाणु कम से कम जमा हो सकें । इसी तरह, आसपास के क्षेत्र को भी साफ़ रखना चाहिए ।

(छ) फुटवियर का प्रयोग – विशेष रूप से खेतों आदि में ताकि हुक वर्म आदि से संक्रमित न हों ।

(ज) माहवारी के दौरान साफ़-सफाई (महिलाओं एवं लड़कियों के मामले में) – प्रजनन की आयु में लड़कियों एवं महिलाओं द्वारा माहवारी के दौरान साफ़-सफाई रखना भी निम्नलिखित कारणों से निजी साफ़-सफाई का एक महत्वपूर्ण अंग है:

  1. माहवारी के दौरान अस्वास्थ्य प्रबंधन से मूत्राशय के संक्रमण (यू.टी.आई) तथा अन्य रोगों के होने की संभावना होती है जिससे महिलाओं एवं लड़कियों की गतिशीलता, गरिमा तथा जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है ।
  2. लड़कियों के शैक्षिक विकास में कमी आती है तथा अनेक मामलों में वे स्कूल छोड़ देती है ।

ऐसी स्थिति निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होती है:

  1. माहवारी की सामान्य जैविक प्रक्रिया तथा स्वास्थ्यकर ढंग से इसका प्रबंधन करने की आवश्यकता के बारे में अनभिज्ञता ।
  2. माहवारी के मुद्दे पर चर्चा करने की अनिच्छा, सामाजिक वर्जनाओं के कारण लड़कियों को समुचित मार्गदर्शन प्रदान न करना ।

आज माहवारी के दौरान समुचित साफ़-सफाई को निम्नलिखित कारणों से स्वच्छता एवं साफ़-सफाई का एक महत्वपूर्ण अंग माना जा रहा है:

  • भावी माताओं के कल्याण को सुनिश्चित करने की आवश्यकता तथा मातृत्व कल्याण को बढ़ावा देना और बाल उत्तरजीविता एवं विकास को भी बढ़ावा देना जो सामुदायिक विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं ।
  • पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने की आवश्यकता ।

कब और कैसे हाथ धोएं?

  • तीन महत्वपूर्ण अवसर जब हमें अपने हाथ अवश्य धोने चाहिए:
  1. खाना पकाने या भोजन तैयार करने से पहले
  2. खाने से पहले तथा बच्चों को खिलाने से पहले
  3. शौच त्याग के बाद तथा शिशुओं के कपड़े बदलने या सफाई करने के बाद
  • हाथ धोने के तीन चरण इस प्रकार हैं:
  1. साबुन एवं पानी से (साबुन न होने की स्थिति में कम से कम राख से) दोनों हाथ धोना
  2. अपने हाथों के सामने वाले एवं पीछे वाले भागों को कम से कम तीन बार और अपनी उंगलियों के बीच में भी रगड़ना
  3. धोने के बाद हाथों को सुखाना

सामुदायिक साफ़-सफाई

सामुदाय के स्तर पर साफ़-सफाई के कुछ उपायों को अपनाने की जरूरत होती है जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • स्वच्छता बनाए रखना तथा पानी के स्रोतों के आसपास गंदगी फैलने न देना ।
  • ठोस अपशिष्ट एवं मल का समुचित निस्तारण ।
  • अपशिष्ट जल की निकासी और
  • पशुपालन तथा बाजार की साफ़-सफाई पर नियंत्रण रखना ।

माहवारी के दौरान साफ़-सफाई का समुचित प्रबंधन

  • पहली बार माहवारी आने पर लड़कियों को शिक्षित करना तथा उनको बार-बार आश्वस्त करना (परिवार में वरिष्ठ महिलाओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता/आशा कार्यकर्ताओं, ए.एन.एम, स्कूलों में नामित महिला शिक्षकों आदि द्वारा)|
  • माहवारी के दौरान सेनिटरी पैड/नैपकिन का प्रयोग |
  • नैपकिन/पैड का समुचित भंडारण |
  • 6 से 8 घंटे में एक बार नियमित रूप से सेनिटरी पैड/नैपकिन बदलना |
  • बैक्टीरिया से संक्रमण को रोकने के लिए पैड/नैपकिन बदलने से पूर्व एवं इसके बाद समुचित रूप से हाथ धोना |
  • प्रयुक्त पैड/नैपकिन का समुचित रूप से भंडारण एवं निस्तारण |
  • माहवारी के अपशिष्ट के समुचित रूप से निस्तारण के लिए भट्टी का प्रावधान (संस्थाओं के मामले में)|

बाजार/मंडी/गाँव के मेले

ऐसे स्थानों पर निम्नलिखित कारणों से सफाई की समस्याएं उत्पन्न होती हैं:

  • व्यक्तिगत दुकानों, फ़ूड स्टफ हॉकर आदि द्वारा कचरे को फैलाना,
  • आगंतुकों द्वारा कचरा एवं कूड़ा फेंका जाना, और
  • स्वच्छता की अपर्याप्त सुविधाएँ ।

स्वच्छता बनाए रखने के लिए ग्राम पंचायत निम्नलिखित गतिविधियों पर विचार कर सकती है:

  1. इन परिसरों में दुकान खोलने व चलाने के लिए अनुमति प्रदान करने की कोई समुचित पद्धति स्थापित करना और पानी एवं स्वच्छता की सुविधाओं का अनुरक्षण करने एवं बन्दोबस्त करने की लागत को वहन करने के लिए प्रयोक्त प्रभार व मंडी शुल्क निर्धारित करना । ऐसे व्यापारियों को डिस्काउंट भी दिया जा सकता है, जो पानी एवं स्वच्छता की अपनी स्वयं की अस्थायी सुविधाएँ स्थापित करते हैं या मंडी की पानी एवं स्वच्छता संबंधी आवश्यक्ताओं में योगदान करते हैं ।
  2. ग्राम पंचायत द्वारा प्रदान की जाने वाली पानी एवं स्वच्छता की सुविधाओं में सामुदायिक शौचालय, पेय जल की व्यवस्था, सफाई एवं विसंक्रमण आदि शामिल होने चाहिए ।
  3. ऐसे मेलों में भिन्न-भिन्न स्थानों पर पर्याप्त मात्रा में अपशिष्ट संग्रहण के लिए डस्टबिन रखे जाने चाहिए ।
  4. ऐसे डस्टबिन से नियमित रूप से ठोस अपशिष्ट के संग्रहण के लिए व्यवस्था होनी चाहिए । इस प्रयोजन के लिए गारबेज ट्रक अथवा ट्राली की सरल आवाजाही को सुलभ बनाने के लिए शुरूआती चरण पर ही ग्राम पंचायत को मंडी या मेले के लिए किसी समुचित लेआउट को लागू करना चाहिए ।
  5. ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि तथा जी पी डब्ल्यू एस सी/ वी डब्ल्यू एस सी सदस्य बारी-बारी से स्वच्छता एवं अन्य व्यवस्थाओं की देखरेख करने के लिए इन मेलों एवं मंडियों का दौरा कर सकते हैं ।

माहवारी के दौरान क्या करें व क्या न करें

क्या करें: -

  1. घर, स्कूल में तथा कार्य के स्थान पर सभी सामान्य कार्य करना (खाना पकाना, नहाना, समारोहों में भाग लेना आदि)|
  2. हमेशा की तरह सामान्य भोजन करना |
  3. लंबे समय तक या अधिक रक्तस्राव होने, ऐंठन होने, पीरियड न आने जैसी समस्याओं के मामले में डॉक्टर से परामर्श लेना |
  4. उपयोग किये जा चुके सेनेटरी पैड को अलग करना, ढक्कन वाले किसी डस्टबिन में उसे डालना और अंतत: गाड़कर, कंपोस्टिंग, जलाकर उसका निस्तारण करना |

क्या न करें:

  1. दूसरे लोगों के साथ माहवारी के दौरान प्रयुक्त सेनेटरी के कपड़ों को सांझा न करें |
  2. शौचालय, जलाशयों में या कचरा पेटी में माहवारी के अपशिष्ट को ना डालें |
  3. माहवारी के कपड़े को अच्छी तरह से धोएं और धूप में सुखाए बगैर उसका पुन: प्रयोग न करें |

पशुपालन

अधिकांश समुदायों में पशुपालन को जीविका के साधन के रूप में लिया जाता है, जिससे पोषक भोजन के उत्पादन प्राप्त होता है तथा पशुओं से अन्य उत्पाद जैसे कि ईधन, चमड़ा आदि भी मिलते है ।

बूचड़खाना – ग्राम पंचायत द्वारा नियंत्रण

  1. बूचड़खाने पानी के स्रोतों तथा घरों से दूर होने चाहिए |
  2. पशुओं को काटने का कार्य परिसरों में होना चाहिए तथा इस कार्य के दौरान तथा पशुओं के चमड़े के परिवहन आदि के दौरान भी दुर्गंध से बचने के लिए सावधानियां बरती जानी चाहिए |
  3. बूचड़खानों को अपशिष्ट का निस्तारण सुरक्षित ढंग से करना चाहिए |

पशुपालन से संबंधित सफाई एवं स्वच्छता को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम पंचायत निम्न कदम उठा सकती है:

  1. पशुपालन के शेड पानी के स्रोतों से कम से कम 100 मीटर (300 फीट) तथा घरों से 10 मीटर (30 फीट) की दूरी पर स्थित होने चाहिए । इससे पानी दूषित नहीं होगा तथा मच्छर से पैदा होने वाली बीमारियों की संभावना भी न्यूनतम होगी ।
  2. पशुओं के अपशिष्ट तथा मृत पशुओं का समुचित रूप से निस्तारण किया जाना चाहिए ।
  3. मवेशी शेड के स्वामियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए कि वे बायो गैस प्लांट लगाकर पशुओं के मल-मूत्र का उपयोग करें ।
  4. पशुपालन, चिकित्सा देखरेख, टीकाकरण तथा अन्य देखरेख के मामले में समय-समय पर पशु चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए ।
  5. सुअर/मुर्गी पालन के मामले में समुचित एहतियात बरतना (पशु चिकित्सकों की सलाह के अनुसार) ।

होटल/टिफिन सेंटर/रेस्त्रां आदि

रसोई के स्वच्छ रखरखाव, हाथ धोने की व्यवस्था, भोजन एवं पानी के लिए अन्य स्वास्थ्यकर अपेक्षाओं तथा घरेलू साफ़-सफाई में लागू अपेक्षाओं का सुनिश्चय करने के लिए ग्राम पंचायत और/या जी पी डब्ल्यू एस सी/वी डब्ल्यू व एस सी सदस्यों को समय-समय पर भोजन गृहों एवं स्थानीय खाद्य वेंडरों का निरीक्षण करना चाहिए ।

लोगों में साफ़-सफाई की शिक्षा को बढ़ावा देने में ग्राम पंचायतों की भूमिका

ग्राम पंचायतों को लोगों में साफ़-सफाई की शिक्षा को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए जैसा कि:-

  1. ग्राम पंचायत स्वच्छता एवं साफ़-सफाई की स्थिति की निगरानी कर सकती है ।
  2. ग्राम पंचायत दंडात्मक उपायों को अपनाकर सक्रिय भूमिका निभा सकती है जैसे कि अस्वास्थ्य कर प्रथाओं के लिए दंड लगाना जिससे गाँव की स्वच्छता प्रभावित होती है ।
  3. ग्राम पंचायत ग्राम स्वास्थ्य योजना तैयार एवं लागू कर सकती है तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य एजेंट/कर्मियों की सहायता से स्वच्छता एवं साफ़-सफाई के कार्यक्रमों के साथ इसका अभिसरण कर सकती है । इसके लिए यह तीन चरणों को अपना सकती है:

(क)  समुदाय की भागीदारी से सर्वेक्षण के आधार पर ग्राम पंचायत में स्वास्थ्य की सामान्य समस्याओं की पहचान करना ।

(ख)  समस्याओं के कारणों की पहचान करना ।

(ग)   स्वास्थ्य पदाधिकारियों की मदद से कार्य योजना तैयार करना और निधियों के स्रोतों की पहचान करना ।

  1. ग्राम पंचायत स्कूल प्रबंधन समिति (एस एम सी) में हस्तक्षेप के माध्यम से स्कूल स्वच्छता एवं साफ़-सफाई की शिक्षा (एस एस एच ई) कार्यक्रम में तथा आर टी ई अधिनियम के तहत अपनी भूमिका के निर्वहन में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है ।
  2. ग्राम पंचायत आंगनवाड़ी स्वच्छता एवं साफ़-सफाई में समान सक्रिय भूमिका निभा सकती है।
  3. ग्राम पंचायत स्वास्थ्य महिला एवं बाल विकास, ग्रामीण विकास और पंचायती राज आदि जैसे विभागों के स्थानीय अधिकारियों से विधिवत रूप से सहायता लेकर साफ़-सफाई एवं स्वच्छता अभियान के लिए ग्राम सभा, वी ओ बैठक, मेला एवं महोत्सव, विभिन्न पहलुओं से जुड़े विशेष दिवसों (विश्व शौचालय दिवस, हाथ धुलाई दिवस, स्तनपान दिवस आदि) सहित सभी संभव चैनलों का उपयोग कर सकती है तथा समुदाय को एकजुट कर सकती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. क्या माहवारी का रक्त अशुद्ध होता है? यदि नहीं, तो क्यों और कब इससे दुर्गध आती है?

पसीना, मूत्र या मल से भिन्न, माहवारी के रक्त में कोई विषैला तत्व नहीं होता है । इसलिए यह अशुद्ध, हानिकर रक्त नहीं है । माहवारी का रक्त कुछ और न होकर गर्भाशय का अंडा एवं भीतरी परत होता है, जो उस समय बाहर आता है, जब महिलाएं गर्भवती नहीं होती हैं । इस प्रकार यह गंधहीन होता है । परन्तु जब यह शरीर से बाहर आ जाता है तथा कपड़ा/पैड एवं हवा के संपर्क में आता है, तो रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं जिससे गंध उत्पन्न होती है । यह उन कारणों में से एक है जिसकी वजह से महिलाओं को बार-बार अपना पैड बदलना चाहिए ।

2. क्या ग्राम पंचायत महिलाओं द्वारा सेनिटरी नैपकिन खरीदने के मामले में कुछ कर सकती हैं?

(क) विभिन्न कंपनियों द्वारा निर्मित सेनिटरी नैपकिन बाजार में उपलब्ध हैं ।

(ख) ग्राम पंचायत प्रशिक्षण प्राप्त करने तथा सस्ते सेनिटरी नैपकिन बनाने के लिए स्वयं सहायता समूहों (एस एच जी) को प्रोत्सहित कर सकती है । बैंकों से ऋण लेने में एस एच जी की सहायता की जा सकती है । विभिन्न राज्यों में कुछ एस एच जी वास्तव में सस्ते सेनिटरी नैपकिन बना रहे हैं । कोयंबटूर के श्री ए. मुरुगानाथम ने एक पुरस्कार विजेता मशीन तैयार की है, जो प्रति पैड 1.50 रूपये की दर से सस्ते सेनिटरी नैपकिन का उत्पादन करती है । उन्होंने सेनिटरी पैड खरीदने के लिए एक आटोमेटिक वेंडिंग मशीन भी तैयार की है ।

(ग) ग्राम पंचायत एस एस ए, एस ए बी ए एल ए और एन आर एच एम स्कीमों के तहत लड़कियों को सेनिटरी नैपकिन के समुचित वितरण में भी सक्रिय भूमिका निभा सकती है ।

 स्वच्छ भारत एक जन आंदोलन

स्रोत: पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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